गुरुवार, 6 अगस्त 2020

राम के राम सुतार / विवेक शुक्ला

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राम के राम सुतार
विवेक शुक्ला 
राम सुतार रेल भवन के आगे से गुजरते हुए गोविन्द वल्लभ पंत की आदमकद प्रतिमा को अवश्य देखते हैं। दरअसल बात ही कुछ इस तरह की है। ये दिल्ली में उनकी पहली कृति थी। दो साल तक सरकारी नौकरी करने के बाद उन्होंने 1960 में स्वतंत्र रूप से काम करना शुरू किया था। पंत जी के 1961 में निधन के बाद राम सुतार को उनकी मूर्ति बनाने का मौका मिला। 

इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़ कर नहीं देखा। इस  सफल यात्रा के दौरान सुतार जी ने सैकड़ों मूर्तियां को बनाया-तराशा। 94 साल में भी सक्रिय सुतार जी को अब बेहद चुनौतीपूर्ण जिम्मेदारी मिली  है। अब वे बना रहे हैं सरयू नदी के किनारे  स्थापित होने वाली भगवान राम की विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा। इसकी लंबाई 251 फीट होगी। इसके  निर्माण के काम का श्रीगणेश हो चुका है। 

 सुतार जी ने ही सरदार पटेल की चर्चित प्रतिमा ‘स्टेच्यू आफ यूनिटी’ तैयार की थी। महाराष्ट्र से संबंध रखने वाले सुतार जी की प्रतिमाओं में गति व भाव का शानदार समन्वय रहता है। हरेक भारतीय और मराठी मानुष की तरह सुतार जी भी मानते हैं कि शिवाजी महाराज एक धर्मनिरपेक्ष राजा थे। 

संसद भवन में स्थापित शिवाजी की 18 फीट ऊंची तांबे की मूर्ति को राम सुतार ने सुंदर तरीके से तैयार किया था। पर वे इससे पहले और बाद में संसद भवन में देश की कई शख्सियतों की स्थापित प्रतिमाओं को बना चुके थे। जैसे कि गांधी जी, महाराजा रंजीत सिंह, महात्मा ज्योतिराव फूले,छत्रपति साहू महाराज, पंडित नेहरू, इंदिरा गांधी, सरदार पटेल, जय प्रकाश नारायण वगैरह। ये सब मुंह से बोलती मूर्तियां हैं। ये असाधारण हैं। मतलब यह कि संसद भवन में उनकी चप्पे-चप्पे पर उपस्थिति हैं। उनके काम को बिना देखे कोई आगे नहीं बढ़ सकता। 

राम सुतार निस्संदेह आधुनिक भारतीय मूर्ति कला के सबसे महत्वपूर्ण हस्ताक्षरों में से एक माने जाएंगे। 
सुतार जी चाहे आदमकद मूर्ति बनाएं या धड़प्रतिमा, वे उसमें जान डाल देते हैं। वे पूरे समपर्ण और शोध करने  के बाद ही किसी प्रतिमा पर काम करना आरंभ करते हैं। वे अपनी शर्तों पर काम लेते और करते हैं। वे समय सीमा के बंधन में बंधना पसंद नहीं करते। संत प्रवृति के राम सुतार अपना श्रेष्ठतम काम तब दिखाते हैं जब उन्हें 
पूरी छूट मिलती है। वे काम के बीच में किसी का हस्तेक्षप कतई स्वीकार नहीं करते। इससे उनकी एकाग्रता भंग होती है। 

सबसे पहले विक्रम विहार, फिर लक्ष्मी नगर और बीते कुछ सालों से नोएडा के अपने स्टुडियों में सक्रिय राम सुतार ने भगत सिंह को संसद भवन में लगी प्रतिमा में पगड़ी में दिखाया। इस पर विवाद भी हुआ था। कहने वाले कहने लगे थे कि भगत सिंह तो हैट पहनते थे। इस पर सुतार जी का जवाब था कि उन्होंने भगत सिंह की हुसैनीवाला में लगी प्रतिमा के आधार पर संसद भवन में लगी प्रतिमा का निर्माण किया था। शहीद पार्क में लगी प्रतिमा में भी भगत सिंह पगड़ी में है। 
इधर भगत सिंह के साथ राज गुरु और सुखदेव भी हैं। दिल्ली विधानसभा में वे भगत सिंह को हैट में दिखाते हैं। ये सब सुतार जी की ही कृतियां हैं। पर अब वह सिर्फ़ भगवान  राम की प्रतिमा बनाने मेें ही व्यस्त हैं । 
ये लेख 6 अगस्त 2020 को पब्लिश हुआ।

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