पत्नियों के लड़ने के सौ बहाने............
जब तनहा-उदासी में मैं हून्गी,
महफिल में भी तन्हा पाऊन्गी,
तब किसपे कसक निकालूंगी,
प्रिये मैं तुमसे लड़ जाऊन्गी!!
जब ग़लती से गलती मेरी हो,
चाहे टूटे कप-काम में देरी हो,
तब किसपे खीझ़ मिटाऊन्गी,
प्रिय मैं तुमसे लड़ जाऊन्गी!!
जब कोई उत्सव-त्यौहार जो हो,
सब आएगी फिर जब सज-धजकर,
कभी ख़ुद को जो कमतर पाऊँगी,
प्रिये मैं तुमसे लड़ जाऊन्गी!!
कहीं कुछ भी अगर आया होगा,
कभी किसी को कुछ जो मिला होगा,
मैं तो बस तुमसे ही ज़िद दोहराऊन्गी,
प्रिय मैं तुमसे लड़ जाऊन्गी!!
कभी नम्बर बच्चो के कम आऐ,
या कम्पटीशन में वो पिछड़ जाऐ,
मैं उनसे ना ज्यादा कहूँगी बस,
प्रिये मैं तुमसे लड़ जाऊन्गी!!
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