रविवार, 24 जनवरी 2016

राजनीति के ये चरित्रवान चेहरे



लव कुमार सिंह

भारतीय राजनेताओ के अनैतिक प्रेम प्रसंग


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politician-romance
लव कुमार सिंह

अभी तक की भारतीय राजनीति और राजनेताओं में एक गजब की प्रवृत्ति रही है। वह है राजनीतिक मंच पर महिलाओं को ज्यादा तव्वजो न देना, मगर मंच के पीछे यानी नेपथ्य में महिलाओं में जबरदस्त दिलचस्पी दिखाना।
इस प्रवृत्ति को भारतीय राजनीति के एक और मिजाज से बढ़ावा मिलता रहा है और वो मिजाज यह है कि यहां नेता, दूसरे नेता के गुप्त संबंधों पर ज्यादा हो-हल्ला नहीं मचाते। इसके बदले में वे आशा रखते हैं कि दूसरे नेता भी उनके संबंधों पर चिल्ल-पौं नहीं करेंगे। एकाध मामलों को छोड़ दें तो नेताओं ने इस तरह का “अलिखित सहयोग” खूब लिया और दिया है। यहां तक कि 90 के दशक से पहले तक मीडिया ने भी इस मामले में नेताओं का खूब सहयोग किया। इस सहयोग से इस तरह के संबंध यहां खूब पनपे हैं।
नेता ही नहीं, भारतीय जनमानस भी ऐसे संबंधों पर ज्यादा खुलकर चर्चा नहीं करता। भारत में राजनीति और प्रेम या सेक्स को अलग-अलग करके ही देखा जाता रहा है। ऐसे संबंधों की चर्चा बस ड्राइंग रूम तक ही सीमित रही है। विदेशों में इस तरह के गुप्त या विवाहेत्तर संबंधों पर कई नेताओं की राजनीति तक खत्म हो चुकी है, जबकि वहां खुले सेक्स की हिमायत की जाती है, मगर सेक्स के मामले में रुढ़िवादी रहे भारत जैसे देश में नेताओं के गुप्त या विवाहेत्तर संबंधों का उनके राजनीतिक कॅरियर पर कोई खास असर नहीं पड़ा।
भारत की राजनीति, नेताओं के ऐसे संबंधों के किस्सों से भरी पड़ी। यहां उन्हीं में से पेश हैं कुछ उदाहरण।
जवाहर लाल नेहरू
जवाहरलाल नेहरू और लार्ड माउंटबेटन की पत्नी एडविना माउंटबेटन के संबंधों पर अपने देश में तो दबी-ढंकी ही चर्चा हुई है, पर विदेशों में इस पर काफी कुछ लिखा गया है। दिलचस्प बात यह है कि माउंटबेटन की जीवनी तक में नेहरू-एडविना के संबंधों की चर्चा हुई है। इंग्लैड में छपी एक किताब में तो माउंटबेटन ट्रस्ट ने न सिर्फ यह किताब छापने की इजाजत दी, बल्कि नेहरू के एडविना को लिखे पत्र भी छापना स्वीकार कर लिया। हालांकि जब एक अन्य लेखक ने अपनी किताब में एडविना के नेहरू को लिखे खत छापने चाहे तो इसकी मंजूरी नहीं दी गई। यदि नेहरू को निकट से देखने वाले एमए मथाई की किताब “माई डेज विद नेहरू” पर विश्वास करें तो नेहरू केवल एडविना तक ही सीमित नहीं थे।
राम मनोहर लोहिया
समाजवाद के पुरोधा राम मनोहर लोहिया जीवनभर कुंआरे रहे, मगर महिलाओं के मामले में कोरे कतई नहीं रहे। इसके विपरीत महिलाओं के मामले में वे धनी ही रहे। यह जानना बड़ा दिलचस्प है कि 50-60 के दशक के उस दौर में लोहिया ने आज के लिव इन रिलेशनशिप जैसा रिश्ता बनाया, जो उस समय कोई सोच भी नहीं सकता था। जी हां, लोहिया ने अविवाहित रहकर भी अपना काफी समय दिल्ली विश्वविद्यालय की एक लेक्चरार रमा के साथ रहकर गुजारा और तब किसी ने इस बात पर कोई ऐतराज भी नहीं किया। साहित्य में कुछ स्थानों पर इस बात का भी जिक्र है कि भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान जब लोहिया गिरफ्तार किए गए तो उस समय वे कोई आंदोलनकारी गतिविधि नहीं कर रहे थे बल्कि वे एक कम्युनिस्ट नेता की बहन के साथ एकांतवास में थे।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता (अब दिवगंत) वसंत साठे ने एक जगह कहा है कि उन्होंने लोहिया को कई अन्य महिला मित्रों के साथ भी देखा था। साठे के अनुसार लोहिया स्पष्टवादी थे। उन्होंने कभी झूठ नहीं बोला, इसलिए उनके इन संबंधों का उनके सार्वजनिक जीवन पर कोई असर नहीं पड़ा। लोहिया का खुद भी साफ कहना था कि एक पुरुष और औरत के बीच तब तक सब कुछ स्वीकार योग्य है जब तक कि उनके संबंधों के बीच कोई जबरदस्ती या कोई वादाखिलाफी न हो।
अटल बिहारी वाजपेयी
पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी जीवनभर कुंआरे ही रहे, मगर इसका अर्थ यह नहीं है कि उनकी महिलाओं से मित्रता नहीं रही। उनके कई प्रसंगों की चर्चा हुई है, पर दबी जुबान से ही। उनकी सबसे अच्छी दोस्त थीं उनके कॉलेज के दिनों की मित्र और बहुत ही खूबसूरत कश्मीरी महिला राज कुमारी कौल। गहरी मित्रता के बाजवूज वाजपेयी और कौल की शादी नहीं हुई, मगर कौल की शादी के बाद वाजपेयी कौल के पति के घर जरूर रहे।
बाद में जब वाजपेयी प्रधानमंत्री बन गए थे तो लोगों ने राजकुमारी कौल को भी प्रधानमंत्री निवास में मौजूद पाया। वहां सब उन्हें माताजी कहते थे। वाजपेयी के भोजन आदि की जिम्मेदारी कौल की ही थी। कौल आज इस दुनिया में नहीं हैं और वाजपेयी भी स्वस्थ नहीं हैं। एक समय एक पत्रिका को दिए इंटरव्यू में कौल ने कहा था कि उन्होंने और वाजपेयी ने कभी इस बात की जरूरत महसूस नहीं की कि इस रिश्ते के बारे में कोई सफाई दी जाए।
फिरोज गांधी
इंदिरा गांधी के पति फिरोज गांधी की कई महिलाओं के साथ मित्रता थी। इनमें से हम्मी नाम की एक महिला का जिक्र खासतौर से कुछ किताबों और कुछ जाने-माने पत्रकारों के आलेखों में हुआ है। इस महिला के पिता उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री भी थे। किताबों में दर्ज ब्योरे को सच मानें तो फिरोज गांधी को इस महिला के ज्यादा नजदीक आने का मौका तब मिला जब इंदिरा गांधी, नेहरू जी की देखभाल के वास्ते बच्चों को लेकर प्रधानमंत्री निवास में आ गईं और फिरोज गांधी अकेले रह गए। बाद में इंदिरा गांधी इन संबंधों के बारे में जान गई थीं और उनके अपने पति से संबंध बिगड़ गए थे। इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्री बनने के बाद भी यह महिला उनके सामने पड़ी थी और तब इंदिरा ने कांग्रेस के एक नेता के समक्ष इस महिला को लेकर रोष भी व्यक्त किया था। हालांकि तब तक फिरोज इस दुनिया से रुखसत हो चुके थे।
मुलायम सिंह यादव
एक समय पहलवान रहे मुलायम सिंह के बारे में आम लोगों में यह धारणा थी कि मुलायम सिंह जिस प्रकार राजनीति में महिला आरक्षण का विरोध करते हैं, उसी प्रकार वे निजी जीवन में भी महिलाओं से दूर ही रहते होंगे। हालांकि 90 के दशक में पत्रकार बिरादरी जानती थी कि लखनऊ में एक महिला है, जो उनकी पत्नी तो नहीं है मगर पत्नी जैसी ही है। जानते हुए भी पत्रकारों ने कभी इस पर कलम नहीं चलाई, लेेेेकिन जब सुप्रीम कोर्ट में दिए एक हलफनामें में खुद मुलायम ने ही कहा कि उनकी दूसरी पत्नी भी है और उससे उन्हें एक लड़का भी है तो लोग चौंक उठे थे।
वास्तव में पहली पत्नी मालती देवी के जीवित रहते ही मुलायम सिंह दूसरी स्त्री साधना गुप्ता से एक पुत्र के पिता भी बन गए थे। साधना गुप्ता से मुलायम सिंह एक पुत्र (प्रतीक यादव) के पिता 1988 में ही बन गए थे, मगर दुनिया को इसका पता फरवरी 2007 में लगा जब मुलायम सिंह ने कोर्ट में इस बात को स्वीकार किया। अखिलेश यादव की मां मालती देवी अब इस दुनिया में नहीं हैं।
नारायण दत्त तिवारी
नारायण दत्त तिवारी की 1954 में सुशीला तिवारी से शादी हुई थी, इसके बावजूद जीवनभर तिवारी के दूसरी महिलाओं के साथ संबंधों की खबरें आती रहीं। एक युवक रोहित शेखर ने तो तिवारी को अपना पिता बताते हुए उनके खिलाफ अदालत में दावा ही ठोक दिया। आखिर तिवारी को स्वीकार करना पड़ा कि उज्जवला शर्मा की कोख से जन्मे रोहित शेखर उनके बेटे हैं। 2009 में तिवारी के उस वीडियो ने भी उस समय सनसनी फैला दी थी जिसमें वे राजभवन के अपने निवास में बिस्तर पर तीन महिलाओं के साथ दिखाई दिए थे।
राम विलास पासवान
लोक जनशक्ति पार्टी के मुखिया रामविलास पासवान की पहली पत्नी राजकुमारी देवी आज भी बिहार के एक छोटे से गांव शहरबन्नी में एकांतवास कर रही हैं, जबकि उनकी दूसरी पत्नी रीना पासवान पति के साथ शहर में रहती हैं। चिराग पासवान रामविलास की दूसरी पत्नी के ही पुत्र हैं। खास बात यह है कि राजकुमारी देवी आज भी रामविलास पासवान से प्रेम करती हैं, हालांकि उन्हें पासवान की तरफ से प्रेम और सम्मान नहीं मिलने का दुख भी है।
संजय गांधी
फिल्म अभिनेत्री अमृता सिंह की मां रुखसाना सुल्ताना के साथ संजय गांधी का काफी उठना-बैठना था। इमरजेंसी के आसपास के उस समय में रुखसाना सुल्ताना “सोशल बटरफ्लाई” कही जाती थीं और उनकी स्टाइल और आधुनिकता के काफी चर्चे थे। कांग्रेस के अनेक लोगों ने रुखसाना सुल्तान को संजय गांधी पर हक जताते देखा था। हालांकि यह हक किसी रिश्ते में तब्दील नहीं हो पाया। सिर्फ रुखसाना ही नहीं, कई और लड़कियों से भी संजय गांधी का मेल था। ऐसे में जब संजय और मेनका गांधी की शादी हुई तो एकाएक लोगों को इस पर सहज विश्वास ही नहीं हुआ था।
ज्ञानी जैल सिंह
पूर्व राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह का नाम भी एक बार मलेरकोटला के राजसी परिवार की सदस्य के साथ जोड़ा गया था। उस दौरान कुछ खबरों में इस बात के भी संकेत दिए गए थे कि उन्होंने उस महिला से शादी भी कर ली थी।
सिद्धार्थ शंकर राय
70 के दशक में पश्चिमी बंगाल के मुख्यमंत्री सिद्धार्थ शंकर राय और एक महिला अधिकारी के संबंधों को लेकर कम्युनिस्ट पार्टी से जुड़े अखबारों में काफी खबरें छापी गईं। इस पर राय की पत्नी ने भी तीखी प्रतिक्रिया जताई थी, मगर उस समय इस स्कैंडल से राय की राजनीति पर कोई असर नहीं पड़ा।
मोरारजी देसाई
मोरारजी देसाई जब जवाहर लाल नेहरू के मंत्रिमंडल में मंत्री थे तो उनकी अपनी अधीनस्थ मंत्री तारकेश्वरी सिन्हा के साथ निकटता को लेकर काफी चर्चा हुई थी। एक बार नींद की ज्यादा गोलियां खाकर सिन्हा ने खुद की जान लेने का प्रयास किया था, मगर सही समय पर मोरारजी देसाई ने उनकी जान बचा ली थी। इस स्कैंडल से भी देसाई की राजनीति अप्रभावित रही। हालांकि तारकेश्वरी सिन्हा को भुला दिया गया।
चंद्रशेखर
पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर खुले आम एक नेपाली महिला मित्र के साथ दिल्ली में रहते थे, जबकि उनकी पत्नी द्विजा देवी बलिया में रहती थीं। हालांकि बाद में जरूर वे अपनी पत्नी को दिल्ली लाए थे। चंद्रशेखर के प्रधानमंत्री बनने के बाद भी द्विजा देवी सार्वजनिक तौर पर दिल्ली में दिखाई दी थीं।
दिग्विजय सिंह
मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह की पत्नी आशा सिंह की 2103 में कैंसर की बीमारी से मौत हो गई थी। लेकिन इससे बहुत पहले से ही सिंह के संबंध टीवी पत्रकार अमृता राय से थे। वो तो सोशल मीडिया में दोनों के फोटो वायरल हो गए, वरना इस बात का पता लोगों का इतनी जल्दी नहीं लगता। अमृता से पहले भी कई महिलाओं के साथ दिग्विजय सिंह के संबंधों की चर्चा रही है।
संजय सिंह
कांग्रेस के नेता संजय सिंह जाने-माने बैडमिंटन खिलाड़ी सैयद मोदी की हत्या के आरोप में जेल गए, लेकिन उसी सैयद मोदी की विधवा से उन्होंने विवाह भी कर लिया। पहली पत्नी गरिमा सिंह को उन्होंने तलाक दे दिया, जिसमें उन पर धोखाधड़ी का आरोप भी लगा। इन सबके बावजूद संजय सिंह की राजनीति अप्रभावित रही और वे सांसद भी चुने गए।
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कुछ और भी
महात्मा गांधी का नाम वैसे तो पत्नी के सिवाय और किसी महिला से नहीं जुड़ा मगर जब गांधी जी के एक समर्थक ने उनके ब्रह्मचर्य के प्रयोगों पर किताब लिखी तो लोगों को पता चला कि गांधी जी ब्रह्मचर्य के अपने प्रयोग के दौरान अपने दोनों तरफ युवा लड़कियों को सुलाते थे।
एमओ मथाई की नेहरू पर लिखी किताब में इंदिरा गांधी और राजा दिनेश सिंह को लेकर भी लोगों को चकित कर देने वाली बातें कही गई हैं। कुछ विदेशी पत्रकारों ने भी दिनेश सिंह और इंदिरा गांधी को लेकर कुछ अलग तरह की टिप्पणियां की थीं।
तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री एम करुणानिधि के भी कई महिलाओें से संबंध रहे। उन्होंने दो शादियां कीं, मगर उनकी राजनीति पर इसका कोई फर्क नहीं पड़ा।
बहुत से लोगों ने कांशीराम और मायावती की निकटता को भी इसी चश्मे से देखा मगर स्वयं मायावती और बसपाइयों ने इसका तीव्र विरोध किया, जिससे बाद में इस संबंध में होने वाले चर्चाएं बंद हो गई।
सिकंदर बख्त ने जब अपनी हिंदू मंगेतर से शादी करनी चाही थी तो जनसंघ ने इस मामले में संसद में विरोध जताया था। इस शादी को लेकर साम्प्रदायिक दंगे की नौबत भी आ गई थी। बाद में बख्त ने यह शादी की और तब कोई बखेड़ा भी नहीं हुआ।
विद्याचरण शुक्ल जब सूचना और प्रसारण मंत्री थे तो महिलाओं को लेकर उनके अनेक किस्से चर्चा में रहे।
इंदरजीत गुप्त ने भी लंबे समय तक सूफीयाना किस्म का प्रेम करके 62 साल की उम्र में शादी करने का फैसला किया।
आरके धवन ने भी 74 साल की उम्र में अपनी शादी को सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया था।
हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वाईएस परमार ने कई दशकों तक अपने रिश्ते को छिपाने के बाद 70 साल की उम्र में यह घोषणा की थी कि अब वे शादी के लिए तैयार हैं।
नरेंद्र मोदी का मामला कुछ अलग
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मामला कुछ अलग इसलिए बन जाता है कि यहां पत्नी से अलग रहने का मामला है, पत्नी को छोड़कर दूसरी महिलाओं से संबंध रखने का नहीं है। महिला जासूसी वाले मामले को कुछ लोग “दूसरे संबंध” के नजरिये से ही देख रहे हैं, मगर केवल कयासों के आधार पर कुछ भी नहीं कहा जा सकता।
शोषण होता है तो असर जरूर पड़ता है
जब हम ऐसे संबंधों से राजनीतिक जीवन के प्रभावित न होने की बात कहते हैं तो ऐसा तभी हुआ जब ऐसे संबंधों में महिला की भी बराबर की सहमति रही। लेकिन जहां शोषण हुआ और महिला की जान तक पर बन आई तो वहां नेताओं का राजनीतिक जीवन भी निरापद नहीं रहा। ऐसे मामलों में हम महिपाल मदेरणा, बाबूलाल नागर, उदयलाल आंजना, अमरमणि त्रिपाठी, आनंद सेन, सुशील शर्मा, हरक सिंह रावत, चंद्रमोहन, अभिषेक मनु सिंघवी, सुरजेवाला जैसे नेताओं का नाम ले सकते हैं।

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