रविवार, 24 जनवरी 2016

क्यों कि मै हिजड़ा हूं....




ए मॉ, ओ बापू, दीदी और भईया, आपका ही बेटी या बेटा था, पशु नही जन्मा था परिवार में, आपके ही दिल का, चुभता सा टुकड़ा हूँ ,
  क्यों कि मै हिजड़ा हूं....
कोख की धरती पर आपने रोपा था, नौ माह जीवन सत्व चूसा तुमसे मॉ, फलता भी पर कटी गर्भनाल जड़ से उखाड़ा हूं, 
   क्यों कि मै हिजड़ा हूं......
लज्जा का विषय क्यों हूं मॉ मेरी, अंधा,बहरा या मनोरोगी तो नही था मै, मै ही बस ममतामयी गोद से बिछड़ा हूं,
 क्यों कि मै हिजड़ा हूं.....
अर्ध नारीश्वर भी भगवान का रुप मान्य है, हाथी,बंदर,बेल सब देव तुल्य पूज्य है, मै तो मानव होकर भी सबसे पिछड़ा हूं,
  क्यों कि मै हिजड़ा हूं...... 
हिजड़ा शब्द सुनते ही हमारे सामने एक छवि बन जाती है इठलाती चाल, गहनों से सजा हुआ शरीर, चमकीले कपड़े व चेहरे पर ठेर सारा मेकअप और दुकानों,व घरो  व बच्चा जन्म पर, विवाह आयोजन जैसे अन्य कार्यक्रमों में नाच गा कर पैसा कमाने वाला, अगर पैसा नही दिया तो गाली गलोज करने पर भी उतारू हो जाते है, जिसे हम हिजड़ा, किन्नर, कीव, खोजन, मौसी छक्का, शिघंडी आदि नामों से पुकारते है। इनसे लोग कतराते है,इनके आते ही लोगो के मन में अजीब डर सताने लग जाता है,  इनको पैसे नही दिये तो गाली गलौज या कोई बदतमीजी न कर दे ,कोई बददुआ न देदे । इसलिए इनसे लोग डरते है । 
हमारे समाज में दो तरह के लोगो को मान्यता दी गई है- ी और पुरूष। हमारे ही समाज में तीसरा लिंग भी रहता जो न ी है न पुरूष । यह उभयलिंग है। जिसे किन्नर कहा गया है।  समाज में इनको घृणा की नजरों से देखा जाता है 


अभी कुछ दिनों पहले रतलाम में  किन्नर सम्मेलन आयोजित किया गया था,जिसमें देशभर के किन्नरों ने हिस्सेदारी की थी। सम्मेलन में आए किन्नरों से चर्चा में पता चलता है कि उनकी ङ्क्षजदगी में कितना दुख है। किन्नर सम्मेलन में ग्वालियर से किन्नर गुरु प्रीति भी आई थी। गोरा रंग,भूरी आंखे, होंठ लाल, तीखी लम्बी नाक जिस पर चमकता हुआ लोंग, फिरोजी रंग का लहंगा चोली पहने हुए बेहद सुन्दर नजर आने वाली प्रीति सहज ही किसी का भी ध्यान अपनी ओर आकृष्ट करने में सक्षम है। जब प्रीति से चर्चा की गई तो यह तथ्य सामने आया कि हर किन्नर के किन्नर होने के पीछे एक अनोखी और दुखभरी कहानी छुपी है।
बहुत जोर देने पर प्रीति अपने बारे में बात करने को तैयार हुई। उसने बताया कि जब वह १५ वर्ष की थी उसकी शादी कर दी गई थी। शादी की पहली ही रात उसके पति को पता चला कि वह ी नहीं है। उसने पूरे घर के सदस्यों के सामने कहा कि प्रीति हिजड़ा है। प्रीति तब जानती भी नहीं थी कि हिजड़ा क्या होता है?  दूसरे  ही दिन उसे उसके घर पहुचा दिया गया। घर पंहुचकर उसने अपनी मां से पूछा कि जब वे जानती थी कि प्रीति हिजडा है तो उसकी शादी क्यो की? मां क्या जवाब देती। प्रीति ने कहा कि इस हादसे के बाद वह बहुत रोई। धीरे धीरे मोहल्ले वालों को भी इस बात का पता चल गया। कुछ दिनों बाद कु छ हिजड़े उसके घर आए और उसेे साथ ले गए। प्रीति की मां ने उन्हे रोका भी लेकिन वे नहीं माने। फिर वह हिजड़ा समूह में रहने लगी। हिजडा समूह में रहते हुए आज उसे २० साल हो गए है। उसकी मॉ से वह कभी- कभी मिलने जाती है। उसकी छोटी बहन जो कि पार्लर  चलाती थी वह भी हिजड़ा थी। उसे भी हिजड़ा समूह अपने साथ ले गया।  यह पूछे जाने पर कि आपको आम लोगो को देख कर कैसा लगता है? उसने कहा कि काश मेरा भी पति होता घर होता बच्चे होते मेरा अपना परिवार होता । काश मुझे भी पत्नी,मॉ बनने का सोभाग्य मिलता ।  बच्चों के साथ समय गुजारना उसे बहुत अच्छा लगता है। उसने दो बच्चे गोद लिये है वह उन्हे पढ़ा-लिखा कर  बड़ा अफसर बनाना चाहती है।  उसने कहा लोग हमसे नफरत करते है । लोगों को  यह समझना चाहिये कि हम भी इंसान है हमें भी भूख लगती है प्यास लगती है हमें भी आशियानें की जरुरत होती है। हम में भी दिमाग है हम भी अच्छा काम कर सकती है ।
 किन्नर भी मानव समाज का ही अंग है। भले ही शुभ कार्य में इनकी दुआ ली जाती है लेकिन इनके साथ अछूतों जैसा व्यवहार किया जाता है।  सच तो यह है कि कोई भी इनको आस पास देखना भी पसंद नही   करते है। शिक्षा केंद्रों पर भी इनका तिरस्कार किया जाता है। जिसके कारण यह पढ़ाई भी नही कर पाते है। लगभग ९८ प्रतिशत किन्नर निरक्षर है ।  अपनी पहचान छुपाकर कुछ किन्नर पढ़ाई कर भी लेते है,किन्तु फिर भी उन्हे नौकरी नही मिलती  है । किन्नर भी समाज में ही पैदा होता है फिर क्यों समाज किन्नरों के साथ सोतेला व्यवहार करता है? किन्नरों से सम्बन्धित कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां इस प्रकार है। 
दुआ--कहते है किन्नरों की दुआ का असर भी बहूत अधिक होता है,जिनके बच्चे नही होते है उनके बच्चे हो जाते है,इनको दान करने से धन दोलत में भी बढ़ोतरी होती है । इनमें इतनी शक्ति होती है कि यह राहू शनि की दशा भी बदल देते है।
बद-दुआ--कहते है अगर किन्नर किसी को बद-दुआ दे दे तो उस परिवार का बुरा ही बुरा होता है,जैसे किसी नवविवाहित दुल्हन या दूल्है को अपने कपड़े उतारकर  उस पर चूडिय़ा तोड़कर शाप दे दे तो ग्रह-नक्षत्र भी दशा बदल लेते है, उनक ा सुखमय जीवन दुखमय हो जाता ह
नवदम्पतियों पर पडऩे वाला सकारात्मक प्रभाव शक्तिहीन हो जाता है। उनके संतान उत्पत्ति में भी बाधांए पड़ती है अगर किसी राह चलते व्यक्ति को किन्नर गाली गलोज 
देते समय बद-दुआ दे दे तो उनकी राहू और शनि की गति ही बदल जाती है । उसका जीवन कलेश्मयी हो जाता है
गुरू ही पति--किन्नर समाज में जब कोई नया सदस्य किन्नर आता है तो उसका विवाह उसके गुरू से कराया जाता है इसलिए गुरू ही उसका पति होता है । किन्तु वह पति पत्नि जैसा संबंध नही बना सकते है वह भाई बहन या दोस्त के रुप में रहते है । वह गुरू को पति परमेश्वर के रुप में मानती है,गुरू के मरने बाद वह सफेद साड़ी पहनने लगती है ,पैर की बिछिया,मांग का सिंदूर व गहने पहनना छोड़ देती है और शौक भी करती है ,विधवा जैसा जीवन जीती है। 
किन्नर सम्मेलन--किन्नरों की मान्यता है कि भगवान कृष्ण ने किन्नर का वरण किया था,इसलिए वह कृष्ण व गुरू के लिए सम्मेलन करते है इस सम्मेलन आयोजन का कारण समाज से कटे इन किन्नरो का एकजूट होकर अपने सुख-दुख व आचार-विचारों का आदान प्रदान करना है। यह सम्मेलन दिल्ली,हैदराबाद,भोपाल बेंगलौर,पटना,रतलाम आदि जगह हो चुका है।
बायोलोजी (शरीर विज्ञान) --महिला में एक्स कोमोसोम होते है और पुरूष में एक्स व वाय दोनो क्रोमोसोम होते है पिरियडस के कुछ दिनो पहले जो डिम्ब ी जननांगो के रास्ते बाहर आता  है वह यदि पुरूष शुक्राणुओं के एक्स  क्रोमोसोम के सम्पर्क में आता है तो गर्भ में बालिका,अगर वाय के संपर्क में आता है तो बालक की रचना होती है,अगर दोनो क्रोमोसोम की बराबर मात्रा में डिम्ब को मिलने की स्थिति में प्राकृतिक विकार आने की आशंका होती है।
प्राचीन ज्योतिष-- भारतीय ज्योतिष के अनुसार-चंद्रमा,मंगल,सूर्य और लग्र से गर्भाधान का विचार किया जाता है , यानी पुरूष के वीर्य की अधिकता से लड़का ी की रक्त की अधिकता से लड़की होती है। शुक्र शोणित (रक्त और रज)की साम्यता से नपुंसक का जन्म होता है।
फ्राड किन्नर--आजकल फ्राड किन्नरों की संख्या बढ़ती जा रही है । ट्रेन,बाजार,बस स्टेशनों पर हमें किन्नर मांगते दिखाई देते है । उनमें अधिकतर फ्राड किन्नर होते है। जो नवयुवक काम नही करना चाहते है वह किन्नर का वेश-भुषा बनाकर लोगो को परेशान करते है और  पैसे मांगते है अपना जीवन गुजारते है।
राजनीति-१९९४ में मुख्य चुनाव आयुक्त टी.एन शेषन ने लैंगिक विकलांगो के मतदान के अधिकार को मंजूरी दी थी। इससे किन्नरो के लिए राजनीति के रास्ते खुल गए।  मतदाता में किन्नरों को महिला के रुप में दर्ज किया गया है। राजनीति क्षेत्र में सफलता पाने वाली पहली किन्नर हिसार,हरियाणा की शोभा नेहरु जो कि १९९५ में हुए नगर निगम के चुनाव मेंं पार्षद चुनी गई थी। श्री गंगानगर,राजस्थान में भी किन्नर बसंती पार्षद बनी। मध्य प्रदेश में किन्नरो को राजनीति क्षेत्र में अच्छी -खासी सफलता प्राप्त हुई। मध्य प्रदेश में  सन २००२ में किन्नर विधायक,पार्षद व महापौर थे। देश की पहली किन्नर विधायक शबनम मौसी शहडोल जिले के सोहागपूर विधानसभा सीट से चुनी गई थी। प्रदेश में सन २००२ में स्थानीय निकाय चुनाव में चार किन्नर चुने गए थे। ये जीत काबिले तारीफ है। 
भारतीय इतिहास-महाभारत में भी शिखंडी नामक किन्नर योद्धा था जिसकी मदद से अर्जुन ने भीष्म पितामह का वध किया था ।  कहा जाता है कि अर्जुन ने भी अपने अज्ञातवास का एक वर्ष वृहन्नला  नाम से किन्नर का रुप धारण करके बिताया था। राजा महाराजा भी किन्नरों को अपनी रानियों की पहरेदारियों के लिये रखते थे,क्यों राजाओं को अधिक से अधिक समय दूसरे राज्यों में बिताना पड़ता था। इसके पीछे उनकी यह सोच थी कि रानिया पहरेदारों से अवैध संबंध न  बना सके। उस दौर में राजा महाराजा कई  नौजवानो के यौनांग काट कर उन्हे हिजड़ा बना देते थे। राजा महाराजा और नवाब इनको अपने हरम में रखते थे और इनके साथ अय्याशी भी किया करते थे 
इसी तरह मुगल साम्राज्य में भी किन्नरो को विशेष महत्व दिया गया था। किन्नरों को जासूसी के काम के लिए रखा जाता था,कई सैनिक पदों,पर साथ ही कई किन्नर फोजदारी भी करते थे। 
जनसंख्या -- हमारे प्रदेश में किन्नरो की संख्या आठ से दस लाख है । कि न्तु आजकल इनकी संख्या बढ़ती जा रही है। क्योंकि  आज कल किन्नर कुछ भोले भाले नव युवकों को नौकरी देने के बहाने से उनका यौनांग काट कर उन्हे जबरन किन्नर बना देते है। जिससे किन्नरो की जनसंख्या बढ़ती जा रही है। कई किन्नरो ने तो अपने डॉक्टर भी रख रखे है जो नव युवकों का लिंग काटकर उन्हे किन्नर बनाने का काम करते है। यह सब काम प्रशासन की नाक के नीचे होता है फिर भी प्रशासन चुप है । 
  मृत्यु पर अफवाह--कुछ लोगो ने इनकी मृत्यु को लेकर गलत अफवाहे फैला रखी है। कुछ लोग कहते है  किन्नर  के मृत शरीर को जूते चप्पल से मारा जाता है। ये अफवाह है । किन्नर के मरने पर किन्नर समाज खुश होता है । नाच गाना करते है किंतु यह भी गलत है । इनको भी दुख होता है यह भी शोक मनाते है
आज कई किन्नर पढ़े -लिखे व हूनर मंद है  किंतु लैंगिक विकलांगता के कारण उन्हे काम नही दिया जाता है।  किन्नर भी सामान्य जीवन जीना चाहता है। हमारे समाज में ही इनको घृणा की नजरों से क्यों देखा जाता है? किन्तु अमेरिका जैसे विकसित देशो में इनकों सरकारी व गैर सरकारी सभी जगह काम पर रखा जाता है किन्नरो को सैनिक पदों पर भी भर्ती कर रही है । इसी तरह बिहार में भी कई किन्नर बैंको, सरकारी व गैर सरकारी में संस्था में काम रहे है बैंको का ऋण वसूली का काम किन्नर ही कर रहे है ।
समाज को यह नही भूलना चाहिये कि लैगिंक रूप से विकलांग लोगो के बुनियादी हक देने में कटोती कर रहे है । सामाजिक व आर्थिक तौर पर ये असूरक्षित। किसी प्रकार का काम-धंधा भी हम इन्हे नही देते  है।  सरकारी न गैर सरकारी स्तर पर। हमारा शासन इनको लेकर पूणर्त उपेक्षा का निर्दयी भाव रखा हुआ है। शासन को इनके लैंगिक विकलांगता न देखते हुए । इनकी शारीरिक क्षमता को देखना चाहिये । और इन्हे रोजगार मुहैया कराना चाहिये।
वैदेही कोठारी (स्वतंत्र पत्रकार)

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