इन गांवों में कोई नहीं चाहता बेटी ब्याहना, 20 साल से नहीं बजी शहनाई
- हेमेंद्र नरवरिया/श्याम सोनी
- Sep 12, 2014, 02:25 AM IST
डबरा.
डबरा में सिंध और नोन नदी के बीच बसे तीन गांव चौकी, चूना और धौर्रा। 20
साल बीत गए यहां शहनाई बजे हुए। शादी के इंतजार में इन गांवों के
लड़के-लड़कियां उम्रदराज हो चले हैं। कारण, हर साल बरसात के सीजन में जब
दोनों नदियों में पानी उफान पर होता है तो ये तीनों गांव टापू बन जाते हैं।
इसलिए यहां कोई अपनी बेटी ब्याहना नहीं चाहता। पूछने पर कहता है-हमारी
बेटी क्या तैरकर ससुराल जाएगी?
करीब 1500 की आबादी वाले इन गांवों में करीब पांच सौ परिवार निवास
करते हैं। हर साल इन गांवों में बारिश आफत बनकर आती है। गांव से बाहर जाने
के लिए नदी पर पुल न होने के कारण ग्रामीणों को तैरकर या फिर ट्यूब के
सहारे नदी पार करनी पड़ती है। इसमें सबसे अधिक परेशानी महिलाओं को ही आती
है। यही नहीं किसी के गंभीर रूप से बीमार होने पर भी उसे इलाज के लिए ट्यूब
के सहारे ही नदी पार कराई जाती है। धौर्रा गांव में रहने वाले हाकिम सिंह
कहते हैं कि यही स्थिति रही तो हमारे बच्चे कुंवारे ही रह जाएंगे।
गांवों के पानी में घिरे होने का मामला मेरी जानकारी में आया है।
तहसीलदार को मौके पर भेजकर स्थिति की जानकरी ली जाएगी। ग्रामीणों की समस्या
को दूर करने का प्रयास किया जाएगा।
- विजय दत्ता, एसडीएम, डबरा
- विजय दत्ता, एसडीएम, डबरा
मन करता है गांव छोड़कर चले जाएं
गांवों में कुछ लड़कियों की तो जैसे-तैसे शादी हो भी गई पर लड़के
कुंवारे ही हैं। चौकी गांव में रहने वाले तोरन सिंह (35) आराम सिंह (45)
करन सिंह (45) की भी अभी तक शादी नहीं हुई है। इनका कहना है कि अगर उनके
लिए कोई रिश्ता आता भी है तो गांव के पानी से घिरने का पता चलते ही लोग मना
कर देते हैं। इनका कहना है-अब तो मन करता है कि गांव ही छोड़कर चले जाएं,
लेकिन जमीन और घर छोड़कर जाएं भी तो कहां। इन्होंने बताया कि ग्राम चौकी,
धौर्रा और चूना के लगभग 400 युवक-युवतियां अब भी कुंवारे हैं।
बच्चे नहीं जा पा रहे स्कूल
रास्ता नहीं होने की वजह से न तो इन गांवों के बच्चे स्कूल ही जा पा रहे हैं और न ही ग्रामीण इलाज कराने शहर जा पाते हैं। ग्रामीणों का कहना है हर साल जब तक नदी में पानी रहता है तब तक बच्चों का स्कूल छूट जाता है।
बस वोट मांगने आते हैं नेता
गुस्से में भरे करन सिंह कहते हैं कि चुनाव के समय जनप्रतिनिधि वोट मांगने के लिए तो आ जाते हैं और बड़े-बड़े वादे भी करते हैं लेकिन चुनाव जीतने के बाद कोई दोबारा नहीं आता।
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