सोमवार, 25 जनवरी 2016

पाकिस्तान में हिन्दू मंदिरों की दशा दिशा :



pakistan me hiduon ki dasha

लेख़क शिवा
चाहे आप मानो या न मानो पर ये बात सच है की भले ही ये सुनने मे आता है की पाकिस्तान सुधर गया है अब हिन्दू धर्म की इज्जत करता है पर ऐसा नहीं है आज भी वहाँ हिन्दू धर्म की दशा बहूत बुरी है. हिन्दू मंदिर या तो तोड़ दिए गये या वहां तक पहुचने का रास्ता नहीं बचा
pakistan me hiduon ki dasha

मानवाधिकार संगठनों के अनुसार, पिछले पचास वर्षों में पाकिस्तान में बसे नब्बे प्रतिशत हिंदू देश छोड़ चुके हैं और अब उनके पूजा स्थल और प्राचीन मंदिर भी तेज़ी से ग़ायब हो रहे हैं. गायब क्या तोड़े जा रहे है अब आपको हम कुछ ऐसी बातें बताते है जिसे आपको यकीन हो जाएगा की कितनी बुरी तरह से हिन्दू धर्म को वहाँ गायब किया जा रहा है ये बात , पिछले बीस साल से चल रहा है और अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद इस पर कोई कारवाही नहीं हुआ.
बात है, पाकिस्तान के प्रांत ख़ैबर के पख्तूनख़्वा ज़िले में कर्क के एक छोटे से गांव टेरी में स्थित एक समाधि की.यहां किसी ज़माने में, कृष्ण द्वार नामक एक मंदिर भी मौजूद था. और अब अगर आप उसे खोजने जाएँगे तो आपको कुछ भी नहीं मिलेगा उसका कोई चिन्ह नहीं मिलेगा. हालांकि समाधि मौजूद है, लेकिन इसके चारों ओर एक मकान बन चुका है और ये सुनकर तो आप और हैरान हैंगे की यहां तक कि वहां तक पहुचंने के सारे रास्ते बंद हैं.
Pakistan Mandir

समाधि कहां ले जाएं?

जब बात आई की समाधि को कहाँ ले जाया जाए तो ये बात पाकिस्तान परिषद तक पहुंची । परिषद के अध्यक्ष और नेशनल असेंबली के सदस्य डॉक्टर रमेश वांकोआनी ने बताया कि पिछले बीस साल के दौरान वे सभी राजनीतिक लोगों से प्रांतीय और संघीय स्तर पर बात कर चुके हैं मगर किसी ने नहीं सुना, अंततः अपने फ़रियाद ले के उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया ताकि कम से कम वहाँ तक तो उनकी गुहार पहुँच जाये उसके बाद इतनी बहस पर डॉक्टर रमेश कहते हैं, “की ये बात तो सच है की तीर्थ स्थल तो ऐतिहासिक होते हैं जिनकी बस यादें रह जाती है , यह कोई मंदिर तो है नहीं कि क़ानून-व्यवस्था की स्थिति ख़राब होने के नाम पर मैं इसे कहीं और स्तापित कर दूँ, यह तो मात्र एक समाधि है.
और ये एक ऐसी जानी मानी हस्ती का मंदिर जिसके करोड़ों श्रद्धालु हैं.” मगर ये गलत बात है की हम सिर्फ एक पक्ष को देखे असल मे टेरी में यही अकेली समाधि यामंदिर नहीं है, जो बंद है. इतना ही नहीं बल्कि पाकिस्तान हिंदू काउंसिल के हिसाब से , इस समय देश भर में सभी धार्मिक पिछड़े वर्ग के ऐसे एक दो नहीं बल्कि 1,400 से अधिक पवित्र स्थान हैं जिन तक उनकी पहुंच नहीं है या उसे इतना एहमियत नहीं दी जाती है .या फिर उन्हें वहां से हटा कर के वहां दुकानें, खाद्य गोदाम,घर , सड़को , पशु बाड़ों में बदला जा रहा है.उसमे सरकार भी कुछ नहीं कर पाती है क्यूंकी अगर वो कुछ करने जाती है या तो झगड़े होने लगते है या दंगे फसाद या कुछ ऐसा जिसकी उम्मीद किसी ने न की हो

मंदिर तो है, पर रास्ता नहीं

भगवन शिव मंदिर पाकिस्तान में
अब बारी आती है ऐसे मंदिर की जो है तो पूरी तरह से बना भी हुआ है, पर वहाँ तक जाना मुश्किल होता है. ऐसा ही हालत से घिरा हुआ एक मंदिर, रावलपिंडी एक स्थान में एक व्यस्त बाज़ार में मौजूद है जिसे यमुना देवी मंदिर कहा जाता है और इसे सन 1929 में बनाया गया था और इस मंदिर की हालत तो सुनिए, यह मंदिर चारों ओर छोटी दुकानों में धंसा यह मंदिर केवल अपने एक बचे हुए मीनार के कारण अब भी कुछ चंद सांसें ले रहा है. शायद इस उम्मीद मे की अब उसे कोई डूबने से बचा लेगा. उसके अंदर प्रवेश करने से पहले छतों तक पहुँचती ऊँची क़तारों में चावल, दाल और चीनी से लबा लब पूरी तरह से भरी बोरियों से होकर गुज़रना पड़ता है. इतनी कठिनाई के बाद उस मंदिर तक आप जा सकते है और सूत्रो के अनुसार, सरकार की नजर अंदाज और ग़लत नीतियों के कारण देश में सबसे ज़्यादा प्रभावित होने वाले धार्मिक पिछड़े वर्ग के हिंदू समुदाय से हैं, जिन्हें पिछड़े होने के कारण हमेशा नज़रअंदाज़ किया जाता रहा है. और उसकी तरफ ध्यान दिलवाने के बाद भी उसे बार-बार सरकार नजर अंदाज कर रही है

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