गुरुवार, 17 दिसंबर 2015

भारत के 10 बदनाम रेडलाइट एरिया

 
  • प्रस्तुति- राकेश कुमार सिन्हा
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देह व्यापार पूरी दुनिया में आज भी महिलाओं की दैहिक स्वातंत्रता पर कलंक है। भारत जैसे देश में जहां स्त्री़ को पूज्य माना गया है, वहां भी लंबे समय से महिलाएं देह व्यापार जैसे घिनौने धंधे में उतरने को मजबूर हैं। हालांकि 1956 में पीटा कानून के तहत वेश्यावृत्ति को कानूनी वैधता दी गई, पर 1986 में इसमें संशोधन करके कई शर्तें जोड़ी गईं, जिसमें सार्वजनिक सेक्स को अपराध माना गया और यहां तक कि इसमें सजा का प्रावधान भी रखा गया, लेकिन इसे विडंबना कहें कि दुर्भाग्य, आज भी देश में कई ऐसे इलाके हैं, जहां लड़कियां जिस्मफरोशी को मजबूर हैं। देखिए भारत के 10 ऐसे रेड लाइट एरिया, जिनकी एशिया में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में चर्चा होती है।
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ये हैं भारत के 10 बदनाम रेडलाइट एरिया
देह व्यापार पूरी दुनिया में आज भी महिलाओं की दैहिक स्वातंत्रता पर कलंक है। भारत जैसे देश में जहां स्त्री़ को पूज्य माना गया है, वहां भी लंबे समय से महिलाएं देह व्यापार जैसे घिनौने धंधे में उतरने को मजबूर हैं। हालांकि 1956 में पीटा कानून के तहत वेश्यावृत्ति को कानूनी वैधता दी गई, पर 1986 में इसमें संशोधन करके कई शर्तें जोड़ी गईं, जिसमें सार्वजनिक सेक्स को अपराध माना गया और यहां तक कि इसमें सजा का प्रावधान भी रखा गया, लेकिन इसे विडंबना कहें कि दुर्भाग्य, आज भी देश में कई ऐसे इलाके हैं, जहां लड़कियां जिस्मफरोशी को मजबूर हैं। देखिए भारत के 10 ऐसे रेड लाइट एरिया, जिनकी एशिया में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में चर्चा होती है।
देह व्यापार पूरी दुनिया में आज भी महिलाओं की दैहिक स्वातंत्रता पर कलंक है। भारत जैसे देश में जहां स्त्री़ को पूज्य माना गया है, वहां भी लंबे समय से महिलाएं देह व्यापार जैसे घिनौने धंधे में उतरने को मजबूर हैं। हालांकि 1956 में पीटा कानून के तहत वेश्यावृत्ति को कानूनी वैधता दी गई, पर 1986 में इसमें संशोधन करके कई शर्तें जोड़ी गईं, जिसमें सार्वजनिक सेक्स को अपराध माना गया और यहां तक कि इसमें सजा का प्रावधान भी रखा गया, लेकिन इसे विडंबना कहें कि दुर्भाग्य, आज भी देश में कई ऐसे इलाके हैं, जहां लड़कियां जिस्मफरोशी को मजबूर हैं। देखिए भारत के 10 ऐसे रेड लाइट एरिया, जिनकी एशिया में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में चर्चा होती है।
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गंगा-जमुना नागपुर : महाराष्‍ट्र की उपराजधानी नागपुर में इतवारी इलाके में गंगा-जमुना इलाका है, जहां वेश्‍यावृत्ति चलती है। यह इलाका देह व्‍यापार के लिए पूरे नागपुर में फेमस है। खास बात यह है कि यह कई तरह के अपराधों का भी अड्डा है
बेटी से धंधा कराने का रिवाज
मंदसौर। बच्चे के जन्म पर खुशियां मनाते लोगों को तो सुना ही होगा, लेकिन कुछ ऐसे गांव हैं, जो सिर्फ बेटी के जन्म पर ही खुशी मनाते हैं। इसलिए नहीं कीवे महिला समर्थक हैं या जागरुक विचारों को बढ़ावा दे रहे हैं, बल्कि इसलिए कि उम्र के 12 वें पायदान पर पहुंचते ही उन्हें परंपरा के नाम पर देह व्यापार में उतार दिया जाएगा।


रेड लाइट एरिया, जहां बदलते वक्त में अब निरंतर परिवर्तन आ रहा है। वहीं परंपरा के नाम पर अब भी देह का व्यापार किया जा रहा है। सिर्फ एक या दो नहीं कुछ चुनिंदा गांव इस कार्य में लगे हुए हैं और परिवार की परंपरा का नाम देकर इस काम को बिना किसी हिचक और डर के आगे बढ़ा रहे हैं। ज्यादा आश्चर्य इस बात का है कि इस काम को पढ़ी-लिखी लड़कियां भी परिवार की मर्जी और परंपरा के नाम पर आगे बढ़ा रही हैं।


बसावा समुदाय मेंपरंपरा
बताया जाता है कि करीब 70 साल पहले बसावा समुदाय ने परिवार से एक लड़की द्वारा देह व्यापार करने की प्रथा चलाई थी। जो बाद में बढ़ती गई और अब इस काम में कई गांव लिप्त हो गए हैं। 6 माह से ढाई साल तक बच्ची यहां बड़ी ही आसानी से 60 हजार से डेढ़ लाख रुपए तक में बिक जाती है।
इन जिलों में ज्यादा संख्या
मंदसौर की राजस्थान सीमा से लगे हुए कुछ गांव, महू-नीमच हाइवे, रतलाम जावरा का डोडर गांव, नीमच के भीतर स्थित एक गांव है। जहां इस काम को लोग पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ा रहे हैं। इन स्थानों पर महिलाओं और युवतियों को विष कन्या के नाम से भी जाना जाता है। युवतियों की खरीद-फरोख्त के मामले भी यहां जब-तब सामने आते रहते हैं। पुलिस ने चलाया अभियान
पुलिस अब इन क्षेत्रों में अभियान चलाकर इन लोगों की जीवनशैली परिवर्तित करने का प्रयास किया। बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन से भी मासूम बच्चियों को चुराकर उनसे व्यापार कराया जाता है। करीब तीन साल पहले पुलिस ने देह व्यापार में लिप्त 68 लड़कियों को पकड़ा था। ये सभी बसावा समुदाय की थीं। इनमें से कुछ को नारी निकेतन पहुंचाया गया। वहीं कुछ को उनके माता-पिता को सौंप दिया गया। बताया जाता है कि एसपी जीके पाठक ने इस अभियान को शुरू हुआ था। लेकिन उनके जाते ही अभियान भी थम गया।


पुणे की संस्था ने चलाई मुक्ति की मुहिम

इंदौर !   देह व्यापार के लिए बदनाम रतलाम-मंदसौर जिलों के बांछड़ा डेरे एक बार फिर सुखिऱ्यों में आ गए हैं। आशंका है कि यहाँ बांछड़ा किशोरियों की आड़ में बाहर से मानव तस्करी कर लाई गई कुछ नाबालिग लड़कियों को भी इस दलदल में धकेला जा रहा है। पुणे की एक संस्था ने इन डेरों में धकेली जा रही ऐसी ही बच्चियों की यहाँ से मुक्ति के लिए मुहिम शुरू की है। संस्था के सदस्यों की मौजूदगी में पुलिस को एक ही डेरे पर दबिश में 5 नाबालिग बच्चियों सहित 9 लडकियाँ मिली हैं। पुलिस ने इन्हें बरामद कर लिया है। अब पुलिस जांच कर रही है कि इनमें डेरों के अलावा अन्य लडकियाँ भी शामिल हैं या नहीं।        गौरतलब है कि इस इलाके में राष्ट्रीय राजमार्ग पर बसे करीब दर्जन भर से ज्यादा डेरों में लम्बे समय से देह व्यापार का घिनौना धंधा चल रहा है। बांछड़ा जाति के कुछ लोग परम्परा के नाम पर इस बरसों पुरानी कुरीति को अपने फायदे के लिए जि़ंदा रखे हुए हंै, बल्कि अब तो यह नये तौर-तरीके के साथ सामने आ रहा है। आशंका तो यह भी है कि इन डेरों में बांछड़ा लड़कियों के साथ बाहर से मानव तस्करी कर लाई लड़कियों को भी इस दलदल में धकेला जा रहा है। पुलिस को यहाँ लडकियों की खरीद फरोख्त होने का भी अंदेशा है और इस बिंदु पर भी लड़कियों से पूछताछ की जा रही है।  इसी आशंका के चलते महाराष्ट्र पुणे की स्वयंसेवी संस्था फ्रीडम फाइटर ने रतलाम प्रशासन को यहाँ कार्यवाही के लिए सूचना दी। जावरा-नयागांव फोरलेन पर स्थित परवलिया बांछड़ा डेरों में मानव तस्करी की सूचना पर पुलिस ने दबिश दी। यहाँ अलग -अलग घरों से नाबालिग और 4 बालिग लड़कियों सहित एक ग्राहक को भी पकड़ा गया है। पहले पुलिस दल के ही एक सदस्य को ग्राहक बनाकर भेजा गया और उसके रुमाल फेंकते ही पुलिस ने डेरे को घेर लिया। नाबालिग लड़कियों को फिलहाल बालगृह में भेजा गया है। रिंगनोद थाना प्रभारी विपिन बाथम के मुताबिक अनैतिक देह व्यापार अधिनियम में कार्यवाही की है।   दबिश की कार्रवाई के बाद जिला कलेक्टर बी चन्द्रशेखर और पुलिस अधीक्षक अविनाश शर्मा फ्रीडम फाइटर के सदस्यों के साथ खुद मौके पर पंहुचे। आसपास के गावों में भी अधिकारीयों के दल ने भ्रमण किया। उन्होंने रिंगनोद थाने जाकर भी स्थिति का जायजा लिया।
वेश्याओं के गांव में सामूहिक विवाह

अहमदाबाद। गुजरात के पालनपुर के पास वाडिया गांव का नाम आपने सुना होगा। अगर नहीं सुना तो हम आपको बता दें कि यह गांव वेश्‍यावृत्ति के लिए मशहूर है। यहां के परिवार स्‍वेच्‍छा से अपनी बेटियों, बहनों और कभी-कभी पत्नियों से वेश्‍यावृत्ति करवाते हैं, ताकि उनका घर खर्च चल सके। दशकों से चली आ रही यह परम्‍परा अब टूटने जा रही है। जी हां यहां की बेटियां शादी के बंधन में बंधने जा रही हैं वो भी सामूहिक विवाह के माध्‍यम से। टीओआई में प्रकाशित एक खबर के मुताबिक 11 मार्च को इस गांव में सामूहिक विवाह होने जा रहा है, जिसमें 15 लड़कियां शादी के बंधन में बंधेंगी और वेश्‍यावृत्ति से कोसों दूर घर बसायेंगी। इस विवाह के लिए 2 हजार से अधिक लोगों को न्‍योता दिया जा चुका है। जिन लड़कियों की शादी होने जा रही है उनमें 7 लड़कियां 18 वष्र की हैं, जबकि बाकी उससे थोड़ी कम आयु की। परंपरा के मुताबिक अगर ये लड़कियां बाजार में बेची जायें तो उनके सबसे ज्‍यादा दाम लगेंगे। यह बात गांव के लोग भी जानते हैं। लेकिन अब यह गांव इन सबसे मुक्ति चाहता है। इतिहास में पहली बार ऐसा होगा कि 18 साल की होने पर किसी लड़की को देह व्‍यापार में धकेलने के बजाये उसकी शादी रचाई जायेगी। लड़कियों में से एक के पिता और विचारती जाटी समुदाय समर्थन मंच के नेता शर्दा भाटी के मुताबिक इन लड़कियों के माता-पिता इनके वैवाहिक जीवन के लिए तैयार नहीं थे। उन्‍हें लगता है कि शादी के चक्‍कर में पड़ने से उनका व्‍यापार ठप पड़ जायेगा। पेट की खातिर वे चाहते थे कि उनकी लड़कियों के अच्‍छे दाम लगें, लेकिन एक गैर सरकारी संगठन द्वारा काउंसिलिंग के बाद यह परिवर्तन उनमें दिखाई दिया है। हम आपको बता दें कि वाडिया गांव की जनसंख्‍या करीब 750 है, जिनमें 100 से अधिक महिलाएं व लड़कियां स्‍वतंत्रता के पहले से देह व्‍यापार करती आ रही हैं। ये परिवार मुख्‍य रूप से राजस्‍थान और सौराष्‍ट्र के सरनिया समाज के हैं। Read more about: वेश्‍यावृत्ति, लड़की, देह व्‍यापार, शादी, गुजरात, prostitution, gujarat, marriage, girls





सुनो एक ऐसे राजा की कहानी, जिसके पास न था दाना न था पानी





 Posted by: Richa Published: Monday, December 7, 2015, 16:11 [IST] Share this on your social network: Facebook Twitter Google+ Comments Mail कटक। जब कभी भी आपको किसी राजा की कहानी बचपन में सुनाई गई होगी तो आपको उसके महल और उसके पास मौजूद धन-दौलत के बारे में भी बताया गया होगा। Birabara Champati Singh Mohapatra लेकिन भारत का एक राजा ऐसा भी था जिसके पास न तो दौलत थी और न ही आलिशान महल। सिर्फ इतना ही नहीं जब इस राजा की मौत भी हुई तो भी एक खामोश अंदाज में। हम बात कर रहे हैं 95 वर्षीय ब्रजराज खत्री बीराबारा चंपति सिंह मोहापात्रा की जिनका निधन 30 नंवबर को हुआ है। मोहापात्रा ब्रिटिश राज के आखिरी राजा थे जो जिंदा थे। आपको जानकर हैरानी होगी कि जिस समय उनकी मौत हुई उनके पास एक पैसा नहीं था। वह सिर्फ एक झोपड़ी में रहते थे और उन्‍हें देखकर इस बात का अंदाजा भी लगा पाना मुश्किल था कि वह‍ किसी शाही खानदार से आते थे। अगर ब्रजराज के राज की बात करें तो वह था ओडिशा के कटक जिले के अंर्तगत आने वाला तिगिरिया जिला जो राजधानी भुवनेश्‍वर से 60 किमी दूरी पर स्थित था। ब्रजराज के पूर्वज राजस्‍थान से यहां पर आए थे और उन्‍होंने सन 1246 में अपना साम्राज्‍य यहां पर स्‍थापित किया था। तिगिरिया एक पर्वतीय और जंगलों से घिरी हुई जगह है। महाराज ब्रजराज की आखिरी इच्‍छा थी कि पुरानाद तिगिरिया के लोगों से 10 रुपए इकट्ठा किए जाएं ताकि उनका अंतिम संस्‍कार हो सके। गांववाले कहते हैं कि ब्रजराज को 'राजा' नहीं बल्कि 'अजा' यानी दादा कहलाना पसंद था। गांव वाले उन्‍हें याद करके बताते हैं कि वह बहुत ही सादे इंसान थे और बहुत ही दयालु थे। जब उनके पास सब कुछ था तो भी उनमें जरा भी घमंड नहीं था। अपनी मौत के कई वर्षों पहले दिवालिया घोषित कर दिए गए थे और गांववालों की ओर से मिलने वाली मदद पर गुजारा कर रहे थे। उन्‍होंने अपनी झोपड़ी खुद तैयार की थी और अपने लिए एक रिक्‍शा खरीदा था ताकि वह एक गांव से दूसरे गांव जा सकें। गांव वाले उनकी याद और सम्‍मान में एक मेमोरियल बनवाने का ऐलान कर चुके हैं। Read more about: king, india, odisha, bhubaneswar, british, independence, death,, भारत, ओडिशा, महाराज, राज्‍य, ब्रिटिश, आजादी, मौत, निधन

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देह व्यापार पूरी दुनिया में आज भी महिलाओं की दैहिक

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