डा. विजय कुमार
अमेरिकी सरकार की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि सिगरेट पीने से सिर्फ
फेफड़ों का कैंसर ही नहीं होता बल्कि अंधापन, डायबिटीज, लीवर का कैंसर और
पौरूष में कमी जैसी बीमारियां भी हो सकती हैं.
स्वास्थ्य मामलों की अमेरिकी इकाई सर्जन जनरल की ताजा रिपोर्ट में धूम्रपान
के खतरों की सूची में और भी बहुत सी बीमारियां जुड़ गईं. 1964 में
धूम्रपान के नुकसान पर इसकी पहली रिपोर्ट आई थी. उसमें सिगरेट पीने से
फेफड़ों का कैंसर होने के खतरे के बारे में बताया गया था. हालांकि अमेरिका
में 50 साल में धूम्रपान करने वालों की संख्या करीब 42 फीसदी कम हुई है.
लेकिन एक्टिंग सर्जन जनरल बोरिस लुश्नियाक कहते हैं, "अभी भी हमारे सामने
एक बहुत बड़ी और दुखद आपदा है."
अमेरिकी सरकार ने 2020 तक धूम्रपान करने वालों की दर को 12 प्रतिशत तक घटाने का लक्ष्य रखा है, जिसे पूरा करना मुश्किल दिखता है. आजकल मिलने वाली सिगरेटें पहले के मुकाबले ज्यादा खतरनाक हैं. जिसके कारण सिगरेट पीने वालों को फेफड़ों के कैंसर का खतरा ज्यादा है. लुश्नियाक कहते हैं, "सिगरेट बनाने के तरीके और उसके अंदर के रसायन समय के साथ काफी बदले हैं. इन बदलावों में कुछ ऐसे भी हैं जो फेफड़ों के कैंसर का खतरा तेज करते हैं."
रिपोर्ट में कहा गया कि विशेषज्ञों ने पाया है कि सिगरेट पीने वालों की आंखों की रोशनी जाने का खतरा होता है. इसके अलावा धूम्रपान से होने वाली बीमारियों की सूची में डायबिटीज, मलाशय और लीवर कैंसर और टीबी भी शामिल है. इसके बुरे असर से नवजात बच्चों में पैदाइशी कटे ओंठ, असामान्य गर्भावस्था, गठिया और शरीर की प्रतिरोधक क्षमता में कमी जैसी स्थितियां बन सकती हैं. जो लोग खुद सिगरेट नहीं पीते लेकिन सिगरेट के धुएं के संपर्क में रहते हैं, उन्हें भी दौरे पड़ने का खतरा रहता है.
सिगरेट की वजह से हर साल अमेरिका में पांच लाख लोगों की जान जा रही है और करीब डेढ़ करोड़ लोग धूम्रपान की वजह से होने वाली बीमारियों से घिर रहे हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर धूम्रपान की दर कम नहीं हुई तो हर 13 बच्चों में से एक बच्चा आगे चल कर इससे जुड़ी किसी बीमारी के कारण जान गंवा देगा. लुश्नियाक ने रिपोर्ट पेश करते हुए कहा, "बस, अब तो हद हो चुकी है." उन्होंने तंबाकू पर नियंत्रण के लिए सिगरेट को महंगा करने की मांग की. सिगरेट जलने से करीब 7,000 तरह के यौगिक पदार्थों का एक जटिल रासायनिक मिश्रण बनता है जिससे बहुत सी बीमारियां हो सकती हैं.
रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र है कि तंबाकू के इस्तेमाल का तरीका बदल रहा है. धूम्रपान करने वाले बहुत से लोग निकोटिन वाली ई सिगरेट और फ्लेवर्ड सिगार पीने लगे हैं. लेकिन निकोटिन हानिकारक है, खास तौर पर गर्भवती महिलाओं और पल रहे बच्चों के लिए.
एक अमेरिकी रिसर्च में पाया गया कि पूरी दुनिया में जनसंख्या बढ़ने के साथ ही धूम्रपान करने वालों की संख्या भी बढ़ी है. विश्व भर में धूम्रपान की बढ़ती लोकप्रियता के कारण भी 1980 में करीब 72 करोड़ से बढ़कर 2012 में करीब 97 करोड़ हो गई थी.
आरआर/एजेए (एएफपी,एपी)
अमेरिकी सरकार ने 2020 तक धूम्रपान करने वालों की दर को 12 प्रतिशत तक घटाने का लक्ष्य रखा है, जिसे पूरा करना मुश्किल दिखता है. आजकल मिलने वाली सिगरेटें पहले के मुकाबले ज्यादा खतरनाक हैं. जिसके कारण सिगरेट पीने वालों को फेफड़ों के कैंसर का खतरा ज्यादा है. लुश्नियाक कहते हैं, "सिगरेट बनाने के तरीके और उसके अंदर के रसायन समय के साथ काफी बदले हैं. इन बदलावों में कुछ ऐसे भी हैं जो फेफड़ों के कैंसर का खतरा तेज करते हैं."
रिपोर्ट में कहा गया कि विशेषज्ञों ने पाया है कि सिगरेट पीने वालों की आंखों की रोशनी जाने का खतरा होता है. इसके अलावा धूम्रपान से होने वाली बीमारियों की सूची में डायबिटीज, मलाशय और लीवर कैंसर और टीबी भी शामिल है. इसके बुरे असर से नवजात बच्चों में पैदाइशी कटे ओंठ, असामान्य गर्भावस्था, गठिया और शरीर की प्रतिरोधक क्षमता में कमी जैसी स्थितियां बन सकती हैं. जो लोग खुद सिगरेट नहीं पीते लेकिन सिगरेट के धुएं के संपर्क में रहते हैं, उन्हें भी दौरे पड़ने का खतरा रहता है.
सिगरेट की वजह से हर साल अमेरिका में पांच लाख लोगों की जान जा रही है और करीब डेढ़ करोड़ लोग धूम्रपान की वजह से होने वाली बीमारियों से घिर रहे हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर धूम्रपान की दर कम नहीं हुई तो हर 13 बच्चों में से एक बच्चा आगे चल कर इससे जुड़ी किसी बीमारी के कारण जान गंवा देगा. लुश्नियाक ने रिपोर्ट पेश करते हुए कहा, "बस, अब तो हद हो चुकी है." उन्होंने तंबाकू पर नियंत्रण के लिए सिगरेट को महंगा करने की मांग की. सिगरेट जलने से करीब 7,000 तरह के यौगिक पदार्थों का एक जटिल रासायनिक मिश्रण बनता है जिससे बहुत सी बीमारियां हो सकती हैं.
रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र है कि तंबाकू के इस्तेमाल का तरीका बदल रहा है. धूम्रपान करने वाले बहुत से लोग निकोटिन वाली ई सिगरेट और फ्लेवर्ड सिगार पीने लगे हैं. लेकिन निकोटिन हानिकारक है, खास तौर पर गर्भवती महिलाओं और पल रहे बच्चों के लिए.
एक अमेरिकी रिसर्च में पाया गया कि पूरी दुनिया में जनसंख्या बढ़ने के साथ ही धूम्रपान करने वालों की संख्या भी बढ़ी है. विश्व भर में धूम्रपान की बढ़ती लोकप्रियता के कारण भी 1980 में करीब 72 करोड़ से बढ़कर 2012 में करीब 97 करोड़ हो गई थी.
आरआर/एजेए (एएफपी,एपी)
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