सदियों से हिंदुस्तान पर हक जताने वाले सुल्तानों और शासकों ने दिल्ली को
अपनी राजधानी बनाया. ब्रिटिश हुकूमत के साथ ही हर सल्तनत ने दिल्ली पर अपनी
पहचान छोड़ी जिसके निशान कोने कोने में मौजूद हैं.
100 साल पहले, अंग्रेज शासकों ने भारत की राजधानी को कोलकाता से दिल्ली
लाने का फैसला लिया और नई दिल्ली बनाई. लेकिन दिल्ली का अपना इतिहास 3000
साल पुराना है. माना जाता है कि पांडवों ने इंद्रप्रस्थ का किला यमुना
किनारे बनाया था, लगभग उसी जगह जहां आज मुगल जमाने में बना पुराना किला
खड़ा है.
हर शासक ने दिल्ली को अपनी राजधानी के तौर पर एक अलग पहचान दी, वहीं
सैंकड़ों बार दिल्ली पर हमले भी हुए. शासन के बदलने के साथ साथ, हर सुल्तान
ने इलाके के एक हिस्से पर अपना किला बनाया और उसे एक नाम दिया. माना जाता
है कि मेहरौली के पास लाल कोट में आठवीं शताब्दी में तोमर खानदान ने अपना
राज्य स्थापित किया था लेकिन 10वीं शताब्दी में राजपूत राजा पृथ्वीराज
चौहान ने किला राय पिथौड़ा के साथ पहली बार दिल्ली को एक पहचान दी. 13वीं
शताब्दी में गुलाम वंश के कुतुबुद्दीन ऐबक और उसके बाद इल्तुतमिश ने कुतुब
मीनार बनाया जो आज भी दिल्ली के सबसे बड़े आकर्षणों में से है. कुतुब मीनार
को संयुक्त राष्ट्र ने विश्व के सांस्कृतिक धरोहर के रूप में भी घोषित
किया है.
गुलाम वंश के बाद दिल्ली में एक के बाद एक तुर्की, मध्य एशियाई और अफगान वंशों ने शहर पर नियंत्रण पाने की कोशिश की. खिलजी, तुगलक, सैयद और लोधी वंश के सुल्तानों ने दिल्ली में कई किलों और छोटे शहरों का निर्माण किया. खिलजियों ने सीरी में अपनी राजधानी बसाई और शहर के पास एक किले का निर्माण किया. सीरी किले के निर्माण में आज भी अफगान और तुर्की प्रभाव देखा जा सकता है. 14वीं शताब्दी में गयासुद्दीन तुगलक ने मेहरौली के पास तुगलकाबाद की स्थापना की. किले के पुराने हिस्से और दीवारें आज भी देखी जा सकती हैं. लेकिन तुगलक शासन के चौथे शहंशाह फिरोजशाह कोटला ने तुगलकाबाद से बाहर निकलकर अपना अलग फिरोजशाह कोटला नाम का शहर बनाया. फेरोजशाह कोटला अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम इसी के सामने बनाया गया है.
16वीं से लेकर 19वीं शताब्दी तक दिल्ली की कला और वहां के रहन सहन पर मुगल
सल्तनत का प्रभाव रहा. मुगलों के समय में तुर्की, फारसी और भारतीय कलाओं के
मिश्रण ने एक नई कला को जन्म दिया. जामा मस्जिद और लाल किला इसी वक्त में
बनाए गए थे. दिल्ली दुनिया के सबसे पुराने शहरों में से एक है. लेकिन 1911
में नई दिल्ली की स्थापना हुई और ब्रिटिश वास्तुकला ने दिल्ली के किलों और
महलों के बीच अपनी जगह बना ली. एड्विन लुटियंस ने इंडिया गेट, राष्ट्रपति
भवन सहित नई दिल्ली को एक आधुनिक रूप दिया. दिल्ली कुल आठ शहरों को मिलाकर
बनी है. इस सोमवार को नई दिल्ली की स्थापना हुए 100 साल हो जाएंगे.
रिपोर्टः पीटीआई/एम गोपालाकृष्णन
संपादनः एन रंजन
गुलाम वंश के बाद दिल्ली में एक के बाद एक तुर्की, मध्य एशियाई और अफगान वंशों ने शहर पर नियंत्रण पाने की कोशिश की. खिलजी, तुगलक, सैयद और लोधी वंश के सुल्तानों ने दिल्ली में कई किलों और छोटे शहरों का निर्माण किया. खिलजियों ने सीरी में अपनी राजधानी बसाई और शहर के पास एक किले का निर्माण किया. सीरी किले के निर्माण में आज भी अफगान और तुर्की प्रभाव देखा जा सकता है. 14वीं शताब्दी में गयासुद्दीन तुगलक ने मेहरौली के पास तुगलकाबाद की स्थापना की. किले के पुराने हिस्से और दीवारें आज भी देखी जा सकती हैं. लेकिन तुगलक शासन के चौथे शहंशाह फिरोजशाह कोटला ने तुगलकाबाद से बाहर निकलकर अपना अलग फिरोजशाह कोटला नाम का शहर बनाया. फेरोजशाह कोटला अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम इसी के सामने बनाया गया है.
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- तारीख 11.12.2011
- रिपोर्ट
- संपादन Nikhil Ranjan
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