निगम के करप्ट बॉय सिंघल को बचाने में लगी हैं केजरीवल सरकार
रामफल सिंह / सुधीर कुमार
कहा और माना जाता हैं की किसी भी सरकारी कर्मचारी के पुरे सेवाकाल में एक शिकायत भी भारी पड़ता हैं इससे उसके बेदाग सर्विस बुक में दाग लग जाता हैं और निर्दोष करार होने के बावजूद सवालिया निशान तो लग ही जाता हैं. मगर 450 से भी अधिक शिकायतों वाले दागदार इंसपेक्टर मनमोहन सिंघल को इसकी कोई परवाह नहीं हैं. यह अपने तमाम आला अधिकारियो के नाक का इतना प्यारा बाल हैं की इसको बचाने के लिए पीएमओ से आए पत्र और निर्देश तक से भी कोई परवाह नहीं हैं.
उल्लेखनीय हैं की साप्ताहिक राष्ट्रीय शान और दैनिक राष्ट्रीय शान में इस भ्रष्ट इंसपेक्टर के बारे में खबर छापी गयी इसके बावजूद दिल्ली सरकार ने LG से कार्रवाई के लिए कोई दवाब नहीं बनाया. पीएमओ ने पत्रांक - पीएमओ / D / 2021/ 0113037 ./ दिनांक....22042021 भेज कर पीएमओ के सेक्सन अधिकारी आशीष कुमार मिश्रा ने मुख्य सचिव को मनमोहन सिंघल पर एक्शन की सूचना RTI कार्यकर्त्ता दर्शनलाल को भेजने और पोर्टल पर अपलोड करने का भी निर्देश दिया.. पीएमओ पत्र के बाद करप्ट बॉय के ऊपर एक्शन लेने के नाम पर उसका ट्रांसफर कर दिया गया.,मगर इसको ट्रांसफर एक तरह से उसके मौज का कारण बन गया. फैक्ट्री लाइसेंस विभाग से बाहर होकर वह अपने दलालों के माध्यम से जमकर किसी इंस्पेक्टर को लाने और हटाने के काम में लग गया. सिंघल के इस काम में कार्मिक विभाग के प्रभारी जिन्हें फैक्ट्री लाइसेंस विभाग का अतिरिक्त भार दिया गया था के साथ मिलकर ट्रांसफर करने कराने के काम में जुड़ गया इस जोड़ी के खिलाफ निगम में जमकर शिकायतों का दौर चला, मगर उत्तरी दिल्ली नगर निगम के अधिकारियों और पार्षद सिंघल को बचाने में लगे हैं.
आरटीआई कार्यकर्ता दर्शन लाल ने निगम के करप्शन के खिलाफ शिकायतों का दौर चलाया उसी सिलसिले में प्रधानमंत्री कार्यालय को भी कार्यालय को भी शिकायत भेजी. जिस पर संज्ञान लेते हुए पीएमओ ने दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर दर्शन लाल की शिकायत पर फौरन एक्शन लेने का निर्देश दिया, साथ ही कार्रवाई को पोर्टल पर अपलोड करने का भी निर्देश दिया मगर मुख्य सचिव द्वारा निगम इंस्पेक्टर मनमोहन सिंघल का ट्रांसफर कर कराया गया मगर इस कार्रवाई को पोर्टल पर आज तक नहीं डाला गया हैं
इस संवाददाता द्वारा सरकारी पोर्टल को छान मारने के बावजूद एक्शन की सक्रियता का कोई सबूत सरकारी पोर्टल पर नहीं मिला. उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री कार्यालय को भी सचिव द्वारा ट्रांसफर की प्रतिनिधि भेजी गई, मगर सीएमओ दिल्ली द्वारा इसकी प्रतिलिपि एलजी कार्यालय को नहीं भेजी जा स्की ताकि निगम के प्रमुख एलजी इस बाबत कोई रिपोर्ट मंगा सके.
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