स्वास्थ्य संबंधी कुछ चेतवानी और सलाह जो अपने बड़े बूढ़ों से सुनी वो यहां पेश है।
पुराने समय की कहावत... अमूल्य अनुकरणीय सीख
चैते गुड़, वैसाखे तेल.
जेठ के पंथ¹, अषाढ़े बेल.
सावन साग, भादौ दही².
कुवांर करेला, कार्तिक मही³.
अगहन जीरा, पूसै धना.
माघे मिश्री, फागुन चना.
जो कोई इतने परिहरै,
ता घर बैद पैर नहीं धरै.
किस माह में क्या न खाएँ - आवश्यक निर्देश
चैत्र माह में नया गुड़ न खाएं.
बैसाख माह में नया तेल न लगाएं.
जेठ माह में दोपहर में नहीं चलना चाहिए.
आषाढ़ माह में पका बेल न खाएं.
सावन माह में साग न खाएं.
भादों माह में दही न खाएं.
क्वार माह में करेला न खाएं.
कार्तिक माह में जमीन पर न सोएं.
अगहन माह में जीरा न खाएं.
पूस माह में धनिया न खाएं.
माघ माह में मिश्री न खाएं.
फागुन माह में चना न खाएं.
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चैत्र माह में नया गुड़ न खाएं. (15 March - 15 April)
बैसाख माह में नया तेल न लगाएं. (16 April - 15 May)
जेठ माह में दोपहर में नहीं चलना चाहिए. (16 May - 15 June)
अषाढ़ माह में पका बेल न खाएं. (16 June - 15 July)
सावन माह में साग न खाएं. (16 July - 15 August)
भादों माह में दही न खाएं. (16 August - 15 Sep)
क्वार माह में करेला न खाएं. (16 Sep - 15 Oct)
कार्तिक माह में जमीन पर न सोएं. (16 October - 15 Nov)
अगहन माह में जीरा न खाएं. (16 Nov -15 Dec)
पूस माह में धनिया न खाएं. (16 Dec - 15 Jan)
माघ माह में मिश्री न खाएं. (16 Jan - 15 Feb)
फागुन माह में चना न खाएं. (16 Feb- 14 March)
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1. पंथ=रास्ता. जेठ माह में दिन में रास्ता नहीं चलना चाहिए.
2. दही=मट्ठा या दही व दही से बने पदार्थ. ऐसी कहावत है कि भादो मास में दही या मट्ठा अगर घास या दूब की जड़ में डाल दें तो उसको भी फूक देता है. अर्थात् भादो मास में दही व दही से बने पदार्थ काफी हानिकारक हैं.
3. मही=भूमि पर कार्तिक मास में न सोएँ.
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अन्य निर्देश
(1) स्नान के पहले और भोजन के बाद पेशाब जरूर करें.
(2) भोजन के बाद कुछ देर बायी करवट लेटना चाहिये.
(3) रात को जल्दी सोना और सुबह जल्दी उठाना चाहिये.
(4) प्रातः पानी पीकर ही शौच के लिए जाना चाहिये.
(5) सूर्योदय के पूर्व गाय का धारोष्ण दूध पीना चाहिये, व्यायाम के बाद दूध अवश्य पियें.
(6) मल, मूत्र, छीक का वेग नही रोकना चाहिये.
(7) ऋतु (मौसमी) फल खाना चाहिये.. रसदार फलों के अलावा अन्य फल भोजन के बाद खाना चाहिये.. रात्रि में फल नहीं खाना चाहिये.
(8) भोजन करते समय जल कम से कम पियें.
(9) भोजन के पश्चात् कम से कम 45 मिनट के बाद जल पीना चाहिए.
(10) नेत्रों में सुरमा / काजल अवश्य लगायें.
(11) स्नान रोजाना अवश्य करना चाहिये.
(12) सूर्य की ओर मुह करके पेशाब न करें.
(13) बरगद, पीपल, देव मन्दिर, नदी व
शमशान् में पेशाब न करें.
(14) गंदे कपड़े न पहने, इससे हानि होती है.
(15) भोजन के समय क्रोध न करें बल्कि प्रसन्न रहें.
(16) आवश्यकता से अधिक बोलना भी नहीं चाहिये व बोलते समय भोजन करना रोक दें.
(17) ईश्वर आराधना अवश्य करनी चाहिये.
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