क्या आपकी नाभि में छुपा है आपकी सेहत का राज?
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दिल्ली भले ही देश का दिल हो, मगर इसके दिल का किसी ने हाल नहीं लिया। पुलिस मुख्यालय, सचिवालय, टाउनहाल और संसद देखने वाले पत्रकारों की भीड़ प्रेस क्लब, नेताओं और नौकरशाहों के आगे पीछे होते हैं। पत्रकारिता से अलग दिल्ली का हाल या असली सूरत देखकर कोई भी कह सकता है कि आज भी दिल्ली उपेक्षित और बदहाल है। बदसूरत और खस्ताहाल दिल्ली कीं पोल खुलती रहती है, फिर भी हमारे नेताओं और नौकरशाहों को शर्म नहीं आती कि देश का दिल दिल्ली है।
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श्री प्रसाद ने कहा कि रोज़गार,विवाह,कैरियर काउंसलिंग,पर्यावरण संबंधी जागरूकता,कुटीर उद्योग एवं समाज के अंदरूनी विवादों के निष्पादन में भी संगठन बढ़चढ़ कर अपना योगदान दे रहा है।
बैठक में प्रबंध न्यासी श्रीमती रागिनी रंजन ने स्थानीय निकायों में समाज के लोकप्रिय उम्मीदवारों की जीत के लिए संगठन को कमर कस कर लगने का आह्वान करते हुए कहा कि पटना में मेयर प्रत्याशी श्रीमती विनीता कुमारी समेत विभिन्न निकायों के प्रत्याशियों के समर्थन की सूची जारी की गई है।अध्यक्षता करते हुए प्रदेश अध्यक्ष श्री दीपक अभिषेक ने आगामी एक वर्ष के लिये संगठन के कार्यक्रमों का कैलेंडर जारी किया।
राष्ट्रीय उपाध्यक्ष कमल किशोर ने राज्य के सभी जिला मुख्यालयों में कायस्थ भवन के निर्माण और कायस्थ युवक-युवतियों - महिलाओं को व्यापार, उद्योग से जोड़ने के लिए कार्यशाला के आयोजन की जरूरत पर बल दिया ।
बगैर डिग्री और सनद के वकालत करने पर क्या कहता है कानून
कानून का पेशा कानून द्वारा ही बनाया गया है। कोई भी व्यक्ति किसी अदालत में पेशेवर तौर पर वकील का काम तब ही कर सकता है जब उसके पास संबंधित कानून की डिग्री और स्टेट बार एसोसिएशन की सनद हो। यह प्रावधान एडवोकेट एक्ट 1961 में किये गए हैं।
एडवोकेट एक्ट में ही बगैर सनद के प्रैक्टिस करने पर दंड का भी प्रावधान है। एक्ट की धारा 45 के अनुसार कोई गैर वकील व्यक्ति यदि वकील का काम करता है तब इस अपराध पर छः महीने तक की सज़ा है। अगर नकली सनद बनाकर वकील की वेशभूषा पहनकर कोई व्यक्ति वकालत करता है तब भारतीय दंड संहिता की धारा 420,467,468 भी लागू हो जाती है। एडवोकेट एक्ट की धारा 29 के तहत अदालतों में पैरवी करने का हक़ केवल वकीलों के पास है, कोई भी व्यक्ति अपने मामले में पैरवी तो कर सकता है लेकिन किसी दूसरे के मामले में बगैर वकील हुए पैरवी नहीं कर सकता, यह केवल वकीलों का अधिकार है।
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नीचे, प्रति १०,००० लोगों पर सबसे अधिक यौनकर्मी वाले दस देश हैं [liveandinvestoverseas.com के अनुसार]
10. थाईलैंड - प्रति 10,000 जनसंख्या पर 45 वेश्याएं।
थाईलैंड में वेश्यावृत्ति अब वर्षों से आम है, हालांकि यह अभी तक कानूनी नहीं है, लेकिन यह काफी विनियमित और माफ है।
थाईलैंड में, शहर में वेश्यावृत्ति की दर के कारण पटाया को दुनिया की नियॉन-लाइट सेक्स कैपिटल के रूप में जाना जाता है।
9. जर्मनी: प्रति 10,000 जनसंख्या पर 49 वेश्याएं।
दिलचस्प बात यह है कि पास्का वेश्यालय जो पूरे यूरोप में सबसे बड़ा वेश्यालय है, जर्मनी के कोलोन में पाया जाता है।
जर्मनी में भी, वेश्यावृत्ति संरक्षण अधिनियम के रूप में जाना जाने वाला एक कानून, यौनकर्मियों की कानूनी स्थिति में सुधार के लिए बनाया गया था - यह दिखाने के लिए कि देश में वेश्यावृत्ति कितनी गंभीर है।
8. मलेशिया: प्रति 10,000 जनसंख्या पर 52 वेश्याएं।
इस तथ्य के बावजूद कि मलेशिया में वेश्यावृत्ति अवैध है, यह अभी भी बहुत आम और प्रचलित है।
जबकि मलेशिया में बाल वेश्यावृत्ति काफी लोकप्रिय है, देश में वेश्यावृत्ति के दोषी मुसलमानों को भी सार्वजनिक बेंत से दंडित किया जा सकता है।
7. ब्राजील: प्रति 10,000 जनसंख्या पर 53 वेश्याएं।
ब्राजील में, वेश्यावृत्ति इस अर्थ में काफी कानूनी है कि; वेश्याओं की सेवाओं को पैसे के बदले बदला जा सकता है। लेकिन वेश्यालय का संचालन करना या किसी अन्य तरीके से वेश्याओं को नियुक्त करना बहुत ही अवैध है।
6. चीन: प्रति १०,००० जनसंख्या पर ६० वेश्याएं।
मलेशिया की तरह, चीन ने वेश्यावृत्ति को वैध नहीं किया, लेकिन यह व्यापक है।
देश में वेश्यावृत्ति ब्यूटी सैलून और कराओके बार के बाहर पनपना बंद नहीं हुआ है, पुलिस द्वारा लगातार कार्रवाई के बावजूद, जो कभी-कभी उन्हें अपराधियों के रूप में मानते हैं।
5. नाइजीरिया: प्रति १०,००० जनसंख्या पर ६३ वेश्याएं।
नाइजीरिया में, उत्तरी राज्यों में वेश्यावृत्ति अत्यधिक अवैध है, और देश के दक्षिणी भाग में, दलालों, कम उम्र की वेश्याओं और वेश्यालय के मालिकों को कानून द्वारा दंडित किया जाता है।
नाइजीरिया में वेश्यावृत्ति व्यापक रूप से गरीबी और देश की आर्थिक स्थिति के कारण मानी जाती है।
4. फिलीपींस: प्रति 10,000 जनसंख्या पर 85 वेश्याएं।
फिलीपींस में वेश्यावृत्ति बहुत अवैध है, हालांकि इसे माफ कर दिया जाता है।
फिलीपींस में भी, गरीबी वेश्यावृत्ति का एक प्रमुख कारण है। महिला कंपनियों को आमतौर पर "बार गर्ल्स" के रूप में पेश किया जाता है जो अक्सर अपना "बार गर्ल" आईडी कार्ड पहनती हैं।
3. पेरू: प्रति 10,000 जनसंख्या पर 102 वेश्याएं।
पेरू में, वेश्यावृत्ति को वैध कर दिया गया है और इसे अच्छी तरह से विनियमित किया गया है क्योंकि वेश्यालयों को भी संचालित करने का लाइसेंस मिलता है। हालांकि और दुर्भाग्य से, देश में बाल वेश्यावृत्ति भी आम है।
2. दक्षिण कोरिया: प्रति 10,000 जनसंख्या पर 110 वेश्याएं।
दक्षिण कोरिया में, वेश्यावृत्ति को वैध नहीं किया गया है, लेकिन पुलिस और कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा लगातार कार्रवाई के बावजूद यह फल-फूल रही है।
1. वेनेजुएला: प्रति 10,000 जनसंख्या पर 119 वेश्याएं।
वेनेजुएला में वेश्यावृत्ति बहुत कानूनी, विनियमित और सामान्य भी है।
यह देश व्यापक रूप से दुनिया में सबसे अधिक वेश्याओं के लिए जाना जाता है और यह देश की खराब आर्थिक स्थिति के कारण है।
वास्तव में, वेश्यावृत्ति इतनी गंभीर है कि वेश्याओं को पहचान के साधन के रूप में पहचान पत्र पहनना अनिवार्य है।✍🏻
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यह अच्छा ही है कि तुम सेक्स से थक गये हो। अब किसी डाक्टर के पास कोई दवा लेने मत जाना। यह कुछ भी सहायता नहीं कर पायेगी…..ज्यादा से ज्यादा यह तुम्हारी इतनी ही मदद कर सकती है कि अभी नहीं तो जरा और बाद में थकाना शुरू हो जाओगे। अगर तुम वास्तव में ही सेक्स से थक चुके हो तो यह एक ऐसा अवसर बन सकता है कि तुम इसमे से बहार छलांग लगा सको।
काम वासना में अपने आपको घसीटते चले जाने में क्या अर्थ है। इसमे से बहार निकलो। और मैं तुम्हें इसका दमन करने के लिए नहीं कह रहा हूं। यदि काम वासना में जाने की तुम्हारी इच्छा में बल हो और तुम सेक्स में नहीं जाओ तो यह दमन होगा। लेकिन जब तुम सेक्स से तंग आ चुके हो या थक चुके हो और इसकी व्यर्थता जान ली है तब तुम सेक्स को दबाए बगैर इससे छुटकारा पा सकते हो। सेक्स का दमन किए बिना जब तुम इससे बाहर हो जाते हो तो इससे मुक्ति पा सकते हो।
काम वासना से मुक्त होना एक बहुत बड़ा अनुभव है। काम से मुक्त होते ही तुम्हारी ऊर्जा ध्यान और समाधि की और प्रेरित हो जाती है।
ओशो
धम्म पद : दि वे ऑफ दि बुद्धा
*संकलन-रामजी*🙏🌹🌹
पूर्व विधायक ने किया ये दावा
👉 *मानसिकता न्यूज़*
संबंध बनाना एक नैचरल प्रक्रिया है। हालांकि, इसे लेकर जो उम्मीदें या फैंटसी लोग रखते हैं, वो अलग-अलग होती हैं। लेकिन मकसद सबका समान होता है, जो है खुद और साथी को संतुष्ट करना।
संबंध बनाना एक नैचरल प्रक्रिया है। हालांकि, इसे लेकर जो उम्मीदें या फैंटसी लोग रखते हैं, वो अलग-अलग होती हैं। लेकिन मकसद सबका समान होता है, जो है खुद और साथी को संतुष्ट करना।
सुबह का समय यकीनन सेक्स करने के लिए सबसे अच्छे समय में से एक है। सुबह की धूप जब दोनों के बॉडी पर पड़ती है, तो लोगों को वॉर्म और सेंसुअल बना सकती है। यह वह समय भी होता है, जब आप दोनों काफी एनर्जेटिक और प्रेश फील कर रहे होते हैं। इससे आपकी सेक्सुअल लाइफ ग्रो कर सकती है।
ऐसा कहा जाता है कि डार्क चॉकलेट बॉडी में सेरोटोनिन के स्तर को बढ़ाता है, यानी मूड-बूस्टिंग हार्मोन। यह स्ट्रेस के स्तर को कम करने के साथ हार्ड वर्क के लिए बूस्ट करता है। इसलिए माना जाता है कि, सेक्स से पहले अपने पार्टनर के साथ डार्क चॉकलेट खाना काफी अच्छा हो सकता है।
अपने पार्टनर के साथ सेक्स के दौरान जल्दबाजी बिल्कुल भी न करें। यह एक ऐसा कार्य है, जिससे जितना स्लो और प्यार के साथ किया जाए, उतना बहतर होता है। इस दौरान आप दोनों एक दूसरे को पूरा समय दें और बॉडी के हर हिस्से को प्यार करने की कोशिश करें। इससे आप दोनों को सेक्स में सेटिस्फैक्शन मिलेगा।
अपने पार्टनर के साथ बार-बार एक ही सेक्स पोजिशन को करते रहने से सेक्स करने में बोरियत सी फील होने लगती है। इसलिए सेक्स करने के लिए आप नई सेक्स पोजीशन को ट्राई कर सकते हैं। इससे आप दोनों में सेक्स करने की एक्साइटमेंट बढ़ेगी, साथ ही आप अच्छा फील करेंगे। इस दौरान आप सेक्स करने में बहुत अधिक एक्सपेरिमेंट या हार्ड वर्क करने की कोशिश बिल्कुल न करें। सेक्स को करने के लिए आप पूरी फ्लेक्सिबिलिटी के साथ एक बेहतर पोजिशन में ही ट्राई करें। इससे आप और आपका पार्टनर काफी फ्रेश फील करेंगे।
आज के टाइम में लोग फोन सेक्स को बहुत कम अंडररेट करते हैं। हालांकि ऐसा नहीं है, जब आप अपने पार्टनर के साथ फोन या टेक्स्ट पर सेक्स करना स्टार्ट करेंगे, तो सेक्स उतना ही एक्साइटिंग होगा। अपने पाटर्नर के साथ फोन पर सेन्सुअल बात करने से आप सेक्स को एंजॉय कर सकते हैं। साथ ही फोन पर अधिक सेक्स करना एक अच्छा जरिया बन सकता हैं।
अपने पार्टनर के साथ में पॉर्न देखना शुरू करें। यह काफी बेहतर आइडिया हो सकता है। इसे साथ देखने में भले ही आप दोनों को थोड़ी हेजीटेशन हो सकती हैं। लेकिन इससे आपकी सेक्सुअल लाइफ स्ट्रांग होगी। पॉर्न देखकर आप अपनी सेक्सुअल डिजायर के बारे में खुलकर सीखेंगे। साथ ही सेक्स के दौरान आप अपनी फीलिंग्स भी शेयर कर सकेंगे। इससे आप एक दूसरे की फैंटेसी को भी पूरा कर सकते हैं।
सेक्स के दौरान शर्माएं नहीं, खुल कर करें
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रामदास जी को बादशाह की यह अवस्था देखी नहीं गई!
उन्होंने अपनी करोड़ों की सम्पत्ति बादशाह के हवाले कर दी,
"मातृभूमि की रक्षा होगी
तो धन फिर कमा लिया जायेगा "
रामजीदास ने केवल धन ही नहीं दिया,
सैनिकों को सत्तू,
आटा,
अनाज बैलों,
ऊँटों व घोड़ों के लिए चारे की व्यवस्था तक की!
सेठ जी जिन्होंने अभी तक केवल व्यापार ही किया था,
सेना व खुफिया विभाग के संघठन का कार्य भी प्रारंभ कर दिया
उनकी संघठन की शक्ति को देखकर अंग्रेज़ सेनापति भी हैरान हो गए!
सारे उत्तर भारत में उन्होंने जासूसों का जाल बिछा दिया,
अनेक सैनिक छावनियों से गुप्त संपर्क किया!
उन्होंने भीतर ही भीतर एक शक्तिशाली सेना व गुप्तचर संघठन का निर्माण किया!
देश के कोने कोने में गुप्तचर भेजे व छोटे से छोटे मनसबदार, राजाओं से प्रार्थना की इस संकट काल में सभी सँगठित हो!
देश को स्वतंत्र करवाएं!
रामदास जी की इस प्रकार की क्रांतिकारी गतिविधयिओं से अंग्रेज़ शासन व अधिकारी
बहुत परेशान होने लगे,
कुछ कारणों से दिल्ली पर अंग्रेजों का पुनः कब्जा होने लगा!
एक दिन उन्होंने चाँदनी चौक की दुकानों के आगे जगह-जगह जहर मिश्रित शराब की बोतलों की पेटियाँ रखवा दीं,
अंग्रेज सेना उनसे प्यास बुझाती,
वही लेट जाती ।
अंग्रेजों को समझ आ गया की भारत पे शासन करना है
तो रामदास जी का अंत बहुत ज़रूरी है!!
सेठ रामदास जी गुड़वाले को धोखे से पकड़ा गया
जिस तरह से मारा गया,,
वो क्रूरता की मिसाल है!!
पहले उन्हें रस्सियों से खम्बे में बाँधा गया
फिर उन पर शिकारी कुत्ते छुड़वाए गए
जय महाकाल ❣
#by_शरारती_छोरीi
इन तथ्यों को देवी भागवत के इस श्लोक में वर्णन किया गया है :--
शशिसूर्ये गजारूढ़ा शनिभौमे तुरंगमे।
गुरौ शुक्रे चदोलायां बुधे नौका प्रकीर्त्तिता ।।
घोड़े पर आती हैं तो युद्ध की आशंका बढ़ जाती है. देवी नौका पर आती हैं तो सभी की मनोकामनाएं पूरी होती हैं और डोली पर आती हैं तो महामारी का भय बना रहता हैं. इसका भी वर्णन देवी भागवत में किया गया है :--
गजे च जलदा देवी क्षत्र भंग स्तुरंगमे।
नोकायां सर्वसिद्धि स्या ढोलायां मरणंधुवम्।।
देवी भगवती का आगमन भी वाहन से होता है और गमन भी निश्चित वाहन से ही करती हैं. यानी जिस दिन नवरात्र का अंतिम दिन होता है, उसी के अनुसार देवी का वाहन भी तय होता है. इसी के अनुसार जाने के दिन व वाहन का भी शुभ अशुभ फल होता है.
विवार या सोमवार को देवी भैंसे की सवारी से जाती हैं तो देश में रोग और शोक बढ़ता है. शनिवार या मंगलवार को देवी मुर्गे पर सवार होकर जाती हैं, जिससे दुख और कष्ट की वृद्धि होती है. बुधवार या शुक्रवार को देवी हाथी पर जाती हैं. इससे बारिश ज्यादा होती है.
गुरुवार को मां दुर्गा मनुष्य की सवारी से जाती हैं. इससे सुख और शांति की वृद्धि होती है.
शशि सूर्य दिने यदि सा विजया महिषागमने रुज शोककरा।
शनि भौमदिने यदि सा विजया चरणायुध यानि करी विकला।।
बुधशुक्र दिने यदि सा विजया गजवाहन गा शुभ वृष्टिकरा।
सुरराजगुरौ यदि सा विजया नरवाहन गा शुभ सौख्य करा॥
#by_शरारती_छोरीi https://www.facebook.com/profile.php?id=100048197207048
मुझे मालूम है कि आप मेरे काम को एक गाली की तरह इस्तेमाल करते हैं। लेकिन आपको एक बात हमेशा याद रखनी चाहिए कि जिनके घर फूस के हों उन्हें दूसरों के घर पर जलती तीलियां नहीं फेंकनी चाहिए। मैंने शताब्दियों से कोई जवाब नहीं दिया तो सिर्फ इसलिए कि मुझे आपके कुछ भी कहने से फर्क नहीं पड़ता, लेकिन अब मुझे लगता है कि आपको भी आईना दिखा ही दिया ही जाए।
एक बात बताइए, अगर मैं इतनी ही बुरी हूं और मेरा काम इतना ही बुरा है तो फिर मेरा कारोबार इतना जबरदस्त कैसे चल रहा है? क्या हमारे पास मंगल ग्रह से एलियन आते हैं? या वे आते हैं जो दिन-भर चरित्र और सभ्यता के मुखौटे लगाए घूमते हैं और शाम ढलते-ढलते हमारे आस-पास चक्कर काटने लगते हैं?
पहले हमारी दुकानें सिर्फ एक जगह होती थीं, लेकिन अब हमारी दुकानें कॉलोनियों के अंदर, धर्मस्थलों के आस-पास, कॉलेजों के पीछे और मॉलों-शॉपिंग आर्केड के आसपास भी खूब फल-फूल रही हैं। भगवान सलामत रखे इन ढोंगियों को, जो दिन भर हमें हिकारत से देखते हैं और शाम को हमारी रोजी-रोटी का बंदोबस्त करते हैं।
जब आपकी पूरी व्यवस्था ही खरीदने-बेचने को लेकर चल रही है तो मेरे काम को लेकर ही इतना हो-हल्ला क्यों है?
बाजार सिर्फ चौराहों और रास्तों पर नहीं रह गया है, वह हमारे घरों में घुस गया है। इंसानियत, ईमानदारी, सच्चाई, क्या नहीं बिक रहा यहां? जरा बताइए कि आपके यहां सरकारी नौकरियों के कोठे नहीं सजते हैं क्या?
शब्दों की दलाली करके कितने छुटभइये महान साहित्यकार का दर्जा पा गए और डिग्रियों का सौदा करके कितने अनपढ़ शिक्षाविद् बन गए। क्या आपकी राजनीति धनकुबेरों का बिस्तर नहीं गर्म नहीं कर रही और क्या जनता पर शासन करने वाले ये राजे-रजवाड़े जिन्हें आप नौकरशाह कहते हैं, नोट की गड्डियाँ देखते ही नंगे नहीं हो जाते हैं?
मुझे पता है कि सबको बड़ा नाज है इस विवाह संस्था पर। लेकिन दहेज में कार, फ्लैट देखते ही लार टपकाने वाले आपके युवा में एक जिगोलो जितना आत्मसम्मान भी है क्या? क्या अधिकांश युवतियां कोई और करियर ऑप्शन न होने के कारण विवाह की नौकरी नहीं करतीं, जहां वे अपनी देह से दिन में चूल्हा तपाती हैं और रात में बिस्तर?
सुना है कानपुर और आगरा में चमड़े का बहुत बड़ा कारोबार है। लेकिन उससे भी कई गुना बड़ा चमड़े का कारोबार तो मुम्बई में होता है, जिसे आप फिल्म इंडस्ट्री कहते हैं। मेकअप की परतों, फोटोशॉप के चमत्कारों, बोटॉक्स, सिलिकॉन और स्टेरॉयड की मेहरबानी से चलते इस उद्योग में अभिनय बिकता है या हड्डियों पर टिकी ये एपीथिलीयल टिश्यू की परतें, ये आप अपने आप से पूछिए।
फैशन की भी क्या कहूं ! शरीर की रक्षा के लिए बने कपड़ों को लाज-शर्म की अश्लील भावनाओं से जोड़ कर आपने जो गुल खिलाए हैं, उसकी तो पूछो ही मत। हद है कि लाखों-करोड़ों का कारोबार सिर्फ इसलिए चल रहा है कि कपड़े पहन कर नंगई किस तरह दिखाई जाए!!
धर्म की बात तो बस रहने ही दो, ईश्वर और धर्म की दलाली करने वालों के सामने तो हमारे यहां के दल्ले भी पानी मांग जाएं। दया आ जाए तो हम तो शायद ग्राहक पर पचास रुपये छोड़ दें, लेकिन आपके दक्षिणाजीवी तो दस रुपये के लिए जमीन पर लोट जाएंगे और आपकी सात पुश्तों की मां-बहन एक कर देंगे। राजनैतिक दलों की गोद में बैठते आपके धर्मगुरुओं को देख कर सच मुझे भी शर्म आने लगती है। आप लोगों की समझ का भी लोहा मानना पड़ेगा कि चंद पैसे लेकर लाशों को फूंकने वाले महामना को तो आप अछूत कहते हैं, लेकिन कंगाल को भी चूस लेने वाले आपके बाबा, गुरु, ज्योतिषी की चरणवंदना करते हैं।
साम्प्रदायिकता का बड़ा हल्ला है आजकल लेकिन मैं जानती हूं कि हमसे ज्यादा धर्मनिरपेक्ष, पंथनिरपेक्ष और वादनिरपेक्ष कोई नहीं है। कोई भी हमारे पास आता है हम उसे अपनी सेवाएं बिना किसी भेदभाव के देती हैं। मजेदार बात तो यह है कि एक बार कपड़े उतर जाएँ तो हर सम्प्रदाय के मर्द सब एक सा ही व्यवहार करते हैं।
डिस्क्लेमर – मेरे आर्टिकल पर सेक्स और सेक्सुअलिटी के सम्बन्ध में बात इसलिए की जाती है कि पूर्वाग्रहों, कुंठाओं से बाहर आ कर, इस विषय पर संवाद स्थापित किया जा सके, और एक स्वस्थ समाज का विकास किया जा सके | यहाँ किसी की भावनाएं भड़काने, किसी को चोट पहुँचाने, या किसी को क्या करना चाहिए ये बताने का प्रयास हरगिज़ नहीं किया जाता |
मैं शून्य हूँ
फ़ेसबुक पर बहुत लोग हैं लेकिन इस आभासी दुनिया के हीरों-नगीनों को साथ जोड़ कर वास्तविक दुनिया में एक साथ उतार लाने का कार्य दिल्ली के वरिष्ठ पत्रकार संजय सिन्हा करते रहते हैं। इंडियन एक्सप्रेस और आजतक ग्रुप में लम्बे समय तक कार्यरत रहे संजय सिन्हा पिछले कई वर्षों से वे रोज़ एक कहानी फ़ेसबुक पर लिखते हैं। इस से प्रभावित होकर उनके चाहने वालों का लम्बा चौड़ा फ़ेसबुक परिवार बन गया है। इस फ़ेसबुकी परिवार के सदस्यों का कल जमावड़ा आगरा में हुआ। नीचे की तस्वीर गवाह है कि प्रेम में डूबा ऐसा आयोजन भी हो सकता है।
कल के इस सफल आयोजन को लेकर आज संजय सिन्हा ने जो थैंकयू पोस्ट एफबी पर पब्लिश किया है, उसे पढ़िए-
चांद ही चांद
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शुक्रिया। शुक्रिया। शुक्रिया। शुक्रिया। शुक्रिया। शुक्रिया। शुक्रिया।शुक्रिया।शुक्रिया।
जी हां, नौ बार शुक्रिया। नौ बार अपना संजय सिन्हा फेसबुक परिवार अलग-अलग शहरों में आपस में मिल चुका है। साल 2014 में दिल्ली के पहले मिलन से लेकर साल 2022 के आगरा मिलन समारोह में मेरे पास कहने को कुछ नहीं है, सिवाय शुक्रिया के।
मैंने बहुत तरह के कार्यक्रम देखे हैं। बहुत तरह के आयोजन देखे हैं, पर ये स्वयंभू संचालित कार्यक्रम बिना किसी व्यवधान के संपूर्ण हो जाए तो इसके मायने ही कुछ और हैं। ऐसा लगता है, जैसे हर परिजन जी-जान से जुट जाता है इस कार्यक्रम को सफल बनाने में।
इस बार कार्यक्रम में पचास से अधिक वो परिजन थे, जो पहली बार इस परिवार से जुड़े थे। इस बार बहुत-सी महिला परिजन अपने पतियों को मना कर लाने में कामयाब रहीं। इस बार बहुत से नए परिजन आए तो बहुत से परिजन तमाम तैयारियों के बाद किन्ही कारणों से नहीं पहुंच पाए। पर जो आए, जितने आए, संपूर्ण दिल से आए।
कार्यक्रम झमाझम हुआ। सुबह नाश्ते से लेकर देर रात तक खाने पर परिजन भोजन का स्वाद लेते रहे और सारा दिन कार्यक्रम के रंग में डूबे रहे। “मजा आ गया।” जी हां, मजा आ गया। ये सिर्फ मैं नहीं कह रहा, हर परिजन यही कहते हुए मुझसे विदा लेकर गए हैं।
टीम आगरा ने कार्यक्रम को सफल बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। किसी एक का क्या नाम लूं सभी जी-जान से कार्यक्रम से जुड़े रहे और कभी ये विचार भी उठा था कि चार चांद लगाएंगे इस मिलन समारोह में, तो मेरा यकीन कीजिए, इस बार के मिलन समारोह में चार नहीं सच्ची में आठ चांद लगे थे। चांद ही चांद।
बहुत से वो परिजन भी कार्यक्रम में आए थे, जो पहली बार से हमसे जुड़े हैं। कई बहनें तो आकर मुझसे गले लिपट कर रो ही पड़ीं, जैसे कि बरसों से बिछड़ा भाई उन्हें मिल गया हो।
इस बार के मिलन समारोह की खुमारी एक रात में नहीं उतरेगी। कई दिनों तक मुहब्बत का नशा सिर चढ़ कर बोलता रहेगा।
कोलकाता से पहली बार अपने पुलिसिया पति को संग लेकर आगरा पहुंची मनीषा उपाध्याय के पति ने जाते हुए मुझसे कहा, “संजय जी, यकीन नहीं होता कि दुनिया में ऐसा भी कोई कार्यक्रम होता है।” उन्होंने वादा किया कि फिर आऊंगा। बार-बार आऊंगा। उनकी तरह ही बीकानेर की सुनीता चावला के पति भी इस बार कार्यक्रम में आए। ये देख कर खुश हुए कि उनकी पत्नी पिछली दफा अपनी बहन ज्योति चिब के संग जिस भाई से मिलने जबलपुर पहुंची थी, उस संग रिश्ता रखा जा सकता है। बार-बार मुझसे कह गए, “कमाल है। कमाल है। कमाल है।”
किन-किन के नाम गिनाऊं? बहनों के संग पहली बार जिनके पति आए, उनके नाम बता कर अपनी वाहवाही लूट रहा हूं। आगरा से ही अपनी पुलिस वाली बहन वंदना मिश्र अपने पति संग ये कहते हुई मिलीं कि भैया, मां ने कहा था…”संजय भैया से मिलना।” मां-पापा दोनों कोविड में चले गए, रह गईं यादें।
जबलपुर की सोनिया सैनी भी अपने पति को संग लिए अपने ssfb परिवार में चली आई थीं। जाते हुए अपने जीजा ने कहा, “संजय जी सचमुच यकीन नहीं होता कि संसार में ऐसा भी परिवार होता है।”
बहनें जब रैंप पर उतरीं, तो संसार की आंखें हैरान रह गईं। वाह! क्या परिवार है?
पचास पार वाली भी खुल्ले में स्वीकार करके रैंप पर उतरीं कि पचास पार हैं तो क्या? अपने घर में तो हमीं विश्व सुंदरी हैं। उनके अंदाज-ए- कदम देख कर हर कोई दांतों तले उंगली दबा गया।
और परिवार के सदस्य ही जज बने, क्या मजाल जो जजमेंट में जरा-सी चूक रह गई हो। न्यायप्रिय परिवार।
मेरे पास असल में कहने को इतना कुछ है कि मैं कुछ कह ही नहीं पा रहा। इस बार सच में इतनी कहानियां हैं इस आगरा मिलन समारोह की कि एक नहीं सुना पाऊंगा अगर ऐसे ही बहक कर कुछ का कुछ लिखता रहा।
मैं लिखूंगा। रुक-रुक कर लिखूंगा।
इस बार मिलन समारोह डेढ़ दिन का हुआ। 12 की रात हम मिले फिर अगले दिन 13 को सारा दिन मिलते रहे। बहुत से लोग बहुत से लोगों से पहली बार मिले थे, पर रिश्ता बना ऐसा जैसे बरसों से बिछड़े हुए हम आज यहां आ मिले। जो पहले से आ रहा है उसे तो रिश्तों का स्वाद पता था, लेकिन जो पहली बार आया, ये कह कर गया कि सचमुच ऐसा नहीं देखा, ऐसा नहीं सुना।
लोगों ने रिश्तों में भरोसे को जिया। लोगों ने रिश्तों में प्यार को जिया। लोगों ने रिश्तों में बेफिक्री को जिया। आज जब संसार में सबसे बड़ी समस्या ही अकेलेपन की है तो ये परिवार इस संसार को प्यार बांट रहा है।
कार्यक्रम खूब सफल रहा। हालांकि हर कार्यक्रम में कुछ लोगों को शिकायत भी रह जाती है। कुछ लोगों के मन में नाराज़गी भी रह जाती है। जिनके मन में नाराज़गी रह गई उनसे माफी। इतने बड़े आयोजन में छोटी-छोटी चूक रह जाती हैं। हमारी कोशिश थी सभी को जोड़ने की। कुछ लोग छूटे भी। पर इसका अफसोस नहीं करना चाहिए। अच्छे को याद रखिए। कमियों को भूलिए। यही हैं रिश्ते। यही है परिवार।
आज इससे अधिक कुछ नहीं। जो कमियां रह गईं उसके लिए माफी मैं मांग रहा हूं। जो कुछ अच्छा हुआ उसका श्रेय आपको दे रहा हूं। प्यार में कुछ कमियों को नज़रअंदाज़ कर देना होता है। आप भी कीजिएगा जो मेरे प्यार में कोई कमी रह गई हो।
फिर मिलेंगे। अगले साल। किसी नई जगह पर।
संजय सिन्हा के बारे में ज़्यादा जानने और उनकी रोज़ की कहानियाँ पढ़ने के लिए फ़ेसबुक पर #ssfbFamily लिख कर सर्च करें!
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शिवशरण सिंह-
शुभ संध्या #SanjaySinha #ssfbfamily के परिजनों एवं सहेलियों तथा हम सब की परिजनानियों…..पारिवारिक मिलन समारोह अद्वितीय था इसमें कोई दो राय नहीं. संजय भाई तो हीरा पन्ना और जो भी आप सोच सकते हैं उसके भी दो तीन इंच ऊपर हैं. रसायन शास्त्र का एक सिद्धांत है ‘Like dissolves like’
दुनियाभर में भारत अपनी पुरानी संस्कृति के लिए जाना जाता है। इसके अलावा देश में कई रहस्यमयी जगहें हैं जो आज भी वैज्ञानिकों के लिए पहेली हैं। इन्हीं में शामिल है बिहार में स्थित एक सोने का भंडार। जहां पर एक रहस्यमयी दरवाजा है, जिसे हजारों कोशिशों के बाद भी आजतक कोई भी खोल नहीं पाया है। इस दरवाजे को कई बार खोलने की कोशिश हुई, लेकिन कभी कामयाबी नहीं मिली। यह सोने का भंडार बिहार के प्रसिद्ध पर्यटक स्थल राजगीर में एक गुफा के अंदर स्थित है।