बुधवार, 19 अक्तूबर 2022

प्रधानमंत्री से भी ज्यादा पावरफुल हैं निगम का यह इंसपेक्टर

प्रधानमंत्री मोदी से भी ज्यादा पावरफुल हैं निगम का यह इंसपेक्टर सिंघल ?


 सुधीर कुमार

नयी दिल्ली. 

 भारत के सबसे लोकप्रिय ताक़तवर और दबंग प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदर मोदी से भी ज्यादा पावरफुल और बेधड़क दिल्ली नगर निगम का एक इंस्पेक्टर हैं मनमोहन सिंघल. जिसका  बाल बांका प्रधानमंत्री भी नहीं कर सके.  फैक्ट्री लाइसेंसिंग विभाग में कार्यरत इस इंस्पेक्टर के खिलाफ 400 से भी अधिक कम्प्लेन होने के बावजूद इसका करप्शन राज जारी हैं. .  दर्जनों RTI  लगाने पीएमओ द्वारा दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव को कार्रवाई  का निर्देश देने के बाद भी इसका केवल ट्रांसफर किया गया हैं केंद्रीय सूचना आयोग के निर्देश के बावजूद पूरा नगर निगम अपने इस भ्र्ष्ट इंसपेक्टर के  बचाव में झूठ सच और तथ्यों को तोड़  मरोड़कर इसके बचाव में लगा हैं 


 केंद्र की भाजपा सरकार के प्रधानमंत्री मोदी जहाँ ना खाऊंगा ना खाने दूंगा का नारा बुलंद कर करप्शन मुक्त भारत का हसीन  सपना देख और संजो रहें हैं तो उसी भाजपा शासित दिल्ली नगर निगम  में भाजपाई पार्षद अपने इस भ्र्ष्ट पुत्र सिंघल के पार्टनर बन कर करप्शन की गंगा बहा रहें थे. निगम कमिश्नर से लेकर निगम के दर्जनों DC  सिंघल के चाकर  की तरह भ्र्ष्ट कमाई के हिस्सेदार बने हुए हैं. 

लम्बे समय तक पर्सनल विभाग के प्रभारी के साथ फैक्ट्री लाइसेंसिंग (FL ) विभाग के भी प्रभारी रहें जिनके काल में सिंघल की मनमानियों का खेल चला और जमकर कमाई की गयी.RTI  कार्यकर्त्ता की सक्रियता को देखते हुए  तत्कालीन प्रशासनिक और सूचना अधिकारी राजेश डोगरा ने RTI  कार्यकर्ता दर्शनलाल को अपने कार्यालय में बुलाकर साफ कह दिया की मनमोहन सिंघल के खिलाफ MCD  में कोई एक्शन नहीं हो सकती क्योंकि उसकी पहुँच ऊपर तक हैं और एक्शन लेने वाले लोग ही उसके हमदर्द  हैं.   अलबत्ता पीएमओ और सूचना आयोग की सक्रियता को देखते हुए सिंघल का ट्रांसफर अभी नदी नालों  की सफाई करने वाले विभाग डेन्स  में किया जा चुका हैं जहाँ से वः MCD  के विभिन्न विभागों में तैनात अपने पार्टनर अधिकारियो  से मनमाना कार्य करा रहा हैं.तो बवाना के इंसपेक्टर दिनेश डबास के मार्फत सिंघल का करप्शन गेम चालू हैं.  

 इन्हें विभिन्न स्थानों  पर भेज भेज कर करप्शन लीला बदस्तूर बरकरार जारी  हैं.  हैरानी हैं  की सिंघल के खिलाफ सैकड़ो शिकायतों को फ़र्ज़ी गलत पता और कोई जवाब नहीं आया का तकनीकी तर्कों कुतर्को से इसके खिलाफ सारे आरोपों को खारिज कर तमाम जांच  विभागों ने MCD  के भ्र्ष्ट इंस्पेक्टर को क्लीन चिट  देकर उसको करप्शन मुक्त कर दिया हैं.  जिससे जाँच एजेंसियो की कार्रवाई पर ही संदेह होता हैं. MCD की अनदेखी के खिलाफ RTI कार्यकर्त्ता दर्शनलाल ने बताया की सारे दस्तावेज को एक शिकायती पत्र के साथ सीबीआई  और ED के पास भी भेजने की क़ानूनी तैयारी की जा रही हैं ताकि सिंघल सहित उसके हमदर्द सभी अधिकारियो की वैध अवैध सम्पतियों  बेनामी धन पकड़ में अस सके. 


MCD  यानी दिल्ली नगर निगम  को अब  मोस्ट करप्ट डिपार्टमेंट भी कहा जाता हैं .  सबसे भ्र्ष्ट विभाग की तरह कुख्यात MCD  में हरि  कथा अनंत,  हरि  कथा अनंता की तरह घपले घोटालो रिश्वत की कोई सीमा ही नहीं हैं.  लगभग सभी विभाग में एक से बढ़ कर अनेक भ्र्ष्ट अधिकारियो और  उनके एजेंट का जलवा हैं.और हमेशा भ्र्ष्ट अधिकारी कर्मचारी नेता ठेकेदारों की ही तूती  रही हैं. 

 भ्र्ष्ट नगर निगम के घपले घोटालो की इस कड़ी का नायक एक FL  इंसपेक्टर हैं,  जिसका नाम मनमोहन सिंघल हैं.  मंत्री से लेकर संत्री और कमिश्नर से लेकर MCD सदन में  पक्ष विपक्ष के तमाम नेताओ को भी सिंघल ने अपने पाले  का चाकर सा बना रखा हैं. सिंघल के मनमाने की खबरे लगातार चर्चे में रही मगर इसके खिलाफ आवाज़ नहीं उठ सकी. इसके मनमानियों का चरम सीमा  कार्मिक अधिकारी गोपाल अग्रवाल  के समय सबसे अधिक हो गया, जब कार्मिक विभाग के साथ गोपाल को FL विभाग का अतिरिक्त प्रभार दिया गया तब तो सिंघल  ने जमकर ढेरों गलत कार्य किये और कराये.  गोपाल और सिंघल की जोड़ी ने भी जमकर नगर निगम में गदर मचाया, अपने विरोधियो का फटाफट ट्रांसफर कर कमाई का नया रास्ता भी  अपनाया गया बाद में कार्मिक अधिकारी गोपाल की शिकायतों पर एक्शन लेते हुए  निगम से बाहर भेजा गया. मगर सभी कामो के सूत्रधार रहें सिंघल की सेहत पर कोई आंच नहीं आयी.

: नगर निगम के सभी विभागों में एक सिंडिकेट माफिया की तरह पैसा दो काम कराओ पालिसी के तहत सिंघल के एजेंट सक्रिय थे.  ज्यादातर अधिकारियो से मन मिजाज मिल जाने के कारण  वरिष्ठ अधिकारी तो निजी स्तर  पर इसकी वकालत और सिफारिश कर कर के सिंघलको अभय दान देते दिलाते रहें और उसके खिलाफ आने वाली शिकायतों पर धूल की परत  चढ़ती रही.


 शाहदरा दिल्ली के आरटीआई कार्यकर्त्ता दर्शनलाल ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदर मोदी को  पांच मार्च 2021  को एक पत्र लिख कर उत्तरी दिल्ली नगर निगम ( उस समय MCD  को तीन भाग में बाँट दिया गया था ) के फैक्ट्री लाइसेंस विभाग में फैले भ्र्ष्टाचार की सूचना देते हुए  इंसपेक्टर मनमोहन सिंघल और ADC  गोपाल अग्रवाल की करप्शन की सूचना दी PMO  को बताया गया की सिंघल के खिलाफ 437 शिकायते होने के बावजूद कोई एक्शन नहीं की जा रही हैं  

पीएमओ  द्वारा इस शिकायत पर सक्रियता दिखाई और 22 अप्रैल 2021 को दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव को पत्र लिख कर तुरंत एक्शन लेने और इसकी सूचना याचिकाकर्ता दर्शनलाल को भेजने के साथ इसकी एक प्रति पोर्टल पर भी अपलोड करने का निर्देश दिया गया.  पीएमओ  के सेक्शन अधिकारी आशीष कुमार मिश्रा ने यह पत्र जारी किया था   पीएमओ  की सक्रियता से पहली बार निगम में उसके रक्षक अधिकारियो ने   भी एक्शन के नाम पर दूसरे विभाग में केवल ट्रांसफर कर दिया.  और आनन् फानन में उसके खिलाफ 450 से भी अधिक शिकायतों को गलत पता बता कर फ़र्ज़ी दिखा दिया जिस नगर निगम को मनमोहन सिंघल की शिकायतों की गिनने में महीनो लग गये थे उन्ही शिकायतों को कुछ सप्ताह के अंदर ही फ़र्ज़ी घोषित कर सिंघल को आरोपमुक्त होने का आशीर्वाद दें दिया गया. जिसके खिलाफ दर्शनलाल ने  CVC और CBI   में जाने का मन बनाया हैं 

निगम के इसी इंसपेक्टर सिंघल के खिलाफ  आरटीआई कार्यकर्त्ता दर्शनलाल ने प्रधानमंत्री को दुबारा  पत्र 28. 08. 2022  को लिखा.  जिसमे निगम इंसपेक्टर सिंघल  के बेरोकटोक भ्र्ष्टाचार लीला की जानकारी दी गयी.  पीएमओ को बताया गया की कुछ और आरटीआई लगाने के बाद भी कुछ नहीं हो रहा हैं  वकील शुशांत सागर ने केंद्रीय Iसूचना आयोग में नगर निगम की शिकायत की गयी जवाब देने में की जा रही आना कानी  का भी ब्यौरा  दिया.  सूचना आयोग की सक्रियता के बाद नगर निगम ने आधिकारिक तौर पर स्वीकार किया की मनमोहन सिंघल के खिलाफ 437 शिकायते मिली हैं. वकील सागर ने सिंघल सहित दर्जन भर अधिकारियो की जाँच के की मांग की हैं. 


सूचना आयोग की पहल के बाद नगर निगम प्रशासन में हड़कंप तो रही.  मगर सीधे एक्शन लेने की बजाय सिंघक के खिलाफ शिकायतो पर  अलग अलग ब्यौरा देने में ही निगम व्यस्त रहा.  झूठे सच्चे तर्कों के आधार पर निगम कार्मिक और सतर्कतः विभाग सिंघल को क्लीन चिट देने की जुगत में लगा  रहा और सभी शिकायतों को लगभग निरस्त कर करप्शन बॉय को बचाने  में लगी हैं

 एक तरफ इंसपेक्टर मक्खन सिंह को कुछ साल पहले अवकाश ग्रहण से एक दिन पहले एक्शन लेकर सालो साल तक उसे सभी सुविधाओं से वंचित कर दिया था तो दूसरी तरह पीएमओ तथा सूचना आयोग की फटकार  के बाद भी एक करप्ट इंसपेक्टर सिंघल को बचाने में लगा हैं और नदी नालों  की सफाई विभाग डेन्स में बैठ कर सिंघल बवाना के इंसपेक्टर  दिनेश डबास  सहित कुछ और इंसपेक्टरो  के मार्फत  दलाली और ट्रांसफर के धंधे से चांदी  काट रहा हैं करप्शन की कमाई से दर्जनों अधिकारियो पार्षदों की जेब गरम  करने में व्यस्त हैं.  अब देखना हैं की सीबीआई या अन्य जाँच विभागों द्वारा भी सिंघल करप्शन सिंडिकेट पर कोई एक्शन होगा या सब तरफ सिंघल गेम जारी रहेगा या दिल्ली के LG  या   मुख़्यमंत्री के मार्फत इसकी सीबीआई जाँच के  लिए अनुरोध किया जाय.  वकील सागर ने  बताया की अगली बार सीधे गृह मंत्री के पास  याचिका देने की तैयारी की जायगी. 

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