गुरुवार, 8 दिसंबर 2022

ज्‍योतिष भविष्‍य में देखने की प्रक्रिया है।

 भविष्य एकदम अनिश्‍चित नहीं है। हमारा ज्ञान अनिश्‍चित है। हमारा अज्ञान भारी है। भविष्‍य में हमें कुछ दिखाई नहीं पड़ता। हम अंधे हैं। भविष्‍य का हमें कुछ भी दिखाई नहीं पड़ता। नहीं दिखाई पड़ता है इसलिए हम कहते हैं कि निश्‍चित नहीं है लेकिन भविष्‍य में दिखाई पड़ने लगे… और ज्‍योतिष भविष्‍य में देखने की प्रक्रिया है।

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तो ज्‍योतिष सिर्फ इतनी ही बात नहीं है कि ग्रह-नक्षत्र क्‍या कहते हैं। उनकी गणना क्‍या कहती है। यह तो सिर्फ ज्‍योतिष का एक डायमेंशन है, एक आयाम है। फिर भविष्‍य को जानने के और आयाम भी हैं।


मनुष्‍य के हाथ पर खींची हुई रेखाएं हैं, मनुष्‍य के माथे पर खींची हुई रेखाएं हैं, मनुष्‍य के पैर पर खींची हुई रेखाएं हैं, पर ये भी बहुत ऊपरी हैं। मनुष्‍य के शरीर में छिपे हुए चक्र हैं। उन सब चक्रों का अलग-अलग संवेदन है। उन सब चक्रों की प्रति पल अलग-अलग गति है। फ्रिक्‍वेंसी है। उनकी जांच है। मनुष्‍य के पास छिपा हुआ, अतीत का पूरा संस्‍कार बीज है।

रान हुब्‍बार्ड ने एक नया शब्‍द, एक नई खोज पश्‍चिम में शुरू की है- पूरब के लिए तो बहुत पुरानी है। वह खोज है- टाइम ट्रैक। हुब्‍बार्ड का ख्‍याल है कि प्रत्‍येक व्‍यक्‍ति जहां भी जिया है इस पृथ्वी पर या कहीं और किसी ग्रह पर- आदमी की तरह या जानवर की तरह या पौधे की तरह या पत्‍थर की तरह। आदमी जहां भी जिया है अनंत यात्रा में- उस… पूरा का पूरा टाइम ट्रैक, समय की पूरी की पूरी धारा उसके भीतर अभी भी संरक्षित है। वह धारा खोली जा सकती है और उस धारा में आदमी को पुन: प्रवाहित किया जा सकता है।,,,,आगे जारी ,.....

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