जी-8 या ग्रुप ऑफ 8 दुनिया के आठ सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देशों का मंच है.
जी-8 के बारे में दिलचस्प बात ये है कि इसका न तो कोई मुख्यालय है और न ही कोई बजट.जी-8 का मेज़बान देश ही सम्मेलन की तैयारियाँ करता है और उसका ख़र्च उठाता है.
1970 के दशक में तेल संकट और आर्थिक मंदी के माहौल के बीच महसूस किया गया कि दुनिया के अहम देशों के नेताओं के लिए खुलकर बात करने का कोई मंच होना चाहिए.
इसी के बाद 1975 में फ़्राँस में जी-6 की स्थापना हुई. इसके छह सदस्य थे– फ़्राँस, जर्मनी, इटली, जापान, ब्रिटेन और अमरीका. 1976 में कनाडा और 1998 में रूस भी इनके साथ जुड़ा और बन गया जी-8.
ग्रीस में दोबारा चुनाव कराए जाने की घोषणा के बाद यूरोपीय अर्थव्यवस्था में बढ़ी अनिश्चितता के बीच जी8 की बैठक अहम साबित हो सकती है.
अमरीका के मैरीलैंड में आयोजित की जा रही इस बैठक में माना जा रहा है कि अर्थव्यवस्था का मु्द्दा छाया रहेगा. लेकिन आयोजकों का कहना है कि खाद्य सुरक्षा जैसे अहम मुद्दे भी प्रमुखता ये उठाए जा सकते है.
इस मुद्दे पर चर्चा के लिए अमरीका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने बेनिन, इथोपिया, घाना और तनज़ानियां जैसे अफ्रिकी देशों के नेताओं को भी बुलाया है.
फ्रांस सदस्य देशों में अहम चुनावों के बाद जी-8 की ये पहली बैठक है.
पिछले कुछ वर्षों से जी-8 के विस्तार को लेकर सदस्य देशों के बीच काफी तीखी बहस जारी है. कई देश इसके विस्तार के पक्ष में हैं, लेकिन कनाडा और जापान जैसे देश इसके फॉर्मेट में किसी भी तरह के फेरबदल के विरोध में है.
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