नेहरू, गांधी के षड़यंत्र जाल ने बोस की ज़िंदगी ले ली!

Posted on by Srishti Jain

  
सुभाष चंद्र बोस मुम्बई में जुलाई 1921 में उतरे, और उसी दिन तुरंत गांधी से मिलने गये। इस तरह भारत के दो प्रसिद्ध सपूतों की कहानी शुरू हुई, जो अगले बीस सालों में सुलझाई गयी, हमारे देश के इतिहास को स्थापित करते हुये। वे दोनों उत्साही राष्ट्रभक्त थे जिन्होंने मुक्त भारत का स्वप्न देखा। बोस गांधी के अनुयायी थे। यह बाद में हुआ था कि बोस स्वतंत्रता आंदोलन की गति से असंतुष्ट थे। उन्होंने कहा था ‘भारत मुक्त होगा, प्रश्न केवल यह है कब’। यह उस बिंदु की शुरुआत सिद्ध करता है जहाँ से उन दोनों में अंतर विकसित हुआ। वहाँ से, यह कड़वा होता गया। गांधी ने अपना क्रोधी स्वभाव प्रकट किया, यह कहा कि “सुभाष की जीत मेरी हार”, जब सुभाष चंद्र बोस कांग्रेस के अध्यक्ष बने।
Bose_Gandhi_1938
इस तथ्य से इंकार नहीं किया जा सकता कि गांधी और नेहरू दोनों नेताजी सुभाष चंद्र बोस से अंसतुष्ट थे। वे हमेशा उनके काम करने के तरीके में कमी निकालते थे। वस्तुत: वे उनकी बढ़ती प्रसिद्धि से भयभीत थे और बचाव के लिये उनकी छवि को खराब करने की कोशिश करते थे। नेहरू और गांधी ने नेताजी को उनके स्थान के लिये खतरे की तरह देखा। धूर्तता और अन्य सभी अनैतिक तरीकों से, उन्होंने योजना बनाकर बोस को युद्ध अपराधी के रूप में ब्रिटिशों को सौंप दिया। बोस के अंगरक्षक उस्मान पटेल ने बताया कि महात्मा गांधी, जवाहर लाल नेहरू, मोहम्मद अली जिन्ना और मौलाना आज़ाद ब्रिटिश जज के साथ इस बात पर सहमत हुये कि अगर नेताजी ब्रिटिश भारत में घुसे, तो उन्हें सौंपा और सजा दिया जायेगा।
Gandhi_at_Darwen_with_women
गांधी और नेहरू एक तरह से ब्रिटिशों के अनुयायी थे, यह जनता में प्रकट नहीं था। गांधी और नेहरू बहुत चालाक थे और चाहते थे कि शक्ति उनके पास अवश्य होनी चाहिये। शक्ति के भूखे और भारत के लिये बोस के बलिदान के प्रति असंवेदनशील, दोनों ने गंदे तरीके और संसाधनों को अपनाया। नेताजी के सम्बंधियों को 1948 से 1968 तक कड़ी निगरानी में रखा गया था। भारत के प्रथम प्रधानमंत्री, जवाहर लाल नेहरू, उन सालों में से 16 में सत्ता में थे। अगर नेताजी वास्तविकता में हवाई दुर्घटना में मारे गये थे तो उनके परिवार की जासूसी क्यों की गयी? स्पष्टत: कोई तथ्य अवश्य था कि बोस ज़िंदा, किसी जगह छुपे और दिखाई देते थे, लेकिन फिर भी वे कहीं नहीं दिखे और उनकी मृत्यु के कारण की अभी तक कोई जानकारी नहीं है। हम स्पष्टत: इस सारांश पर पहुंचते हैं कि गांधी और नेहरू बोस की मृत्यु के लिये जिम्मेदार थे। वे मरे नहीं थे  और गांधी और नेहरू यह जानते थे। यह शर्म की बात है कि ऐसे अंधेरे, गंदे इतिहास के बावजूद, वे याद और अनुकरण किये जाते हैं।
main-qimg-217423e9c0c15f905981b6709ec427e8
गांधी और नेहरू ने न केवल बोस के परिवार की जासूसी कराई, बल्कि भगत सिंह के परिवार की भी जासूसी करवाई। ऐसा लगता है कि दोनों भारत के विकास कार्यों में शामिल होने के बजाय, सच्चे स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के विरूद्ध जासूसी और षड़यंत्र में शामिल थे। गांधी भारतीयों में भगत सिंह की बढ़ती लोकप्रियता से घबराये हुए थे।
Gandhi_and_Nehru_1942
हम सब भलीभांति जानते हैं कि गांधी ने भगत सिंह को फांसी से बचाने के लिये कोई प्रयास नहीं किया। गांधी, भगत सिंह के अहिंसा रणनीति के तरीके से सहमत नहीं थे। हमारा देश कुछ अलगा ही होता अगर बोस और भगत सिंह जैसे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी हमारे देश का प्रबंधन करते।
download-11


Story Views : 10811Google Analytics