यूं
तो दिल्ली हमेशा से ही भारत का दिल रहा है पर साल 2011 उसके लिए भी बेहद
खास रहा. साल 2011 में दिल्ली ने बतौर राजधानी सौ साल पूरे किए. साल 2011
में ही दिल्ली ने अन्ना के अनशन में अपना समर्थन देकर देश को दिखा दिया कि
दिल्ली बिगड़ैल जरूर है लेकिन अगर उसको सही मार्गदर्शन मिले तो वह देश की
तकदीर बदलने का माद्दा रखती है. बीते साल दिल्ली में जहां अन्ना ने लोगों
के दिलों में जगह बनाई वहीं मोमोज जैसे फास्ट-फूड ने फास्ट तरीके से लोगों
के जुबान पर जगह बनाई. आइए नजर डालते हैं उन बातों पर जिन्होंने दिल्ली
वालों के दिल में साल 2011 में जगह बनाई:
बीते साल
दिल्ली ने अपने ट्रांसपोर्ट का तरीका बदला. सड़कों पर भारी भीड़ और पेट्रोल
की बढ़ी कीमत ने दिल्ली वालों को मोड़ा मेट्रो की राह पर. मेट्रो की
सुविधाजनक सवारी और कम पैसे में भी बढ़िया सुविधा ने दिल्ली वालों को इसका
दीवाना बना दिया. आम और खास सभी ने इस सवारी को दिल से चाहा. आलम यह रहा कि
साल 2011 में मेट्रो हर दिल्लीवासी के दिल में घर कर गई. हालांकि दिल्ली
की बढ़ती भीड़ की वजह से कई बार मेट्रो ने भी दम तोड़ा पर समय पर गंतव्य तक
पहुंचा कर इसने साबित कर दिया कि मेट्रो को आखिर क्यूं सबसे सुविधाजनक और
आरामदायक सवारी माना जाता है.
कनॉट प्लेस: दिल्ली का दिल
कभी किकर
के जंगलों को साफ करके बनाया गया यह शॉपिंग प्लेस आज दिल्ली वालों की सबसे
पसंदीदा जगह है. रिगल सिनेमाघर और कनॉट प्लेस की सस्ती मार्केट दिल्ली
वालों को बहुत रास आती है. साल 2011 में दिल्ली वालों ने कनॉट प्लेस में ना
सिर्फ खरीदारी की बल्कि उनके लिए सीपी टाइमपास करने का सबसे बेहतरीन जगह
भी रहा.
तीखे
मोमोज कब चीन से निकलकर भारत और दिल्ली के सबसे फेवरेट फास्टफूड बन गए पता
ही नहीं चला. मोमोज आज दिल्ली का सबसे बेहतरीन फास्ट फूड बन गया है. इसने
गोलगप्पों, समोसों और अन्य फास्ट फूड को साल 2011 में बहुत पीछे छोड़ दिया.
फेसबुक: टशन का मामला
दिल्ली
वालों की टशन का नया फंडा है फेसबुक. जिसे देखो वह फेसबुक पर अपनी कहानी
लिखता है. बस में हों या ट्रेन में, मोबाइल पर हों या लैपटॉप पर दिल्ली के
नौजवानों की जान फेसबुक पर ही अटकी रहती है.
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