अयीसन गाँव, जाहाँ बाप खुद अपना बेटी से देह व्यापार करावेले, जबकि खुद दलाली करेले
भारत में कुछ अयीसन गाँव बा जाहाँ बाप-भाई खुद अपना लईकी से देह व्यापार करावेले, जबकि अपने दलाली करेले
एगो
बिना विवाद के सच्चाई बा कि देह व्यापार, वेश्यावृति माने सेक्स के धंधा
सबसे पुरान धंधा में से एक बाटे। कहीं-कहीं त एकरा से सबसे पुरान धंधा तक
मानल जाला।
एगो अवुरी सच्चाई बा कि दुनिया के कवनो नारी ए धंधा में खुशी-खुशी ना आवे। कबो गरीबी, त कबो लाचारी, त कबो-कबो जादा पावे के इच्छा ए धंधा में ले आवेला। कबो-कबो केहु बरियारी ए धंधा में ढकेल देवेला।
लेकिन, लेकिन ए सभ कारण के बावजूद पूरा दुनिया समेत भारत में बहुत अयीसन इलाका चाहे समूह बा जवन एकरा के आपन पुश्तैनी अवुरी पारिवारिक धंधा बना लेले बा।
भारत में बहुत अयीसन जगह बा, जाहाँ के औरत खुशी-खुशी देह व्यापार करेली। ए लोग के देह व्यापार के अलावे अवुरी कवनो काम पसंद ना परे। हालांकि एकरा पीछे तर्क बहुत प्रकार के दिहल जाला, लेकिन सबसे बड़ तर्क बा कि एकरा के कईल ए लोग खातिर बहुत आसान बा।
चली भारत के अयीसने कुछ जगह के बारे में जानल जाए
नटपुरवाः हरदोई, उत्तर प्रदेश
हरदोई ज़िला के संडीला तहसील में परेवाला नटपुरवा गांव में 'नट' जाति के लोग रहेले। जानकारी के मुताबिक, पछिला सैकड़ो साल से इहाँ के महिला देह व्यापार के धंधा चलावेली। करीब 400 साल से चलत ए परंपरा के मुताबिक, बच्चा हमेशा अपना महतारी संगे रहेला। अधिकांश बच्चा के अपना पिता के नाम नईखे पाता, हालांकि शिक्षा से कुछ सुधार देखाई देता, लेकिन सैकड़ो साल पुरान परंपरा बिना कवनो काट-छांट के कायम बा।
वाडिया: बनासकांठा, गुजरात
गुजरात के बनासकांठा ज़िला के वाडिया गाँव में देह व्यापार के धंधा कब शुरू भईल रहे एकरा बारे में कवनो खास जानकारी नईखे, लेकिन बतावल जाला कि इहाँ इ काम कई सदी पहिले शुरू भईल रहे। तबसे से लेके आजतक ए गाँव में देह व्यापार के भरपूर बढ़ावा दिहल जाला। ए गाँव के लईकी अपना सहमती से काम में मदद करेली। ए गाँव के पुरुष जिश्म के दलाली करेले।
बेचारा जनजाति: मध्य प्रदेश
मध्य प्रदेश के ए जनजाति के हाल सबसे अजीब बा। सैकड़ो साल पहिले शुरू भईल एगो परंपरा के मुताबिक, घर के सबसे बड़ बेटी के ओकर बाप-भाई देह व्यापार के धंधा में उतारेले। चुकी परिवार के खर्चा चलावे के जिम्मा परिवार के सबसे बड़ लईकी प होखेला एहसे उ चाहियो के ए काम से माना नईखे कर सकत।
देवदासीः कर्नाटक
कर्नाटक के देवदासी प्रथा के सामाजिक मान्यता तक बाटे। बचपन में ए समूह के लईकीन के देवी बना के बियाह क दिहल जाला, लेकिन बाद इहे लईकी वेश्या बन जाले अवुरी मर्द के 'सेवा' करेले। ए परंपरा के पालन खातिर लईकी के माँ-बाप के पईसा मिलेला।
इहाँ इहो जानल रुचिकर होई कि उत्तर प्रदेश के नट जाति अवुरी मध्य प्रदेश के बेचारा जनजाति निहन अवुरी कई गो समूह बा जवन कि देह व्यापार के जीविका के आसान उपाय मान लेले बा।
ए प्रकार के घिनावन काम से आपन जीविका चलावे वाला समूह में बेड़िया, फासी अवुरी बंजार समूह के नाम तक आवेला। ए सह समूह के विस्तार मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार से लेके राजस्थान अवुरी हरियाणा तक बाटे।
एगो अवुरी सच्चाई बा कि दुनिया के कवनो नारी ए धंधा में खुशी-खुशी ना आवे। कबो गरीबी, त कबो लाचारी, त कबो-कबो जादा पावे के इच्छा ए धंधा में ले आवेला। कबो-कबो केहु बरियारी ए धंधा में ढकेल देवेला।
लेकिन, लेकिन ए सभ कारण के बावजूद पूरा दुनिया समेत भारत में बहुत अयीसन इलाका चाहे समूह बा जवन एकरा के आपन पुश्तैनी अवुरी पारिवारिक धंधा बना लेले बा।
भारत में बहुत अयीसन जगह बा, जाहाँ के औरत खुशी-खुशी देह व्यापार करेली। ए लोग के देह व्यापार के अलावे अवुरी कवनो काम पसंद ना परे। हालांकि एकरा पीछे तर्क बहुत प्रकार के दिहल जाला, लेकिन सबसे बड़ तर्क बा कि एकरा के कईल ए लोग खातिर बहुत आसान बा।
चली भारत के अयीसने कुछ जगह के बारे में जानल जाए
नटपुरवाः हरदोई, उत्तर प्रदेश
हरदोई ज़िला के संडीला तहसील में परेवाला नटपुरवा गांव में 'नट' जाति के लोग रहेले। जानकारी के मुताबिक, पछिला सैकड़ो साल से इहाँ के महिला देह व्यापार के धंधा चलावेली। करीब 400 साल से चलत ए परंपरा के मुताबिक, बच्चा हमेशा अपना महतारी संगे रहेला। अधिकांश बच्चा के अपना पिता के नाम नईखे पाता, हालांकि शिक्षा से कुछ सुधार देखाई देता, लेकिन सैकड़ो साल पुरान परंपरा बिना कवनो काट-छांट के कायम बा।
वाडिया: बनासकांठा, गुजरात
गुजरात के बनासकांठा ज़िला के वाडिया गाँव में देह व्यापार के धंधा कब शुरू भईल रहे एकरा बारे में कवनो खास जानकारी नईखे, लेकिन बतावल जाला कि इहाँ इ काम कई सदी पहिले शुरू भईल रहे। तबसे से लेके आजतक ए गाँव में देह व्यापार के भरपूर बढ़ावा दिहल जाला। ए गाँव के लईकी अपना सहमती से काम में मदद करेली। ए गाँव के पुरुष जिश्म के दलाली करेले।
बेचारा जनजाति: मध्य प्रदेश
मध्य प्रदेश के ए जनजाति के हाल सबसे अजीब बा। सैकड़ो साल पहिले शुरू भईल एगो परंपरा के मुताबिक, घर के सबसे बड़ बेटी के ओकर बाप-भाई देह व्यापार के धंधा में उतारेले। चुकी परिवार के खर्चा चलावे के जिम्मा परिवार के सबसे बड़ लईकी प होखेला एहसे उ चाहियो के ए काम से माना नईखे कर सकत।
देवदासीः कर्नाटक
कर्नाटक के देवदासी प्रथा के सामाजिक मान्यता तक बाटे। बचपन में ए समूह के लईकीन के देवी बना के बियाह क दिहल जाला, लेकिन बाद इहे लईकी वेश्या बन जाले अवुरी मर्द के 'सेवा' करेले। ए परंपरा के पालन खातिर लईकी के माँ-बाप के पईसा मिलेला।
इहाँ इहो जानल रुचिकर होई कि उत्तर प्रदेश के नट जाति अवुरी मध्य प्रदेश के बेचारा जनजाति निहन अवुरी कई गो समूह बा जवन कि देह व्यापार के जीविका के आसान उपाय मान लेले बा।
ए प्रकार के घिनावन काम से आपन जीविका चलावे वाला समूह में बेड़िया, फासी अवुरी बंजार समूह के नाम तक आवेला। ए सह समूह के विस्तार मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार से लेके राजस्थान अवुरी हरियाणा तक बाटे।
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