यह मंदिर टिकारी किला के पूरब में टिकारी नगर में है.
प्राचीन काल में गया जिला के उतर पश्चिम क्षेत्र में घनघोर जंगल था, उस जंगल के बीचों बीच स्थानीय निवासीयों के द्वारा एक स्थान पर शिवलिंग की स्थापना की गयी थी. उसे आज भगवान् श्री 1008 बुढवा महादेव मंदिर के नाम से जाना जाता है.
मंदिर के चारों तरफ बहुत बड़ा भूभाग में बगीचा था, उसमें सुंदर फूल, फलदार पेड़-पौधे लगाया गया था.
टिकारी राज के प्रथम राजा वीर सिंह के द्वारा सन 1718 में टिकारी राज के किला के निर्माण के समय, इस शहर का नामकरण टिकारी किया गया था.
मंदिर के गर्भगृह में सफेद रंग के पत्थर का बना करघा युक्त शिवलिंग स्थापित है, मंदिर गर्भगृह के आस पास में शंकर की सवारी नंदी के अलावा भगवान विष्णु, पार्वती, गणेश, हनुमान की मूर्ति भी स्थापित है.
मंदिर परिसर में उस समय एक विशाल कुआँ बनवाया गया था, जो आज भी एक प्राचीन कुआ के रूप में विद्यमान है.
कालांतर में इस प्राचीन मंदिर को कुछ विधर्मियों ने छीन भिन्न कर नष्ट कर दिया था.
मध्य काल में स्थानीय भक्त जनों और टिकारी राज ने समय समय पर, इस मंदिर का जीर्णोद्धार किया है.
मंदिर का जीर्णोद्वार करते हुए इसे खूबसूरत बना दिया गया है. आज यह पवित्र स्थल लाखों लोगों की आस्था और विश्वास का केंद्र बिन्दु है.
आज इस मंदिर के प्रांगण की ज़मीन, जो प्राचीन काल के बने मंदिर की बड़े भूभाग का अंश मात्र हैं.
टिकारी राज के समय बुढ़वा महादेव की ख्याति चारों ओर फैली हुई थी.
सावन के महिना में इनके दर्शन करने के लिय बहुत दूर दूर से भक्त जन आया करते है.
इस प्राचीन मंदिर की आलौकिक नजारा अपने आप में ही अद्भुत हैं.
बुढवा महादेव मंदिर में भगवान भोले शंकर का शिवलिंग काफी प्राचीन माना जाता है. इसके दर्शन मात्र से ही भक्तों के कष्ट दूर हो जाते हैं. ऐसी मान्यता है.
बुढ़वा महादेव के दर्शन से भक्तजनों को असीम सुख और शांति की प्राप्ति होती है.
श्रद्धा एवं भक्तिपूर्वक पूजा-अर्चना करने वाला श्रद्धालुगण इनके यहां से खाली हाथ नहीं लौटता हैं.
टिकारी राज नौ आना के महारानी राजरूप कुंवर की एक मात्र संतान पुत्री राधेश्वरी कुंवर उर्फ किशोरी मईयां थी. किशोरी मईयां काफी दिनों तक निसंतान थी. उन्होंने पुत्र रत्न की प्राप्ति हेतु इसी बुढ़वा महादेव की पूजा-अर्चना व आराधना की थी. आराधना करने के कुछ दिनों के बाद, श्री बुढ़वा महादेव के आशीर्वाद स्वरूप उनको पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई. जो बाद में टिकारी राज नौ आना का अंतिम राजा महाराज कुमार कैप्टन गोपाल शरण सिंह हुए.
श्री 1008 बुढवा महादेव मंदिर की मुख्य विशेषता -
इस प्रसिद्ध महादेव मंदिर में स्थापित शिवलिंग के पूजन से जहा सारे मनोरथ पूरे होते हैं. वहीं इनके नित्य दर्शन असीम शांति व आराधना करने से बड़े-बड़े संकट टल जाते हैं और पाप नष्ट हो जाते है.
वर्तमान समय में श्री 1008 बुढ़वा महादेव मंदिर कम बारिश के मौसम में अधिक वर्षा कराने के लिए भी जाना जाता हैं. कम वर्षा की अवधी में इस शिवलिंग को दिन भर दूध से भर कर आच्छादित कर दिया जाता हैं तब जाकर इनके कृपा से इस क्षेत्र में घनघोर वर्षा होती है, ऐसी मान्यता हैं और देखा भी गया है
सावन माह में शिवलिंग पर जलाभिषेक के लिए शिवभक्तों एवं कावरियों की भीड़ लगी रहती है. हजारों की तादाद में शिव भक्त भगवान भोलेनाथ का दर्शन पाने और पवित्र शिवलिंग पर जलाभिषेक करने के लिए प्रतिदिन इस मंदिर में पहुंचते हैं.
यह शिवालय जागृत है. इनकी आराधना मात्र से श्रधालुयों का मनोकामना पूर्ण होती है. इनकी पूजा करने से नि:संतान लोगों को संतान की प्राप्ति होती है.
सालों भर यहां आने वाले श्रद्धालुओं की तादाद काफी अधिक होती है. मन्नत पूर्ण होने के बाद कई भक्तगण पैदल आकर भगवान भोले शंकर के दर्शन करते हैं.
वर्ष के सावन महिना के समय, प्रत्येक सोमवार को शिवभक्त श्रद्धालुगण, टिकारी के पंचदेवता स्थित मोरहर नदी घाट से नदी के जल भर कर टिकारी तक हर-हर महादेव के नारों से गूंज लगाते हुए यहां आ कर श्री 1008 श्री बुढ़वा महादेव जलाभिषेक करते हैं.
इस समय मंदिर परिसर में शिव भक्तों में श्रद्धा और उत्साह बना रहता हैं और पूरा मंदिर परिसर ओम् नमः शिवाय, हर हर महादेव और बोल बम के जयकार से गूंजता रहता हैं. इस मंदिर में शिवभक्तों की अपार भीड़ सुबह से ही जुटने लगती, जो देर रात तक लगी रहती हैं.
महा शिवरात्रि पर्व
सालभर में 12 शिवरात्रि व्रत किए जाते हैं लेकिन इनमें फाल्गुन महीने के कृष्णपक्ष की चतुर्दशी महाशिवरात्रि पर्व बहुत विशेष है. महा शिवरात्रि पर्व के दिन मंदिर परिसर में शिव पार्वती विवाह बहुत ही धूम धाम से मनाया जाता है, उस दिन हज़ारों की संख्या में भक्त गण शिव-पार्वती के विवाह में सम्मिलित होने के लिए मंदिर परिसर में आते है, मेला लगता है, भंडारा होता है और सम्पूर्ण मंदिर परिसर भक्तिमय हो जाता है.
मंदिर का प्रबंधन –
करीब 40 वर्षों तक श्री बुढ़वा महादेव मंदिर प्रबंधन समिति में टिकारी शहर के श्री शीतला प्रसाद बाजपेयी, श्री दुर्गा प्रसाद बाजपेयी, श्री राजाराम प्रसाद, श्री शिवनंदन बेलदार, श्री रामनाथ ठठेरा और श्री हीरालाल विश्वकर्मा थे.
श्री बुढ़वा महादेव मंदिर के पुजारी के रूप में हीरालाल विश्वकर्मा बहुत दिनों तक थे.
मंदिर के न्यास कमेटी -
आज के समय श्री 1008 बुढ़वा महादेव मंदिर की देखरेख और संचालन का कार्य मंदिर के न्यास कमेटी द्वारा होता है.
श्री बुढ़वा महादेव मंदिर का रख रखाव और विकास कार्य सही ढंग से नहीं हो पाया है.
धार्मिक और पर्यटन स्थल -
मंदिर को प्रसिद्ध, धार्मिक और पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने का पर्याप्त साक्ष्य है पर इस दिशा में प्रशासन तथा जनप्रतिनिधियों का ध्यान नगण्य है.
मंदिर के प्रागण में विवाह भवन -
इस मंदिर के प्रागण में दक्षिण के तरफ सुंदर विवाह भवन बनाया गया है, जहाँ मांगलिक मुहर्त में वैवाहिक कार्यक्रम होते रहते है. जहाँ तिलक से लेकर हल्दी, लग्न, मंडप व विवाह सभी रस्म कार्य एक ही दिन में सम्पन्न होने के कारण, इसकी मंदिर की लोकप्रियता आज भी बरकरार है.
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रजनीश वाजपेयी
वाजपेयी भवन
टिकारी, गया
9334449998
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