सोमवार, 28 अप्रैल 2014

बॉलीवुड के स्टार मेकर केदार शर्मा



प्रस्तुति --हिमानी सिंह प्रतिमा यादव
      वर्धा

बॉलीवुड में केदार शर्मा का नाम एक ऐसे फिल्मकार के तौर पर याद किया जाता है जिन्होंने राज कपूर, भारत भूषण, मधुबाला, माला सिन्हा और तनुजा को फिल्म इंडस्ट्री में स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
बॉलीवुड में केदार शर्मा का नाम ऐसे फिल्मकार के तौर पर याद किया जाता है जिन्होंने राज कपूर, भारत भूषण, मधुबाला, माला सिन्हा और तनुजा को फिल्म इंडस्ट्री में स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
12 अप्रैल 1910 को पंजाब (मौजूदा पाकिस्तान) के नरौल शहर में जन्मे केदार शर्मा ने शुरुआती पढ़ाई अमृतसर से पूरी की. इसके बाद वह नौकरी की तलाश में मुंबई आ गए लेकिन वहां काम नहीं मिलने के कारण वह अमृतसर लौट गए.
वर्ष 1933 में केदार शर्मा को देवकी बोस की निर्देशित फिल्म पुराण भगत देखने का मौका मिला. इस फिल्म से वह इस कदर प्रभावित हुए कि निश्चय किया कि वह फिल्मों में ही अपनी किस्मत आजमाएंगे. अपने इसी सपने को पूरा करने के लिये केदार शर्मा कोलकता चले गए.
कोलकाता में केदार शर्मा की मुलाकात फिल्मकार देवकी बोस से हुई और उनकी सिफारिश से उन्हें न्यू थियेटर में बतौर छायाकार शामिल कर लिया गया. वर्ष 1934 में दिखाई गई फिल्म सीता बतौर सिनेमाटोग्राफर केदार शर्मा की पहली फिल्म थी. इसके बाद न्यू थियेटर की फिल्म इंकलाब में केदार शर्मा को एक छोटी सी भूमिका निभाने का मौका मिला.
1936 की फिल्म देवदास केदार शर्मा के सिने करियर की अहम फिल्म साबित हुई. इस फिल्म में वह बतौर कथाकार और गीतकार की भूमिका में थे. फिल्म हिट रही और केदार शर्मा फिल्म इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाने में कामयाब हुए.
इसके बाद उन्होंने औलाद नाम के फिल्म का निर्देशन किया. और फिर 1941 में चित्रलेखा फिल्म का निर्देशन किया. चित्रलेखा का स्नान दृश्य बहुत चर्चित हुआ जो फिल्म अभिनेत्री मेहताब पर फिल्माया गया था. हालांकि फिल्म की शुरुआत के समय मेहताब इसके लिये तैयार नही थीं. केदार शर्मा ने जब मेहताब से स्नान दृश्य के फिल्मांकन का प्रस्ताव रखा तो मेहताब बोलीं, "यह सीन आप दर्शकों के लिए रखना चाहते है या सिर्फ अपनी खुशी के लिए.." केदार शर्मा ने तब मेहताब को समझाया, "सेट पर अभिनेत्री और निर्देशक का रिश्ता पिता और बेटी का होता है." केदार शर्मा की यह बात मेहताब के दिल को छू गई और उन्होंने केदार शर्मा के सामने यह शर्त रखी कि उस सीन की शूटिंग के समय सेट पर केवल वही मौजूद रहेंगे.
1947 में नीलकमल के साथ केदार राजकपूर को सिनेमा में लेकर आए. इससे पहले राजकपूर उनकी यूनिट में क्लैप ब्वाय का काम करते थे. इसी तरह 1950 में उन्होंने बावरे नैन नाम की फिल्म में गीता बाली को पहली बार अभिनय का मौका दिया. केदार शर्मा की यह विशेषता थी कि जिस कलाकार के काम से वह खुश होते उसे पीतल की दुअन्नी देकर सम्मानित किया करते. राजकपूर, दिलीप कुमार, गीताबाली और नरगिस को यह सम्मान प्राप्त था. केदार शर्मा ने इंकलाब, पुजारिन, विद्यापति और बड़ी दीदी जैसी मशहूर फिल्में दीं. बच्चों के लिए बनाई फिल्मों में जयदीप, गंगा की लहरें, गुलाब का फूल जैसी फिल्में हैं. लगभग पांच दशक तक अपनी फिल्मों के जरिए दर्शकों के दिल पर राज करने वाले फिल्मकार केदार शर्मा ने 29 अप्रैल 1999 को इस दुनिया को अलविदा कह दिया.
एएम/एजेए (वार्ता)

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