वैदिक ज्योतिष में 9वा एवं 10th घर दोनों घर ही पिता के घर या भाव कहे जाते है।
लेकिन अगर सूक्ष्म रूप से देखा जाए तो 9वां भाव ज्यादा उपयुक्त है। 9वां भाव आपका धर्म का भाव है जो देश काल पात्र के अनुसार हमे हमारे पिता से मिलता है। 9वां भाव किस्मत का है, जिसकी शुरुआत पिता के घर से होती है। 9वां भाव से पंचम भाव लग्न है, मतलब आपके पिता की संतान यानी आप।
10वां भाव चतुर्थ से सप्तम होता है, यानी चतुर्थ भाव आपकी माता का तो उससे सप्तम माता के पति यानि आपके पिता का होता है।
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ज्योतिष के कुछ अचूक सूत्र
1)जब गोचर में शनि ग्रह धनु, मकर, मीन व कन्या राशियों में गुजरता है तो भयंकर अकाल रक्त सम्बन्धी विचित्र रोग होते हैं। वर्तमान में दृष्टिगोचर.....
2)"स्त्री की कुंडली में यदि चन्द्र वृष कन्या या सिहं राशी में स्थित हो तो स्त्री के कम पुत्र होते हैं "।
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Western astrol
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Based on sun sign
१९३० के दशक में डॉन नेरोमन (Don Neroman), "एस्ट्रोजियोग्राफी" के नाम से एक स्थानीय ज्योतिष शास्त्र (Locational Astrology) को विकसित करके इसे यूरोप में लोकप्रिय भी बनाया. १९७० के दशक में अमेरिका के ज्योतिषी जिम लेविस ने (Jim Lewis)आस्ट्रोकार्टोग्राफी नाम की (Astrocartography). एक लोकप्रिय और अलग दृष्टिकोण विकसित की. दोनों ही तरीकों से स्थान में परिवर्तन के साथ जीवन की स्थितियों में आने वाले बदलाओ को जाना जाता है।
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ज्योतिष एक साइंस है
मेरे पास 30साल का अध्ययन है
समस्या जानने का और precautions का अच्छा माध्यम है
हम यहां भारतीय और पश्चमी ज्योतिष की सभी बिधा पर चर्चा करेंगे
यह पूर्णतया knowledge sharing है
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,कुंडली में उच्च का राहु व्यक्ति का भाग्य बदल देता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जिस जातक की कुंडली में राहु ग्रह मजबूत होता है, उसे अच्छे परिणाम प्राप्त होते हैं। यह व्यक्ति के आध्यात्मिक क्षेत्र में सफलता दिलाता है। राहु ग्रह अपने मित्र ग्रहों के साथ बलवान होता है।
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