प्रकार | रेल मंत्रालय, भारत सरकार का विभागीय उपक्रम | ||||
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उद्योग | रेलवे तथा लोकोमोटिव | ||||
स्थापना | १६ अप्रैल, १८५३, १९५५ में राष्ट्रीकृत | ||||
मुख्यालय | नई दिल्ली, भारत | ||||
क्षेत्र | भारत | ||||
प्रमुख व्यक्ति | केन्द्रीय रेलवे मंत्री: डी. वी. सदानंद गौड़ा नारानभाई जे रथवा अध्यक्ष, रेलवे बोर्ड: कल्याण सी जेना |
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उत्पाद | रेल यातायात, माल-यातायात, अन्य सेवाएं | ||||
राजस्व | INR ७२,६५५ करोड़ (२००८) (~18.16BUSD)[1] | ||||
कर्मचारी | ~१,२०,००,००० | ||||
मातृ कंपनी | रेल मंत्रालय (भारत) | ||||
प्रभाग | १६ रेलवे मण्डल (कोंकण रेलवे के अलावा) | ||||
वेबसाइट | भारतीय रेल |
अर्थव्यस्था में अंतर्देशीय परिवहन का रेल मुख्य माध्यम है। यह ऊर्जा सक्षम परिवहन मोड, जो बड़ी मात्रा में जनशक्ति के आवागमन के लिए बड़ा ही आदर्श एवं उपयुक्त है, बड़ी मात्रा में वस्तुओं को लाने ले जाने तथा लंबी दूरी की यात्रा के लिए अत्यन्त उपयुक्त हैं। यह देश की जीवन धारा हैं और इसके सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए इनका महत्वपूर्ण स्थान है। सुस्थापित रेल प्रणाली देश के दूरतम स्थानों से लोगों को एक साथ मिलाती है और व्यापार करना, दृश्य दर्शन, तीर्थ और शिक्षा संभव बनाती है। यह जीवन स्तर सुधारती है और इस प्रकार से उद्योग और कृषि का विकासशील त्वरित करने में सहायता करता है।
अनुक्रम
- 1 भारत में रेलों की शुरुआत
- 2 मुख्य खण्ड
- 3 अन्तर्गत उपक्रम
- 4 अनुसंधान, डिज़ाइन और मानक संगठन
- 5 देश के विकास में
- 6 आधुनिकीकरण
- 7 मूल संरचना विकास
- 8 मुख्य खण्ड
- 9 अन्तर्गत उपक्रम
- 10 अनुसंधान, डिज़ाइन और मानक संगठन
- 11 देश के विकास में
- 12 आधुनिकीकरण
- 13 मूल संरचना विकास
- 14 रेल बजट
- 15 पंचवर्षीय योजनान्तर्गत
- 16 महत्वपूर्ण रेल एवं उपलब्धियाँ
- 17 रेलक्षेत्र
- 18 सन्दर्भ
- 19 यह भी देखें
- 20 बाहरी कड़ियाँ
भारत में रेलों की शुरुआत
[भारत में रेलों की शुरुआत 1853 में अंग्रेजों द्वारा अपनी प्राशासनिक सुविधा के लिये की गयी थी] परंतु आज भारत के ज्यादातर हिस्सों में रेलवे का जाल बिछा हुआ है और रेल, परिवहन का सस्ता और मुख्य साधन बन चुकी है। सन् 1853 में बहुत ही मामूली शुरूआत से जब [पहली अप ट्रेन ने मुंबई से थाणे तक (34 कि.मी. की दूरी) की दूरी तय की थी,] अब भारतीय रेल विशाल नेटवर्क में विकसित हो चुका है इसके 64,640 कि.मी.मार्ग की लंबाई पर 7,133 स्टेशन फैले हुए हैं। उनके पास 7,910 इंजनों का बेड़ा हैं; 42,441 सवारी सेवाधान, 5,822 अन्य कोच यान, 2,22,379 वैगन (31 मार्च, 2005 की स्थिति के अनुसार)।[ भारतीय रेल बहुल गेज प्रणाली] है;जिसमें ब्राॅड गेज (1.676 मि मी) मीटर गेज (1.000 मि मी); और नैरो गेज (0.762 मि मी. और 610 मि. मी)है, उनकी पटरियों की लंबाई क्रमश: 89,771 कि.मी; 15,684 कि.मी. और 3,350 कि.मी. है। जबकि गेजवार मार्ग की लंबाई क्रमश: 47,749 कि.मी; 12,662 कि.मी. और 3,054 कि.मी. है। कुल चालू पटरियों की लंबाई 84,260 कि.मी. है जिसमें से 67,932 कि.मी. ब्राॅड गेज, 13,271 कि.मी. मीटर गेज, और 3,057 कि.मी. नैरो गेज है। लगभग मार्ग किलो मीटर का 28 प्रतिशत, चालू पटरी 39 प्रतिशत और 40 प्रतिशत कुल पटरियों का विद्युतीकरण किया जा चुका है।मुख्य खण्ड
भारतीय रेल के दो मुख्य खंड हैं - भाड़ा/माल वाहन और सवारी। भाड़ा खंड लगभग दो तिहाई राजस्व जुटाता है जबकि शेष सवारी यातायात से आता है। भाड़ा खंड के भीतर थोक यातायात का योगदान लगभग 95 प्रतिशत से अधिक कोयले से आता है। वर्ष 2002-03 से सवारी और भाड़ा ढांचा यौक्तिकीकरण करने की प्रक्रिया में वातानुकूलित प्रथम वर्ग का सापेक्ष सूचकांक को 1400 से घटाकर 1150 कर दिया गया है। एसी-2 टायर का सापेक्ष सूचकांक 720 से 650 कर दिया गया है। एसी प्रथम वर्ग के किराए में लगभग 18 प्रतिशत की कटौती की गई है और एसी-2 टायर का 10 प्रतिशत घटाया गया है। 2005-06 में माल यातायात में वस्तुओं की संख्या 4000 वस्तुओं से कम करके 80 मुख्य वस्तु समूह में रखा गया है और अधिक 2006-07 में 27 समूहों में रखा गया है। भाड़ा प्रभारित करने के लिए वर्गों की कुल संख्या को घटाकर 59 से 17 कर दिया गया है।अन्तर्गत उपक्रम
भारत में रेल मंत्रालय, रेल परिवहन के विकास और रखरखाव के लिए नोडल प्राधिकरण है। यह विभन्न नीतियों के निर्माण और रेल प्रणाली के कार्य प्रचालन की देख-रेख करने में रत है। भारतीय रेल के कार्यचालन की विभिन्न पहलुओं की देखभाल करने के लिए इसने अनेकानेक सरकारी क्षेत्र के उपक्रम स्थापित किये हैं :- रेल इंडिया टेक्नीकल एवं इकोनॉमिक सर्विसेज़ लिमिटेड (आर आई टी ई एस) इंडियन रेलवे कन्स्ट्रक्शन (आई आर सी ओ एन) अंतरराष्ट्रीय लिमिटेड इंडियन रेलवे फाइनेंस कॉर्पोरेशन लिमिटेड (आई आर एफ सी) कंटनेर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (सी ओ एन सी ओ आर) कोंकण रेलवे कॉर्पोरेशन लिमिटेड (के आर सी एल) इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कॉर्पोरेशन लिमिटेड (आई आर सी टी आर) रेलटेल कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (रेलटेल) मुंबई रेलवे विकास कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एम आर वी सी लिमिटेड.) रेल विकास निगम लिमिटेड (आर वी एन आई)अनुसंधान, डिज़ाइन और मानक संगठन
आर डी एस ओ के अतिरिक्त लखनऊ में अनुसंधान और विकास स्कंध (आर एंड डी) भारतीय रेल का है। यह तकनीकी मामलों में मंत्रालय के परामर्शदाता के रूप में कार्य करता है। यह रेल विनिर्माण और डिज़ाइनों से संबद्ध अन्य संगठनों को भी परामर्श देता है। 'रेल सूचना प्रणाली के लिए भी केंद्र है (सी आर आई एस)', जिसकी स्थापना विभिन्न कम्प्यूटरीकरण परियोजनाओं का खाका तैयार करने और क्रियान्वन करने के लिए की गई है। इनके साथ-साथ छह उत्पादन इकाइयाँ हैं जो रोलिंग स्टॉक, पहिए, एक्सेल और रेल के अन्य सहायक संघटकों के विनिर्माण में रत है अर्थात, चितरंजन लोको वर्क्स; डीजल इंजन आधुनिकीकरण कारखाना; डीजल इंजन कारखाना; एकीकृत कोच फैक्टरी; रेल कोच फैक्टरी; और रेल पहिया फैक्टरी।देश के विकास में
देश के औद्योगिक और कृषि क्षेत्र की त्वरित प्रगति ने रेल परिवहन की उच्च स्तरीय मांग का सृजन किया है, विशेषकर मुख्य क्षेत्रकों में जैसे कोयला, लौह और इस्पात अयस्क, पेट्रोलियम उत्पाद और अनिवार्य वस्तुएं जैसे खाद्यान्न, उर्वरक, सीमेंट, चीनी, नमक, खाद्य तेल आदि। तद्नुसार भारतीय रेल में रेल प्रौद्योगिकी की प्रगति को आत्मसात करने के लिए अनेकानेक प्रयास किए हैं और बहुत से रेल उपकरणों जैसे रोलिंग स्टॉक के उत्पादन में आत्मनिर्भर हो गया है। यह ईंधन किफायती, नई डिज़ाइन के उच्च हॉर्स पावर वाले इंजन, उच्च गति के कोच और माल यातायात के लिए आधुनिक बोगियों को कार्य में लगाने की प्रक्रिया कर रहा है। आधुनिक सिग्नलिंग जैसे पैनल-इंटर लॉकिंग, रूट रिले इंटर लॉकिंग, केंद्रीकृत यातायात नियंत्रण, स्वत: सिग्नलिंग और बहु पहलू रंगीन प्रकाश सिग्नलिंग की भी शुरूआत की जा रही है।आधुनिकीकरण
ऐसे नेटवर्क को आधुनिक बनाने, सुदृढ़ करने और इसका विस्तार करने के लिए भारत सरकार निजी पूंजी तथा रेल के विभिन्न वर्गों में, जैसे पत्तन में- पत्तन संपर्क के लिए परियोजनाएं, गेज परिवर्तन, दूरस्थ/पिछड़े क्षेत्रों को जोड़ने, नई लाइन बिछाने, सुंदरबन परिवहन आदि के लिए राज्य निधियन को आकर्षित करना चाहती है। इसके अतिरिक्त सरकार ने दिल्ली, मुंबई, चैन्नई, बैंगलूर, हैदराबाद और कोलकाता मेट्रोपोलिटन शहरों में रेल आधारित मास रेपिड ट्रांज़िट प्रणाली शुरू की है। परियोजना का लक्ष्य, शहरों के यात्रियों के लिए विश्वासनीय सुरक्षित एवं प्रदूषण रहित यात्रा मुहैया कराना है। यह परिवहन का सबसे तेज साधन सुनिश्चित करती है, समय की बचत करती एवं दुर्घटना कम करती है। इस परियोजना ने उल्लेखनीय प्रगति की है। विशेषकर दिल्ली मेट्रो रेल परियोजना का कार्य निष्पादन स्मरणीय है। दिल्ली मेट्रो का पहला चरण पूरी तरह कार्यरत है और यह अपने नेटवर्क का विस्तार राजधानी शहर के बाहर कर रहा है।मूल संरचना विकास
भारत में रेल मूल संरचना के विकास में निजी क्षेत्रों की भागीदारी का धीरे-धीरे विस्तार हो रहा है, मान और संभावना दोनों में। उदाहरण के लिए, पीपावाव रेलवे कॉर्पोरेशन लिमिटेड (पीआरसीएल) रेल परिवहन में पहला सरकारी निजी भागीदारी का मूल संरचना मॉडल है। यह भारतीय रेल और गुजरात पीपावाव पोर्ट लिमिटेड की संयुक्त उद्यम कंपनी है, जिसकी स्थापना 271 कि.मी. लंबी ब्राड गेज रेल लाइंस का निर्माण, रखरखाव और संचालन करने के लिए की गई है, यह गुजरात राज्य में पीपावाव पत्तन को पश्चिमी रेल के सुरेन्द्र नगर जंक्शन से जोडती है।[2]
मुख्य खण्ड
भारतीय रेल के दो मुख्य खंड हैं - भाड़ा/माल वाहन और सवारी। भाड़ा खंड लगभग दो तिहाई राजस्व जुटाता है जबकि शेष सवारी यातायात से आता है। भाड़ा खंड के भीतर थोक यातायात का योगदान लगभग 95 प्रतिशत से अधिक कोयले से आता है। वर्ष 2002-03 से सवारी और भाड़ा ढांचा यौक्तिकीकरण करने की प्रक्रिया में वातानुकूलित प्रथम वर्ग का सापेक्ष सूचकांक को 1400 से घटाकर 1150 कर दिया गया है। एसी-2 टायर का सापेक्ष सूचकांक 720 से 650 कर दिया गया है। एसी प्रथम वर्ग के किराए में लगभग 18 प्रतिशत की कटौती की गई है और एसी-2 टायर का 10 प्रतिशत घटाया गया है। 2005-06 में माल यातायात में वस्तुओं की संख्या 4000 वस्तुओं से कम करके 80 मुख्य वस्तु समूह रखा गया है और अधिक 2006-07 में 27 समूहों में रखा गया है। भाड़ा प्रभारित करने के लिए वर्गों की कुल संख्या को घटाकर 59 से 17 कर दिया गया है।अन्तर्गत उपक्रम
भारत में रेल मंत्रालय, रेल परिवहन के विकास और रखरखाव के लिए नोडल प्राधिकरण है। यह विभन्न नीतियों के निर्माण और रेल प्रणाली के कार्य प्रचालन की देख-रेख करने में रत है। भारतीय रेल के कार्यचालन की विभिन्न पहलुओं की देखभाल करने के लिए इसने अनेकानेक सरकारी क्षेत्र के उपक्रम स्थापित किये हैं :-- रेल इंडिया टेक्नीकल एवं इकोनॉमिक सर्विसेज़ लिमिटेड (आर आई टी ई एस)
- इंडियन रेलवे कन्स्ट्रक्शन (आई आर सी ओ एन) अंतरराष्ट्रीय लिमिटेड
- इंडियन रेलवे फाइनेंस कॉर्पोरेशन लिमिटेड (आई आर एफ सी)
- कंटनेर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (सी ओ एन सी ओ आर)
- कोंकण रेलवे कॉर्पोरेशन लिमिटेड (के आर सी एल)
- इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कॉर्पोरेशन लिमिटेड (आई आर सी टी आर)
- रेलटेल कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (रेलटेल)
- मुंबई रेलवे विकास कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एम आर वी सी लिमिटेड.)
- रेल विकास निगम लिमिटेड (आर वी एन आई)
अनुसंधान, डिज़ाइन और मानक संगठन
आरडीएसओ के अतिरिक्त लखनऊ में अनुसंधान और विकास स्कंध (आर एंड डी) भारतीय रेल का है। यह तकनीकी मामलों में मंत्रालय के परामर्शदाता के रूप में कार्य करता है। यह रेल विनिर्माण और डिज़ाइनों से संबद्ध अन्य संगठनों को भी परामर्श देता है। 'रेल सूचना प्रणाली के लिए भी केंद्र है (सीआरआईएस)', जिसकी स्थापना विभिन्न कम्प्यूटरीकरण परियोजनाओं का खाका तैयार करने और क्रियान्वयन करने के लिए की गई है। इनके साथ-साथ छह उत्पादन यूनिटें हैं जो रोलिंग स्टॉक, पहिए, एक्सेल और रेल के अन्य सहायक संघटकों के विनिर्माण में रत हैं अर्थात, चितरंजन लोको वर्क्स; डीजल इंजन आधुनिकीकरण कारखाना; डीजल इंजन कारखाना; एकीकृत कोच फैक्टरी; रेल कोच फैक्टरी; और रेल पहिया फैक्टरी।देश के विकास में
देश के औद्योगिक और कृषि क्षेत्र की त्वरित प्रगति ने रेल परिवहन की उच्च स्तरीय मांग का सृजन किया है, विशेषकर मुख्य क्षेत्रकों में जैसे कोयला, लौह और इस्पात अयस्क, पेट्रोलियम उत्पाद और अनिवार्य वस्तुएं जैसे खाद्यान्न, उर्वरक, सीमेंट, चीनी, नमक, खाद्य तेल आदि। तद्नुसार भारतीय रेल में रेल प्रौद्योगिकी की प्रगति को आत्मसात करने के लिए अनेकानेक प्रयास किए हैं और बहुत से रेल उपकरणों जैसे रोलिंग स्टॉक के उत्पादन में आत्मनिर्भर हो गया है। यह ईंधन किफायती नई डिज़ाइन के उच्च हॉर्स पावर वाले इंजन, उच्च गति के कोच और माल यातायात के लिए आधुनिक बोगियों को कार्य में लगाने की प्रक्रिया कर रहा है। आधुनिक सिग्नलिंग जैसे पैनल-इंटर लॉकिंग, रूट रीले इंटर लॉकिंग, केंद्रीकृत यातायात नियंत्रण, स्वत: सिग्नलिंग और बहु पहलू रंगीन प्रकाश सिग्नलिंग की भी शुरूआत की जा रही है।आधुनिकीकरण
ऐसे नेटवर्क को आधुनिक बनाने, सुदृढ़ करने और इसका विस्तार करने के लिए भारत सरकार निजी पूंजी तथा रेल के विभिन्न वर्गों में, जैसे पत्तन में- पत्तन पर्क के लिए परियोजनाएं, गेज परिवर्तन, दूरस्थ/पिछड़े क्षेत्रों को जोड़ने, नई लाइन बिछाने सुंदरबन परिवहन आदि के लिए राज्य निधियन को आकर्षित करना चाहती है। इसके अतिरिक्त सरकार ने दिल्ली, मुंबई, चेन्नै, बैंगलूर, हैदराबाद और कोलकाता मेट्रोपोलिटन शहरों में रेल आधारित मास रेपिट ट्रांजिट प्रणाली शुरू की है। परियोजना का लक्ष्य, शहरों के यात्रियों के लिए विश्वासनीय सुरक्षित एवं प्रदूषण रहित यात्रा मुहैया कराना है। यह परिवहन का सबसे तेज साधन सुनिश्चित करती है, समय की बचत करती एवं दुर्घटना कम करती है। इस परियोजना ने उल्लेखनीय प्रगति की है विशेषकर दिल्ली मेट्रो रेल परियोजना का कार्य निष्पादन स्मरणीय है। दिल्ली मेट्रो का पहला चरण पूरी तरह कार्यरत है और यह अपने नेटवर्क का विस्तार राजधानी शहर के बाहर कर रहा है।मूल संरचना विकास
भारत में रेल मूल संरचना के विकास में निजी क्षेत्रों की भागीदारी का धीरे-धीरे विस्तार हो रहा हैं मान और संभावना दोनों में। उदाहरण के लिए, पीपावाव रेलवे कॉर्पोरेशन लिमिटेड (पीआरसीएल) रेल परिवहन में पहला सरकारी निजी भागीदारी का मूल संरचना मॉडल है। यह भारतीय रेल और गुजरात पीपावाव पोर्ट लिमिटेड की संयुक्त उद्यम कंपनी है, जिसकी स्थापना 271 कि.मी. लंबी ब्राड गेज रेल लाइंस का निर्माण, रखरखाव और संचालन करने के लिए की गई है, यह गुजरात राज्य में पीपावाव पत्तन को पश्चिमी रेल के सुरेन्द्र नगर जंक्शन से जोडती है।रेल बजट
इसके अतिरिक्त रेल को बजटीय सहायता वर्षनुवर्ष बढ़ रही है । रेल बजट 2007-08, के अनुसार वर्ष 2006-07 के प्रथम नौ माहों के दौरान रेल ने रिकॉर्ड तोड़ निष्पादन दर्शाया है। सवारी लाभ 14 प्रतिशत की वृद्धि के साथ बढ़ा है और इसी अवधि में अन्य कोचिंग अर्जन 48 प्रतिशत बढ़ा है। सत्रह प्रतिशत की एक ऐतिहासिक वृद्धि माल अर्जन और सकल यातायात अर्जन, दोनों में दर्ज की गई है। सकल यातायात राजस्व 63,120 करोड़ रुपए अनुमानित है जो विगत वर्ष की तुलना में 17 प्रतिशत अधिक है और बजट अनुमान से 5.5 प्रतिशत अधिक है।पंचवर्षीय योजनान्तर्गत
यातायात की स्थिति तथा सुरक्षा में सुधार एव नई प्रौद्योगिकी की पुन : स्थापना करने के लिए मंत्रालय ने अनेक सुधार के उपाय किए हैं अर्थात देश में विश्वस्तरीय रेल का विकास करना। तद्नुसार बजट में रेल के लिए एक नया प्रोफाइल 11वीं पंचवर्षीय योजना के लिए तैयार किया गया है। इसमें निम्नलिखित शामिल हैं:-1,100 मिलियन टन का माल लदान और 840 करोड़ सवारी 11वीं योजना की अवधि वर्ष में करने का लक्ष्य
- परिवहन क्षमता दोहरी करने और प्रमात्रा बढ़ाने के द्वारा परिवहन की यूनिट लागत कम करने पर संकेंद्रण।
- अल्पावधिक कार्यनीति - बाधाओं को दूर करने और गहन परिसम्पत्ति उपयोग सुनिश्चित करने के लिए निम्न लागत और अधिक प्रतिफल वाली परियोजनाओं में निवेश;
- मध्य और दीर्घावधिक कार्यनीति - नेटवर्क विस्तार और आधुनिकीकरण के लिए दोहरा तरीका तथा तकनीकी उन्नयन;
- अधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए सरकारी निजी भागीदारी।
- पूर्वी और पश्चिमी समर्पित माल कोरीडोर का 30,000 करोड़ रुपए की लागत पर निर्माण वर्ष 2007-08 से प्रारंभ करना और 11वीं योजना के दौरान इसको पूरा करना।
- पूर्वी-पश्चिमी,पूर्व-दक्षिण, उत्तर-दक्षिण और दक्षिण-दक्षिण कोरीडोर के लिए व्यावहार्य पूर्व सर्वेक्षण।
- अधिकांश मीटर गेज लाइनों को इस पंचवर्षीय योजना के अंत तक मीटर गेज में परिवर्तित किया जाना है।
- उच्च गति की सवारी कोरीडोर का निर्माण 300कि.मी./घंटा से अधिक की गति में ट्रेन चलाने के लिए किया जाना है।
- चेन्नै, कोलकाता और मुंबई में वातानुकूलित सुबरबन ट्रेन और एस्कालेटर की व्यवस्था महत्वपूर्ण स्टेशन में करना।
- विगत योजना की तुलना में चल स्टॉक का उत्पादन दोहरा करना है।
- उच्च हॉर्स पावर और कम ऊर्जा वाले इंजन का उत्पादन बढ़ाना।
- माल लदान के लिए 2007-08 में 785 मिलियन टन का लक्ष्य रखा गया
- मिशन 200 मिलियन टन रेल का लक्ष्य 200 एम टी का अधिक शेयर सीमेंट और इस्पात के परिवहन में 2011-12 तक है।
- मिशन 100 एम टी - 100 एम टी लक्ष्य का कंटनेर यातायात 2011-12 तक
- डीजल मार्ग पर त्रिस्टैक कंटनेर ट्रेनों और विद्युतीकृत मार्ग पर दोहरा स्टैक कंटनेर ट्रेनों के लिए योजना बनाना।
- माल टर्मिनल्स संचालन का उन्नयन 15 रैक प्रति माह
- अधिक मार्गों पर 22.9 टन और 25 टन एक्सेल लोड फ्रेट ट्रेन चलाना .
- वेगन विनिर्माताओं को उच्च पेय लोड और नई प्रौद्योगिकी वाले वैगन की डिजाइन करने के लिए प्रोत्साहित करना
- लोकप्रिय ट्रेनों में 800 अन्य कोच जोड़े जाने हैं।
- अनारक्षित द्वितीय श्रेणी के कोचों में गद्दीदार सीट देने की योजना
- प्रत्येक नया ट्रेन में चार से छह अनारक्षित द्वितीय श्रेणी के कोच बढ़ाना
- वरिष्ठ नागरिकों और 45 वर्ष से अधिक आयु की महिलाओं के लिए, जो अकेले यात्रा करती हैं निचली बर्थ के आरक्षण की सुविधा।
- शारीरिक रूप से विकलांग सवारियों के लिए विशेष कोचों की व्यवस्था बढ़ाना ।
- अधिक सुविधाजनक, आरामदायक और अधिक क्षमता वाले नए डिजाइन के कोचों का विनिर्माण किया जाना।
- आधुनिक स्टेशनों के रूप में और 300 स्टेशनों का विकास किया जाना।
- वर्ष 2007 सफाई वर्ष घोषित-स्टेशन परिसरों, सवारी ट्रेनों, रेल लाइनों, प्रतीक्षालयों आदि में स्वच्छता सुनिश्चित करने के लिए विशेष अभियान।
महत्वपूर्ण रेल एवं उपलब्धियाँ
- दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे जो नैरो गेज की एक बहुत पुरानी रेल व्यवस्था है उसे यूनेस्को द्वारा विश्व विरासत घोषित किया गया है। यह रेल अभी भी डीजल से चलित इंजनों द्वारा खींची जाती है। आजकल यह न्यू जलपाईगुड़ी से सिलीगुड़ी तक चलती है। इस रास्ते में सबसे ऊँचाई पर स्थित स्टेशन घूम है।
- नीलगिरि पर्वतीय रेल इसे भी विश्व विरासत घोषित किया गया है।
- पैलेस आन व्हील्स
- समझौता एक्सप्रेस
- कोंकण रेलवे
- डेकन ओडिसी
- थार एक्सप्रेस
- शताब्दी एक्सप्रेस
- राजधानी एक्सप्रेस
- लाइफ लाईन एक्सप्रेस भारतीय रेल की चलंत अस्पताल सेवा जो दुर्घटनाओं एवं अन्य स्थितियों में प्रयोग की जाती है।
रेलक्षेत्र
प्रशासनिक सुविधा एवं रेलों के परिचालन की सुविधा की दृष्टि से भारतीय रेल को सत्रह क्षेत्र या जोन्स में बाँटा गया है।†कोंकण रेलवे भारतीय रेल के एक अनुषांगिक इकाई के रूप में परंतु स्वायत्त रूप से परिचालित होनेवाली रेल व्यवस्था है जिसका मुख्यालय नवी मुंबई के बेलापुर में रखा गया है। यह सीधे रेलवे बोर्ड एवं केंद्रीय रेलमंत्री के निगरानी में काम करता है।
हालाँकि कोलकाता मेट्रो भारतीय रेल द्वारा ही संचालित होती है परंतु इसे किसी जोन में नहीं रखा गया है। प्रशासनिक रूप से इसे एक क्षेत्रीय रेलवे के रूप में देखा जाता है। हर जोन में कुछ रेलमंडल होते हैं, इस समय भारत मे कुल 67 रेलमंडल है जो उपरोक्त 17 रेल-क्षेत्र (जोन) के अंतर्गत कार्य करते हैं।
सन्दर्भ
- बजट हाइलाइट
- RAILWAY
यह भी देखें
बाहरी कड़ियाँ
- भारतीय रेल का आधिकारिक जालस्थल-हिन्दी में
- उत्तर-पश्चिम रेलवे के बारें में
- भारतीय रेल के टिकट आॅनलाइन खरीदने का जालस्थल
- भारतीय रेल: रेल समय सारिणी, आरक्षण स्थिति की जाँच इत्यादि-रेडिफ डाट काम द्वारा
- रेलवे के बारे में काफी कुछ
- रेल टाइम-टेबल और नक्शे - इंडिया रेल इन्फो
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