- 15 दिसंबर 2013
जब मदुरै की अनुशया ने अपने फेसबुक अकाउंट पर एक नई तस्वीर पोस्ट की तो उसे थोड़े से ही वक्त में सौ से ज्यादा लाइक मिल गए.
आत्मविश्वास से भरी अनुशया सलवार कुर्ते में बेहद खूबसूरत लग रही थीं. लंबी ज़ुल्फों के साथ मॉडल सरीखे लुक में वो सहज दिख रही थीं.और जब तक आपको ये बताया न जाए, तब तक आप जान नहीं पाएंगे कि अनुशया एक ट्रांसजेंडर हैं.
लेकिन इन दिनों वे अपने लुक्स के अलावा कुछ और वजहों से चर्चा में हैं. वह तमिलनाडु की पहली और शायद भारत की भी सबसे पहली ट्रांसजेंडर हैं जो होमगार्ड्स (गृह रक्षा वाहिनी) में भर्ती होने जा रही हैं.
गुनाह नहीं जिंदगी
वह कहती हैं, "जब कोई चोरी या कत्ल भी करता है तो घर वाले उसे क़ुबूल कर लेते हैं लेकिन वे हम जैसों को घर परिवार के हिस्से के तौर पर स्वीकार करने में शर्माते हैं. पुलिस महकमे की पहल पर होमगार्ड्स में भर्ती हो रही है. ये उन परिवारों के लिए एक बड़ा कदम है जिन्हें लगता है कि हाँ उन्हें भी अपनाया जा सकता है."तमिलनाड के मदुरै शहर में अनुशया के अलावा पाँच और ट्रांसजेंडर हैं जिन्हें सोमवार को अपने आवेदन फॉर्म जमा करने हैं. ये हैं बृंदा, अलफोंसा, निरोशा, शांतिनी और सौदामिनी. इन सबकी उम्र 20 से 35 साल के बीच है.
सरकार की तरफ से हुई इस पहल से तमिलनाडु के ट्रांसजेंडर समुदाय में उत्साह का माहौल है.
एसपी से की थी गुजारिश
कोयम्बटूर की शिल्पा भी एक ट्रांसजेंडर हैं. चार साल पहले उन्होंने होमगार्ड्स में भर्ती होने की कोशिश की थी.वह कहती हैं, "मुझे पता नहीं कि किस वजह से मुझे स्वीकार नहीं किया गया था लेकिन मुझे खुशी है कि अब ऐसा हो रहा है. ऐसे वक्त में जब कि हमारे जैसी यौन पहचान वाले अल्पसंख्यक सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद निराश थे, इस ख़बर से हमारा भरोसा बढ़ा है."भारती कनम्मा मदुरै में एक ट्रस्ट चलाती हैं. भारती कनम्मा ट्रांसजेंडर समुदाय के लोगों को होमगार्ड्स में भर्ती करने के लिए की गई पुलिस की पहल को इसका श्रेय देती हैं.
वह कहती हैं, "मैंने एसपी से हमें एक मौका देने के लिए गुजारिश की थी. थोड़े समय के बाद एक दिन उन्होंने मुझसे कुछ ऐसे नाम सुझाने के लिए कहा जिन्होंने 10वीं या 12वीं तक की पढ़ाई कर रखी हो और जिन्हें होमगार्ड्स में भर्ती किया जा सके. हम भी उनकी इस पेशकश से हैरत में थे."
बदलाव
होमगार्ड्स पुलिस के साथ मिलकर काम करने वाली सरकारी संस्था है. इसका इस्तेमाल कानून व्यवस्था बनाए रखने, ट्रैफिक को सुचारू बनाए रखने और आपातकालीन परिस्थितियों में किया जाता है.
मुझे लगा कि उन्हें होम गार्ड में भर्ती करके उनकी मदद की जा सकती है. इसमें नियुक्ति के तौर तरीके थोड़े लचीले हैं और उन्हें भी कुछ सार्थक करने के लिए मिल जाएगा.
आदर्श बनेगी पहल
जिला पुलिस के मुखिया को उम्मीद है कि ये पहल एक मॉडल की तरह काम करेगी और दूसरे भी इससे सबक लेंगे. भर्ती किए गए लोगों को कुछ बुनियादी ट्रेनिंग भी दी जाएगी.लैंगिक अल्पसंख्यकों के मामले में तमिलनाडु सरकार ख़ास तौर पर सचेत है.
राज्य सरकार ने इनके लिए ट्रांसजेंडर वेलफेयर बोर्ड, पहचान पत्र, ग्रुप हाउसिंग, पेंशन और अन्य कल्याणकारी योजनाएं चला रखी हैं.
परिवार, नियोक्ता और समाज की नज़र में स्वीकार्यता पाने के लिए इन्हें लगातार संघर्ष करना पड़ता है.
अपनों से उम्मीद
होमगार्ड्स में भर्ती की उम्मीद बांधे 20 वर्षीय बृंदा को लगता है कि इस अवसर के मिलने के बाद परिवार के लिए वह स्वीकार्य हो जाएंगी.''जब भी परिवार में शादी या कोई अन्य कार्यक्रम होता है तो वे पूछते हैं कि मैं क्यों आई? इसलिए हमने वहां जाना छोड़ दिया. मैं उम्मीद करती हूं कि सरकारी नौकरी पाने के बाद वे मुझे स्वीकार कर सकते हैं.''
हालांकि एसपी बालाकृष्णन के अनुसार पुलिस बल में उनकी स्वीकार्यता एक और चुनौती है.
जागरूक तमिलनाडु
- ट्रांसजेंडर वेलफेयर बोर्ड
- पहचान पत्र की व्यवस्था
- ग्रुप हाउसिंग योजनाओं में सहभागिता
- उच्च शिक्षा हासिल करने का हक़
- पेंशन और अन्य कल्याणकारी योजनाएं
असंभव नहीं
उनका कहना है कि, ''तुरंत स्वीकार्यता मुश्किल है लेकिन समय के साथ यह संभव हो जाएगा. मैं आश्वस्त हूं कि वे अन्य ट्रांसजेंडर के लिए आदर्श होंगी और उन्हें भी पुलिस बल में शामिल होने के लिए प्रेरित करेंगी.''चेन्नई और मदुरै में काम कर चुके एक वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. विजयरमन कहना है कि, ''इसका मतलब है समान अवसर, नौकरी के मौके और सबसे महत्वपूर्ण सामाजिक स्वीकार्यता. जो समूह सबसे संवेदनशील माना जाता है वह अब रक्षक की भूमिका में होगा.''
जो एनजीओ में काम करते हैं उन्हें लगता है कि इस अनोखी पहल से पैदा हुई स्वीकार्यता उनमें न्याय के प्रति भरोसा पैदा करेगी.
ट्रांसजेंडर समूह की कोशिशों और सजग राज्य की पहल ने तमिलनाडु के ट्रांसजेंडर्स में एक नई उम्मीद को जगाया है.
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