मंगलवार, 29 अप्रैल 2014

तनाव से सावधान





प्रस्तुति- मालिनी रॉय, निम्मी नर्गिस

किसी को जम्हाई लेते देख क्या आपको भी जम्हाई आ जाती है? जर्मन रिसर्चरों का मानना है कि जिस तरह जम्हाई लेना संक्रामक लगता है, उसी तरह तनाव भी हो सकता है.
किसी तनावग्रस्त व्यक्ति के साथ लगातार रहने से तनाव होने की पूरी आशंका पैदा हो जाती है. ऐसा सिर्फ अपने किसी करीबी के तनाव को देख कर नहीं होता, बल्कि किसी अजनबी का तनाव देख कर भी आप तनावग्रस्त हो सकते हैं. इसका सीधा संबंध शरीर में रिलीज हो रहे हार्मोनों से है. अगर आपके आसपास कोई ऐसा व्यक्ति है जो तनावपूर्ण स्थिति में है. तो ऐसे में आपका शरीर भी कॉर्टिसॉल नाम का स्ट्रेस हार्मोन स्रावित करता है. इसे वैज्ञानिक 'एम्पैथेटिक स्ट्रेस' या सहानुभूति में होने वाला स्ट्रेस कहते हैं.
कैसे हुआ टेस्ट
यह रिसर्च साइंस की साइकोन्यूरो एंडोक्राइनोलॉजी पत्रिका में प्रकाशित की गई है. तानिया सिंगर रिसर्चरों की टीम की प्रमुख और जर्मन शहर लाइप्सिष के माक्स प्लांक इंस्टीट्यूट फॉर ह्यूमन कॉग्निटिव एंड ब्रेन साइंसेस की निदेशक हैं. उन्होंने अपनी रिसर्च में 151 लोगों को नौकरी के लिए इंटरव्यू और जटिल गणित की समस्याओं में उलझा कर उनमें तनाव पैदा किया.
प्रयोग में शामिल किए गए इन लोगों को 211 तरह के अन्य प्रेक्षकों के सामने लाया गया. इनमें से कुछ उनके करीबी, कुछ अजनबी और विपरीत लिंग के लोग भी थे. प्रेक्षकों ने इन तनावग्रस्त लोगों को या तो असल में एक आइने की मदद से देखा या फिर उन्हें वीडियो के जरिए इन लोगों का लाइव ट्रांसमिशन दिखाया गया.
टीवी का भी असर
वैज्ञानिकों का कहना है कि इस रिसर्च में तनावग्रस्त लोगों को देखने वाले करीब 26 फीसदी लोगों में कॉर्टिसॉल का स्तर बढ़ा हुआ पाया गया. जिन मामलों में वे अपने किसी परिचित को देख रहे थे, उनमें कॉर्टिसॉल में वृद्धि चालीस फीसदी मामलों में, जबकि अजनबियों के साथ 10 फीसदी वृद्धि पाई गई. जबकि तनाव ग्रस्त लोगों को आमने सामने देखने पर कॉर्टिसॉल की मात्रा 30 प्रतिशत बढ़ी हुई पाई गई और वीडियो में देखने पर 24 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी आंकी गई.
रिसर्च असिस्टेंट वेरोनिका एंगेर्ट कहती हैं, "यानि कि टीवी कार्यक्रम भी, जिनमें मैं दूसरे लोगों की परेशानियां देखती हूं, उनसे मुझमें भी तनाव आ सकता है."
एसएफ/एएम (डीपीए)

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