रविवार, 18 दिसंबर 2022

अंतरराष्ट्रीय भारतीय फिल्म महोत्सव (इफ्फी / उमेश जोशी

 

कल (28 नवम्बर 2022) 53वाँ अंतरराष्ट्रीय भारतीय फिल्म महोत्सव (इफ्फी) का समापन समारोह था। हालांकि जूरी के मुखिया और इस्राइल के फिल्म निर्माता नादाव लैपिड (Nadav Lapid) के बयान के बाद पूरी दुनिया को इस समारोह की खबर हो गई है; सब ओर इसकी चर्चा भी है, कुछ लोगों की नींद उड़ गई है, किसी की ग़म में तो किसी की खुशी में। उस बयान की हवा निकालने के लिए सारे जतन किए जा रहे हैं। स्पष्ट कर दूँ कि मेरा इस पचड़े से कोई लेना-देना नहीं है, खुशी है ना ग़म है। इसके बावजूद मेरी नींद उड़ी है। उसकी वजह बताने के लिए पोस्ट लिख रहा हूँ। 

   इस समारोह में हिंदी की दुर्गति होते देखी है, वो भी भारत सरकार के न्यूज़ चैनल दूरदर्शन पर। चूंकि दूरदर्शन के पीछे सरकार की ताक़त है इसलिए इसके पास संसाधनों का कोई अभाव नहीं है और होना भी नहीं चाहिए। लिहाजा, देश की सर्वोत्तम टैलेंट यानी प्रतिभा दूरदर्शन के पास होनी चाहिए। कल गोवा से इस समारोह का सीधा प्रसारण देख कर मेरा अनुमान निराधार साबित हुआ। नीचे स्क्रीन पर हिंदी में न्यूज़ फ़्लैश चल रही थी। जब मैंने टीवी खोला तब सूचना और प्रसारण मंत्री श्रीमान् अनुराग ठाकुर जी बोल रहे थे। मैं ख़ास तौर से उसी  न्यूज़ फ्लैश का ज़िक्र कर रहा हूँ जब ठाकुर साहब के बोलते समय दिखाई जा रही थीं।

   दूरदर्शन ने अपना अलग व्याकरण गढ़ लिया है। दूरदर्शन के इस महत्त्वपूर्ण कार्यक्रम के समय न्यूज़ फ्लैश चलाने वाले महानुभाव अनुस्वार की अहमियत ही नहीं जानते हैं। उन्हें किसी ने बताया ही नहीं होगा कि अनुस्वार और  विसर्ग हिंदी वर्णमाला के अहम् वर्ण हैं। उनके बिना वर्णमाला अधूरी है। उन्हें यह भी नहीं बताया गया होगा कि ईश्वर, अल्लाह, वाहे गुरु और ईसा ने इंसान को स्वादिष्ट व्यंजनों की खुशबू लेन के लिए ही नाक नहीं दिया है बल्कि अनुस्वार का उच्चारण करने के लिए भी दिया है। 

    किसी प्रतिष्ठित या ऊँचे ओहदे पर बैठे व्यक्ति को सम्मान देने के लिए हिंदी में वाक्य बहुवचन में लिखा जाता है; 'है' पर अनुस्वार लगा कर 'हैं' किया जाता है,'था' का 'थे' और 'थी' का 'थीं' हो जाता है। मंत्री जी के लिए ऐसा कुछ नहीं किया गया। यह सोच ही रहा था कि प्रोग्राम के बीच में प्रधानमंत्री की रैली दिखा दी और प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के लिए भी अनुस्वार इस्तेमाल कर सम्मान सूचक वाक्य नहीं बनाया गया; मानो दूरदर्शन मुझे यह कह रहा हो कि अरे बावले! तुम मंत्री को लेकर चिंता में डूबे हो, हम तो प्रधानमंत्री के साथ भी वही सलूक करते हैं। ( प्लेट-1 और प्लेट-2 देखें। 'है' पर अनुस्वार नहीं लगाया) 

    न्यूज़ फ़्लैश में दो जगह अंतरराष्ट्रीय अलग अलग तरीक़े से लिखा गया है। एक जगह 'अंतरराष्ट्रीय' है दूसरी जगह है 'अंतर्राष्ट्रीय'। दर्शक किसे सही मानें?  ( प्लेट-3 और प्लेट-4 देखें)

    अब प्लेट नंबर-5 पर ग़ौर करें। इसमें लिखा है- कई फिल्मी हस्तियां भी समारोह की बढ़ा रहे है शोभा। क्या यह वाक्य अटपटा नहीं लगता? एक छोटी कक्षा का छात्र भी 'हस्तियां' को कर्ता मान कर कभी 'रहे है' नहीं लिखेगा, 'रही हैं' होना चाहिए और वही लिखेगा। यहाँ भी 'है' पर अनुस्वार ग़ायब है। 

      एक और वाक्य देखें। उसमें भी अनुस्वार नहीं लगाया। प्लेट-6 में लिखा है - सभी को क्षेत्रीय और राष्ट्रीय फ़िल्में बहुत पसंद आई। यहाँ फ़िल्में बहुवचन है इसलिए 'आई'  के स्थान पर  'आईं' होना चाहिए था।

     प्लेट नंबर-7 में अवॉर्ड का 'अ' ग़ायब कर दिया। काफी देर ऐसे ही चलता रहा। बाद में इसे ठीक किया गया। 

      मंत्री जी का बयान (प्लेट नंबर-8) भी काफी रोचक है। यहाँ दूरदर्शन यह कह कर बच निकलेगा कि मंत्री जी के बयान में संशोधन करने का दुस्साहस कैस कर सकते हैं। मंत्री जी कहते हैं- इफ्फी में प्रतिभाशाली प्रतिभाओं को देखने का अवसर मिला। यह समझ नहीं आया कि 'प्रतिभाशाली प्रतिभा' क्या होती है।  जिसमें प्रतिभा होती है वही तो प्रतिभाशाली होता है। किसी को मंत्री जी के वक्तव्य का अर्थ समझ आए तो कृपया मुझे भी बताएँ। 

     मैं दूरदर्शन से करीब दो दशक तक जुड़ा रहा हूँ, 1981 से 1999 तक। उस वक्त दूरदर्शन में गुणवत्ता को लेकर जितना ध्यान दिया जाता था आज उसका दशांश भी नहीं है। उसके पीछे कोई भी वजह हो सकती है। 

     यह  पोस्ट लिखने की पीछे किसी व्यक्ति विशेष की आलोचना करने की मंशा कतई नहीं है। मैं यही कहना चाहता हूँ कि हिंदी को 'श्रीहीन' करने में दूरदर्शन की भी बड़ी भूमिका है। 

मुझे हैरानी है कि जिस कार्यक्रम में ख़ुद सूचना और प्रसारण मंत्री शिरकत कर रहे हों, उसमें लापरवाही या त्रुटियों की भरमार कैसे हो सकती है! ऐसा लगा कि हिंदी का अपमान करने की होड़ में दूरदर्शन सबसे आगे निकलना चाहता है।



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