भाजपा के ग्रीन सिग्नल से लोजपा में एकता की नई उम्मी
लोजपा में नया उत्सा
दलित मतदाताओं को लुभाने की नई कोशिश
गृह मंत्री अमित शाह कर रहे हैं सारे मामले की देखरेख
नयी दिल्ली. आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर भाजपा की नजर में लोकसभा की कीमत बढ़ गई है. भाजपा लोजपा को दलितो की इकलौती पार्टी और चिराग पासवान को एक उभरते हुए एक दलित नेता की तरह प्रस्तुत करने की मंशा बना रही है. भाजपा से बढ़ती नजदीकियों को देखते हुए दोफाड़ लोजपा के एक बार फिर से एक होने की उम्म्मीद बढ़ गयी हैं. मंत्रिमंडल के अगले विस्तार में चिराग पासवान को मंत्री पद मिलना लगभग तय हैं भाजपा की नई रणनीति के तहत लोजपा देश की दलित बहुल एक सौ संसदीय क्षेत्रों पर काम कर रही है, जिससे भाजपा और लोजपा की ताकत में इजाफा होने की उम्मीद है. लोजपा के दलित प्रकोष्ठ (sc/sT सेल ) के राष्ट्रीय अध्यक्ष ज्ञान चंद गौतम ने राष्ट्रीय शान से बातचीत करते हुए बीजेपी के संग पार्टी की बढ़ती नजदीकियों पर चर्चा करते हुए उपरोक्त बातें कही.
उल्लेखनीय है कि दलित नेता रामविलास पासवान की मौत के बाद लोजपा का भविष्य अधर में आ गया था. पारिवारिक असंतोष के कारण पासवान बंधुओं ने दूसरा पर आधिपत्य जमाने की कोशिश की भाजपा दूर खड़ी तमाशा देखती रही, लोजपा पर आधिपत्य जमाने के लिए पासवान बंधुओं ने पासवान पुत्र चिराग पासवान के खिलाफ मुहिम छेड़ दी. एक समय बीजेपी शह पर चिराग भी काफी सक्रिय रहें मगर अंतत: बीजेपी ने चिराग पासवान को दूर कर दिवंगत पासवान के बंधुओं को अपना लिया भाजपा के इस रवैया से चिराग पासवान स्तब्ध रह गये. प्रधानमंत्री और गृह मंत्री का हनुमान कहते हुए चिराग ने अपनी निष्ठा सामने रखी, मगर अंततः चिराग को इसका नुकसान उठाना पड़ा. पार्टी और पासवान परिवार में कलह छिड़ गयी. मगर पुरे मामले में शांत रहकर चिराग ने समय का इंतज़ार किया.
और इसी बीच बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार ने धमाके के साथ NDA से अलग हो गये और पिछले 20 साल से सत्ता की पिछलग्गू बनी बीजेपी अब विपक्षी पार्टी बन गयी मुख्यमंत्री कुमार के इस धोखे ने चिराग की किस्मत को लौ बना दिया नए साथियो की तलाश में लोजपा और चिराग सबसे बड़े मित्र की तरह लगे तो बीजेपी चिराग की किस्मत की पटकथा लिखने की रणनीति में जुड़ गयी लम्बे खिलाडी की तरह बीजेपी चिराग को इस्तेमाल करने की.योजना में हैं
गौरतलब हैं की देश की सभी 543 संसदीय क्षेत्रो में दलित मतदाताओं की संख्या 20-25% की हैं जबकि 278 संसदीय क्षेत्रो में दलित मतदाताओं की संख्या 25-30% की हैं. लोजपा नेता ज्ञान चंद गौतम ने बताया की लोजपा देश की सभी संसदीय क्षेत्रो के मतदाताओं की ताजा आंकड़ों का विश्लेषण कर रही हैं जिसके तहद हिंदी बेल्ट के 150 संसदीय क्षेत्रो में से, पहले चरण में वोट प्रतिशत के जोड़ घटाव को चेक कर रही हैं जिसके आधार पर दलितों की हालत और उनकी समस्याओं का भी विश्लेषण हो रहा हैं.
श्री गौतम ने बताया की रामविलास पासवान की मौत के बाद चिराग लोजपा को अधिक जनाधार वाली बिहार से बाहर भी फैलाव का सपना देख रहें हैं उन्होंने कहा की ले दें कर दलित नेता की तरह बसपा और मायावती ही रह गयी हैं जबकि दलित सांसदों की तादाद 30 की हैं गौतम ने कहा की दलित सेना को फिर से पुनजीवित किया जायगा और यूपी हरयाणा राजस्थान झारखंड मध्यप्रदेशबंगाल पंजाब छतीसगढ और महाराष्ट्र में लोजपा और दलित सेना का गांव स्तर पर गठित की जा रही हैं दर्जन भर राज्यों में सैकड़ो पूर्व मंत्रियों विधायकों पार्षदों और मुखिया सरपंचो को पार्टी से जोड़ने का अभियान जारी हैं ताक़ि पार्टी सबल हो. उन्होंने कहा की लोजपा का टारगेट 2024 चुनाव नहीं हैं संगठन को फौलाद बनाना हैं जहाँ पर उम्मीद हैं तो निसंदेह चुनावी मैदान भी योजना का हिस्सा रहेगा मगर जनांदोलन की तरह दलित मतदाताओं को जागरूक करना उद्देश्य हैं. सरकार द्वारा दी जा रही सुविधाओं की पहुँच को सुनिश्चित कराने के लिए लोजपा गंभीर हैं गौतम ने कहा की शिक्षा स्वास्थ्य पर भी पार्टी गंभीर हैं की सबको राहत उपलब्ध हो. इससे पार्टी की समाजसेवक छवि बनेगी और सबको अपनी पार्टी का अहसास भी होगा. 2029 चुनाव से पहले पार्टी मध्यार पूर्वी भारत सहित लगभग 15 राज्यों मे पंचायती चुनाव और स्थानीय नगर निगम नगर पालिका चुनाव में हिस्सा लेकर संगठन और जनाधार को बढ़ाएगी तब कही जाकर विधान सभा और संसद के लिए चुनावी रणनीति बनेगी अभी पार्टी को मजबूत करना ही पहला लक्ष्य हैं
लोजपा SC/ST सेल के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दर्शनलाल ने बताया की 100 संसदीय सीटों के नाम तय होने के बाद लोगों को जोड़ने अभियान और मुहिम के लिए पूरी टीम काम kregi, जिसका आंकलन करते हुए आलाकमान तक प्रगति रिपोर्ट दी जायगी उन्होंने बताया की बड़े स्तर पर लोग जो रहें हैं और नयी योजनाओ पर सलाह मांगी भी जा रही हैं
अब देखना हैं की दलितों के नाम पर दलितों को ही ठगते आ रहें नेताओ से अलग चिराग पासवान कितने बड़े दलित हमदर्द बनकर उभरते हैं. इस समय दलितों में कोई नया युवा चेहरा का न होना भी काफी फायदेमंद रहेगा देखना रोचक होगा कीवपने ही हाथो चिराग अपनी किस्मत को मशाल बनाते हैं अथवा दिया बाती चिराग की तरह बस लोकल टिमटिमाते ही रह जायेंगे .
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