बुधवार, 29 सितंबर 2021

श्री महालक्ष्मी व्रत कथा

प्रस्तुति - रेणु दत्ता / आशा सिन्हा


एक समय महर्षि श्री वेदव्यासजी हस्तिनापुर पधारे। उनका आगमन सुन महाराज धृतराष्ट्र उनको आदर सहित राजमहल में ले गए। स्वर्ण सिंहासन पर विराजमान कर चरणोदक ले उनका पूजन किया।


श्री व्यासजी से माता कुंती तथा गांधारी ने हाथ जोड़कर प्रश्न किया- हे महामुने! आप त्रिकालदर्शी हैं अत: आपसे हमारी प्रार्थना है कि आप हमको कोई ऐसा सरल व्रत तथा पूजन बताएं जिससे हमारा राज्यलक्ष्मी, सुख-संपत्ति, पुत्र-पोत्रादि व परिवार सुखी रहें।

इतना सुन श्री वेद व्यासजी कहने लगे- 'हम एक ऐसे व्रत का पूजन व वर्णन कहते हैं जिससे सदा लक्ष्मीजी का निवास होकर सुख-समृद्धि की वृद्धि होती है।


यह श्री #महालक्ष्मीजी का व्रत है जिसे प्रतिवर्ष आश्विन कृष्ण अष्टमी को विधिवत किया जाता है।'

हे महामुने! इस व्रत की विधि हमें विस्तारपूर्वक बताने की कृपा करें। तब व्यासजी बोले- 'हे देवी! यह व्रत भाद्रपद शुक्ल अष्टमी से प्रारंभ किया जाता है। इस दिन स्नान करके 16 सूत के धागों का डोरा बनाएं, उसमें 16 गांठ लगाएं, हल्दी से पीला करें। प्रतिदिन 16 दूब व 16 गेहूं डोरे को चढ़ाएं। आश्विन (क्वांर) कृष्ण अष्टमी के दिन उपवास रखकर मिट्टी के हाथी पर श्री महालक्ष्मीजी की प्रतिमा स्थापित कर विधिपूर्वक पूजन करें।


इस प्रकार श्रद्धा-भक्ति सहित महालक्ष्मीजी का व्रत, पूजन करने से आप लोगों की राज्यलक्ष्मी में सदा अभिवृद्धि होती रहेगी। इस प्रकार व्रत का विधान बताकर श्री वेदव्यासजी अपने आश्रम को प्रस्थान कर गए।

इधर समयानुसार भाद्रपद शुक्ल अष्टमी से गांधारी तथा कुंती अपने-अपने महलों में नगर की स्‍त्रियों सहित व्रत का आरंभ करने लगीं। इस प्रकार 15 दिन बीत गए। 16वें दिन आश्विन कृष्ण अष्टमी के दिन गांधारी ने नगर की स‍भी प्रतिष्ठित महिलाओं को पूजन के लिए अपने महल में बुलवा लिया। माता कुंती के यहां कोई भी महिला पूजन के लिए नहीं आई। साथ ही माता कुंती को भी गांधारी ने नहीं बुलाया। ऐसा करने से माता कुंती ने अपना बड़ा अपमान समझा। उन्होंने पूजन की कोई तैयारी नहीं की एवं उदास होकर बैठ गईं।


जब पांचों पांडव युधिष्ठिर, अर्जुन, भीम, नकुल और सहदेव महल में आए तो कुंती को उदास देखकर पूछा- हे माता! आप इस प्रकार उदास क्यों हैं? आपने पूजन की तैयारी क्यों नहीं की?' तब माता कुंती ने कहा- 'हे पुत्र! आज महालक्ष्मीजी के व्रत का उत्सव गांधारी के महल में मनाया जा रहा है।

उन्होंने नगर की समस्त महिलाओं को बुला लिया और उसके 100 पुत्रों ने मिट्टी का एक विशाल हाथी बनाया जिस कारण सभी महिलाएं उस बड़े हाथी का पूजन करने के लिए गांधारी के यहां चली गईं, लेकिन मेरे यहां नहीं आईं।


 यह सुनकर अर्जुन ने कहा- 'हे माता! आप पूजन की तैयारी करें और नगर में बुलावा लगवा दें कि हमारे यहां स्वर्ग के ऐरावत हाथी की पूजन होगी।'

इधर माता कुंती ने नगर में ढिंढोरा पिटवा दिया और पूजा की विशाल तैयारी होने लगी। उधर अर्जुन ने बाण के द्वारा स्वर्ग से ऐरावत हाथी को बुला लिया। इधर सारे नगर में शोर मच गया कि कुंती के महल में स्वर्ग से इन्द्र का ऐरावत हाथी पृथ्वी पर उतारकर पूजा जाएगा। समाचार को सुनकर नगर के सभी नर-नारी, बालक एवं वृद्धों की भीड़ एकत्र होने लगी। उधर गांधारी के महल में हलचल मच गई। वहां एकत्र हुईं सभी महिलाएं अपनी-अपनी थालियां लेकर कुंती के महल की ओर जाने लगीं। देखते ही देखते कुंती का सारा महल ठसाठस भर गया।


माता कुंती ने ऐरावत को खड़ा करने हेतु अनेक रंगों के चौक पुरवाकर नवीन रेशमी वस्त्र बिछवा दिए। नगरवासी स्वागत की तैयारी में फूलमाला, अबीर, गुलाल, केशर हाथों में लिए पंक्तिबद्ध खड़े थे। जब स्वर्ग से ऐरावत हाथी पृथ्‍वी पर उतरने लगा तो उसके आभूषणों की ध्वनि गूंजने लगी। ऐरावत के दर्शन होते ही जय-जयकार के नारे लगने लगे।


सायंकाल के समय इन्द्र का भेजा हुआ हाथी ऐरावत माता कुंती के भवन के चौक में उतर आया, तब सब नर-नारियों ने पुष्प-माला, अबीर, गुलाल, केशर आदि सुगंधित पदार्थ चढ़ाकर उसका स्वागत किया। राज्य पुरोहित द्वारा ऐरावत पर महालक्ष्मीजी की मूर्ति स्थापित करके वेद मंत्रोच्चारण द्वारा पूजन किया गया। नगरवासियों ने भी महालक्ष्मी पूजन किया। फिर अनेक प्रकार के पकवान लेकर ऐरावत को खिलाए और यमुना का जल उसे पिलाया गया। राज्य पुरोहित द्वारा स्वस्ति वाचन करके महिलाओं द्वारा महालक्ष्‍मी का पूजन कराया गया।


16 गांठों वाला डोरा लक्ष्मीजी को चढ़ाकर अपने-अपने हाथों में बांध लिया। ब्राह्मणों को भोजन कराया गया। दक्षिणा के रूप में स्वर्ण आभूषण, वस्त्र आदि दिया गया। तत्पश्चात महिलाओं ने मिलकर मधुर संगीत लहरियों के साथ भजन कीर्तन कर संपूर्ण रात्र‍ि महालक्ष्‍मी व्रत का जागरण किया। दूसरे दिन प्रात: राज्य पुरोहित द्वारा वेद मंत्रोच्चार के साथ जलाशय में महालक्ष्मीजी की मूर्ति का विसर्जन किया गया। फिर ऐरावत को बिदाकर इन्द्रलोक को भेज दिया।

इस प्रकार जो स्‍त्रियां श्री महालक्ष्मीजी का विधिपूर्वक व्रत एवं पूजन करती हैं, उनके घर धन-धान्य से पूर्ण रहते हैं तथा उनके घर में महालक्ष्मीजी सदा निवास करती हैं।


!!  जय माता दी !!

 माताजी।का दिवस,मंगल मय शुक्रवार

रोली चंदन आरती,भक्ति भरे उद्गार।

!! जय माता दी!!

पंचायती चुनाव - सूरज यादव

सूरज: यादव 


बिहार पंचायत चुनाव :  दूसरे चरण में 55.02 % मतदान 


 बक्सर के राजपुर क्षेत्र के बूथ पर तैनात पीठासीन पदाधिकारी पर गड़बड़ी के आरोप में प्राथमिकी दर्ज कराई गई है और उन्हें तत्काल हटाकर दूसरे पदाधिकारी को तैनात किया गया। जबकि अररिया के एक बूथ पर तैनात मतदानकर्मी पर पंच-सरपंच के मतपत्र खो देने के कारण कानूनी और विभागीय कार्रवाई किया जाएगा।


जितिया पर्व के बावजूद बड़ी संख्या में महिला मतदाता लाइन में खड़ी नजर आईं। एक-दो जगह पर ईवीएम में आई खामी के कारण मतदान की प्रक्रिया कुछ समय के लिए बाधित रही। वहीं गया जिले में मतदान करने जा रहे मुखिया उम्मीदवार, उनके परिवार और अन्य वोटर्स के साथ मारपीट की गई। इसी बीच मोतिहारी में बोगस वोटिंग रोकने के लिए पहुंची पुलिस के साथ मारपीट की गई है। भोजपुर में हार्ट अटैक आने से एक वोटर की मौत हो गई है। 


पंचायत चुनाव के दूसरे चरण में नवीनगर प्रखंड की 25 पंचायतों में बुधवार को मतदान सुबह सात बजे शुरू हो गया। जिउतिया पूजा के कारण महिलाओं ने उपवास रखा है और इसका असर मतदान पर दिख रहा है। सुबह में वोटिंग का ट्रेंड बदला हुआ नजर आया। सभी मतदान केंद्रों पर पहले महिलाओं को वोट देने के लिए आगे किया गया और पुरुष मतदाता बेहद कम संख्या में पहुंचे।

[9/29, 18:55] S सूरज: *प्रीपेड मीटर लगाने के खिलाफ बिजली उपभोक्ताओं का गुस्सा लगातार जारी* है। पटना सिटी में गुस्साए लोगों ने अशोक राजपथ जामकर बिजली ऑफिस का घेराव किया। इस दौरान लोगों ने जमकर हंगामा मचाया। 


प्रीपेड मीटर लगाए जाने के खिलाफ गुस्साए लोगों ने मालसालामी थाना क्षेत्र के बाजार समिति स्थित कटरा बिजली ऑफिस का घेराव कर मुख्य सड़क अशोक राजपथ को जामकर धरने पर बैठ गए। धरना व घेराव में काफी संख्या में महिला व पुरुष शामिल थे। इधर लोगों जे आक्रोश को देखते हुए बिजली ऑफिस के पदाधिकारियों व कर्मी चुपके से एक-एक कर निकल गए। 


धरना का नेतृत्व कर रहे शैलेन्द्र यादव ने बताया कि जो नया प्रीपेड मीटर लगा है, उसमें बिजली बिल ज्यादा आ रहा है। रिचार्ज करने पर भी बिजली समय पर नहीं आ पा रही है। लाइन जब चाहे तब कट जाती है। शिकायत करने के बाबजूद भी सुधार नही हो पाता है। बिजली ऑफिस आकर शिकायत करते है तो कोई सुनने को तैयार तक नहीं है। 


उपभोक्ताओं का कहना था कि बहुत ऐसे उपभोक्ता है जिसके पास अपना मोबाइल नहीं है। ऐसी स्थिति में वह रिचार्ज कैसे कराएगा। उपभोक्ता जवाहर प्रसाद ने बताया कि तीन कमरे के मकान में उसके यहां पहले सात से आठ सौ रुपये मासिक बिल आता था। लेकिन 19 सितम्बर को प्रीपेड मीटर लगने के बाद से एक सौ रुपये प्रतिदिन के हिसाब से बिल खपत हो रही है। ऐसी स्थिति में पांच से छह हजार रुपये महीना कमाने वाला कैसे बिजली उपयोग करेगा। उपभोक्ताओं ने प्रीपेड मीटर को अविलंब हटाने की मांग की।

🌹धर्म बपौती नहीं है 🌹/ ओशो


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और किसी को वंशक्रम से नहीं मिलता।

धर्म प्रत्येक व्यक्ति की निजी उपलब्धि है और अपनी साधना से मिलता है।

इस समय सारी जमीन जिस भूल में पड़ी है, वह भूल यह है कि हम उस धर्म को, जिसे कि चेष्टा से, साधना से, प्रयास से उपलब्ध करना होगा, उसे हम पैदाइश से उपलब्ध मान लेते हैं! इससे बड़ा धोखा नहीं हो सकता। और जो आपको यह धोखा देता है, वह आपका दुश्मन है। जो आपको इसलिए जैन कहता हो कि आप जैन घर में पैदा हुए, वह आपका दुश्मन है, क्योंकि वह आपको ठीक अर्थों में जैन होने से रोक रहा है। इसके पहले कि आप ठीक अर्थों में जैन हो सकें, आप गलत अथर्ो में जो जैन हैं, उसे छोड़ देना होगा। इसके पहले कि कोई सत्य को पा सके, जो असत्य उसके मन में बैठा हुआ है, उसे अलग कर देना होगा।


तो यह तो मैं आपके संबंध में कहूं कि आप अपने संबंध में यह निश्चित समझ लें कि अगर आपका प्रेम और श्रद्धा केवल इसलिए है, तो वह श्रद्धा झूठी है। और झूठी श्रद्धा मनुष्य को कहीं भी नहीं ले जाती। झूठी श्रद्धा भटकाती है, पहुंचाती नहीं है। झूठी श्रद्धा चलाती है, लेकिन किसी मंजिल को निकट नहीं लाने देती है। झूठी श्रद्धा अनंत चक्कर है। और सच्ची श्रद्धा एक ही छलांग में कहीं पहुंचा देती है।

तो आपकी झूठी श्रद्धा छूटे। आपका यह खयाल मिट जाना चाहिए कि खून से और पैदाइश से मैं धार्मिक हो सकता हूं। धार्मिक होना अंतस-चेतना के परिवर्तन से होता है। यह तो पहली बात आपके संबंध में कहूं।

दूसरी बात आपके संबंध में यह कहना चाहूंगा कि शायद आपको यह पता न हो कि धर्म क्या है? आप रोज सुनते हैं--जैन धर्म, हिंदू धर्म, मुसलमान धर्म। ये सब नाम हैं, ये धर्म नहीं हैं। शायद आप सोचते हों कि धर्म का संबंध किन्हीं सिद्धांतों को याद कर लेने से है। शायद आप सोचते हों किसी तत्व-प्रणाली को, किसी फिलासफी को, किसी तत्व-दर्शन को सीख लेने से है। तो आप भूल में होंगे।

धर्म का संबंध किन्हीं सिद्धांतों के स्मरण कर लेने से और याद कर लेने से नहीं है। आपको सारे सिद्धांत याद हो जाएं, तो भी आप धार्मिक नहीं बन सकेंगे। स्मृति से धर्म का क्या संबंध है? कोई भी संबंध नहीं है। यह हो सकता है कि आप सारे धर्म के सिद्धांत दोहराने लगें, वे आपकी वाणी और विचार में प्रविष्ट हो जाएं, उससे कुछ भी न होगा।

बहुत लोग समझते हैं धर्म के संबंध में कुछ जान लेंगे तो धार्मिक हो जाएंगे! धर्म के संबंध में कुछ भी जानने से कोई धार्मिक नहीं होता। कोई धार्मिक हो जाए तो धर्म के संबंध में सब जान लेता है। इस सूत्र को मैं पुनः दोहराऊं, धर्म के संबंध में जान लेने से कोई धार्मिक नहीं होता, धार्मिक कोई हो जाए तो धर्म के संबंध में सब जान लेता है।


❣️ओशो❣️

महावीर या महाविनास

चरित्रहीन_कौन? / ओशो

  


पुरुष

बंद कमरे में बिकता है 

स्त्री भरी मेहफिल बिक जाती है....!! 

फर्क बस इतना है कि... 

पुरुष दूल्हा कहलाता है और 

स्त्री चरित्रहीन कहला जाती है..!!


औरतों के चरित्र को 

बेवजह बिगाड़ने वाले विद्वान !

यदि हम पुरुष चरित्रवान होते 

तो कभी कोई औरत वेश्या न कहलाती...!


एक औरत को चरित्रहीन कहने वाला आदमी

तन्हाई में जब अपनी हवस पूरी करता है 

तो उस औरत के पांव भी चूमता है..!


जो हमेशा तबायफ के कोठे पर सब से छुप कर जाता है, 

वही स्त्री को बदचलन और खुद को पाक बताता है..!!


पोलियो से ज्यादा खतरनाक है•••••••• 

चरित्र की विकलांगता....!!


  🙏🙏

ओशो दर्शन

 सद् गुरु ओशो से अपरिचित मित्रों के लिए..


,,   ,,,,    ,,,, मित्रों। ,,,,       ,,,,,,


मेरे सद् गुरु ओशो ऐसे हैं जैसे हिमाच्छादित हिमालय। पर्वत तो और भी हैं, हिमाच्छादित पर्वत और भी हैं, पर हिमालय अतुलनीय है। उसकी कोई उपमा नहीं है। हिमालय बस हिमालय जैसा है। मेरे सद् गुरु ओशो बस महासागर जैसे। पूरी मनुष्य-जाति के इतिहास में ऐसा महिमापूर्ण नाम दूसरा नहीं। मेरे सद् गुरु ओशो ने जितने हृदयों की वीणा को बजाया है, उतना किसी और ने नहीं बजाया, मेरे सद् गुरु ओशो के माध्यम से जितने लोग जागे और जितने लोगों ने परम- भगवत्ता उपलब्ध की है, उतनी किसी और के माध्यम से नहीं हुएं।  मेरे सद् गुरु ओशो की वाणी अनूठी है। और विशेषकर उन्हें जो सोच-विचार, चिंतन-मनन, विमर्श के आदी हैं।   हृदय से भरे हुए लोग सुगमता से परमात्मा की तरफ चले जाते हैं। लेकिन हृदय से भरे हुए लोग कहां हैं न और हृदय से भरने का कोई उपाय भी तो नहीं है। हो तो हो, न हो तो न हो। ऐसी आकस्मिक, नैसर्गिक बात पर निर्भर नहीं रहा जा सकता। मेरे सद् गुरु ओशो ने उनको चेताया जिनको चेताना सर्वाधिक कठिन है-विचार से भरे लोग, बुद्धिवादी, चिंतन-मननशील।  प्रेम और भाव से भरे लोग तो परमात्मा की तरफ सरलता से झुक जाते हैं; उन्हें झुकाना नहीं पड़ता। उनसे कोई न भी कहे, तो भी वे पहुंच जाते हैं; उन्हें पहुंचाना नहीं पड़ता। लेकिन वे तो बहुत थोड़े हैं और उनकी संख्या रोज थोड़ी होती गयी है। उंगलियों पर गिने जा सकें, ऐसे लोग हैं। मनुष्य का विकास मस्तिष्क की तरफ हुआ है। मनुष्य मस्तिष्क से भरा है। इसलिए जहां जीसस हार जाएं, जहां कृष्ण की पकड़ न बैठे, वहां भी मेरे सद् गुरु ओशो नहीं हारते है, वहां भी  प्राणों के अंतरतम में पहुंच जाते हैं। मेरे सद् गुरु ओशो का धर्म बुद्धि का धर्म है। बुद्धि पर उसका आदि तो है, अंत नहीं। शुरुआत बुद्धि से है। प्रारंभ बुद्धि से है। क्योंकि मनुष्य वहा खड़ा है। लेकिन अंत, अंत उसका बुद्धि में नहीं है। अंत तो परम अतिक्रमण है, जहां सब विचार खो जाते हैं, सब बुद्धिमत्ता विसर्जित हो जाती है; जहां केवल साक्षी, मात्र साक्षी शेष रह जाता है। लेकिन मेरे सद् गुरु ओशो का प्रभाव उन लोगों में तत्‍क्षण अनुभव होता है जो सोच-विचार में कुशल हैं।  मेरे सद् गुरु के साथ मनुष्य-जाति का एक नया अध्याय शुरू हुआ। वर्षों  पहले मेरे सद् गुरु ओशो ने  कहा जो आज भी सार्थक' मालूम पड़ेगा, और जो आने वाली सदियों तक सार्थक रहेगा। मेरे सद् गुरु ओशो ने विश्लेषण दिया, एनालिसिस दी। और जैसा सूक्ष्म विश्लेषण उन्होंने किया, कभी किसी ने न किया था, और फिर दुबारा कोई न कर पाया। उन्होंने जीवन की समस्या के उत्तर शास्त्र से नहीं दिए, विश्लेषण की प्रक्रिया से दिए। मेरे सद् गुरु ओशो धर्म के पहले वैज्ञानिक हैं। उनके साथ श्रद्धा और आस्था की जरूरत नहीं है। उनके साथ तो समझ पर्याप्त है। अगर तुम समझने को राजी हो, तो तुम मेरे सद् गुरु ओशो की नौका में सवार हो जाओगे। अगर श्रद्धा भी आएगी, तो समझ की छाया होगी। लेकिन समझ के पहले श्रद्धा की मांग मेरे सद् गुरु ओशो की नहीं है। मेरे सद् गुरु ओशो यह नहीं कहते कि जो मैं कहता हूं, भरोसा कर लो। मेरे सद् गुरु ओशो कहते हैं, सोचो, विचारों, विश्लेषण करो, खोजो, पाओ अपने अनुभव से, तो भरोसा कर लेना।       दुनिया के सारे धर्मों ने भरोसे को पहले रखा है, सिर्फ मेरे सद् गुरु ओशो को छोड़कर। दुनिया के सारे धर्मों में श्रद्धा प्राथमिक है, फिर ही कदम उठेगा। मेरे सद् गुरु ओशो ने कहा, अनुभव प्राथमिक है, श्रद्धा आनुसांगिक है। अनुभव होगा, तो श्रद्धा होगी। अनुभव होगा, तो आस्था होगी।       इसलिए मेरे सद् गुरु ओशो कहते हैं, आस्था की कोई जरूरत नहीं है; अनुभव के साथ अपने से आ जाएगी, तुम्हें लानी नहीं है। और तुम्हारी लायी हुई आस्था का मूल्य भी क्या हो सकता है? तुम्हारी लायी आस्था के पीछे भी छिपे होंगे तुम्हारे संदेह। तुम आरोपित भी कर लोगे विश्वास को, तो भी विश्वास के पीछे अविश्वास खड़ा होगा। तुम कितनी ही दृढता से भरोसा करना चाहो, लेकिन तुम्हारी दृढ़ता कंपती रहेगी और तुम जानते रहोगे कि जो तुम्हारे अनुभव में नहीं उतरा है, उसे तुम चाहो भी तो भी कैसे मान सकते हो? मान भी लो, तो भी कैसे मान सकते हो? तुम्हारा ईश्वर कोरा शब्दजाल होगा, जब तक अनुभव की किरण न उतरी हो। तुम्हारे मोक्ष की धारणा मात्र शाब्दिक होगी, जब तक मुक्ति का थोड़ा स्वाद तुम्हें न लगा हो। बुद्ध ने कहा : मुझ पर भरोसा मत करना। मैं जो कहता हूं उस पर इसलिए भरोसा मत करना कि मैं कहता हूं। सोचना, विचारना, जीना। तुम्हारे अनुभव की कसौटी पर सही हो जाए, तो ही सही है। मेरे कहने से क्या सही होगा!       बुद्ध के अंतिम वचन हैं : अप्प दीपो भव। अपने दीए खुद बनना। और तुम्हारी रोशनी में तुम्हें जो दिखायी पड़ेगा, फिर तुम करोगे भी क्या-आस्था न करोगे तो करोगे क्या? आस्था सहज होगी। उसकी बात ही उठानी व्यर्थ है। मेरे सद् गुरु ओशो का धर्म विश्लेषण का धर्म है। लेकिन विश्लेषण से शुरू होता है, समाप्त नहीं होता वहा। समाप्त तो परम संश्लेषण पर होता है। मेरे सद् गुरु ओशो का धर्म संदेह का धर्म हैं। लेकिन संदेह से यात्रा शुरू होती है, समाप्त नहीं होती। समाप्त तो परम श्रद्धा पर होती है।       इसलिए बुद्ध को समझने में बड़ी भूल हुई। क्योंकि मेरे सद् गुरु ओशो संदेह की भाषा बोलते हैं। तो लोगों ने समझा, यह संदेहवादी है। हिंदू तक न समझ पाए, जो जमीन पर सबसे ज्यादा पुरानी कौम है। मेरे सद् गुरु ओशो निश्चित ही बड़े अनूठे हैं, तभी तो चलाक होसियार लोग समझने से चूक रहे हैं। होशियारो को यह मेरे सद् गुरु ओशो खतरनाक मालूम पड़ते हैं, घबड़ाने वाला लगते हैं। इसलिए, मुझे चालाको, होशियारो से कोई संबंध नहीं हैं,  🙋‍♂️🙏🏻🌷🕊😌

मंगलवार, 28 सितंबर 2021

खबर ही खबर / सूरज यादव

: *किसान संगठनों के आह्वान पर सोमवार को आहूत भारत बंद राज्य में कहीं असरदार*


तो कहीं मिला-जुला रहा। इस बंद का सबसे ज्यादा असर बसों और ऑटो के परिचालन पर रहा। बंद समर्थकों ने कहीं-कहीं ट्रेनें भी रोकीं। इस कारण यात्रा करने वाले लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ा। 


राजधानी पटना में लगभग 11 बजे राजद, कांग्रेस, वामदल व अन्य संगठनों के नेता पटना जंक्शन के पास बुद्ध स्मृति पार्क पहुंचे। वहां से महागठबंधन के सभी नेताओं के नेतृत्व में जुलूस फ्रेजर रोड होते हुए डाकबंगला चौराहा पहुंचा, लेकिन पुलिस ने उन्हें आगे बढ़ने से रोक दिया। नेता गांधी मैदान जाना चाह रहे थे। उसके बाद डाकबंगला चौराहे को जाम कर नेताओं ने कार्यकर्ताओं को संबोधित किया। लगभग दो घंटे चली सभा को राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह, अब्दुलबारी सिद्दीकी, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा, श्याम सुंदर सिंह धीरज आदि ने संबोधित किया। वहीं, पटना के बैरिया स्थित अंतरराज्यीय बस स्टैंड से बसें कम खुलीं। राजधानी के ज्यादातर रूटों पर 11 बजे तक ऑटो कम चले। पटना जंक्शन के पास बस रोकने पर बंद समर्थकों और पुलिस में तीखी झड़प भी हुई। पटना विश्वविद्यालय के मुख्य गेट पर छात्र संगठनों ने आगजनी कर अशोक राजपथ घंटों जाम रखा। इस दौरान 14 छात्र नेताओं को हिरासत में लिया गया। सीवान, छपरा, बक्सर, औरंगाबाद व नवादा में बंद का असर आंशिक रहा। बाजार व स्कूल खुले रहे। सड़कों पर परिचालन भी सामान्य रहा।


पिंडदान के कारण भारत बंद से गया शहर को मुक्त रखा गया। संयुक्त किसान मोर्चा ने इसकी पहले ही घोषणा कर दी थी। इस कारण भारत बंद का असर शहर में नहीं दिखा। वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में बंद कर असर दिखा। शेरघाटी में जीटी रोड जाम कर विरोध जताया गया। 


महागठबंधन ने तीनों कृषि कानून वापस लेने तक आंदोलन जारी रखने का एलान किया। साथ ही कहा कि इसके लिए सड़क के साथ सदन में भी आवाज बुलंद की जाती रहेगी। जब तक केन्द्र सरकार संज्ञान नहीं लेती तब हम अपनी आवाज बुलंद करते रहेंगे। कृषि प्रधान इस देश में किसानों के साथ धोखाधड़ी नहीं चलने वाली है। हर हाल में कानून वापस लेना होगा। आंदोलन में महागठबंधन नेताओं ने एकजुटता दिखाई।



: *दूसरे चरण के पंचायत चुनाव को लेकर प्रचार अभियान सोमवार को समाप्त* हो गया। दूसरे चरण के चुनाव को लेकर 34 जिलों के 48 प्रखंडों में 29 सितंबर को मतदान होगा। दूसरे चरण के चुनाव क्षेत्रों में उम्मीदवारों ने अपनी पूरी ताकत चुनाव प्रचार में झोंक दी है। 




राज्य निर्वाचन आयोग के अनुसार दूसरे चरण के चुनाव को लेकर 76, 279 उम्मीदवारों ने नामांकन पत्र दाखिल किया है। इनमें सर्वाधिक 41,405 उम्मीदवारों ने पंचायत सदस्य के लिए नामांकन पत्र दाखिल किया। इस चरण के लिए 36,111 पुरुषों ने और 40168 महिलाओं ने नामांकन पत्र दाखिल किया। इस चरण के लिए नामांकन दाखिल करने के अंतिम दिन सोमवार को 14,511 नामांकन पत्र दाखिल किए गए। जिनमें 6124 पुरुष व 8387 महिलाओं ने नामांकन दाखिल किया। 


आयोग के अनुसार, दूसरे चरण के नामांकन के तहत ग्राम कचहरी पंच के 10,353 पदों के विरुद्ध 17,042, ग्राम कचहरी सरपंच के 699 सीट के विरुद्ध 4072, मुखिया के 699 सीटों के विरुद्ध 6277, ग्राम पंचायत सदस्य के 10,353 पदों के विरुद्ध 41,405, जिला परिषद सदस्य के 109 पदों के विरुद्ध 1204, पंचायत समिति सदस्य के 948 सीटों के विरुद्ध 6279 उम्मीदवारों ने नामांकन पत्र दाखिल किए हैं। 


आयोग के अनुसार, दूसरे चरण के पंचायत चुनाव को लेकर 9886 बूथों का गठन किया गया है, जहां मतदान होगा। सभी बूथों को 6543 मतदान केंद्र भवनों में बनाया गया है।





: *पंजाब में कांग्रेस पार्टी को बड़ा झटका


पंजाब कांग्रेस* कमेटी के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। हालांकि उन्होंने पार्टी में बने रहने की बात कही है। सिद्धू ने सोनिया गांधी को पत्र के मध्यम से इस्तीफे की जानकारी दी है। 


उन्होंने सोनिया गांधी को लिखी चिट्ठी में कहा, 'किसी के चरित्र के पतन की शुरुआत समझौते से होती है। मैं पंजाब के भविष्य और पंजाब के कल्याण के एजेंडे पर कभी समझौता नहीं कर सकता। इसलिए मैं पंजाब कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देता हूं। कांग्रेस की सेवा करता रहूंगा।' 


उल्लेखनीय है कि बीते कुछ महीनों से पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से उनकी तकरार चल रही थी। बाद में कैप्टन ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद कांग्रेस ने चरणजीत सिंह चन्नी को पंजाब का सीएम बनाया। इसके बादा माना जा रहा था कि पंजाब में कांग्रेस ने सबकुछ ठीक कर लिया है। हालांकि, अब सिद्धू ने इस्तीफा देकर सभी को चौंका दिया है। 


जानकारों के मुताबिक, कैप्टन अमरिंदर सिंह के इस्तीफे के बाद नवजोत सिंह सिद्धू खुद सीएम बनना चाहते थे, लेकिन पार्टी ने कुछ और ही फैसला किया। पार्टी के इस फैसले को सिद्धू ने उस समय तो स्वीकार कर लिया। हालांकि, अब इस्तीफे के बाद इसकी पुष्टि होती दिख रही है कि सिद्धू सीएम नहीं बनाए जाने के अपनी पार्टी के फैसले से नाराज चल रहे थे।



 *जम्मू कश्मीर के उरी सेक्टर में एक ऑपरेशन के दौरान लश्कर-ए-तैयबा का एक आतंकी* जिंदा पकड़ा गया है। भारतीय सेना के अधिकारियों ने एएनआई से बातचीत में कहा कि आतंकी अली बाबर पात्रा ने सेना के सामने आत्मसमर्पण किया है। आतंकी पाकिस्तान के पंजाब के ओखरा का रहने वाला बताया जा रहा है। 


19 इन्फैंट्री डिवीजन के जीओसी मेजर वीरेंद्र वत्स का कहना है कि पिछले कुछ दिनों से जारी उरी ऑपरेशन के दौरान सेना को बड़ी सफलता मिली है। सात दिनों के इस ऑपरेशन में अभी तक सेना 7 आतंकियों को मार चुकी है, जबकि एक आतंकी जिंदा पकड़ा गया है। इसके अलावा इस ऑपरेशन में सेना को एके 47 के सात हथियार, 9 पिस्टल और रिवॉल्वर बरामद हुए हैं। साथ ही 80 से अधिक ग्रेनेड और भारतीय और पाकिस्तना की बड़ी मात्रा में करेंसी बरामद हुई है। 


सेना के अधिकारियों ने बताया कि गिरफ्तार आतंकी बाबर की उम्र महज 19 साल है. अली बाबर आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का सदस्य है. जो पाकिस्तान में करीब तीन महीने की आतंकी ट्रेनिंग ले चुका है. आतंकियों की घुसपैठ का मकसद 2016 के उरी जैसे बड़े हमले को अंजाम देना था.



सूरज:


 *ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) ने रेलवे के सीनियर सेक्शन इंजीनियर चंद्रेश्वर प्रसाद यादव की 3.44 करोड़ की संपत्ति* को जब्त कर लिया। चन्देश्वर यादव के खिलाफ सीबीआई ने आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज किया था। 


गौरतलब है कि ईडी ने रेलवे का स्क्रैप बेचने के मामले में पूर्व रेलवे जमालपुर के तत्कालीन सीनियर सेक्शन इंजीनियर चंद्रेश्वर प्रसाद यादव को गिरफ्तार किया था। 

इसी मामले में मेसर्स श्री महारानी स्टील के मालिक देवेश कुमार को 13 अगस्त को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। अभियुक्तों पर आरोप है कि रेलवे के स्क्रैप (रेल वैगन का पुराना हिस्सा) को मोटी रकम लेकर महारानी स्टील को औने-पौने दाम में बेच दिया था। इसके कारण रेलवे को लगभग 34 करोड़ रुपये का चूना लगा था। उक्त स्क्रैप के कस्टोडियन तत्कालीन सेक्शन इंजीनियर चंद्रेश्वर प्रसाद यादव ही थे। इस मामले में कंपनी के फाइनांसर राकेश कुमार ने बताया था कि उक्त स्क्रैप को खरीदने के लिए रेलवे के पदाधिकारियों को मोटी रकम दी गयी थी।

रविवार, 26 सितंबर 2021

क्या यही सच हैं?/

 अपराधियों को भारत का शासक बताने वाले अक्षम्य अपराधी हैं


-प्रो. रामेश्वर मिश्र पंकज



वस्तुतः जिसे प्लासी का युद्ध कहते हैं, वह कोई

 युद्ध था ही नहीं ।

वह यह था कि सिराजुदौला के दीवान मोहनलाल से उसके ही अधीनस्थ मीर जाफर अली की खटक गई और उधर क्लाईव ने मीर जाफर को घूस देकर इस बात के लिये राजी किया कि जब हम सिराजुदौला से लड़ने आयेंगे तो तुम पूरी पलटन के साथ हमारी ओर आ जानाा। सिराजुदौला से लड़ाई के लिये भी अपनी मक्कारी और छल की आदत के अनुरूप क्लाईव ने एक झूठ रचा था कि सिराजुदौला के हुक्म से अनेक अंग्रेज स्त्री पुरूषों को मार कर एक कुयें में फेक दिया गया है। जबकि यह घटना कभी हुई ही नहीं थी। यह अवश्य है कि सिराजुदौला ने जगतसेठ की पुत्रवधू के प्रति बुरी दृष्टि डाली थी जिसका बदला जगतसेठ ने इस प्रकार क्लाईव को उकसा कर और कुछ रकम देकर लिया। उसी रकम का एक हिस्सा क्लाईव ने मीर जाफर को दे दिया। क्लाईव ने स्वयं लिखा है कि वह छल, तिकड़म, जालसाजी, फरेब और झूठ फैलाने में माहिर है और यही उसकी विशेषता है। जिसके कारण उसे कंपनी की नौकरी मिली थी कि भारत में जाकर कंपनी का कारोबार फैलाने के लिये आवश्यक छल-कपट करना।


 घूस खाये हुये मीर जाफर ने अपनी सेना के साथ अचानक पाला बदल लिया और बिना किसी युद्ध के क्लाईव और मीर जाफर वियजी हुये। बाद में मीर जाफर को भी डचों से मिलीभगत का झूठा आरोप लगाकर क्लाईव ने रास्ते से हटा दिया। 

 मीर जाफर का साथ देने के कारण क्लाईव को और उसकी कंपनी को मुर्शिदाबाद इलाके के तीन जिलों की लगान वसूली का गुमाश्तागिरी का काम दिया गया। क्लाईव चूंकि फरेबी और मक्कार था तथा आदतन झूठा था इसलिये वसूली गई लगान को वह अपने साथ लंदन ले जाता था और नवाब से कह देता था कि क्या करें आपकी प्रजा ने लगान दिया ही नहीं है। गुमाश्तागिरी के मामले में की गई इस नमकहरामी और चोरी को ही कुछ लोग कई गुना बढ़ाकर कंपनी द्वारा भारत की लूट बताते हैं। चोरी से ले जायी जाने वाली यह रकम और गहने, जेवर उन कंगलों और फटेहाल अंग्रेजों के लिये जो मजबूरी में अपने देश से बाहर इस तरह की नौकरी करने गये थे, बहुत अधिक थी परंतु भारत के लिये तो वह नगण्य ही थी। यह बात आज सभी अंग्रेज लेखकों को पता है। क्लाईव को भी अंत में अपनी इन्हीं टुच्ची हरकतों के कारण ब्लेड से हाथ की नस काट कर आत्महत्या करनी पड़ी थी। 


उसके बाद आये वारेन हेस्टिंग्स ने भी कुछ इसी तरह की लूट और छल फरेब किया था जिसके कारण उस पर इंग्लैंड की संसद में लंबा मुकदमा चला था जिसमें उस पर गंभीर अभियोग लगाये थे। (इसके लिये देखिये, प्रयाग से प्रकाशित ‘वारेन हेस्टिंग्स का मुकदमा’)

 इनमें  121 अभियोग अत्यन्त गंभीर थे। जिनमें से कुछ हैं - 

1 कुछ हिन्दू राजाओं और मुस्लिम नवाबों से लगान वसूली का जो अधिकार बंगाल, बिहार और उड़ीसा में कंपनी को मिला था उस अधिकार का हेस्टिंग्स और उसके साथियों ने जमकर दुरूपयोग किया और डकैतों से रक्षा के लिये जो रक्षक दल रखे थे, उनको कुछ दिनों बाद अपनी अलग सेना के रूप में विकसित किया गया जिसकी अनुमति उन्होंने कभी भी इंग्लैंड से प्राप्त नहीं की थी और भारत के राजाओं तथा नवाबों ने यह अनुमति अपनी परंपरा का ध्यान रखते हुये इसलिये दे दी कि वहां कभी भी व्यापारी लोग मर्यादा का उल्लंघन नहीं करते और सब के पास रक्षक दल होते हैं। परंतु वे कभी भी इनका दुरूपयोग राज्य प्राप्ति के लिये नहीं करते। 

2 कंपनी ने कभी भी इंग्लैंड के शासन से भारत में जाकर राजनीति करने का कोई अधिकार प्राप्त नहीं किया परंतु यह भारत में जाकर राजनीति कर रहा है और इसलिये वारेन हेस्टिंग्स राजद्रोह का अपराधी है। 

3 वारेन हेस्टिंग्स ने लगातार अवैध तरीकों से ही धन कमाया और भारत के राजाओं तथा नवाबों को यह झांसा दिया कि वह ब्रिटिश शासन की अनुमति से और उसके अंग के रूप में ही काम कर रहा है। ब्रिटिश शासन से मैत्री के इच्छुक राजाओं और नवाबों ने इसीलिये कंपनी की मनमानी भी बर्दाश्त की। उनकी इस भावना का कंपनी के कर्मचारी वारेन हेस्टिंग्स और उसके सहयोगियों ने दुरूपयोग कर अपराध किया। इसने वहां अमानवीय व्यवहार किये और अत्याचार किये तथा अपनी कंपनी के साथ भी भारी धोखाधड़ी की और वहां होने वाली आमदनी को कंपनी से छिपाकर स्वयं ही हड़प लिया। 

4 वारेन हेस्टिंग्स और उसके द्वारा रखे गये कंपनी के कर्मचारी कोई वकील बन बैठा और कोई जज जबकि वे लोग कानून का ए बी सी भी नहीं जानते थे और इस तरह भारत में कानून के प्रति सम्मान की जो सुदीर्घ परंपरा रही है उसके कारण लोगों ने इनकी जालसाजी को ब्रिटिश शासन के ही दोष माना जो राजद्रोह है और इंग्लैंड के कानून का अपमान करने की जानबूझ कर की गई साजिशन कार्रवाई है। 

5 हेस्टिंग्स ने भेदियों का बहुत बड़ा जाल वहां फैलाया और बंगाल, बिहार तथा उड़ीसा के नीचतम लोगों को अपने साथ लिया तथा बहुत भयानक रूप से पूरे इलाके में व्याभिचार फैलाया तथा कंपनी को व्याभिचारियों, अपराधियों, ठगों, जालसाजों और फरेबियों की एक संस्था ही बना दिया। जिसके कारण ईस्ट इंडिया कंपनी को लज्जा के दलदल में फसना पड़ा है। 

6 ब्रिटिश शासन से कोई भी अनुमति लिये बिना कानून के विषय में अनपढ़ और अज्ञानी ये लोग भारत में ब्रिटिश शासन की ओर से न्याय करने का झूठा नाटक करने लगे और कानून की धज्जियां उड़ाते हुये मनमाने निर्णय किये जिसके कारण ब्रिटिश न्याय के प्रति भारत में दुर्भाव पैदा हुआ और अश्रद्धा बढ़ी जिसका मुख्य अपराधी वारेन हेस्टिंग्स है। भारत के प्रमुख राजाओं ने इस विषय में ब्रिटिश शासन से संपर्क भी किये हैं क्योंकि भगवान की कृपा से वे लोग ब्रिटेन के विषय में अच्छी भावना रखते हैं और उससे मैत्रीसंबंध बढ़ाने को उत्सुक हैं। 

7 इन्होंने ब्रिटिश शासन की अनुमति के बिना भारत में जाकर शासक बनने का दुस्साहस किया और अपने दलालों को ही झूठा गवाह बनाकर अपने झूठे वकीलों से और झूठे जजों से मनमाना फैसला करवाया और उसे ही ब्रिटिश न्याय बताया जो भयंकर अपराध है और इंग्लैंड के कानून का अपमान है। 

8 भारत के लोगों में उच्चतम नैतिक अनुशासन है और वहां एक सुसभ्य व्यवस्था है तथा वहां के लोगों में शक्ति और दृढ़ता है। हेस्टिंग्स ने भारतीय समाज में इन गुणों को नष्ट करने के लिये नीचतम हथकंडे अपनाये। यह इसका गंभीर नैतिक अपराध है। 

9 हेस्टिंग्स ने बंगाल के एक नवाब मीरजाफर के दरबार में कंपनी की ओर से काम करते हुये वहां के सबसे नीच और धूर्त तथा भयंकर काम करने वाले कासिम अली खां से छल कपट और दुराचरण के हथकंडे सीखकर उस नवाब को ही मार डाला जिसने इसे शरण दी थी। 

10 झूठी जांच और झूठी अदालतों का फरेब से भरा नाटक लगातार खेलते हुये वारेन हेस्टिंग्स ने अनेक निर्दोष धनी लोगों को झूठे मुकदमें में फंसाया और झूठी गवाहियों के आधार पर उन्हें मृत्युदंड सुनाते हुये उनका सारा धन लूट लिया। ऐसे भयंकर अत्याचार वारेन हेस्टिंग्स ने लगातार किये जिसके कारण कंपनी के प्रति लोगों में गुस्सा बढ़ा और ब्रिटिश शासन के बारे में भी खराब राय बनी। इसने अनेक हत्यायें करायी। कई बार तो बिस्तर में शांति से सोये हुये लोगों की हत्यायें कराईं और फिर अफवाह फैला दी कि आग लगने से या बिजली गिरने से वे मरे हैं। 

11 इसने जानबूझकर हिन्दुओं का धर्मभ्रष्ट किया और ऐसे-ऐसे अत्याचार किये जिससे कि आतंक से लोग कांपने लगंे।

12 बंगाल का जगत सेठ बहुत बड़ा धनी व्यक्ति था और उसका व्यापारिक संबंध सारे संसार से था। बैंक ऑफ इंग्लैंड की भांति ही उसका कारोबार था। उसकी फर्म ही बंगाल में चांदी की खरीद करती थी और उसकी कृपा से ही कंपनी मुर्शिदाबाद में एक टकसाल खोल सकी थी। यह जगत सेठ अपनी सत्यनिष्ठा और धर्मनिष्ठा के लिये प्रसिद्ध था। वारेन हेस्टिंग्स के निर्देश पर कंपनी के कर्मचारियों ने जगतसेठ के समस्त परिवार की हत्या कर दी और उनकी पूरी धन-सम्पत्ति, गहने-जेवर तथा रत्न-आभूषण लूट लिये। इसके कुछ समय के भीतर उन सब भारतीयों की भी हत्या कर दी जिन्होंने इन भयंकर अपराधों में कंपनी के कर्मचारी के रूप में या कंपनी के मित्र के रूप में वारेन हेस्टिंग्स का साथ दिया था। 

13 भारतीय व्यापारियों पर झूठे आरोप लगाकर वे उनकी गद्दियां छीन लेते और फिर उन गद्दियों की नीलामी करते जिसमें जालसाजी और फरेब किया जाता तथा अक्सर सबसे ऊंची बोली लगाने वाले हिन्दू धनियों को वह गद्दी न देकर किसी मुसलमान को दे देते जो बदले में उनके बहुत से गलत काम करता था। राजा नंदकुमार तक के साथ यही धोखा-धड़ी की गई और मोहम्मद रजा खां के पक्ष में नीलामी घोषित कर दी। इस प्रकार घूसखोरी और पक्षपात का अंतहीन क्रम वारेन हेस्टिंग्स ने चलाया। 

14 यहां तक कि नवाबों और राजाओं के उत्तराधिकारी भी तय करने का दुस्साहस वारेन हेस्टिंग्स करने लगा। राजाओं पर झूठे मुकदमें चलाये गये और उनपर वारेन हेस्टिंग्स की हत्या का झूठा आरोप लगाकर झूठे गवाहों और नकली वकीलों के द्वारा मुकदमा चलवाकर झूठे जजों के द्वारा फांसी की सजा सुनाई जाती रही। ये जज ब्रिटिश शासन और ब्रिटिश कानून का क ख ग भी नहीं जानते थे। 

15 इस तरह इन्होंने उत्तरी भारत का आधा हिस्सा बर्बाद कर दिया और भारत के हमारे बड़े बाजार को खतरा पैदा हो गया। साथ ही हेस्टिंग्स ने भारत में राजनैतिक गुटबाजियों के द्वारा गृहयुद्ध फैलाया। अपने पापों को ढंकने के लिये हेस्टिंग्स ने भारत के बारे में और भारतीय समाज के बारे में झूठी बातें फैलाईं तथा वहां ऐसी बुराईयों का होना इंग्लैंड में प्रचारित किया जो वहां कभी थी ही नहीं। 

16 अब यह वारेन हेस्टिंग्स अपने पक्ष में यह तर्क दे रहा था कि मैं तो एक गरीब स्कूली लड़का था और इंग्लैंड से दूर उस अनजानी जगह में अपना स्थान बनाने के लिये जो कुछ वहां संभव लगा वह करता रहा और मैंने सारा व्याभिचार और अपराध वहां के ही कासिम अली खां जैसे लोगों से सीखा है। अतः मुझे क्षमा कर दिया जाये। यह इसका बहुत बड़ा फरेब और धूर्तता है। इसकी चालाकी क्षमा के योग्य नहीं है। 

17 शुरू में इसने इंग्लैंड की इस छोटी सी कंपनी - ईस्ट इंडिया कंपनी को भारत में लूट और फरेब से प्राप्त की गई दौलत मुनाफा बताकर दी। जिसके कारण इंग्लैंड में बैठे हुये कंपनी के डायरेक्टर्स ने उसे सफल कारोबारी मानकर इसके लिये धन्यवाद प्रस्ताव भी जारी किया। अपने बचाव में यह उसका उदाहरण दे रहा है।  जो इसके हथकंडों का ही एक और प्रमाण है।

18 इसने भारत के कुछ राजाओं को हत्या की धमकी देकर उनसे अपने पक्ष में प्रमाण पत्र प्राप्त किये हैं और कुछ नकली राजा भी इसने बनाये हैं। जिनके प्रमाण पत्र यह प्रस्तुत कर रहा है। भयादोहन और जालसाजी से प्राप्त इन प्रमाणपत्रों को प्रस्तुत कर यह अपना बचाव चाहता है। जो कि इसका एक और अपराध है। 

19 इसने अत्याचार, अपराण, हिंसा, लूटपाट और जोर-जबरदस्ती से लोगों से धन वसूलने और संपत्ति हड़पने को ही व्यापार का नाम दे रखा है। इसके पास अपहरण करने वालों का एक जाल था जिनके द्वारा वह लोगों का अपहरण कराता था और बदले में फिरौती वसूल करता था। धन नहीं मिलने की स्थिति का यह हत्या कर देता था।

20 इसने धनी लोगों के नौकरों से संबंध बनाये और उनसे झूठी शिकायतें करवाई तथा जाली वकीलों से उनकी पैरवी करवाई और फिर जाली जजों से कड़ी सजायें सुनवाईं। इस प्रकार इसने श्रेष्ठतम भारतीय परिवारों को बर्बाद कर दिया। राजा नंदकुमार जैसे शक्तिशाली और सुयोग्य व्यक्ति को, जिससे इसने भरपूर मदद प्राप्त की थी, बाद में झूठे आरोप लगाकर उन पर झूठा मुकदमा चलाया। जब राजा नंदकुमार ने अपने पक्ष में अकाट्य प्रमाण प्रस्तुत कर दिये तब भी वारेन हेस्टिंग्स ने अपने दोस्त न्यायाधीश के जरिये राजा नंदकुमार को दोषी घोषित कर फांसी पर चढ़ा दिया। यह इसके भयंकर अपराधों का एक भयावह उदाहरण है।

21 इसने कंपनी का कर्मचारी होते हुये भी राजाओं की तरह विलासिता करने का सिलसिला चलाया और वेश्याओं के साथ रंगरेलियां करते हुये उनसे गलत काम करवाता रहा और ऐसी कई वेश्याओं को, जैसे कि वेश्या मुन्नीबाई को, जागीरदार भी बना दिया। 

22 कई नवाबों से इसने प्रतिवर्ष लाखों रूपये वसूल किये और उसका चौथा हिस्सा ही यह कंपनी को देता रहा तथा शेष रकम स्वयं डकारता रहा। 

23 इसने ऐसे लोगों का जाल बिछाया जो लोगों के पारिवारिक रहस्यों को जानकर उन्हें ब्लेकमेल करते थे और फिर बरबाद कर देते थे। इस तरह इसने बहुत बड़ी अवैध कमाई की। 

24 इसने व्यापारिक कंपनी को कंपनी सरकार का झूठा नाम दिया जिसके लिये वह कभी भी अधिकृत नहीं था। इसने अपने इलाके में वेश्यालयों का जाल बिछा दिया और वहां से सुंदर युवतियां निरंतर कंपनी के लोगों को सुलभ कराईं जाती थीं। फिर उनसे शराब और स्वादिष्ट भोजन तथा सुगंधित तंबाकू के नशे में बेहोशी की हालत में दबाव देकर गंदे काम के लिये उनसे सहमति प्राप्त की जाती थी। लोगों की व्यभिचार की भावना को जगाकर उन्हीं से रूपये ऐंठकर उनकी मौज का इंतजाम करना इसका पेशा ही बन गया था। ऐसे लोगों का जाल बिछाकर इसने अंधाधुंध कमाई की और इस क्रम में बंगाल के परंपरागत जागीरदारों को जालसाजी से फंसाकर लूट लिया। उनसे कौड़ियों के मोल जमीनें खरीदीं और फिर हजारों के दाम उन्हें  बेचा। इस तरह से इसने अंतहीन कमाई की। 

25 बंगाल में मुसलमानों से युद्ध के दौरान मारे गये राजाओं की पत्नियां रानी बनीं क्येांकि बंगाल में धर्मशास्त्र की मिताक्षरा शाखा के अनुसार विधवा स्त्री ही संपूर्ण सम्पत्ति की मालिक होती है। इन उच्च वर्ग की स्त्रियों पर लगान की दरें बढ़ाने का दबाव देकर इसने मनमाना लगान वसूलना चाहा जिसे उन रानियों ने मना कर दिया तब इसने उनमें से कई को झूठे आरोपों में जेलों में बंद कर दिया और दबाव देकर कागजातों पर हस्ताक्षर कराये तथा उनकी जागीरों पर कब्जा कर लिया और फिर उन्हें नीलामी में ऐसे गंदे और गलत लोगों को बेच दिया जिन्होंने हेस्टिंग्स के इशारे पर अपनी जागीर के किसानों पर भयंकर अत्याचार किये और उनसे सब कुछ छीन लिया। इसके द्वारा किये गये अत्याचारों में कारीगरों और किसानों के हाथ काटकर उन्हें लूला बना देना, उंगलियां रस्सी से कसकर बांधकर बीच में लोहे की सलाखा जबरन घुसेड़कर असहय यंत्रणा देना और कोड़ों और जूतों से घंटो पिटाई करना जिससे आंख, नाक और मुंह से खून की धारा बहने लगे तथा कांटेदार हथियारों से लोगों को मारकर उनके शरीर को बुरी तरह फटने की स्थिति में डालकर मरने के लिये छोड़ देना शामिल है। 

26 जागीरदार परिवारों की और अन्य धनी परिवारों की सुन्दर कुंवारी कन्याओं को जबरन उठाकर लाया जाता और उनसे दुराचार किया जाता और फिर उन्हें वस्त्रविहीन स्थिति में सड़क पर खदेड़ दिया जाता जिससे कि उनकी इज्जत खत्म हो जाये। उनके स्तनों पर लाठियों और कुन्दों से प्रहार किया जाता। एडमन बर्क ने ऐसे अवर्णनीय अत्याचारों की विस्तृत सूची इंग्लैंड की संसद में प्रस्तुत की है।

27 बंगाल में ब्राह्मण बहुत सम्पन्न थे और अपने संस्कारों तथा ज्ञान के लिये प्रतिष्ठित थे। उन्हें जानबूझकर अपमानित करने के लिये बैल की पीठ पर बैठाकर शहर में ढोल पीटते हुये घुमाया जाता था। दबाव बनाकर उनसे जाली कागजातों पर हस्ताक्षर कराये जाते थे और फिर उनका सबकुछ लूट लिया जाता था। कई ब्राह्मण इज्जत खोने के डर से जंगलों में भाग कर छिप जाते जहां कई बार उन्हें बाघ या चीते खा जाते और अगर वे कुछ दिनों बाद जीवित रहने पर घर आते तो उन्हें किसी न किसी बहाने कत्ल कर दिया जाता। ऐसे अत्याचारों से जा रही कमाई अधिक दिन टिकने वाली नहीं थी। अतः यह व्यक्ति वारेन हेस्टिंग्स भारत के निवासियों का अपराधी है। विधवाओं और अनाथों की लूट का अपराधी है। विश्वासघात का अपराधी है। क्रूरता और हत्याओं का अपराधी है तथा अपहरण, लूट, घूसखोरी और छलफरेब का अपराधी है एंव स्त्रियों की प्रतिष्ठा नष्ट करने का अपराधी है इसके साथ ही यह ब्रिटेन के राष्ट्रीय चरित्र को कलंकित करने का अपराधी है और मानवप्रकृति का भी अपराधी है। 

 इस प्रकार स्पष्ट है कि कंपन के ये कर्मचारी नीचतम एवं घृणिततम अपराधी थे और इनके अपराध सदा के लिये अक्षम्य हैं। 

।परंतु इन कर्मचारियों की फरेबी कंपनी को उनके जाने के बाद भी कंपनी सरकार लिखना और भारत के सत्यनिष्ठ तथा न्यायप्रिय लोगों को वंचना और विश्वासघात के कारण कष्ट और यंत्रणा पाने की दशा को उनकी गुलामी बताना स्वयं में अक्षम्य अपराध है।


 ऐसे अपराधी भारतवर्ष में 15 अगस्त 1947 के बाद शिक्षित और प्रबुद्ध बनकर चारों ओर छा गये हैं।

✍🏻रामेश्वर मिश्रा पंकज

रवि अरोड़ा की नजर से

 उसका भी खाना खराब / रवि अरोड़ा



उर्दू के मशहूर शायर अब्दुल हमीद अदम मेरे पसंदीदा शायर हैं । उनका मुरीद मैं तीन वजह से हूं । पहली वजह है कि वे उस कस्बे तलवंडी में पैदा हुए जहां के बाबा नानक थे । दूसरी वजह यह है कि वे मेरे आदर्श प्रगतिशील आंदोलन से तपे शायर थे और तीसरी वजह है उनका यह कालजई शेर -  दिल खुश हुआ मस्जिद ए वीरां को देख कर , मेरी तरह खुदा का भी खाना खराब है । अब इस मुए कोरोना ने मुझ जैसे लाखों करोड़ों का खाना खराब तो  किया ही है । किसी ने अपनों को खोया तो किसी ने सेहत गंवाई । किसी का काम धंधा चौपट हुआ तो किसी का रोज़गार गया । अपनी सामाजिक,धार्मिक और आध्यात्मिक परंपराओं के चलते हमें हर बात के लिए ईश्वर को जिम्मेदार मानते का युगों से अभ्यास रहा है सो अब इस दौरे खाना खराबी में अपने इष्ट को बरी भी लोग बाग कैसे कर पा रहे हो होंगे । जाहिर है कि ऐसे में जब ईश्वर की भी खाना खराबी की कोई खबर मिले तो वहां ध्यान जाना स्वाभाविक ही है ।


 वैसे सकता हो कि यह मेरी दिमागी खलिश हो मगर इसे सिरे से खारिज तो शायद आप भी न कर सकें । खलिश यह है कि देश दुनिया में धर्म की दुकानें अब खतरे में हैं । हालांकि खतरे में तो धर्म भी है मगर अपनी बात के केंद्र मे इसे रख कर मैं आपको नाराज नहीं करना चाहता । पिछले डेढ़ साल से जब से कोरोना की आमद हुई है , अधिकांश धार्मिक स्थलों पर ताले लटक रहे हैं । दुर्गा पूजा, गणेश प्रतिमा विसर्जन, रामलीलाएं, कुंभ मेले, कांवड़ , अमरनाथ , चारधाम और जगन्नाथ रथयात्राओं पर तो ग्रहण लग ही गया है मजार और उर्स भी वीरान हो चले हैं।  हैरानी की बात यह है कि जिन धार्मिक स्थलों पर जाने की कोई पाबंदी नहीं है , वहां भी उतने लोग नही जा रहे जितने पहले जाते थे । नतीजा बड़े बड़े धार्मिक स्थल घाटे में हैं और उन्हें अपना खर्च निकालना भारी पड़ रहा है । और तो और देश का सबसे अमीर पद्मनाभ स्वामी मंदिर भी नुकसान में है । कल ही खबर आई है कि तिरुवंतपुरम स्थित इस मंदिर में रोजाना का चढ़ावा खर्च के लगभग आधा है । हो सकता है केरल में कोरोना के भारी प्रकोप के चलते यह मंदिर खाली पड़ा हो मगर उत्तराखंड में तो कोरोना नहीं है , वहां की चार धाम यात्रा क्यों पहले ही दिन वीरान रही ? अन्य धार्मिक स्थल भी अभी तक क्यों सूने हैं ? 


हमारे मुल्क में सभ्यता की शुरुआत से ही धर्म एक बड़ा बिजनेस मॉड्यूल रहा है । अगर इसे हम अपना सबसे पहला व्यवसाय कहें तो शायद अतिशोक्ति नही होगी । खेती, टेक्सटाइल और आई टी सेक्टर के बाद सबसे बड़ा रोजगार का साधन भी धर्म, उसके केंद्र और उन पर आश्रित व्यवसाय ही हैं । कहना न होगा कि कोरोना ने सब की हवा खराब कर दी है । खास बात यह कि महामारी ने कोई भेदभाव नहीं किया । आस्तिकों को भी उतना लपेटा जितना नास्तिकों को । अब आक्सीजन अथवा इलाज के बिना अपनों को मरते देख कर किसी आस्तिक का भक्ति भाव और मजबूत हुआ होगा, ऐसा नहीं हो सकता । बेशक लोग बाग हरि इच्छा को स्वीकार किए बैठे हों मगर उसके समक्ष नतमस्तक तो वे कदापि नहीं हुए होंगे । अपनो के लिए मांगी गई मन्नतें भी जब स्वीकार नहीं हुईं तो वह भी अपने पीछे कई सवाल छोड़ गई होंगी । जाहिर है ऐसे में धार्मिक स्थलों में भीड़ कम होने की वजह लोगों की डगमगाई आस्था भी थोड़ी बहुत जरूर होगी ।


मैं कतई उम्मीद नहीं कर रहा कि आप मेरी बात से सहमत हों । आपकी तरह मुझे भी पूरी उम्मीद है कि धार्मिक स्थानों पर कोरोना के खत्म होने के बाद पुनः भीड़ भाड़ होने लगेगी और तमाम धार्मिक स्थल फिर से गुलज़ार होंगे मगर फिर भी आज के हालात को देखते हुए तो आप भी अदम साहब को दाद देने से अपने कैसे रोक पाएंगे जिन्होंने दशकों पहले ही मस्जिद की वीरांनगी में खुदा की खाना खराबी पहचान ली थी ।

शनिवार, 25 सितंबर 2021

दूल्हे के इंतज़ार में बेज़ार लड़कियां

 यहां खूबसूरत लड़कियां को नहीं मिल रहा दूल्हा, इस वजह से करीब नहीं आते लड़के

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Updated: 22 Oct 2020, 10:27 PM IST

हम बात कर रहे हैं ब्राजील के नोइवा में स्थित एक कस्बे की। पहाड़ियों के बीच एक छोटा-सा गांव है और यहां रहने वाली खूबसूरत महिलाएं प्यार के लिए तरसती हैं। ऐसे ही ब्राजील के इस नोइवा दो कोरडेएरो कस्बे में भी हैं। यहां करीब 600 महिलाओं वाले इस गांव में अविवाहित पुरुषों का मिलना बहुत मुश्किल है और शादी के लिए यहां की लड़कियों की तलाश अधूरी है।

हम सभी जानते है कि वर्तमान में लड़कों के मुकाबले लड़कियों की संख्या कम होती जा रही है। ऐसे में लिंगानुपात की समस्याएं भी देखी जा रही है। आज आपको एक ऐसे गांव के बारे में बता रहे है जहां पर लड़कियों आपने सपनों के राजकुमार के लिए तरस रही है। वो जहां रहती है वां कोई भी मर्द नहीं रहता जिसके कारण वो उनके लिए तरसती है। हम बात कर रहे हैं ब्राजील के नोइवा में स्थित एक कस्बे की। पहाड़ियों के बीच एक छोटा-सा गांव है और यहां रहने वाली खूबसूरत महिलाएं प्यार के लिए तरसती हैं। ऐसे ही ब्राजील के इस नोइवा दो कोरडेएरो कस्बे में भी हैं। यहां करीब 600 महिलाओं वाले इस गांव में अविवाहित पुरुषों का मिलना बहुत मुश्किल है और शादी के लिए यहां की लड़कियों की तलाश अधूरी है।

 

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सभी काम संभालती हैं महिलाएं
नोइवा कस्बे की लड़कियों को आज भी शादी लायक लड़के की तलाश है। यहां ऐसी हजारों लड़कियां हैं जिन्हें आज भी अपने सपनों के राजकुमार का इंतजार है। ब्राजील के कोरडयरो गांव में लड़कियों की नहीं बल्कि लड़कों की संख्या कम है। इसी वजह से इस गांव में पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं की ज्यादा चलती है। खेती और पशुपालन से संबंधित काम भी यहां लड़कियां ही करती हैं। यहां रहने वाली नेल्मा फर्नांडिस ने बताया था कि कस्बे में शादीशुदा मर्द हैं या फिर कोई रिश्तेदार। कस्बे में रहने वाली कुछ महिलाएं शादीशुदा हैं, लेकिन उनके पति भी साथ नहीं रहते। ज्यादा महिलाओं के पति और 18 साल से बड़े बेटे काम के लिए कस्बे से दूर शहर में रहते हैं। यहां खेती-किसानी से लेकर बाकी सभी काम कस्बे की महिलाएं ही संभालती हैं।

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मर्द ही उनके साथ आ कर रहें
इस गांव में महिलाओं की संख्या 600 है। हालांकि शादी के लिए यहां की खूबसूरत महिलाएं कस्बे को छोडक़र नहीं जाना चाहती। एक मीडिया रिपोर्ट की मानें तो वहां की लड़कियां चाहती हैं कि शादी के बाद लडक़ा उनके कस्बे में आकर उन्हीं के नियम-कायदों का पालन कर रहे। इस गांव में शादीशुदा पुरुषों की संख्या भी काफी कम है। इसलिए वो चाहती है कि मर्द ही उनके साथ आ कर रहें। कस्बे की महिलाओं में ज्यादातर की उम्र 20 से 35 साल के बीच है।