जशोदाबेन के पास क्या हैं विकल्प?
- 29 नवंबर 2014
भारतीय क़ानून हर महिला को अधिकार देता है, चाहे वह प्रधानमंत्री की पत्नी हो या किसी आम आदमी की.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पत्नी जशोदाबेन ने अपनी सुरक्षा को लेकर एक आरटीआई दायर की है और अपने अधिकारों की बात भी उठाई है.हालांकि इसका जवाब तो प्रशासन जैसे चाहेगा, देगा.
लेकिन भारतीय संविधान के तहत किसी भी हिंदू पत्नी को कई तरह के अधिकार हासिल हैं.
क्या हैं महिला को अधिकार, पढ़ें पूरी रिपोर्ट
2. हिन्दू विवाह क़ानून, 1955, धारा-9 वैवाहिक संबंधों की बहाली का प्रावधान करती है. यह धारा किसी पति-पत्नी को एक दूसरे के साथ रहने का अधिकार देती है.
यदि तलाक न हुआ हो तो, इस धारा के तहत वह महिला पति के साथ रहने की मांग कर सकती है.
गुज़ारा भत्ता
4. परित्यक्ता पत्नी को मिलने वाले एकमुश्त खर्च के अधिकार के तहत वह चाहे तो जीवन निर्वाह के लिए पति से एकमुश्त खर्च मांग सकती है.
5. ऐसी महिला के पास घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण क़ानून, 2005 के अन्तर्गत कार्रवाई का भी विकल्प है. किसी भी महिला के लिए इस तरह का सामाजिक-आर्थिक परित्याग और मानसिक उत्पीड़न असहनीय होगा और इस वजह से यह गंभीर घरेलू हिंसा के क़ानून के दायरे में आ सकता है.
मानसिक उत्पीड़न
6. यदि ऐसी महिला का पति सरकारी कर्मचारी या सरकारी पद पर है, तो उसे सरकारी और निजी निवास में रहने का अधिकार भी है और वह चाहे तो इसके लिए कोर्ट जा सकती है.
क़ानूनी व्यवस्था
7. इंजंक्टिव रिलीफ़ के तहत ऐसी महिला घर में रहते हुए उनके द्वारा या उनके घर वालों द्वारा क्षति न पहुंचाने और पति और उसके परिवार वालों को उसके निजी या सरकारी मकान में न घुसने देने की मांग कर सकती है.अभी तक जशोदाबेन ने ऐसे कोई आरोप नहीं लगाए हैं और न ऐसी किसी कार्रवाई की इच्छा ज़ाहिर की है.
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