वीरेंद्र सेंगर
दशहरा करीब है। जगह-जगह रावण वध होंगे। असत्य पर सत्य की विजय हो जाएगी। फिर एक साल की छुट्टी। राम-रावण अपने-अपने धंधा-पानी में लग जाएंगे। फिलहाल राम लीलाओं की धूम है। इन दिनों जहां मेरा प्रवास है। वो कस्बाई गावं है। राम लीला चल रही है। महज 300mitr दूर। हर रोज तीन-चार सौ लोग रात में जुट जाते हैं।
मुझे तो लाउड स्पीकर से ही लीला का रंग रस मिल जाता है। आज अचानक एक राम भक्त आयोजक से मुलाकात हो गई। उन्होेंने लीला स्थल पर आने का नेह निमंत्रण दिया। मैंने झुककर सलामी दी। मुझे जानकारी दी गई कि आज से पूरा पंडाल भर जाएगा। कोई हजार लोग जुटेंगे। आसपास के गांवों से।
जानकारी दी गई कि जब इंट्री रावण जी की होती है, तब भीड़ जुटती है। बेचारे राम जी या हनुमान जी जैसे सदाचारी पात्रों से लोग उतना नहीं जुटते। इस बार हम लीला में नामी रावण ला रहे हैं। इनका क्रेज पूरे जिले में है। जब वो बुलंद आवाज में दहाड़ते हैं, तो धूम मच जाती है। राम जी पर कोई नोटः नहीं बरसiता ।लेकिन रावण जी पर खूब बड़ा वाला नोटः बरसता है। रावण जी हैं बहुत-बहुत उदार। जो ईनाम बरसता है, उसमें केवल 50 प्रतिशत लेते हैं। बाकी लीला समिति के पास जाता है। मैने जिज्ञासा की, यही की राम जी का कितना हिस्सा रहता है?उत्तर मिला। सर!राम जी तो खुद हमरे भरोसे रहते हैं। आखिरी दिन चरण वंदना में 10-20 वाले कुछ नोटः आ जाते हैं। वो भी माताएं चढावा में रख जाती हैं। राम जी और हनुमान जी को कमेटी फीस देती है। हमारे राम जी बहुत-बहुत सरल हैं। वे हर शाम घर से पैदल ही आ जाते हैं। बस, घंटे भर का रास्ता है।
जिज्ञासा ने फिर उछाल मारा। तो आयोजक जी, बोले रावण महराज नामी हैं। बाहर तो वो लीला के एक लाख तक चार्ज करें। यहां की लीला ने उन्हें नाम दिया है, सो वो मुहँ खोलकर कुछ मांगते नहीं। हाथ में 50 हजार भी रख दिए तो ,चुप चाप रख लेते हैं। आते -जाते अपनी कार से हैं, लेकिन टैक्सी की दर से वसूल लेते हैँ। वैसे जरा भी लालची नहीं है। भगवान राम जी कृपा से वे बहुत अमीर भी हो गये हैं और राम जी ? जवाब मिला। हमारे जो रेगुलर राम जी थे, उनकी सरकारी नौकरी हो गई है। वे संविदा पटवारी हो गए हैं। कमाई ,राम जी की कृपा से बढिय़ा है। इतने उदार हैँ कि उन्होेंने 1100 का चंदा भी दिया है। और हनुमान जी?सर!वे तो लीला के ही हनुमान हैं। कुर्सी लगवाने से लेकर हर काम मे हिस्सा लेते हैं। इस बार राम जी कृपा से चौथी बार में हाई स्कूल पास कर गए। ये गणित, बेचारे पवन पुत्र को अटका देती थी। इस बार राम जी की कृपा हो गई। वे गुड सेकंड से पास कर गए। इसी से , लीला में इस बार नयी ऊर्जा आ गई है। वे पूछ तानकर लंबी छलांग लगाते हैं। उनका जोश देखने लायक है। लीला की चर्चा से मैं भी भक्ति भाव में डूब गया। और घर की तरफ मुड़ चला।बोलो जय सिया राम!
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