मंगलवार, 8 अगस्त 2023

कूका विद्रोह

 

कूका विद्रोह सन १८७१-७२ में पंजाब के कूका लोगों (नामधारी सिखों) द्वारा किया गया एक सशस्त्र विद्रोह था जो मूलतः अंग्रेजों द्वारा गायों की हत्या को बढ़ावा देने के विरोध में किया गया था। बालक सिंह तथा उनके अनुयायी गुरु रामसिंह जी ने इसका नेतृत्व किया था। कूके लोगों ने पूरे पंजाब को बाईस जिलों में बाँटकर अपनी समानान्तर सरकार बना डाली। कूके वीरों की संख्या सात लाख से ऊपर थी। अधूरी तैयारी में ही विद्रोह भड़क उठा और इसी कारण वह दबा दिया गया। भारत का वायसराय लॉर्ड नर्थब्रूक था।

सिखों के नामधारी संप्रदाय के लोग कूका भी कहलाते हैं। इस पन्थ का आरम्भ 1840 ईस्वी में हुआ था। इसे प्रारम्भ करने का श्रेय सेन साहब अर्थात भगत जवाहर मल को जाता है।

कूका विद्रोह के दौरान 66 नामधारी सिख शहीद हो गए थे। नामधारी सिखों की कुर्बानियों को भारत की आजादी की लड़ाई के इतिहास में 'कूका लहर' के नाम से अंकित किया गया है।

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