सोमवार, 1 नवंबर 2021

टिल्लन रिछारिया की दुनियां

 भूलेश्वर के पंचमुखी हनुमान मंदिर में ठिकाना



भूलेश्वर का पंचमुखी हनुमान मंदिर। फूलवाली गली के बगल से।...बार बार यह पता ठिकाना कौंध रहा था , एक्सप्रेस टॉवर में 1980 के 6 दिसंबर से काम तो शुरू कर दिया। पर अभी तो रिहाइस का टेम्परेरी इंतजाम शहर से दूर कल्याण में है। 


चित्रकूट के सत्यनारायन शर्मा जी अक्सर बताते रहते थे कि हमारे एक मामा यहां हैं , एक वहां और  एक भूलेश्वर के  पंचमुखी हनुमान मंदिर के महंत हैं।  बम्बई में फूलवाली गली के बगल से है यह मंदिर। मैने इस लोकेशन तक पहुंचने की जानकारी ली और एक दिन दोपहर के बाद पहुच गया भूलेश्वर के इस मंदिर के द्वार पर ।


भूतल पर हनुमान जी विराजे हैं , बगल से जो जीना जाता है फर्स्ट फ्लोर के लिये वहां महंत जी बैठते हैं ।...हनुमान जी को प्रणाम कर जीना चढ़ गया । देखा सामने महंत जी बैठे हैं । मैने चित्रकूट का नाम लिया । आइए , आइये । कैसे आना हुआ । मैने उन्हें संक्षेप में अपनी कथा सुनाते हुए कहा ,यहां इंडियन एक्सप्रेस में पिछले दिनों ज्वाइन किया है । अभी कल्याण में रुके हैं । यहीं आसपास कहीं रहने की जगह तलाश रहे हैं । वहां  से आना जाना दिक्कत तलब है , घंटे भर से ऊपर लगते हैं । महंत जी ने चाय नाश्ता कराया और बातें होती रहीं । शाम होने पहले मैं  निकल जाना चाहता था । चलने की अनुमति मांगी । उन्होंने अपने साथ आने को कहा और एक फ्लोर और ऊपर ले गए , जगह दिखाई , बोले ये आप के रहने की जगह है । ये जगह जरूरतमंद छात्रों के लिए होती है । आज तो शनिवार है , आज यहीं रुकिए , कल जा कर सामान ले आइयेगा ।...बड़े हाल जैसी जगह है , खूब खिड़कियां हैं , खुली जगह है , बाहर मंदिरों के शिखर दिख रहे हैं । फर्श पर मोटी दरी  बिछी है ।चार पांच अटैचियाँ रखी हैं । महंत जी बोले यहां ज्यादा कुछ नहीं चाहिए ।अपना चादर बिछाइये और सो जाइये । मनचाही मुराद मिल जाये तो और क्या चाहिए । मन ही मन ऊपर वाले का शुक्रिया अदा किया , संकोचवश महंत जी से कुछ नहीं कह पाया । 


शाम ढल रही है , मैं महंत जी की इजाजत ले कर कुछ देर के लिए नीचे उतार गया । जाते हुए महंत जी ने कहा 9 बजे तक आ जाना , भोजन यहीं करना है । उतरते हुए फिर हनुमान  जी को प्रणाम किया । बगल में ही फूल वाली गली है ।


 सड़क पर आया तो पता चला कि यह जगह कॉटन एक्सचेंज के नाम से जानी जाती है । सड़क पार कर गया । यहीं पास ही रमेश निर्मल और कीर्ति राणा रहते हैं । दिसंबर है पर उत्तर भारत की तरह यहां सर्दियों के कोई लक्षण नहीं हैं । दोनों से मिल कर और अपना ताजा हाल बता कर 9 बजे तक आ गया । रमेश निर्मल ने कहा , सुबह चाय साथ पियेंगे ।  


भोजन से पहले देखा , सिक्कों के ढेर लगे हैं । चढ़ावे की राशि है । महंत जी ने कहा  कि मंगलवार और शनिवार को अगर आप शाम को यहां हैं तो इन सिक्कों को छाँट  कर अलग करने में सहयोग दीजियेगा । आधा घंटे में काम निबट गया । भोजन हुआ और रात्रि विश्राम । 


सुबह चार साढ़े चार बजे , घंटे घड़ियाल बजने लगे । पहले से रह रहे साथियों ने बताया , फ्रेश हो कर जल्दी नहा लीजिये , पानी देर तक नहीं रहता फिर नीचे जाना पड़ता है । यह पूरा इलाका चार बजे से जाग जाता है , मंदिरों में चहल पहल बढ़ने लगती है । स्नान आदि के बाद एक साथी ने कहा , कपड़े पहनिए नीचे आइए । नीचे आकर उन्होंने चाय पिलाई और ले गए  सुबह सुबह  बम्बई के दर्शन कराने । चर्नी रोड स्टेशन पार कर हम आ गये समंदर किनारे । भोर फुट रही थी , लहरें करवट बदल रहीं थी ।


साथी से परिचय हुआ वे यहां रह कर सी ए कर रहे हैं , राजस्थान से हैं । साथी ने पूछा ओबेरॉय होटल तक चला जाये । मैंने हामी भर दी । अभी उजाला नहीं फूटा था , छीजती हुई रात थी । समंदर की लहरें सांवली नागिन की तरह चमक रही थीं । रात की रानी चौपाटी को पीछे छोड़ते हुए हम समंदर के साथ साथ हल्की फुल्की बातें करते हुए चलने लगे ।... मरीन लाइंस स्टेशन आया इसके बाद चर्चगेट , नरीमन प्वाइंट पर आया , एयर इण्डिया के बगल में तन कर  खड़े एक्सप्रेस टॉवर को दिखाते हुए मैंने अपने साथी बताया की यह मेरा ऑफिस  है। ओबेराय के आगे से हम एण्ड तक जा कर लौट पड़े। ... सुबह सुबह  वाक करने करने वाले बढ़ने लगे थे । रात सिमट रही थी , धीरे धीरे  आसमान साफ़ हो रहा था। चौपाटी आते आते सुबह के 6 बजे  का समय हो रह था। नज़ारा यह था -


प्रात नभ था बहुत नीला शंख जैसे 


भोर का नभ 


राख से लीपा हुआ चौका 


(अभी गीला पड़ा है )


बहुत काली सिल ज़रा-से लाल केसर से 


कि जैसे धुल गई हो 


स्लेट पर या लाल खड़िया चाक 


मल दी हो किसी ने 


नील जल में या किसी की 


गौर झिलमिल देह 


जैसे हिल रही हो। 


और... 


जादू टूटता है इस उषा का अब 


सूर्योदय हो रहा है।


कवि शमशेर की कविता जीवंत हो रही है । मंदिर मे आकर थोड़ा विश्राम के बाद रमेश निर्मल जे साथ चाय पी कर कल्याण के लिए निकल जाता हूँ । 


...यहां जहां रुक हूँ ये एक मराठी परिवार है । इस परिवार के प्रमुख रेलवे में ट्रेन के चालक हैं । अभी बाहर हैं , यहां उनकी पत्नी और बहन हैं, अजीब से संकोच में  हूँ इन महिलाओं के बीच । ये दोनों महिलाएं मेरा बाद ख्याल रख रहीं है । भोजन के समय एक खाना पकाती हैं एक मेरे पास बैठती हैं । यहां थाली में एक समय में एक चपाती रखते है, दाल , सब्जियां , सलाद , पापड़ सब है । स्वादिष्ट और सात्विक खाना है । भोजन के बाद मैं उन्हें अपनी व्यवस्था भूलेश्वर में होने की बात बताता हूँ । सामान तो कुछ ज्यादा है नहीं एक अटैची एक बैग है , मैं भूलेश्वर के लिए निकल लेता हूँ । ये  सेंटल लाइन जो वीटी जाती है , इससे मस्जिद  बंदर उतर भूलेश्वर पहुंच जाता हूँ ।इस लाइन से मस्जिद बंदर और वेस्टर्न लाइन के चर्नी रॉड स्टशन , दोनों तरफ से पैदल मार्च करते हुए 10 मिनट का रास्ता है  भूलेश्वर के हनुमान मंदिर  तक का । 3 बज रहे हैं , मैं अपना सामान अपने साथियों के  निर्देश पर  हाल में सब से किनारे लगाने की सोचता हूँ , बताया जाता है , इधर नहीं ,यहां तक बारिश का पानी कभी कभी आ जाता है , आप तो ये दीवार का किनारा पकड़िए ।


 भोजन के समय अगर आप मंदिर में हैं तो भोजन यहीं कीजिये , ऐसा महंत का कहना है ।...यहां भूतल पर हनुमान जी विराजे हैं , पहले माले पर महंत जी ,  दूसरे माले पर हमलोग , तीसरे माले पर आने जाने वाले साधू संत रुकते हैं । बढ़िया चहल पहल  वाला इलाका है । खूब सजे बजे हैं बाज़ार ।


...यह इलाका सुबह 4 बजे घड़ी , घंटों आरती की स्वर लहरियों के साथ जाग जाता । साढ़े 4 बजे मैं चर्नीरोड होता हुआ चौपाटी पहुंच जात हूं । शांत प्रशांत महा सागर और प्रभात बेला । दाहिनी ओर गुमसुम चौपाटी और उससे ऊपर मलबार हिल की जगमगाती पहाड़ी । बम्बई के संपन्न लोगों की रिहाइश । बम्बई सुबह जल्दी जागता है और रात देर से सोता है । रात 2बजे तक बम्बई अपनी रौनक के साथ कामकाजी लोगों के लिए लोकल ट्रेन की सुविधा देती है । 2 से चार बजे तक यह सुविधा विश्राम पाती है । सुबह 4 बजे से रात 2 बजे तक लोकल फिर आपके साथ हो जाती है । बम्बई के जनजीवन के लिए प्राण है लोकल । वेस्टर्न , सेंट्रल और हार्बर तीन रुट हैं लोकल के ।चर्चगेट से विरार तक वेस्टर्न , वीटी से अम्बर नाथ तक सेंट्रल और हार्बर वीटी से चेम्बूर की तरफ  जाती है । . .जहां तक लोकल से अपने सफर का वास्ता है अंधेरी तक का तो तीनों रुट के लिए एक माह का फेयर बनता है 29 रुपये । ..लोकल की इस सुविधा के साथ अब आपके पास 2 रुपये भी हों तो आराम से दिन काट सकते हैं । बस भी कालबा देवी से मेरे गंतव्य , चर्चगेट या वीटी तक मिनिमम 25-30 पैसे में पहुंचा देती है  ।


 वैसे इन जगहों पर मुझे पैदल जाना ज्यादा पसंद है । सेहत की दृष्टि  से और शहर के भूगोल ज्ञान के हिसाब से भी ।... पैदल में कोई आप के साथ हो न हो आप तो अपने साथ होते हो ।..रोजाना 30 मिनट यानी करीब 10 हजार कदम मतलब 6-7 किलोमीटर पैदल चलने का बड़ा फायदा है ।...इस बात का ध्यान रखें कि अगर आप छोटे कद के हैं तो थोड़ा तेज चलिए और  अगर आप बड़े हैं तो धीरे-धीरे । चलते समय लंबी सांसें लेना भी याद रखें । ताकि आप को पर्याप्त ऑक्सीजन मिल सके।


मेरी यह सुबहें  अपने आप से साक्षात्कार की सुबहें है । इन सुबहों में मैं स्वयं को अकेलें  ज्यादा बेहतर महसूस करता हूँ । कोई साथ हो तो गपशप से बचता हूँ । ... मौन आत्म संवाद का पहला चरण है । ...मौन से संकल्प शक्ति की वृद्धि तथा वाणी के आवेगों पर नियंत्रण होता है। मौन आन्तरिक लय है । मौन के क्षणों में आन्तरिक जगत के नवीन रहस्य उद्घाटित होते है। वाणी का अपब्यय रोककर मानसिक संकल्प के द्वारा आन्तरिक शक्तियों के क्षरण को रोकना परम् मौन को उपलब्ध होना है। 


योग कहता है कि मौन ध्यान की ऊर्जा और सत्य का द्वार है। मौन से मन की चंचलता शांत होती है , मन निष्क्रिय होता है ।  मौन से मन की ‍शक्ति बढ़ती है।   योग में किसी भी क्रिया को करते समय मौन का  बड़ा महत्व है ।


अनुभूतियां तो होती है बशर्ते आप सहेज पाएं । बेचैन मन छलका देता है ।...मन चेतना की  वह क्षमता हैं जो हमारे चिंतन , स्मरण , निर्णय  , बुद्धि, भाव, एकाग्रता, व्यवहार, परिज्ञान आदि में सक्षम बनाता है । मन ही सुख दुख का कारक है । ...मन के हारे हार है /  मन के जीते जीत ।...जो मन के चंचल अश्व को साध लेता है वह इस दृश्यमान जगत को दृष्टा या साक्षी भाव से देखता है । यही निर्लिप्तता और निष्काम वृत्ति यथेष्ट हैं ।...ये सुबहें बड़ी सात्विक हैं , नहाई नहाई सी , रातें बड़ी कौतूहल भरी होती हैं यहीं नशीली नशीली सी । ...रातें अप्सराओं जैसी , सुबहें साध्वी सी सात्विक । ...बम्बई आपको रूप ,  रस , रंग , सौंदर्य , फ़िल्म , कला , ज्ञान , विज्ञान तमाम विधाओं से रू-ब-रू कराती हैं । आप चुनिए आपका हेतु क्या है । 

अब ज्ञानयोग से कर्मयोग की ओर चलते हैं । ...बच्चे अपने स्कूल के लिए निकल पड़े हैं । शहर गति पकड़ रहा है , सुबह  सूरज की अरुणाभा अपनी रंगत दिखा रही है । लौटते हैं अपने ठिकाने की ओर ।....जारी 


मंगलवार  /26  - 10 -21 / 09 -35 पी एम

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