N जर्मनी की मशहूर जासूस माताहारी की सालगिरह,
अपनी ब्यूटी-डांस के दम पर जाने दुश्मनों से सीक्रेट, फ्रांस ने बेरहमी से ली जान
माता हारी का नाम महिला जासूसों में आज भी सबसे ऊपर आता है। 7 अगस्त 1876 को नीदरलैंड में पैदा हुईं और पेरिस में पली-बढ़ीं मार्गरेट जेले (माता हारी) पहले विश्व युद्ध के दौरान जर्मनी की एक एजेंट थी, जिसने जासूसी को जिस्मानी रिश्तों से जोड़ एक नई पहचान दी। जासूसी का पेशा ही इनकी मौत की भी वजह बना। हालांकि, जेले वास्तव में बेडौल शरीर की मलिका थीं। इन्हें ख़ूबसूरत न होने की वजह से एक डांसिंग ग्रुप में जगह नहीं मिली थी और मजबूरी में पहले उसे एक सर्कस में काम करना पड़ा।
पति से हो गया था तलाक
जेले की शादी नीदरलैंड की शाही सेना के एक अधिकारी से हुई थी, जो इंडोनेशिया में तैनात था। दोनों तत्कालीन डच ईस्ट इंडीज के द्वीप जावा में रह रहे थे। इंडोनेशिया में ही वो एक डांस कंपनी में शामिल हो गई और अपना नाम बदलकर माता हारी कर लिया। मलय भाषा में माता हारी का मतलब होता है दिन की आंख यानी सूर्य। नीदरलैंड्स लौटने के बाद 1907 में माता हारी ने अपने पति को तलाक दे दिया और पेशेवर डांसर के रूप में पेरिस चली गईं।
रातोंरात मिली कामयाबी
पेरिस में उसने अपनी खूबसूरती और अपनी मोहक अदाओं से लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया और उसका नाम रातों-रात सबकी जुबान पर चढ़ गया। उसकी कामयाबी ने ‘एक्जॉटिक डांस’ शैली को भी एक खास मुकाम दिलाया। इस दौरान माता हारी के कई शीर्षस्थ सैन्य अधिकारियों, राजनेताओं और अन्य प्रभावशाली व्यक्तियों से संबंध रहे, जिनमें जर्मन प्रिंस भी शामिल थे। पहले विश्व युद्ध में नीदरलैंड्स तटस्थ था। माता हारी ने फ्रांस, नीदरलैंड्स और स्पेन के बीच कई यात्राएं कीं।
जासूसी के शक में गई जान
एक बार स्पेन जाते वक्त उसे इंग्लैंड के फालमाउथ बंदरगाह पर गिरफ्तार कर लिया गया। उस पर जासूसी करने का आरोप था। उसे लंदन लाया गया। फ्रांसीसी और ब्रिटिश खुफिया तंत्र को शक था कि माता हारी जर्मनी के लिए जासूसी करती है, लेकिन उनके पास कोई सबूत नहीं थे। हालांकि, इसके बावजूद उस पर डबल एजेंट होने का इल्जाम लगाया गया और फ्रांस में फायरिंग स्क्वैड द्वारा उसे गोलियों से भून दिया गया। उसका अंतिम संस्कार करने उसके परिवार का कोई भी व्यक्ति सामने नहीं आया। माता हारी के जीवनी लेखक रसेल वारेन हाउ ने 1985 में फ्रांसीसी सरकार को यह मानने को राजी कर लिया कि वह निर्दोष थी।’(दैनिक भास्कर से अनुसरण
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