चचाई जलप्रपात
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विवरण
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'चचाई जलप्रपात' मध्य प्रदेश के ख़ूबसूरत पर्यटन स्थानों में से एक है। यह एक प्राकृतिक एवं गोलाकार जलप्रपात है।
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राज्य
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मध्य प्रदेश
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ज़िला
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रीवा
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ऊँचाई
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130 मीटर
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गहराई
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115 मीटर
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चौड़ाई
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175 मीटर
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विशेष
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इस प्रपात को "भारत का नियाग्रा" भी कहा जाता है।
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संबंधित लेख
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मध्य प्रदेश, मध्य प्रदेश पर्यटन, रीवा
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अन्य जानकारी
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बीहर नदी के प्रारंभिक स्वरूप को देखकर सहसा यह विश्वास नहीं किया जा
सकता कि आगे चलकर नदी की पतली-सी धारा इतने विशालतम जलप्रपात का निर्माण
करेगी।
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चचाई जलप्रपात रीवा, मध्य प्रदेश
से उत्तर की ओर 45 कि.मी. की दूरी पर सिरमौर तहसील में स्थित है। यह
प्रपात बीहर नदी द्वारा निर्मित होता है। यह एक खूबसूरत एवं आकर्षक
जलप्रपात है, जो 115 मीटर गहरा एवं 175 मीटर चौड़ा है। बीहर नदी के एक
मनोरम घाटी में गिरने से यह प्रपात बनता है। यह एक प्राकृतिक एवं गोलाकार
जलप्रपात है।
स्थिति
चचाई रीवा संभाग का सबसे सुन्दरतम प्राकृतिक एवं भौतिक जलप्रपात है। बीहर नदी का उद्गम स्थल सतना ज़िले की अमरपाटन तहसील का 'खरमखेड़ा' नामक ग्राम है। चचाई ग्राम के निकट इस जलप्रपात के स्थित होने के कारण ही इसका नाम 'चचाई जलप्रपात' पड़ा है।[1]
प्राकृतिक सौंदर्य
इस जलप्रपात का प्रकृति पदत्त और कलात्मक सौन्दर्य बेजोड़ है। जहाँ बीहर
नदी को अपने आगोश में लेते ही लगभग 500 फुट की ऊँचाई से गिरते ही पानी
बिखर कर दूधिया हो जाता है, फलस्वरूप आसपास कोहरे की हल्की झीनी चादर फैल
जाती है। सैकड़ों मीटर दूर तक नन्हीं-नन्हीं फुहारों से समूचा वातावरण
आनंददायी हो जाता है। ऐसा चमत्कारिक दृश्य कि कोई भी सम्मोहित अपलक देखता
ही रह जाय। कुण्ड की अतल गहराईयों से उठने वाला गंभीर-गर्जन, स्वर्णनल धुँध
और जल धाराओं से निर्मित सागर मंथन-सा दृश्य उपस्थित करता है, जिसकी
परछाइयों से उभरता हुआ मध्याह्न का सूर्य
उठते हुए अमृत कुंभ-सा दिखाई पड़ता है। बीहर नदी के प्रारंभिक स्वरूप को
देखकर सहसा यह विश्वास नहीं किया जा सकता कि आगे चलकर यह पतली-सी धार इतने
विशालतम जलप्रपात का निर्माण करेगी। लेकिन प्रकृति के रचना-संस्कार और
मानवीय कल्पनाओं से परे असंभव से संभव हुआ करता है।
चचाई जलप्रपात का प्रकृतिक सौन्दर्य मनभावन एवं सुहावना लगता है, इसलिए यह आकर्षक एवं दर्शनीय है। 1957 में इसे भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पं. जवाह रलाल नेहरू
अद्भुत एवं अद्वितीय उच्चारण के साथ अपलक किंकर्त्तव्य विमूढ़ होकर देखते
रहे कि मानों ठगे से रह गए हों। इतना ही नहीं प्रख्यात समाजवादी नेता,
चिंतक एवं लेखक डॉ. राम मनोहर लोहिया ने इसे समय-समय पर अपने लेख एवं अध्ययन की साधना स्थली बनाया था।[1]
टोन्स हाइडल प्रोजेक्ट
चचाई जलप्रपात के जल
तक पहुँचने के लिए सीढ़ियाँ बनी हैं। अब इसके ऊपर एक जलाशय का निर्माण
करके 315 मेगावाट जलविद्युत का उत्पादन 'टोन्स हाइडल प्रोजेक्ट' के माध्यम
से किया जा रहा है। 'टोन्स हाइडल प्रोजेक्टर' बनने से पहले यहाँ की विशेषता
थी कि बारहों महीने
नदी में पानी रहता था और चचाई जलप्रपात को भी कोई नुकसान नहीं पहुँचता था,
उसका बिखरा सौन्दर्य बरकरार रहता था और बिजली उत्पादन भी पर्याप्त होता
था। अब प्रकृति के प्रकोप एवं अतिवृष्टि के कारण बाढ़ की विभीषिका का सामना करना पड़ता है। सितम्बर, 1997 की विकराल बाढ़ इसका उदाहरण थी।
भारत का नियाग्रा
चचाई प्रपात के आसपास की भूमि समतल है। इस प्रपात को "भारत का नियाग्रा"
भी कहा जाता है। यह सदियों का समय साक्षी है, जो नैसर्गिक सौन्दर्य की
ऊंचाईयों का स्पर्श कर रहा है। पावस के मौसम में अगणित पर्यटक आँखों में इसकी सुन्दरता भरकर ले गये। अनेकानेक कवि
और लेखकों ने इससे प्रेरणा लेकर आवाम गीत लिखे। न जाने कितने कलाकारों की
तूलिका ने केनवास पर इसके चित्र उकेरे। लेकिन क्या वास्तव में चचाई का
अक्षुण्ण सौंदर्य घटा। प्रकृति और निष्काम स्नेह बंधति कभी समाप्त नहीं
होता है।
महादेवी वर्मा का मोह
छायावादी कवियित्री महादेवी वर्मा
भी चचाई जलप्राप्त को देखने का मोह संचरण न कर सकीं। ईश्वर की इस मनोहारी
और अनमोल कृति को देखकर ही उन्होने कहा होगा कि "भारतीय संस्कृति विविध
रूपी है, क्योंकि भारत की प्रकृति अनंतरूपा अजसव और वरदायिनी है।"[1]
- चचाई के नैसर्गिक सौंदर्य को निहारकर ही सुप्रसिद्ध कवि एवं लेखक डॉ. रामकुमार वर्मा की तूलिका गा उठी थी-
ओ देख खोल दृग यह प्रपात
य पतन दृष्टि का शुभ हास।
कवि जड़ वर्षा तक सिखलायेगा,
युग को चेतन का रम्य हम्सस।
रीवा से चचाई तक जाने के लिए पक्की सड़क एवं ठहरने के लिए एक शासकीय विश्राम भवन है। चचाई मध्य प्रदेश
के पर्यटन नक्शे पर महत्वपूर्ण स्थान रखता है। इसकी महत्ता को दृष्टिगत
रखते हुए अभी इसके विकास की अनेक संभावनाएँ हैं। 'पर्यटन विकास निगम' की
दृष्टि से यह एक उपेक्षित स्थान है। कदाचित इस रूप में कुछ कमियाँ रह जाने
से इसका पर्यटक समुचित उपयोग नहीं कर पाते हैं।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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