मंगलवार, 1 दिसंबर 2015

सेक्स के लिए योग




Women practicing yoga in a class
hindi7.com ।। सेक्स लाइफ को स्ट्रांग करने के लिए बेहद जरूरी है, बॉडी और माइंड का फिटनेस। आपकी सेक्स लाइफ यदि अच्छी नहीं है, तो आप डिप्रेशन में भी जा सकते हैं। सेहतमंद बने रहकर आप अपनी सेक्स लाइफ को सुधार सकते हैं। इसके लिए यहाँ प्रस्तुत है महत्वपूर्ण योग आसनों की जानकारी, जिसको अपना कर आप अपने सेक्स लाइफ को और भी रूमानी बना सकते हैं।
पद्मासन –
इस आसन से कूल्हों के जोड़ों, माँसमेशियों, पेट, मूत्राशय और घुटनों में खिंचाव होता है, जिससे इनमें मजबूती आती है और यह सेहतमंद बने रहने के लिए जरूरी है। इस मजबूती के कारण उत्तेजना का संचार होता है। उत्तेजना के संचार से आनंद की दीर्घता बढ़ती है।
विधि – जमीन पर बैठकर बाएं पैर की एड़ी को दाईं जंघा पर इस प्रकार रखें कि एड़ी नाभि के पास आ जाए। इसके बाद दाएं पैर को उठाकर बाईं जांघ पर इस प्रकार रखें कि दोनों एड़ियां नाभि के पास आपस में मिल जाएं। मेरुदण्ड सहित कमर से ऊपरी भाग को पूर्णतया सीधा रखें। ध्यान रहे कि दोनों घुटने जमीन से उठने न पाएं, तत्पश्चात् दोनों हाथों की हथेलियों को गोंद में रखते हुए स्थिर रहें। इसको पुनः पैर बदलकर भी करें, फिर दृष्टि को नासाग्रभाग पर स्थिर करके शांत बैठ जाएँ।
सावधानियां – इस आसन को करने के लिए आप मेरुदण्ड, कटिभाग और सिर को सीधा रखें और स्थिरता पूर्वक बैठें। ध्यान समाधि के समय आंखें बंद कर लें, क्योंकि आँखे दीर्घ काल तक खुली रहने से आँखों की तरलता नष्ट होकर उनमें विकार पैदा हो जाने की संभावना रहती है।
भुजंगासन – 
भुजंगासन आपकी छाती को चौड़ा और मजबूत बनाता है। यह मेरुदंड और पीठ दर्द संबंधी समस्याओं को दूर करने में फायदेमंद है। यह स्वप्नदोष को दूर करने में भी लाभदायक है। इस आसन के लगातार अभ्यास से वीर्य की दुर्बलता समाप्त होती है।
विधि – भुजंगासन को करने के लिए पहले चटाई पर पेट के बल लेट जाएं और दोनों पैरों को एक-दूसरे से मिलाते हुए बिल्कुल सीधा रखें। पैरों के तलवें ऊपर की ओर तथा पैरों के अंगूठे आपस में मिलाकर रखें। दोनों हाथों को कोहनियों से मोड़कर दोनों हथेलियों को छाती के बगल में फर्श पर टिका कर रखें। आसन की इस स्थिति में आने के बाद पहले गहरी सांस लेकर सिर को ऊपर उठाएं, फिर गर्दन को ऊपर उठाएं, फिर सीने को और छाती, फिर पेट को धीरे-धीरे ऊपर उठाएं। ध्यान रखें कि सिर से नाभि तक का शरीर ही ऊपर उठना चाहिए तथा नाभि के नीचे से पैरों की अंगुलियों तक का भाग जमीन से समान रूप से सटा रहना चाहिए। गर्दन को तानते हुए सिर को धीरे-धीरे अधिक से अधिक पीछे की ओर उठाने की कोशिश करें। अपनी दृष्टि ऊपर की ओर रखें। यह आसन पूरा तब होगा जब आप के शरीर का कमर से ऊपर का भाग सिर, गर्दन और छाती सांप के फन के समान ऊंचा ऊठ जाएगा और पीठ पर नीचे की ओर नितम्ब और कमर के जोड़ पर अधिक खिंचाव या जोर मालूम पड़ने लगेगा। ऐसी अवस्था में आकाश की ओर देखते हुए 2-3 सैकेंड तक सांस रोकें। अगर आप सांस न रोक सकें तो सांस सामान्य रूप से लें। इसके बाद सांस छोड़ते हुए पहले नाभि के ऊपर का भाग, फिर छाती को और फिर माथे को जमीन पर टिकाएं तथा बाएं गाल को जमीन पर लगाते हुए शरीर को ढीला छोड़ दें। कुछ क्षण रुकें और पुन: इस क्रिया को करें। इस प्रकार से भुजंगासन को पहले 3 बार करें और अभ्यास होने के बाद 5 बार करें।
सावधानियां – हर्निया के रोगी तथा गर्भवती स्त्रियों को यह आसन नहीं करना चाहिए। इसके अलावा पेट में घाव होने पर, अंडकोष वृ़द्धि में, मेरूदंड से पीड़ित होने पर अल्सर होने पर तथा कोलाइटिस वाले रोगियों को भी यह आसन नही करना चाहिए। यह आसन सावधानी से किया जाना चाहिए, इसलिए इस आसन में सिर को पीछे ले जाने की स्थिति में जल्दबाजी न करें।

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