एक गांव जहां हर पांचवी औरत विधवा, वजह उड़ा देगी होश
बिहार के सासाराम के करवन्दिया गांव में
घुसते ही मौत का मातम घर-घर नज़र आता है। यहां हर पांच में से एक औरत विधवा
है, वजह है शराब। इसके ख़िलाफ़ महिलाओं ने संघर्ष की शुरुआत की भी है
लेकिन यह राह भी आसान नहीं।
50 साल की कलपाती कुंअर की शादी चालीस साल पहले हुई थी, सिर्फ़ 10 बरस की उम्र में। उनके परिजनों ने सोचा कि बेटी को खाने-पीने की दिक्कत कभी नहीं होगी। लेकिन शराब ने सब बर्बाद कर दिया। पति को शराब ने लील लिया और बेटे भी दिन भर नशे में डूबे रहते हैं।
'बेटी ही पैदा हो तो ठीक'
परिवार को यूं खत्म होते देखती, बेचैन कलपाती कहती हैं, "पेट में अन्न जाता नहीं, दारू ही जाती रही तो क्या होगा। एक दिन सारा मर्दाना खत्म हो जाएगा। आज हम मोसमात (विधवा) हैं कल कोई और होगा।"
प्रगतिशील महिला मंच के फ़रवरी 2015 के सर्वे के मुताबिक 500 महिला वोटरों वाले इस गांव में 100 से ज़्यादा विधवा हैं। मंच की अध्यक्ष सुनीता बताती हैं, "नवंबर 2013 से जब हमने इस इलाके में काम करना शुरू किया तो पाया कि यहां सिर्फ शराब, पत्थर टूटने से पैदा हुई धूल और भुखमरी है। जो लोगों को असमय मौत के मुंह में धकेल रही है। अपनी बैठकों में विधवा औरतों की तादाद को देखकर हम दंग रह गए।"
आलम यह है कि यहां अब लोग अपनी लड़कियां ब्याहने से कतराने लगे हैं। गांव की राजधानी देवी कहती हैं, "अब अगुआ नहीं आता। कहता है बेटी यहां ब्याह गई तो विधवा हो जाएगी। और जच्चा भी बेटा नहीं मांगती, बेटी ही हो तो ठीक। कम से कम शराब तो नहीं पीएगी।"
50 साल की कलपाती कुंअर की शादी चालीस साल पहले हुई थी, सिर्फ़ 10 बरस की उम्र में। उनके परिजनों ने सोचा कि बेटी को खाने-पीने की दिक्कत कभी नहीं होगी। लेकिन शराब ने सब बर्बाद कर दिया। पति को शराब ने लील लिया और बेटे भी दिन भर नशे में डूबे रहते हैं।
'बेटी ही पैदा हो तो ठीक'
परिवार को यूं खत्म होते देखती, बेचैन कलपाती कहती हैं, "पेट में अन्न जाता नहीं, दारू ही जाती रही तो क्या होगा। एक दिन सारा मर्दाना खत्म हो जाएगा। आज हम मोसमात (विधवा) हैं कल कोई और होगा।"
प्रगतिशील महिला मंच के फ़रवरी 2015 के सर्वे के मुताबिक 500 महिला वोटरों वाले इस गांव में 100 से ज़्यादा विधवा हैं। मंच की अध्यक्ष सुनीता बताती हैं, "नवंबर 2013 से जब हमने इस इलाके में काम करना शुरू किया तो पाया कि यहां सिर्फ शराब, पत्थर टूटने से पैदा हुई धूल और भुखमरी है। जो लोगों को असमय मौत के मुंह में धकेल रही है। अपनी बैठकों में विधवा औरतों की तादाद को देखकर हम दंग रह गए।"
आलम यह है कि यहां अब लोग अपनी लड़कियां ब्याहने से कतराने लगे हैं। गांव की राजधानी देवी कहती हैं, "अब अगुआ नहीं आता। कहता है बेटी यहां ब्याह गई तो विधवा हो जाएगी। और जच्चा भी बेटा नहीं मांगती, बेटी ही हो तो ठीक। कम से कम शराब तो नहीं पीएगी।"
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