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बीजेपी के लिए बिहार में लोजपा मजबूरी बन गई है
रिश्ते सुधारने के अभियान में जुटे हैं गृह मंत्री अमित शाह
नीतीश कुमार के विकल्प की खोज में जुटी है बीजेपी
रामफल सिंह / सुशांत सागर /
नयी दिल्ली. जोड़ तोड़ मरोड़ और निचोड़ मामले में माहिर गृह मंत्री अमित शाह इन दिनों बिहार के लोजपा को जोड़ने में लगे हैं. एक समय चिराग पासवान को बेघर करने के इरादे से उनको लोजपा से बेघर कर दिया गया था चिराग की उपेक्षा करके पूरे पासवान फॅमिली को बीजेपी का वरदान मिला था दोफाड् के बावजूद चिराग की अहमियत बनी रही और अब नीतीश कुमार से चोट खाने के बाद बीजेपी फिर से लोजपा को अपने करीब लाने में जुटी हैं.
उल्लेखनीय है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हमेशा बीजेपी को ठगते आ रहे थे बीजेपी से यह उनका दूसरी बार नाता टुटा है. राष्ट्रीय जनता दल के साथ मिलकर के पिछले विधानसभा में कुमार ने सरकार बनायी थी. आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के साथ ठीक से सत्ता की गाड़ी नहीं चल सकी तो श्री कुमार बैक टू बीजेपी में आ गये. अपनापन का रिश्तों होने के बावजूद रिश्तो में कोई मधुरता नहीं थी जनता दल यूनाइटेड के साथ बीजेपी की गाड़ी बस किसी तरह चल ही रही थी कि राष्ट्रपति चुनाव के समय नीतीश कुमार और बीजेपी के संबंध फिर खराब हो गया जिसके परिणाम स्वरूप जेडी (यू )सुप्रीमो और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को फिर से अलग अलग रास्ता चुनना पड़ा. नीतीश कुमार बीजेपी से अलग हो गए बिहार के मुख्यमंत्री देशभर में विपक्ष को एकजुट करने में लग गए किंगमेकर की नई भूमिका से देशभर में सुस्त पड़ी विपक्ष को सजीव बनाने की कोशिश में लग गये.
दूसरी तरफ बीजेपी बिहार समेत आगामी लोकसभा चुनाव के लिए नए साथी की तलाश में है. बीजेपी के पास बिहार में कोई दलित चेहरा नहीं है. लोजपा सुप्रीमो रामविलास पासवान की मौत के बाद बीजेपी खेमें में निराशा हैं. बीजेपी और Lगृह मंत्री अमित शाह की शह पर बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान लोजपा राजकुमार चिराग पासवान ने जमकर नीतिश कुमार के खिलाफ चुनावी हमले किये मगर चुनाव परिणाम ने लोजपा को निराश किया सबसे अधिक विधायक लेकर लालटेन सत्ता से दूर रही तो कम विधायक के बावजूद नीतीश कुमार फिर से बीजेपी की सवारी पर मुख्यमंत्री बन गये, मगर इस बार उनकी पारी लम्बी नहीं चल सकी. एकबार फिर बीजेपी से हाथ छुड़ाकर नितीश बाबू लालटेन के समर्थन से बिहार के निजाम बन गये.
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से बार-बार धोखा खाने के बाद अब बीजेपी संभल चुकी है. अपने बूते बिहार में सरकार बनाने के लिए बीजेपी नये साथियों की तलाश में जुटी हैं अभी अभी बीजेपी को एलजेपी सबसे करीब नजर आ रहा है. लोजपा और पासवान परिवार को फिर से एक करने की कोशिश में बीजेपी के जादूगर मैनेजर अमित शाह फिर से लगे हैं. जिसके लिए लोजपा के चाचा भतीजे के मनमुटाव को ख़त्म करके लोजपा को सजीव किया जायगा चिराग को आखिरी 16-17 माह के लिए मंत्री पद देकर उसको संतुष्ट कर बीजेपी का युवा स्टार दलित नेता चुनाव कंपनेर बनाया जाएगा. यह एक तरह से चिराग का नया अवतार सा भी हो सकता हैं. बीजेपी इसके बहाने दिवंगत राम विलास पासवान की कमी खत्म करने के साथ साथ चिराग को करोड़ो युवा दलित मतदाताओं का पसंदीदा नेता बनाने के फ़िराक़ में हैं और बीजेपी के इस गेम में यदि चिराग फिट बैठ गये तो दोनों के लिए यह लॉन्ग रेस का चक्कर हो सकता हैं बीजेपी का सोशल वर्ल्ड चिराग के लिए काम कर रही हैं सारा कमान गृह मंत्री अमित शाह के पास हैं यानी अब केवल गुजरात चुनाव के खात्मे की प्रतीक्षा हो रही हैं ताक़ि लोजपा के साथ गलबहियां करके बीजेपी चिराग के सहारे लोजपा की लाठी थाम कर चुनावी समर की रणनीति को आकार देना शुरू करें. जिसका पहला टारगेट नितीश कुमार को कमजोर करने के साथ साथ रेलवे घोटाले में नामित तेजस्वी यादव को परेशान करना है. हो सकता है कि अगला साल तेजस्वी यादव के लिए काफी कठिनाइयों का हो क्योंकि लालू रेल घोटाले की कथित जाँच से बिहार सरकार और यादव परिवार बेहाल होगा ही. यूपी में अखिलेश का मौन समर्थन मिल गया हैं यानी चिराग को तेजस्वी और अखिलेश के समान नेता बनाने की योजना हैं. जिस तरह से हिंदी बेल्ट में युवाओ को आकर्षित करने की रणनीति का हिस्सा हैं जिसके लिए चिरा ग पासवान को मशाल बनाकर अपने खेमे का मुख्य सारथी बनाना लक्ष्य हैं
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