आईएस का गुलाम बाजार, जहां सिगरेट से सस्ती बिकती हैं लड़कियां
नई दिल्ली, अंकुर विजयवर्गीय First Published:10-06-2015 11:06:00 AMLast Updated:16-06-2015 04:32:02 PM
आईएस द्वारा लड़कियों के बेचे जाने और उत्पीड़न की खबरें सामने आती
रही हैं, लेकिन मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र की दूत जैनब बांगुरा ने गुलाम
बाजारों में लड़कियों की बिक्री के शर्मनाक तरीकों से पर्दा उठाया। सीरिया
और इराक के इन बाजारों से लड़कियां किसी सामान की तरह पुरुषों के सामने पेश
होती हैं। सबके सामने इन्हें बेपर्दा किया जाता है और फिर कौड़ियों के भाव
इनकी बोली लगती है। गुलामी की जंजीरों में जकड़ी ये लड़कियां बेजुबानों की
तरह बिकने और लुटने को मजबूर हैं। आइये जानते हैं कि आईएसएस के चंगुल में
फंसी लड़कियां कैसे जीते जी रोज मरती हैं।
कब्जा करते ही अगवा करते हैं लड़कियां
संयुक्त राष्ट्र की यौन हिंसा संबंधी मामलों की दूत जैनब बांगुला के मुताबिक उन्होंने अप्रैल में इराक और सीरिया का दौरा किया। वहां उन्होंने आईएस के कब्जे वाले इलाकों में कैद से बचकर आईं महिलाओं और लड़कियों से बात की। उन्होंने पाया कि आतंकी जब किसी इलाके पर कब्जा करते हैं, तो महिलाओं का अपहरण कर लेते हैं। फिर उन्हें कौड़ियों के भाव बेचा जाता है। यह कीमत सिगरेट के एक पैकेट के दाम से भी कम हो सकती है।
गुलाम लड़कियों के सहारे जंग
रिपोर्ट के मुताबिक लड़कियों का अपहरण करना और उनका आकर्षण दिखाकर विदेशी युवकों को संगठन में शामिल करना आईएस की रणनीति का अहम हिस्सा बन गया है। आईएस विदेशी लड़कों से कहता है कि उनके पास ढेर सारी लड़कियां हैं, जिनसे वे शादी कर सकते हैं। इससे आकर्षित होकर बड़ी संख्या में विदेश युवक आतंकी बन जाते हैं। पिछले 18 महीनों में इराक और सीरिया में रिकॉर्ड संख्या में विदेशी लड़ाके शामिल हुए हैं। खबर है कि 100 देशों से 25 हजार लड़ाके आतंकी संगठन के साथ हाथ मिला चुके हैं। यही विदेशी लड़ाके आईएस की सबसे बड़ी ताकत है। ज्यादातर स्थानीय लड़ाकों का इस्तेमाल इनकी मदद या फिर छोटे-मोटे कामों के लिए किया जाता है।
छोटे से कमरे में कैद 100 लड़कियां
जैनब ने आतंकियों की कैद से रिहा हुईं कई किशोरियों की व्यथा सुनाई, जो किसी को भी रुला सकती है। इनमें से कई यजीदी अल्पसंख्यक समुदाय का हिस्सा हैं, जिसे आतंकियों ने सबसे ज्यादा निशाना बनाया है। एक लड़की ने उन्हें बताया कि कैसे अपहरण के बाद उन्हें एक कमरे में बंद कर दिया गया। एक छोटे से मकान में 100 से अधिक लड़कियां रखी गईं। उन्हें निर्वस्त्र किया गया और नहलाया गया। बाद में इन लड़कियों को कई पुरुषों के सामने पेश किया गया, जिन्होंने पसंद के मुताबिक इनकी बोलियां लगाईं।
खुदकुशी की इजाजत भी नहीं
संयुक्त राष्ट्र की दूत ने 15 साल की एक लड़की की पीड़ा साझा की है। यह लड़की 50 साल के एक शेख को बेची गई। शेख ने उसे एक बंदूक और एक छड़ी दिखाकर उससे पूछा कि उसे क्या चाहिए। लड़की शायद जीना नहीं चाहती थी, इसलिए उसने बंदूक मांगी। इस पर शेख ने कहा कि वह उसे खुदकुशी का मौका नहीं देगा। बाद में यह लड़की कई बार बलात्कार की शिकार हुई।
लड़कियों को बचाने की योजना बना रहा संयुक्त राष्ट्र
लड़कियों से मुलाकात के बाद से जैनब बांगुरा इन्हें आईएस की यौन हिंसा से बचाने की योजना बना रही हैं। इस सिलसिले में हाल में उन्होंने इराक-सीरिया के धार्मिक नेता, राजनेता, तुर्की, लेबनान और जार्डन में शरणार्थियों से मुलाकात की। जल्द सुरक्षा परिषद में भी लड़कियों को बचाने की योजना बनाने पर विचार-विमर्श हो सकता है।
कैद में हजारों महिलाओं
- 02 शहरों सीरिया के मोसुल और रक्का में हो रही महिलाओं की यह नीलामी
- 05 से सात हजार यजीदी महिलाओं और बच्चों का अब तक अपहरण कर चुके हैं आतंकी
- 20 से 30 महिलाओं और बच्चों को छुड़ाया जा चुका है इराक के उत्तरी पश्चिमी पहाड़ी इलाकों से
- 40 हजार यजीदी शरणार्थी आईएस से बचने के लिए रह रहे हैं नौ कैपों में
'एक साल से कैद' मोसुल की महिलाएं
आज से ठीक एक साल पहले 10 जून 2014 को इराक का मोसुल शहर आईएस के कब्जे में आया था। बीबीसी ने एक वीडियो जारी करके बताया है कि इस शहर में महिलाओं का जीवन कितना कठिन हो चुका है। मोसुल की एक महिला हना के मुताबिक आईएस महिलाओं के कपड़ों को लेकर बेहद सख्त है। महिलाओं को सिर से लेकर पैर तक काले लिबास में ढंके रहना जरूरी है। आतंकियों के कब्जे के बाद से वह घर से कभी बाहर ही नहीं निकलीं। एक दिन बेहद उदास होने पर उन्होंने पति के साथ बाहर जाने की इच्छा जताई तो उन्होंने सबसे पहले कहा कि नकाब अच्छे से पहनना। जब रेस्तरां पहुंचीं तो पति ने उन्हें नकाब उठाने की इजाजत दे दी। वह खुश हो गईं, पर तभी रेस्तरां का मैनेजर उनके पास आया कि आप चेहरा ढंक लीजिए क्योंकि यहां अक्सर आईएस के लड़ाके औचक निरीक्षण के लिए आते रहते हैं। उन्होंने कई ऐसी घटनाओं के बारे में सुना है, जब पत्नी के नकाब न पहनने पर पति को कोड़े मारे गए हैं। हना के मुताबिक किसी तरह खाना-खाने के बाद जब वे रेस्तरां से बाहर निकले तो देखा कि एक पिता अपनी बच्ची को खोज रहा है, जो इस अंधकार के महासागर में कहीं खो गई है।
आईएस के कानून में गुलाम लड़कियों को सताने की इजाजत
- युद्ध के दौरान पकड़ी गई महिलाओं को कहते हैं अल-सबी
- आईएस इन्हें गुलाम बनाने और जबरन यौन संबंध बनाने की देता इजाजत
- खरीद-फरोख्त, उपहार के रूप में भी लड़ाके एक-दूसरे को सौंप सकते हैं लड़कियां
- मारपीट से लेकर छोटी बच्चियों की प्रताड़ना की भी है इजाजत
- भागने पर नहीं दी जाती सजा, पर फिर से कैद कर दिया जाता है इन्हें
उम्र के हिसाब से लगती बोली
- 40 से 50 साल 2700 रुपये
- 30 से 40 साल चार हजार रुपये
- 20 से 30 साल 5300 रुपये
- 10 से 20 साल आठ हजार रुपये
- नौ साल से कम 10 हजार 600 रुपये
यह ऐसी लड़ाई है जो महिलाओं के जिस्मों पर लड़ी जा रही है। आईएस इन्हीं लड़कियों से शादी का लालच दिखाकर विदेशी युवाओं को आतंकी बना रहा है।
- जैनब बांगुरा, संयुक्त राष्ट्र की दूत
कब्जा करते ही अगवा करते हैं लड़कियां
संयुक्त राष्ट्र की यौन हिंसा संबंधी मामलों की दूत जैनब बांगुला के मुताबिक उन्होंने अप्रैल में इराक और सीरिया का दौरा किया। वहां उन्होंने आईएस के कब्जे वाले इलाकों में कैद से बचकर आईं महिलाओं और लड़कियों से बात की। उन्होंने पाया कि आतंकी जब किसी इलाके पर कब्जा करते हैं, तो महिलाओं का अपहरण कर लेते हैं। फिर उन्हें कौड़ियों के भाव बेचा जाता है। यह कीमत सिगरेट के एक पैकेट के दाम से भी कम हो सकती है।
गुलाम लड़कियों के सहारे जंग
रिपोर्ट के मुताबिक लड़कियों का अपहरण करना और उनका आकर्षण दिखाकर विदेशी युवकों को संगठन में शामिल करना आईएस की रणनीति का अहम हिस्सा बन गया है। आईएस विदेशी लड़कों से कहता है कि उनके पास ढेर सारी लड़कियां हैं, जिनसे वे शादी कर सकते हैं। इससे आकर्षित होकर बड़ी संख्या में विदेश युवक आतंकी बन जाते हैं। पिछले 18 महीनों में इराक और सीरिया में रिकॉर्ड संख्या में विदेशी लड़ाके शामिल हुए हैं। खबर है कि 100 देशों से 25 हजार लड़ाके आतंकी संगठन के साथ हाथ मिला चुके हैं। यही विदेशी लड़ाके आईएस की सबसे बड़ी ताकत है। ज्यादातर स्थानीय लड़ाकों का इस्तेमाल इनकी मदद या फिर छोटे-मोटे कामों के लिए किया जाता है।
छोटे से कमरे में कैद 100 लड़कियां
जैनब ने आतंकियों की कैद से रिहा हुईं कई किशोरियों की व्यथा सुनाई, जो किसी को भी रुला सकती है। इनमें से कई यजीदी अल्पसंख्यक समुदाय का हिस्सा हैं, जिसे आतंकियों ने सबसे ज्यादा निशाना बनाया है। एक लड़की ने उन्हें बताया कि कैसे अपहरण के बाद उन्हें एक कमरे में बंद कर दिया गया। एक छोटे से मकान में 100 से अधिक लड़कियां रखी गईं। उन्हें निर्वस्त्र किया गया और नहलाया गया। बाद में इन लड़कियों को कई पुरुषों के सामने पेश किया गया, जिन्होंने पसंद के मुताबिक इनकी बोलियां लगाईं।
खुदकुशी की इजाजत भी नहीं
संयुक्त राष्ट्र की दूत ने 15 साल की एक लड़की की पीड़ा साझा की है। यह लड़की 50 साल के एक शेख को बेची गई। शेख ने उसे एक बंदूक और एक छड़ी दिखाकर उससे पूछा कि उसे क्या चाहिए। लड़की शायद जीना नहीं चाहती थी, इसलिए उसने बंदूक मांगी। इस पर शेख ने कहा कि वह उसे खुदकुशी का मौका नहीं देगा। बाद में यह लड़की कई बार बलात्कार की शिकार हुई।
लड़कियों को बचाने की योजना बना रहा संयुक्त राष्ट्र
लड़कियों से मुलाकात के बाद से जैनब बांगुरा इन्हें आईएस की यौन हिंसा से बचाने की योजना बना रही हैं। इस सिलसिले में हाल में उन्होंने इराक-सीरिया के धार्मिक नेता, राजनेता, तुर्की, लेबनान और जार्डन में शरणार्थियों से मुलाकात की। जल्द सुरक्षा परिषद में भी लड़कियों को बचाने की योजना बनाने पर विचार-विमर्श हो सकता है।
कैद में हजारों महिलाओं
- 02 शहरों सीरिया के मोसुल और रक्का में हो रही महिलाओं की यह नीलामी
- 05 से सात हजार यजीदी महिलाओं और बच्चों का अब तक अपहरण कर चुके हैं आतंकी
- 20 से 30 महिलाओं और बच्चों को छुड़ाया जा चुका है इराक के उत्तरी पश्चिमी पहाड़ी इलाकों से
- 40 हजार यजीदी शरणार्थी आईएस से बचने के लिए रह रहे हैं नौ कैपों में
'एक साल से कैद' मोसुल की महिलाएं
आज से ठीक एक साल पहले 10 जून 2014 को इराक का मोसुल शहर आईएस के कब्जे में आया था। बीबीसी ने एक वीडियो जारी करके बताया है कि इस शहर में महिलाओं का जीवन कितना कठिन हो चुका है। मोसुल की एक महिला हना के मुताबिक आईएस महिलाओं के कपड़ों को लेकर बेहद सख्त है। महिलाओं को सिर से लेकर पैर तक काले लिबास में ढंके रहना जरूरी है। आतंकियों के कब्जे के बाद से वह घर से कभी बाहर ही नहीं निकलीं। एक दिन बेहद उदास होने पर उन्होंने पति के साथ बाहर जाने की इच्छा जताई तो उन्होंने सबसे पहले कहा कि नकाब अच्छे से पहनना। जब रेस्तरां पहुंचीं तो पति ने उन्हें नकाब उठाने की इजाजत दे दी। वह खुश हो गईं, पर तभी रेस्तरां का मैनेजर उनके पास आया कि आप चेहरा ढंक लीजिए क्योंकि यहां अक्सर आईएस के लड़ाके औचक निरीक्षण के लिए आते रहते हैं। उन्होंने कई ऐसी घटनाओं के बारे में सुना है, जब पत्नी के नकाब न पहनने पर पति को कोड़े मारे गए हैं। हना के मुताबिक किसी तरह खाना-खाने के बाद जब वे रेस्तरां से बाहर निकले तो देखा कि एक पिता अपनी बच्ची को खोज रहा है, जो इस अंधकार के महासागर में कहीं खो गई है।
आईएस के कानून में गुलाम लड़कियों को सताने की इजाजत
- युद्ध के दौरान पकड़ी गई महिलाओं को कहते हैं अल-सबी
- आईएस इन्हें गुलाम बनाने और जबरन यौन संबंध बनाने की देता इजाजत
- खरीद-फरोख्त, उपहार के रूप में भी लड़ाके एक-दूसरे को सौंप सकते हैं लड़कियां
- मारपीट से लेकर छोटी बच्चियों की प्रताड़ना की भी है इजाजत
- भागने पर नहीं दी जाती सजा, पर फिर से कैद कर दिया जाता है इन्हें
उम्र के हिसाब से लगती बोली
- 40 से 50 साल 2700 रुपये
- 30 से 40 साल चार हजार रुपये
- 20 से 30 साल 5300 रुपये
- 10 से 20 साल आठ हजार रुपये
- नौ साल से कम 10 हजार 600 रुपये
यह ऐसी लड़ाई है जो महिलाओं के जिस्मों पर लड़ी जा रही है। आईएस इन्हीं लड़कियों से शादी का लालच दिखाकर विदेशी युवाओं को आतंकी बना रहा है।
- जैनब बांगुरा, संयुक्त राष्ट्र की दूत
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें