प्रस्तुति- स्वामी शरण
मौसम और आपराधिक घटनाओं के बीच क्या कोई संबंध है? क्या इस तरह की जानकारी
अपराधों को रोकने और अपराधियों को पकड़ने के काम आ सकती है? जर्मनी में एक
अपराध विज्ञानी ने इस संबंध में एक दिलचस्प प्रयोग किया है
1748 में फ्रांस के बारों मोंटेस्क्यू ने कहा था कि कानूनों को मौसम के
हिसाब से बनाया जाना चाहिए क्योंकि गर्मी या सर्दी का असर अपराधियों पर पड़
सकता है. क्रिमिनॉलजिस्ट यानी अपराध और उसके पीछे की मानसिकता को जांच रहे
मनोवैज्ञानिक आंद्रेआस लोमायर कहते हैं कि मौसम और जुर्म के बीच का रिश्ता
पहले भी लोगों ने समझने की कोशिश की है. हैम्बर्ग की पुलिस के साथ काम कर
रहे लोमायर अब हर दिन मौसम की जानकारी मंगवाते हैं.
वैसे तो पुलिस के एक थाने को हमेशा दूसरे थाने के मौसम की
जानकारी रखनी पड़ती है ताकि आपात स्थिति में पता लगाया जा सके कि किसी
दूसरी जगह के पुलिस अधिकारी आने की हालत में हैं भी या नहीं. लेकिन इसके
बावजूद अपराध और मौसम के बीच का रिश्ता साफ नहीं हो पाया है. लोमायर ने
पुलिस के आपराधिक आंकड़ों को मौसम की सूचना के साथ मिलाकर देखा. वह कहते
हैं कि जब आप मौसम के बारे में जानकारी को दिन में हर एक घंटे के लिए
बांटते हैं वह भी पिछले 20 सालों के लिए तो आपको तीन करोड़ 60 हजार
जानकारियां मिलती हैं. इसके अलावा एक लाख 75,000 छोटी जानकारियां जो पुलिस
आंकड़ों से मिलती है.
कैसे पता चला
अपने सहयोगियों के साथ मिलकर लोमायर ने 20 लाख जानकारियां अलग की और हर एक अपराध के बारे में तथ्यों की जांच की. उससे पता चला कि ऐसा कोई मौसम नहीं है जो हमेशा अपराध को बढ़ावा देता हो. लेकिन अपराध भी दो प्रकार के होते हैं. एक वो जो मौसम से प्रभावित नहीं होते जैसे चोरी, दुकान पर डाका डालना, जहर देना, धोखाधड़ी और गाड़ी चोरी करना. लेकिन कुछ ऐसे जुर्म होते हैं जो मौसम की वजह से बढ़ जाते हैं. जैसे बलात्कार. इस सिलसिले में लोमायर कहते हैं कि गर्मी जितनी बढ़ती है, इस तरह के जुर्म ज्यादा होते हैं. और आंकड़ों से भी यही साबित होता है. एक डिग्री सेल्सियस के बढ़ने के साथ साथ जुर्म रोजाना 0.7 गुना बढ़ते हैं.
अगर हफ्ते में धूप वाले दिन को अलग देखा जाए तो आंकड़े और साफ होंगे. लोमायर का कहना है कि अगस्त में अगर किसी शनिवार को ज्यादा गर्मी होती है तो उस दिन 82 बर्बर अपराधों के होने की संभावना है. मार्च में एक ठंडे दिन में यह आकंड़ा सिर्फ 51 के आस पास रहता है.
और मजेदार बात यह है कि एक धूप वाले दिन में साइकिलों की चोरी भी ज्यादा होती है. आंकड़े देते हुए वे कहते हैं कि मार्च के एक बारिश वाले रविवार में 19 साइकलें चोरी हुई थीं लेकिन जून के एक मंगलवार में 63 ऐसे किस्से हुए.
सूरज डूबा और चोर निकले
साथ ही दिन के छोटे होने के साथ रात का अंधेरा भी जुर्म को बढ़ावा देता है.लोमायर के आंकड़े कहते हैं कि एक घंटा ज्यादा अंधेरा होने से एक अपराध ज्यादा होगा. लेकिन मौसम ठंडा होते ही यह आंकड़ा कम भी हो जाएगा. जब दिन बिलकुल छोटे और ठंडे हो जाएंगे तो इस रिश्ते के बारे में बोलना कठिन हो जाएगा. जब बर्फ पड़ती है तो हर दिन छह अपराध कम होते हैं.
मतलब साफ है, चोरों को गर्मी और अंधेरा पसंद है. इस साल फरवरी में हैम्बर्ग के लोग शीत लहर से कांप रहे थे. जाहिर है ऐसे में चोर भी अपने घरों से निकलते कतरा रहे थे और पूरे शहर में पुलिस ने केवल दो अपराध दर्ज किए, जिनमें लोगों ने गाड़ी की रियर व्यू मिरर चुराने की कोशिश की.
अमेरिकी राज्य टेनेसी के शहर मेम्फिस में भी पुलिस कंप्यूटर के जरिए मौसम और अपराध के रिश्ते को खोज रही है. एक खास सॉफ्टवेयर, क्रश के जरिए चोरी के दिन को लेकर अपराधिक आंकड़ें, समारोह, आर्थिक आंकड़ों और मौसम के प्रभाव के बारे में पता लगाया जा सकता है. 2005 से वहां की पुलिस यह सॉफ्टवेयर इस्तेमाल कर रही है. उसके बाद मेम्फिस में अपराध 30 फीसदी कम हो गए हैं.
रिपोर्ट: डॉयचे वेले/एम जी
संपादन: उभ
कैसे पता चला
अपने सहयोगियों के साथ मिलकर लोमायर ने 20 लाख जानकारियां अलग की और हर एक अपराध के बारे में तथ्यों की जांच की. उससे पता चला कि ऐसा कोई मौसम नहीं है जो हमेशा अपराध को बढ़ावा देता हो. लेकिन अपराध भी दो प्रकार के होते हैं. एक वो जो मौसम से प्रभावित नहीं होते जैसे चोरी, दुकान पर डाका डालना, जहर देना, धोखाधड़ी और गाड़ी चोरी करना. लेकिन कुछ ऐसे जुर्म होते हैं जो मौसम की वजह से बढ़ जाते हैं. जैसे बलात्कार. इस सिलसिले में लोमायर कहते हैं कि गर्मी जितनी बढ़ती है, इस तरह के जुर्म ज्यादा होते हैं. और आंकड़ों से भी यही साबित होता है. एक डिग्री सेल्सियस के बढ़ने के साथ साथ जुर्म रोजाना 0.7 गुना बढ़ते हैं.
अगर हफ्ते में धूप वाले दिन को अलग देखा जाए तो आंकड़े और साफ होंगे. लोमायर का कहना है कि अगस्त में अगर किसी शनिवार को ज्यादा गर्मी होती है तो उस दिन 82 बर्बर अपराधों के होने की संभावना है. मार्च में एक ठंडे दिन में यह आकंड़ा सिर्फ 51 के आस पास रहता है.
और मजेदार बात यह है कि एक धूप वाले दिन में साइकिलों की चोरी भी ज्यादा होती है. आंकड़े देते हुए वे कहते हैं कि मार्च के एक बारिश वाले रविवार में 19 साइकलें चोरी हुई थीं लेकिन जून के एक मंगलवार में 63 ऐसे किस्से हुए.
सूरज डूबा और चोर निकले
साथ ही दिन के छोटे होने के साथ रात का अंधेरा भी जुर्म को बढ़ावा देता है.लोमायर के आंकड़े कहते हैं कि एक घंटा ज्यादा अंधेरा होने से एक अपराध ज्यादा होगा. लेकिन मौसम ठंडा होते ही यह आंकड़ा कम भी हो जाएगा. जब दिन बिलकुल छोटे और ठंडे हो जाएंगे तो इस रिश्ते के बारे में बोलना कठिन हो जाएगा. जब बर्फ पड़ती है तो हर दिन छह अपराध कम होते हैं.
मतलब साफ है, चोरों को गर्मी और अंधेरा पसंद है. इस साल फरवरी में हैम्बर्ग के लोग शीत लहर से कांप रहे थे. जाहिर है ऐसे में चोर भी अपने घरों से निकलते कतरा रहे थे और पूरे शहर में पुलिस ने केवल दो अपराध दर्ज किए, जिनमें लोगों ने गाड़ी की रियर व्यू मिरर चुराने की कोशिश की.
अमेरिकी राज्य टेनेसी के शहर मेम्फिस में भी पुलिस कंप्यूटर के जरिए मौसम और अपराध के रिश्ते को खोज रही है. एक खास सॉफ्टवेयर, क्रश के जरिए चोरी के दिन को लेकर अपराधिक आंकड़ें, समारोह, आर्थिक आंकड़ों और मौसम के प्रभाव के बारे में पता लगाया जा सकता है. 2005 से वहां की पुलिस यह सॉफ्टवेयर इस्तेमाल कर रही है. उसके बाद मेम्फिस में अपराध 30 फीसदी कम हो गए हैं.
रिपोर्ट: डॉयचे वेले/एम जी
संपादन: उभ
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