आप रोड पर जा रहे हैं, आपकी तू-तू मैं-मैं किसी जेहादी से हो गई।
गलती उसकी थी, पर जिहादी अपनी गलती कहाँ मानेगा।
तो बात बढ गई, आपने भी आव देखा ना ताव, तुरंत 100 नंबर पर फोन किया और पुलिस को सूचित कर दिया।
इसी बीच जेहादी दौड़ के गया और मांस काटने वाला छुरा लेकर आ गया, और घपा घप कर दिया आपके उपर छूरे से वार।
अब जब तक पुलिस आई आप भगवान को प्यारे हो चुके थे, और परिवार वालों को शव देकर, पुलिस को जो भी कार्यवाही करनी थी, उस जेहादी के खिलाफ वो कर भी दी।
उसको जेल हो गई और आपको भगवान के #श्रीचरणों में जगह मिल गई। और आपका परिवार बर्बाद हो गया, बच्चे #अनाथ हो गये ।।
जेहादी दो महीने बाद जमानत लेकर जेल से बाहर आ गया, अब बरसों तक मुकदमा चलेगा और बाद में वह जेहादी सबूत या गवाह के अभाव में या शक की बुनियाद पर बाइज्जत बरी हो जाएगा।
यह तो हुआ एक पहलू।
चलिये इस बात का दूसरा पहलू देखते हैं-
जब जेहादी हथियार लाने दौड़ा था, आपने अपनी गाड़ी में से तलवार या पिस्तौल निकाल के हाथ में ले लिया और जेहादी के छुरा लाने पर आपने IPC की धारा और सुप्रीम कोर्ट् द्वारा आत्म रक्षा के अधिकार के तहत आत्म रक्षा के लिए उस जेहादी पर गोलियां चलाईं, पांच फ़ायर ठोक दिये उस पर।
जेहादी, हूरो के मजे लेने के लिए जहन्नुम चला गया, और आप जेल।
जेल से दो महीने में जमानत लेकर आप घर आ गए, अब बरसों मुकदमा चलेगा और आत्म रक्षा के अधिकार के अनुसार आप बाइज्जत बरी कर दिए जाएंगे। और आप अपने परिवार के साथ हंसी खुशी से रहने लगे।
कौन सी कहानी अच्छी लगी आपको??? पहली या दूसरी??
दूसरी कहानी के लिये प्रयत्न आपको करना पड़ेगा! पहली के लिये तो सरकार व संविधान ने सारी व्यवस्थाएं कर ही रखी हैं।
इसलिए तो चिल्ला रहा हूँ !
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