(लघुकथा)
ब्याह के पहले जब दिव्या खुद को दिखाने मां बाप के साथ कुन्दन और सावित्री के घर आयी थी,तब कुन्दन और सावित्री को लगा था कि दिव्या निहायत पारिवारिक और संस्कारी लड़की है, तुरन्त हामी भर लिया था।
ब्याह के बाद दिव्या ने जो भीभत्स डरावना रूप दिखाया वह किसी को मान्य न था, न घर न बाहर के लोगो को। दिव्या आते ही परिवार तोडने मे जुट गई। पति आदेश को वश मे करने के लिए सारे नुस्खें अजमा लिए तन्त्र मन्त्र जादू टोना भी।वह जल्दी ही कामयाब भी हो गई। आदेश जो मां बाप को धरती का भगवान समझता था वही बाप से नफरत मां को कुलक्षणा मानने लगा।
आदेश दिव्या के झलवे मे ऐसा दीवाना हुआ कि तोड़ दिया खून तक के सारे रिश्ते जादूगर की बेटी के लिए।
कुन्दन और सावित्री के लिए दुख का विरान था परन्तु आदेश के लौटने की उम्मीद भी।
उधर ठगपुरिया दिव्या और उसके मां बाप के लिए गुलाम-कमासूत आदेश की लूट के सुख की निर्लज्ज गर्जना।
डॉ नन्दलाल भारती
25/01/2018
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें