शुक्रवार, 16 दिसंबर 2011

दिल्ली ने कैसे पहना राजधानी का ताज,

 

 

और कितना हुआ खर्च, सबकुछ जानिए यहां...

Source: bhaskar news   |   Last Updated 06:58(11/12/11)

नई दिल्ली. दिल्ली को बनाने और संवारने की कोशिशें बीते आठ सौ वर्षो से चली आ रही हैं। हालांकि दिल्ली के मौजूदा स्वरूप में शाहजहां व जॉर्ज पंचम के राज की ही झलक दिखाई देती है। सौ साल पहले जॉर्ज पंचम ने दिल्ली को राजधानी बनाने की घोषणा की थी।


जॉर्ज पंचम की इस घोषणा से पहले भी कम से कम छह शासकों ने दिल्ली को बसाने का प्रयास किया, पर हर बार महज उजड़ने भर के लिए ही दिल्ली बसी। 1911 में किंग जॉर्ज पंचम द्वारा ब्रिटिश भारत की राजधानी कलकत्ता (वर्तमान में कोलकाता) से दिल्ली लाने की घोषणा के साथ ही दिल्ली को एक नया वजूद मिला था।

खूबसूरत शहर के निर्माण के लिए यहां वास्तुकार एडविन लुटियन और हरबर्ट बेकर को एक व्यवस्थित राजधानी बनाने की जिम्मेदारी दी गई, जिनके प्रयासों का ही नतीजा है कि आज देश की राजधानी इस रूप में हमारे सामने है। खूबसूरत वास्तुकला और व्यवस्थित नगर निर्माण के रूप में दिल्ली का संसद भवन, नॉर्थ व साउथ एवेन्यू, खूबसूरत व व्यवस्थित सड़कें, बड़े होटल, कनॉट प्लेस, करोलबाग, पहाड़गंज, रीगल थिएटर जैसी कई ऐतिहासिक इमारतें तभी की देन हैं, जो आज भी देश की प्रगति में अभूतपूर्व योगदान दे रहीं हैं।

सौ साल पहले 12 दिसंबर को यमुना किनारे बुराड़ी में सजे दरबार में ब्रिटेन के किंग जॉर्ज पंचम ने नई राजधानी की घोषणा की थी। अब इसी जगह पर कोरोनेशन पार्क का विकास किया जा रहा है। 57 एकड़ में फैले इस पार्क के विकास का फैसला लगभग तीन साल पहले दिल्ली विकास प्राधिकरण की उच्चस्तरीय बैठक में लिया गया था, लेकिन अभी तक इसे पूरी तरह से विकसित नहीं किया जा सका है।

अलबत्ता दिसंबर महीना बीतने के बावजूद इसका निर्माण कार्य जारी रहेगा। कोरोनेशन पार्क में एक बड़ा प्रवेश द्वारा निर्मित किया जाएगा और कोरोनेशन स्तंभ के चारों तरफ पत्थर लगाए जाएंगे। इसके अलावा यहां पर एक प्लेटफार्म का निर्माण भी किया जाएगा, जिस पर जार्ज पंचम, लार्ड हार्डिंग सहित पांच लोगों की मूर्तियां स्थापित की जाएंगी और इनके ऊपर एक छतरी का निर्माण किया जाएगा।

इसके अलावा यहां पर एक 31 मीटर ऊंचा लैग पोस्ट लगाया जाएगा, जिस पर तिरंगा फहराया जाएगा। साथ ही 1947 में आजादी के समय की गतिविधियों का सजीव चित्रण के लिए एक प्लाजा का निर्माण भी किया जाएगा, जिसमें सभी पुराने फोटो रखे जाएंगे। यहां पर एक एंपी थियेटर भी निर्मित किया जाएगा।

डीडीए की जनसंपर्क सलाहकार नीमोधर के मुताबिक यहां पर महज दो फीट की खुदाई पर पानी निकल आता है। बारिश व पानी की वजह से ही पार्क के विकास में देरी हुई है। उन्होंने कहा कि इसे मार्च 2012 तक पूरा कर लिया जाएगा। विशेषज्ञों के मुताबिक 12 दिसंबर 1911 को ब्रिटेन के किंग और महारानी ने कोरोनेशन पार्क में नई राजधानी की घोषणा की थी। 12 दिसंबर की रात को दरबार का समापन हुआ। साथ ही जार्ज पंचम का यहां पर राज्याभिषेक भी किया गया था।

एक सौ लाख पौंड किए खर्च

राजधानी के निर्माण में 29 हजार मजदूरों ने काम किया और इसके निर्माण पर एक सौ लाख पौंड खर्च किए गए। लुटियन ने सुझाव दिया था कि राजधानी में कोई भी इमारत 45 फीट से ऊंची न हो। पंडाल में लग गई थी आग पहले शाही दरबार का आयोजन पंडाल में करने की योजना बनाई गई थी, लेकिन पंडाल में अचानक आग लगने की वजह से दरबार को खुले मैदान में आयोजित किया गया। शाही जुलूस लाल किले से शुरू होकर जामा मस्जिद, परेड मैदान, चांदनी चौक, कश्मीरी गेट, सिविल लाइंस, माल रोड से होता हुआ शाही दरबार वाले मैदान तक पहुंचा था।

राजधानी से पहले तहसील

बताया जाता है कि राजधानी से पहले दिल्ली पंजाब प्रांत की तहसील थी। दिल्ली को राजधानी बनाने के लिए दिल्ली और बल्लभगढ़ जिले के 128 गांवों की जमीन अधिग्रहित की गई। इसके अलावा मेरठ जिले के 65 गांवों को भी शामिल किया गया। मेरठ जिले के गांवों को मिलाकर यमुनापार क्षेत्र बनाया गया।

यमुना किनारे का भी था सुझाव

नई राजधानी के लिए एक समिति का गठन किया गया था। समिति के मुताबिक बुराड़ी मलेरिया ग्रस्त और स्वास्थ्य के नजरिये से प्रतिकूल था। दूसरी ओर दक्षिण दिल्ली में यमुना किनारे का भी सुझाव दिया गया था, लेकिन यह जगह भी पसंद नहीं आई। बाद में रायसीना पहाड़ी को नई राजधानी के रूप में चुना गया।

दिल्ली से गुजरती थी नहर

लुटियंस ने नई दिल्ली की सीमाएं पहाड़गंज रेलवे स्टेशन, खूनी दरवाजा, दिल्ली गेट, पुराना किला, रेसकोर्स, अपर रिज रोड तक निर्धारित की थीं। ओखला से आने वाली एक नहर इस क्षेत्र के मध्य से गुजरती थी, जिससे सिंचाई का कार्य होता था।

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