गुरुवार, 24 अप्रैल 2014

धान की बंपर खेती का राज




प्रस्तुति/ नुपूर सिन्हा

बीते 30 सालों में ही वियतनाम चावल आयात करने वाले देशों की सूची से निकलकर, आज दुनिया में चावल का दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक बन गया है. वह भी ज्यादा फूलों की खेती और कीटनाशकों के कम से कम इस्तेमाल के कारण.
खेती में ज्यादा से ज्यादा कीटनाशकों के इस्तेमाल से पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है, यह तो सब जानते हैं. लेकिन वियतनाम के मिकांग डेल्टा के किसानों के पास इससे निपटने का एक उपाय है. उनका उपाय कितना कारगर है इसकी बानगी मिलती है मिकांग डेल्टा के दक्षिण पश्चिम क्षेत्र में लहलहाती, सुनहरी और कटाई के लिए तैयार खड़ी धान की फसल को देखकर. धान के इन खेतों में फसल की कतारों के बीच कई रंग बिरंगे फूल खिले होते हैं, जैसा कि आम तौर पर नहीं दिखता. खेतों में खिले ये फूल सजावट के लिए नहीं बल्कि एक खास बायोलॉजिकल इंजीनियरिंग प्रोजेक्ट का हिस्सा है.
इस प्रोजेक्ट का मकसद है खेतों में फसल खराब करने वाले कीड़ों को खाने वाले बड़े परभक्षी कीड़ों की संख्या बढ़ाना. सिद्धांत यह हैं कि अगर ऐसे प्राकृतिक कीड़ों की संख्या बढ़ेगी तो फसल नष्ट करने वाले कीड़ों को मारने के लिए कीटनाशक दवाओं की जरूरत ही नहीं पड़ेगी. इस प्रोजेक्ट में वैज्ञानिकों की भूरे रंग के प्लांटहॉपर में ज्यादा दिलचस्पी है जो पूरे एशिया में धान की फसल बर्बाद करने के लिए बदनाम है. यह प्लांटहॉपर धान के पौधों का रस तब तक चूसता है जब तक वे पूरी तरह सूख कर मर ना जाएं. इस स्थिति में पौधे पर कई की जगहों से रंग उड़ा हुआ दिखता है और इन्हें आमतौर पर 'हॉपर बर्न' या के नाम से जाना जाता है.
कम कीटनाशक
यहां के बहुत से किसान अब अपने खेतों में कीटनाशकों का छिड़काव करना बंद कर चुके हैं. कीड़ों से फसल को बचाने के लिए वे धान के साथ साथ वे पौधे लगा रहे हैं जो कीड़ों को खाने वाले बड़े परभक्षी कीड़ों का घर बन सकें. 70 साल के एक अनुभवी किसान रे बताते हैं, "इस प्रोजेक्ट के पहले तो हम हर हफ्ते ही कीटनाशकों का इस्तेमाल करते थे. बोआई के 40 दिन बाद से हम अनगिनत बार ये दवाईयां डाला करते थे. हर हफ्ते खेतों की सिंचाई करने के बाद हम पौधे की जड़ों के पास कीटनाशक डालते थे." रे की ही तरह किन जियांग प्रांत के करीब 45 किसान परिवार 2011 से इस प्रोजेक्ट का हिस्सा बने हैं. यह उपाय सबसे पहले 2008 में चीन से शुरू हुआ और बाद में वियतनाम, थाईलैंड और अभी हाल ही में फिलीपींस पहुंचा है.
फूलों के कारण
जब पौधों में फूल खिलते हैं तो छोटे छोटे परभक्षी ततैए पौधे के पराग और शहद पर जिंदा रहते हैं. उसके बाद वे उड़ कर उन ब्राउन प्लांटहॉपर के घरौंदों में पहुंचकर उनके अंडों के बीच अपने अंडे छोड़ आते हैं. इससे ब्राउन प्लांटहॉपर पैदा होते ही नष्ट हो जाते हैं. अब वियतनाम के चार प्रांतों में 7,800 से भी ज्यादा किसान अपने धान के खेतों में इस तरह के फूलों की खेती कर रहे हैं. एशिया के बाकी देशों की तरह पहले यहां भी पेस्टिसाइड या कीटनाशकों का खूब चलन रहा है. सन 1980 में हुए आर्थिक सुधारों के बाद से ही स्थिति बदलनी शुरू हो गई. इन नए तरह के और सस्ते ईकोफ्रेंडली तरीकों की मदद से आज वियतनाम भारत के बाद दुनिया का सबसे बड़ा चावल का निर्यातक बन कर उभरा है. वियतनाम से निर्यात हो रहे कुल चावल का करीब आधा हिस्सा देश के मिकांग डेल्टा क्षेत्र में ही उगाया जाता है.
रिपोर्टः मारियाने ब्राउन/आरआर
संपादनः आभा मोंढे

संबंधित सामग्री

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें