दिल्ली भले ही देश का दिल हो, मगर इसके दिल का किसी ने हाल नहीं लिया। पुलिस मुख्यालय, सचिवालय, टाउनहाल और संसद देखने वाले पत्रकारों की भीड़ प्रेस क्लब, नेताओं और नौकरशाहों के आगे पीछे होते हैं। पत्रकारिता से अलग दिल्ली का हाल या असली सूरत देखकर कोई भी कह सकता है कि आज भी दिल्ली उपेक्षित और बदहाल है। बदसूरत और खस्ताहाल दिल्ली कीं पोल खुलती रहती है, फिर भी हमारे नेताओं और नौकरशाहों को शर्म नहीं आती कि देश का दिल दिल्ली है।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग विश्वविद्यालय शिक्षा के समन्वय तथा स्तरों के अभिनिर्धारण एवं देख-रेख के लिए 1956 में संसद के अधिनियम द्वारा पारित स्थापित एक सांविधिक संगठन है। योग्य विश्वविद्यालयों एवं कॉलेजों को अनुदान प्रदान करने के अतिरिक्त, आयोग केन्द्र तथा राज्य सरकारों को उन मापदण्डों के बारे में भी सलाह देता है, जो उच्चतर शिक्षा के विकास के लिए आवश्यक है।
वर्ष 1956 में स्थापित किया गया विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, विश्वविद्यालय शिक्षा की उन्नति तथा समन्वय के लिए आवश्यक क़दम उठाने एवं विश्वविद्यालय में अध्ययन, परीक्षा तथा अनुसंधान क स्तर निर्धारित करने और उसको सुनिश्चित रखने गुरुतर कार्य करता है।
इसे विश्वविद्यालय की आर्थिक आवश्यकताओं की जांच- पड़ताल करने और उन्हें समुचित अनुदान देने का भी अधिकार है। यह आयोग नये विश्वविद्यालय की स्थापना तथा उच्चतर शिक्षा सम्बन्धी अन्य विषयों पर सरकार को सलाह भी देती है।
आयोग ने 102 कॉलेजों को स्वायत्त दर्पण प्रदान किया है-
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