गुरुवार, 28 जनवरी 2016

रेप कानून पऱ जस्टिस वर्मा कमेटी की रिपोर्ट




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रेप कानून पऱ जस्टिस वर्मा कमेटी ने सौंपी रिपोर्ट नई दिल्ली: जस्टिस वर्मा कमेटी ने बुधवार को बलात्कार के खिलाफ सख्‍त कानून बनाने पर अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है। यह रिपोर्ट 200 पन्नों की है। जस्टिम वर्मा ने रिपोर्ट सौंपने के बाद कहा कि महीनेभर में रिपोर्ट तैयार करना एक बड़ी चुनौती थी। रिपोर्ट केंद्रीय गृह मंत्रालय को सौंपी गई है।

उन्होंने कहा कि लगभग 80 हजार देश और विदेश से सुझाव मिले और उसके लिए सबका शुक्रिया। उन्होंने दिल्ली गैंगरेप के बाद आंदोलन के लिए युवाओं की सराहना की है।

जस्टिस वर्मा ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि दिल्ली गैंगरेप मामले को लेकर लोग कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हुए। उनका शांतिपूर्ण प्रदर्शन भावुक कर देने वाला था। उकसाने के बावजूद लोगों ने शांति बनाए रखी।

उन्होंने कहा कि गैंगरेप के विरोध में हुआ यह आंदोलन एक सीख है, और इस आंदोलन से युवा पीढ़ी ने हम बुजुर्गों को भी बड़ी सीख दी है। गैंगरेप के खिलाफ इन प्रदर्शनों में विदेशी नागरिकों की भागीदारी बेहद सराहनीय है।

जस्टिस वर्मा ने कहा कि इस रिपोर्ट में ऑक्सफोर्ड तक से सुझाव मिले है। उन्होंने कहा कि युवाओं में यह जज्बा कायम रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि संसद के अगले सत्र में कानून बनना चाहिए।

गौरतलब है कि पिछले साल दिसंबर महीने में दिल्ली गैंगरेप व हत्‍या कांड के बाद देश भर में लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया था। इस जघन्‍य घटना के बाद उठे बवाल के बाद कानून को सख्त बनाने की मांग ने खासा जोर पकड़ ली। इसी के मद्देनजर केंद्र सरकार ने दुष्‍कर्म और यौन शोषण से जुड़े कानून को कड़ा व बेहतर बनाने का सुझाव देने के लिए जस्टिस वर्मा कमेटी का गठन किया था।

देश भर में दुष्‍कर्म की बढ़ती वारदातों के खिलाफ रोक लगाने के मकसद से रेप के खिलाफ कड़े कानून बनाए जाने की मांग ने देश भर में जोर पकड़ ली है। रेप के खिलाफ सख्‍त कानून बनाने को लेकर जस्टिस वर्मा कमेटी बुधवार को अपनी रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंप सकती है।


दिसंबर माह में दिल्ली गैंगरेप व हत्‍या कांड के बाद देश भर में लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया था। इस जघन्‍य घटना के बाद उठे बवाल के बाद कानून को सख्त बनाने की मांग ने खासा जोर पकड़ ली।

इसी के मद्देनजर केंद्र सरकार ने दुष्‍कर्म और यौन शोषण से जुड़े कानून को कड़ा व बेहतर बनाने का सुझाव देने के लिए जस्टिस वर्मा कमेटी का गठन किया था।

गौर हो कि राजधानी दिल्‍ली में 16 दिसंबर की रात एक चलती बस में गैंगरेप की वारदात के बाद लोगों का हूजूम सड़कों पर उतर गया। कई सप्‍ताह तक इस घटना के खिलाफ विरोध प्रदर्शन जारी रहा। देश के कोने-कोने से बलात्‍कारियों को सजा-ए-मौत देने की मांग उठने लगी।

हालांकि बीच, पार्टी के स्‍तर पर बलात्‍कारियों का रासायनिक बंध्‍याकरण का मसौदा सामने आया, लेकिन बाद में इस पर अमल नहीं हो पाया। लोगों के आक्रोश को शांत करने के लिए सरकार ने समुचित कदम उठाए जाने का भरोसा दिया, पर अभी तक इस दिशा में कोई ठोस परिणाम सामने नहीं आया है।

आईपीसी के तहत अभी बलात्कार की सजा सात साल से लेकर उम्र कैद तक का प्रावधान है। लोगों में इस बात का गुस्‍सा भी है कि दुष्‍कर्म जैसे मामले में न्याय पाने के लिए लंबा वक्‍त लगता है। ऐसे मामलों त्‍वरित फैसला होना चाहिए। जन विरोध को देखकर सरकार ने पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस जेएस वर्मा की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया।

इस कमेटी में हाईकोर्ट की पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस लीला सेठ और वरिष्ठ वकील गोपाल सुब्रह्मण्यम शामिल हैं। कमेटी ने समाज के हर स्‍तर से इस बारे में सुझाव मांगे थे। इस कमेटी को तमाम राजनीतिक दलों, महिला संगठनों और आम लोगों की ओर से करीब 70 हजार सुझाव मिले हैं।

वहीं, कांग्रेस ने बलात्कार की सज़ा बढ़ा कर 30 साल करने की बात कही है। उसने फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाकर तीन महीने में मामला निपटाने का सुझाव दिया है।

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