प्रस्तुति-- निम्माी नर्गिस, हिमानी सिंह
नई दिल्ली। शिक्षक दिवस के मौके पर
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी शुक्रवार को देशभर के स्कूलों में बच्चों से
रूबरू होने जा रहे हैं। संभवत: भारतीय इतिहास में यह पहला मौका है, जब कोई
प्रधानमंत्री देशभर के विद्यार्थियों से रूबरू हो रहा हो। इस अवसर पर
लाखों विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने
कहा कि...
* स्कूलों में रोजगार परक शिक्षा के लिए क्या कदम उठा रहे हैं?
हमारे पास डिग्री के साथ हुनर भी होना
चाहिए। बच्चों को भी स्किल डेवलपमेंट का अवसर मिलना चाहिए। स्किल डेवलपमेंट
किसी भी देश और व्यक्ति के लिए बहुत जरूरी है। जहां भी जिस तरह का काम है,
वहां के युवकों को उसी तरह का प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए ताकि उन्हें अपने
गांव के निकट ही काम मिल जाएगा। ऐसा होगा तो रोजगार बढ़ेंगे और देश का
आर्थिक विकास भी होगा। हम ने स्किल डेवलपमेंट के लिए अलग से मंत्रालय बनाया
है।
* आपकी हमसे क्या अपेक्षाएं हैं और हम आपके लिए क्या कर सकते हैं?
मोदी ने कहा कि पूरी दुनिया में ऊर्जा संकट
है। बच्चे बिजली बचाने का काम कर सकते हैं। क्लास खत्म होने के बाद हम
ध्यान रखें कि बिजली बंद हुई है या नहीं। हम बंद करें। हम छोटी छोटी चीजें
समझकर पानी और बिजली बचा सकते हैं। सब मिलकर हम थोड़ा थोड़ा करेंगे तो बूंद
बूंद से सागर भर जाएगा।
* लड़कियों की शिक्षा के लिए क्या कदम उठा रहे हैं?
हम चाहते हैं कि बालिकाओं के लिए निकटतम स्कूल मिले और उन्हें स्तरीय
शिक्षा मिले। हम इसके लिए तकनीक का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल कर सकते
हैं।
* काम का दबाव कैसे नियंत्रित करते हैं?
मोदी ने कहा कि राजनीति को प्रोफेशन नहीं
मानना चाहिए। इसे एक सेवा के रूप में स्वीकार करना चाहिए। सेवा का भाव तब
जगता है, तब अपनापन होता है। अपनापन नहीं होता तो सेवा का भाव नहीं जग
सकता। 125 करोड़ देशवासी मेरा परिवार हैं। इनके लिए काम करते हुए मुझे कभी
थकान महसूस नहीं होता। मुझे और ज्यादा काम करने के लिए प्रेरणा मिलती है।
अपनापन लंबे समय तक चलता है। पद तो आते जाते रहते हैं।
* मुख्यमंत्री रहते हुए आपने 'गुजरात पढ़ो' अभियान शुरू किया था, क्या राष्ट्रीय स्तर पर भी आपकी कोई योजना है?
इस सवाल पर मोदी ने कहा कि ऐसा कोई कार्यक्रम तो नहीं, लेकिन मैंने
डिजिटल इंडिया का काम शुरू किया है। मैं चाहता लोग तकनीक और विज्ञान से
जुड़ें। मैं डिजिटल इंडिया का सपना लेकर चल रहा हूं। हर भाषा में डिजिटल
इंडिया का सपना पूरा होना चाहिए। व्यक्ति को पढ़ने की आदत होती चाहिए। मेरी
अब किताब पढ़ने की आदत छूट गई है, अब मैं फाइलें पढ़ता हूं।
* पर्यावरण की रक्षा कैसे करें?
इस सवाल के जवाब में नरेन्द्र मोदी ने कहा
कि हम बदल गए हैं, हमारी आदतें बदल गई हैं। हमने पूरे पर्यावरण का नुकसान
किया है। हम बदल जाएं तो संतुलन तुरंत हो जाता है। मनुष्य को प्रकृति से
प्रेम करना चाहिए। उससे संघर्ष नहीं करना चाहिए। हमारे शास्त्रों में तो
पौधे को परमात्मा और नदी को माता कहा गया। जब से यह सब भूल गए हैं तो गंगा
भी मैली हो गई है। हम पूरे ब्रह्मांड को अपना परिवार मानते हैं। हमें
सिखाया जाता है कि हम सुबह उठते हैं पृथ्वी पर पांव रखते हैं तो हमें भारत
के लिए उससे माफी मांगना सिखाया जाता है। हम प्रकृति के साथ जीना भूल गए
हैं। हमें यह फिर से सीखना पड़ेगा।
* बच्चे देश की सेवा कैसे कर सकते हैं?
नरेन्द्र मोदी ने एक छात्रा के सवाल के
जवाब में कहा कि अच्छे विद्यार्थी बनें। यह भी अपने आप में देश की सेवा ही
है। बच्चे साफ सफाई का ध्यान रखें। बच्चे घर में बिजली बचाने का काम करें।
यह भी बहुत बड़ी देश सेवा है। बिजली बचाकर आप पर्यावरण की रक्षा कर सकता
है। देश सेवा के लिए बहुत चीजें करने की जरूरत नहीं, छोटी छोटी बातों से भी
हम देश की सेवा कर सकते हैं।
* यदि आप शिक्षक होते तो आप कैसे बच्चे पसंद करते?
मोदी ने कहा कि शिक्षकों का काम होता है
विद्यार्थी गुणों को समझें और विकसित करे। शिक्षक के लिए सभी बच्चे अपने
होते हैं। उसे सबके साथ समान व्यवहार करना चाहिए। मैं भी यदि शिक्षक होता
तो सबके साथ समान व्यवहार करता।
* हमारे
इलाके में उच्च शिक्षण संस्थानों की कमी हैं। इसके लिए आप क्या प्रयास
करेंगे। (छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा से एक छात्रा का सवाल है)
छत्तीसगढ़
में रमणसिंहजी ने जो काम किए हैं, मुझे विश्वास है शिक्षाविदों का ध्यान इस
ओर जाएगा। उन्होंने बालिका शिक्षा पर जोर देते हुए कहा कि यदि एक बालिका
पढ़ती है तो दो परिवार पढ़ते हैं। मेरा भी इस बात पर जोर है कि बालिका
शिक्षा पर ज्यादा ध्यान दिया जाए। बेटियों के लिए अलग टॉयलेट नहीं होने के
कारण लड़कियां जल्दी स्कूल छोड़ देती हैं। यदि इस पर पहले ध्यान दिया जाता
तो स्थितियां कुछ और होतीं। मैं इस बात पर विशेष तौर पर ध्यान दे रहा हूं।
लड़कियां स्कूल छोड़ें नहीं इस पर मेरा विशेष ध्यान है। शिक्षा को लेकर
बालिका के मन में इस तरह का सवाल है तो यह बड़ी बात है। इस सवाल में देश को
जगाने की ताकत है।
* क्या आपको स्कूल के दिनों की कुछ शरारतें याद हैं? (लेह की एक छात्रा का सवाल)
मोदी ने कहा
कि कोई बालक ऐसा नहीं होता जो शरारत नहीं करता हो। मुझे इस बात की चिंता
है कि बचपन बहुत जल्दी मर रहा है। बचपन में शरारतें होनी चाहिए। जीवन में
विकास के लिए यह बहुत जरूरी है।
मोदी ने अपनी शरारत का उल्लेख करते हुए कहा कि हम जब छोटे थे तो शादी के समय शहनाई वादक को इमली दिखाते थे, जिससे वह बजा नहीं पाता था। वह हमें मारने के लिए दौड़ता था।
मोदी ने अपनी शरारत का उल्लेख करते हुए कहा कि हम जब छोटे थे तो शादी के समय शहनाई वादक को इमली दिखाते थे, जिससे वह बजा नहीं पाता था। वह हमें मारने के लिए दौड़ता था।
अपनी
एक और शरारत का उल्लेख करते हुए कहा कि हम शादी के समारोह में जाते थे हम
वहां स्वागत में खड़े महिला पुरुषों के कपड़ों में स्टेपलर लगा दिया करते
थे।
* यदि आप शिक्षक होते तो आप कैसे बच्चे पसंद करते?
मोदी ने कहा
कि शिक्षकों का काम होता है विद्यार्थी गुणों को समझें और विकसित करे।
शिक्षक के लिए सभी बच्चे अपने होते हैं। उसे सबके साथ समान व्यवहार करना
चाहिए। मैं भी यदि शिक्षक होता तो सबके साथ समान व्यवहार करता।
* जापान और भारत की शिक्षा में आप क्या अंतर महसूस करते हैं?
इस सवाल के
जवाब में नरेन्द्र मोदी ने कहा कि जापान में टीचिंग नहीं के बराबर है,
लेकिन 100 फीसदी लर्निंग है। वहां बच्चों को काफी कुछ सीखने को मिलता है।
वहां हर विद्यार्थी में गजब का अनुशासन है। वहां मां बाप स्कूल छोड़ने नहीं
जाते हैं। वहां हर कदम पर पैरेंट्स खड़े होते हैं। इससे सभी पैरेंट्स
सभी बच्चों को समान ट्रीटमेंट देते हैं। यह सभी बच्चों के प्रति समान
व्यवहार की बात मेरे मन को छू गई है। वहां तकनीक का बहुत अधिक उपयोग हो रहा
है। वहां अनुशासन और स्वच्छता बहुत ही सहज है। सम्मान हरेक के व्यवहार में
नजर आता है। यह चीज संस्कारों से आती है।
* मैं भारत का प्रधानमंत्री कैसे बन सकता हूं। (पूर्वोत्तर के एक छात्र का सवाल)
इस पर
नरेन्द्र मोदी ने कहा कि 2024 के चुनाव की तैयारी करो। इसका मतलब यह भी है
कि तब तक मुझे किसी तरह का खतरा नहीं है। भारत लोकतांत्रिक देश है। यदि आप
देश की जनता का विश्वास जीत सकते हैं, तो कोई भी बालक देश का प्रधानमंत्री
बन सकता है। आपको बहुत बहुत शुभकामनाएं।
* लोग कहते हैं कि आप हैडमास्टर की तरह हैं, मगर आप वास्तविक जीवन में किस तरह के आदमी हैं? आप क्या हैं?
मैं खुद तय
नहीं कर सकता हूं कि मैं क्या हूं। मैं ऐसा आदमी हूं कि खुद भी काम करता
हूं और दूसरों से भी काम लेता हूं। मैंने अधिकारियों से भी कहा है कि वे 12
घंटे काम करेंगे तो मैं 13 घंटे काम करूंगा।
* आपको हमारे जैसे छात्रों के बीच आने से क्या लाभ मिलता है?
लाभ मिलता
होता मैं नहीं आता। बहुत सारे काम ऐसे होते हैं जो लाभ के लिए नहीं किए
जाते हैं। लाभ के लिए जो काम होते हैं, उनमें बहुत आनंद आता है। मैं पहली
बार देख रहा हूं पूरे देश का मीडिया विद्यार्थियों की चर्चा कर रहा है।
मेरे लिए यही सबसे बड़ा लाभ है अन्यथा देश हमारे जैसे नेताओं के चेहरे
देखकर बोर हो गया था।
* क्या आपने बालक के रूप में सोचा है कि क्या आप देश के प्रधानमंत्री बनेंगे और विश्व में प्रसिद्ध होंगे?
मैंने ऐसा
कभी नहीं सोचा। मैं तो कभी स्कूल में मॉनिटर का चुनाव भी नहीं लड़ा। मैं
बहुत ही छोटे परिवार से आता हूं। लेकिन, मैंने बड़ों से सीखा है, पढ़ा है
कि अति महत्वाकांक्षा बोझ बन जाती है। ज्यादा अच्छा हो कि आप कुछ बनने के
बजाय कुछ करने की सोचना चाहिए। इससे आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है। करते
करते कुछ बन गए तो बन गए। करने का आनंद अलग है।
* गांधीनगर से दिल्ली आने के बाद आप कैसा महसूस कर रहे हैं। क्या बदलाव आया है, आपके जीवन में?
मुझे अभी
दिल्ली देखने का समय नहीं मिला है। अभी घर से ऑफिस और ऑफिस से घर जाता हूं।
मैं अभी कोई बहुत बड़ा फर्क महसूस नहीं करता। मुख्यंमत्री से
प्रधानमंत्री बनने में विषयवस्तु बदलती है, दायरा बदलता मगर शेष कुछ नहीं
बदलता। उतना ही काम करना पड़ता, देर रात तक जागना पड़ता है। दिल्ली में
ज्यादा सतर्क रहना पड़ता है। मुख्यमंत्री रहने के कारण इस दायित्व को
समझने और निभाने में कोई ज्यादा दिक्कत नहीं आई। मैं इसे सरलता से कर
पाया।
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