प्रस्तुति-- सुमन सेमवाल
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
अल्मोड़ा
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विवरण | प्रकृति की गोद में बसा उत्तराखण्ड का यह छोटा-सा नगर स्वयं में बड़ा इतिहास समेटे है। |
राज्य | उत्तराखण्ड |
ज़िला | चम्पावत ज़िला |
मार्ग स्थिति | यह शहर सड़कमार्ग द्वारा टनकपुर लगभग 75 कि.मी. दूरी पर स्थित है। |
प्रसिद्धि | देवीधुरा मेला, बग्वाल, एवटमाउन्ट, पूर्णागिरि मेला |
कैसे पहुँचें | किसी भी शहर से बस और टैक्सी द्वारा पहुँचा जा सकता है। |
पन्तनगर, नैनी सैनी हवाई अड्डा, पिथौरागढ़ | |
टनकपुर रेलवे स्टेशन | |
क्या देखें | उत्तराखण्ड पर्यटन |
क्या ख़रीदें | गहत स्थानीय दाल, |
एस.टी.डी. कोड | 0176 |
सावधानी | बरसात में भूस्खलन |
गूगल मानचित्र, हवाई अड्डा | |
अन्य जानकारी | चम्पावत में आप बग्वाल का भी आनन्द ले सकते हैं। |
अल्मोड़ा | अल्मोड़ा पर्यटन | अल्मोड़ा ज़िला |
इतिहास
विषय सूची[छिपाएं] |
लोककथा
मुख्य लेख : अल्मोड़ा की लोककथा
अल्मोड़ा से जुड़ी एक लोककथा भी है जिसके अनुसार- "छह सौ साल पुरानी बात है। उत्तराखण्ड में कुमाऊँ
का एक राजा था। वह एक बार शिकार खेलने अल्मोडा की घाटी में गया। वहाँ घना
जंगल था। शिकार की टोह लेने के दौरान वहीं झाडियों में से एक खरगोश निकला।
राजा ने उसका पीछा किया। अचानक वह खरगोश चीते में बदल गया और फिर दृष्टि से
ओझल हो गया। इस घटना से स्तब्ध हुये राजा ने पंडितों की एक सभा बुलाई और
उनसे इसका अर्थ पूछा। पंडितों ने कहा इसका अर्थ है कि जहाँ चीता दृष्टि से
ओझल हो जाय, वहाँ एक नया नगर बसना चाहिऐ, क्योंकि चीते केवल उसी स्थान से
भाग जाते हैं, जहाँ मनुष्यों को एक बडी संख्या में बसना हो। नया शहर बसाने
का काम शुरू हुआ और इस प्रकार छह सौ साल पहले अल्मोडा नगर की नींव पडी।
कृषि और व्यापार
- यहाँ पर कृषि कार्य मुख्यतः नदी घाटियों तक ही सीमित है।
- चावल, गेहूँ, फल, मोटे अनाज और चाय यहाँ पर उगाई जाने वाली फ़सलों में शामिल हैं।
- यहाँ पाए जाने वाले खनिजों में ताँबा और मैग्नेटाइट के भण्डार शामिल हैं।
प्रमुख स्थल
पर्यटन
मुख्य लेख : अल्मोड़ा पर्यटन
यहाँ के प्रमुख स्थलों में त्रिशूल चोटियाँ, नन्दा देवी का मन्दिर, जहाँ
हर साल मेला लगता है। मृग विहार, ब्राइट एण्ड कार्नर, जहाँ लोग सूर्योदय
और सूर्यास्त देखने आते हैं और गोविन्द वल्लभ पंत संग्रहालय शामिल हैं,
जिसमें इस क्षेत्र की लोक चित्रकला शैली के चित्रों का अच्छा संग्रह है।
स्वामी विवेकानन्द ने विश्व भ्रमण के साथ उत्तराखण्ड के अनेक क्षेत्रों में भी भ्रमण किया जिनमें अल्मोड़ा तथा चम्पावत में उनकी विश्राम स्थली को धरोहर के रूप में सुरक्षित किया गया है।
कटारमल सूर्य मंदिर
मुख्य लेख : सूर्य मंदिर अल्मोडा
कटारमल सूर्य मंदिर न सिर्फ समूचे कुमांऊ प्रदेश का सबसे विशाल ऊंचा और अनूठा मंदिर है बल्कि उडीसा
के कोर्णाक सूर्य मंदिर के बाद उकमात्र प्राचीन सूर्च मंदिर भी है।
रानीखेत अल्मोडा मार्ग पर अल्मोडा से 12 किलोमीटर पहले मुख्य सडक से क़रीब
ढाई किमी उपर जाकर कटारमल गांव आता है जिसे बड आदित्य सूर्य मंदिर भी कहा
जाता है।
जनसंख्या
1991 की जनगणना के अनुसार अल्मोड़ा नगर की कुल जनसंख्या 30,613 है।टीका टिप्पणी और संदर्भ
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