नई दिल्ली, 07 दिसंबर। सुप्रीम कोर्ट ने मुंगेर।बिहार। के कोतवाली कांड संख्या- 445 । 2011 , धारा भारतीय दंड विधान 420।471।476 और प्रेस एण्ड रजिस्ट्र्ेशन आफ बुक्स एक्ट- 1867 की धारा 8।बी।,14 एवं 15 , की नामजद अभियुक्त व मेसर्स दी हिन्दुस्तान मीडिया वेन्चर्स लिमिटेड। नई दिल्ली। की अध्यक्ष शोभना भरतिया के स्पेशल लीव पीटिशन ।क्रिमिनल। – 1603।2013 की सुनवाई की संभावित तारीख आगामी 15 दिसंबर, 15 निर्धारित की है ।यह सूचना सुप्रीम कोर्ट के वेव साइट पर दी गई है । सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद बिहार सरकार ,जो सुप्रीम कोर्ट मेंइस केस में रेसपोन्डेन्ट नं0-01 है, ने ‘काउंटर-ऐफडेविट‘ अबतक सुपुर्द नहीं किया है ।
सुप्रीम कोर्ट में शोभना भरतिया ने मुंगेर कोतवाली में दर्ज प्राथमिकी, जिसकी संख्या- 445। 2011 है, को रद्द करने की प्रार्थना की है ।
बिहार में हिन्दी दैनिक ‘ हिन्दुस्तान‘ अखबार को प्रकाशित करनेवाला मीडिया हाउस मेसर्स दी हिन्दुस्तान टाइम्स लिमिटेड, जो बाद में मेसर्स एच0टी0 मीडिया लिमिटेड और मेसर्स हिन्दुस्तान मीडिया वेन्चर्स लिमिटेड में तब्दील हुआ, की अध्यक्ष शोभना भरतिया के विरूद्ध बिहार के मुंगेर जिला मुख्यालय स्थित कोतवाली थाना में जो प्राथमिकी दर्ज की गई है, उस प्राथमिकी के अंग्रेजी अनुवाद को सुप्रीम कोर्ट में प्राथमिकी के सूचक मन्टू शर्मा, जो सुप्रीम कोर्ट में रेस्पोन्डेन्ट नं0.2 हैं, ने प्रस्तुत किया है।
शोभना भरतिया केविरूद्ध दर्ज प्राथमिकी का मूल दस्तावेज:मुंगेर कोतवाली थाना में दर्ज प्राथमिकी में बताया गया है कि घटना वर्ष 2001 से शुरू होती है और अक्तूवर, 2011 तक लगातार जारी है । घटनास्थल मुंगेर मुख्यालय स्थित दैनिक हिन्दुस्तान अखबार का कार्यालय और भागलपुर स्थित दैनिक हिन्दुस्तान अखबार का कार्यालय बताया गया है ।
प्राथमिकी में सूचक मन्टू शर्मा ने आरोप लगाया है कि-
।1।‘ अभियुक्तगण क्रमशः ।1। शोभना भरतिया- अध्यक्ष, हिन्दुस्तान प्रकाशन समूह,। दी हिन्दुस्तान मीडिया वेन्चर्स लिमिटेड।, प्रधान कार्यालय- 18-20, कस्तुरवा गांधी मार्ग, नई दिल्ली।, ।2। शशि शेखर- प्रधान संपादक, हिन्दुस्तान मीडिया वेन्चर्स लिमिटेड, समाचार पत्र समूह, नई दिल्ली।, ।3। अक्कू श्रीवास्तव- कार्यकारी संपादक, पटना संस्करण, । 4। बिनोद बंधु- उप-स्थानीय संपादक, भागलपुर संस्करण और । 5। अमित चोपड़ा- मुद्रक एवं प्रकाशक , मेसर्स हिन्दुस्तान मीडिया लिमिटेड, लोअर नाथनगर रोड, परवत्ती, भागलपुर । देश के एक बड़े मीडिया हाउस मेसर्स हिन्दुस्तान टाइम्स लिमिटेड, जिसे बाद में बदलकर मेसर्स हिन्दुस्तान मीडिया वेन्चर्स लिमिटेड किया है, के संपादकीय बोर्ड एवं प्रबंधन के अधिकारी से जुड़े हैं।
।2।यह कि अभियुक्त संख्या-01 द्वारा संचालित इस कम्पनी के द्वारा देश के विभिन्न भागों में हिन्दी और देवनागरी लिपि में ‘हिन्दुस्तान‘ शीर्षक से दैनिक समाचार पत्रों को प्रकाशित किया जा रहा है ।
।3।यह कि किसी भी समाचार -पत्र के प्रकाशन के पूर्व प्रेस एण्ड रजिस्ट्र्ेशन आफ बुक्स एक्ट- 1867 की विभिन्न धाराओं के अन्तर्गत दिये गये प्रावधानों का अक्षरशः पालन करना समाचार पत्र के किसी भी प्रकाशक के लिए कानूनी बाध्यता है जिसका उल्लंघन दंडनीय अपराध है ।
।4। अभियुक्त संख्या -01 देश के जिन विभिन्न स्थानों से दैनिक हिन्दुस्तान का प्रकाशन कर रही हैं, विधिवत कार्यालय का भी संचालन किया जाता है और जिन-जिन नगरों से नगर संस्करण प्रकाशित होता है,वहां के लिये स्थानीय संपादक नियुक्त रहते हें जो प्रेस एण्ड रजिस्ट्र्ेशन आफ बुक्स एक्ट- 1867 की धारा 5।1।के अन्तर्गत है ।
।5। अभियुक्तगण अपने समाचार पत्र दैनिक ‘हिन्दुस्तान‘ के माध्यम से निजी क्षेत्रों के अतिरिक्त केन्द्र एवं राज्य सरकार से विज्ञापन प्राप्त कर करोड़ों -करोड़ का आर्थिक लाभ प्राप्त करते हैं
।6। यह कि केन्द्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों एवं उपक्रमों से संबंधित विज्ञापन डी0ए0वी0पी0 के माध्यम से तथा राज्य सरकार के विभिन्न विभागों तथा उपक्रमों से संबंधित विज्ञापन राज्य सूचना एवं जन-संपर्क विभाग के माध्यम से प्राप्त कराये जाते हैं ।
।7। यह कि बिहार में कुछ साल पूर्वतक राज्य सरकार के विभिन्न विभागों द्वारा भी सरकारी विज्ञापन सीधे समाचार पत्रों को दिया जाता रहा है, किन्तु हाल के कुछ वर्षों से सरकार द्वारा केवल सूचना एवं जनसंपर्क विभाग द्वारा ही समाचार पत्र को सरकारी विभागों के विज्ञापन प्रसारित किये जाने की व्यवस्था लागू की है ।
।8। यह कि सरकार द्वारा प्रसारित विज्ञापनों का भुगतान समाचार पत्र का सरकारी दर से किया जाता है ।
।9।यह कि अभियुक्त संख्या -01 ने वर्ष 2001 में दैनिक हिन्दुस्तान का प्रकाशन भागलपुर के मेसर्स जीवन सागर टाइम्स प्राइवेट लिमिटेड, लोअर नाथनगर रोड, परवत्ती, भागलपुर से प्रारंभ किया जो लागातार आज की तिथि तक जारी है ।
।10। यह कि अभियुक्तों ने भारत के प्रेस रजिस्ट्र्ार की अनुमति प्राप्त किये बिना प्रारंभ कर दिया ।भागलपुर से प्रकाशित दैनिक हिन्दुस्तान समाचार पत्र के संस्करण का प्रकाशन प्रेस एण्ड रजिस्ट्र्ेशन आफ बुक्स एक्ट- 1867 के प्रावधानों का खुल्लम-खुल्ला उल्लंघन करते हुए और आश्चर्य की बात है कि सरकार के समक्ष झूठा तथा फर्जी कागजात पेश कर विज्ञापन भी प्राप्त करने लगे और करोड़ों रूपये विज्ञापन के मद से सरकारी खजाने से भुगतान भी लेचुके हैं ।
।11।यह कि किसी भी प्रकाशक द्वारा समाचार पत्र के प्रकाशन के नाम का क्लीयरेन्स भारत के समाचार पत्रों के निबंधक कार्यालय से लेना भी अनिवार्य और कानूनी बाध्यता हैै यदि समाचार पत्र का नाम टाइटिल प्रकाशक को उपलब्ध हो गया है ,तो नया संस्करण निकालने के लिए भी प्रकाशक समाचार पत्रों के निबंधक से अनुमति प्राप्त करना भी अनिवार्य है एवं कानूनी बाध्यता का पूर्णतः अनदेखी कर मुंगेर संस्करण का प्रकाशन भी कर रहे हैं ।
।12। यह कि यह सिलसिला आज तक जारी है , जिस पिछले ग्यारह वर्षों में लगभग दो सौ करोड़ रूपये का विज्ञापन अवैध रूप से प्रकाशित कर सरकार को धोखा देकर अवैध कमाई किये जाने का अनुमान है ।
।13।यह कि प्रेस एण्ड रजिस्ट्र्ेशन आफ बुक्स एक्ट- 1867 की धारा -5 तथा 6 में स्पष्ट प्रावधान है कि बिना जिला दंडाधिकारी , प्रेसीडेन्सी अथवा सब-डिविजन दंडाधिकारी द्वारा सत्यापित घोषणा पत्र के बिना किसी भी रूप में प्रकाशित नहीं किया जा सकता है । ऐसी स्थिति में नियम का उल्लंघन दण्डनीय अपराध है ।
।14।यह कि पिछले 11 वर्षों तक भागलपुर से वहां के जिला दंडाधिकारी द्वारा बिना प्रमाणीकृत घोषणा पत्र के हिन्दुस्तान अखबार का प्रकाशन अभियुक्तगण करते आ रहे हैं ।
।15।यह कि पिछले दो वर्षों से अभियुक्तगण ‘मुंगेर संस्करण‘ का भी प्रकाशन गैरकानूनी तरीके से कर रहे हैं जबकि जिला दंडाधिकारी, मुंगेर द्वारा प्रमाणिकृत घोषणा-पत्र अभियुक्तों को प्राप्त नहीं है ।
।16।यह कि किसी भी नया संस्करण का प्रकाशन करने के लिये प्रकाशक को प्रेस एण्ड रजिस्ट्र्ेशन आफ बुक्स एक्ट-1867 के प्रावधानों के अनुसार जिला दण्डाधिकारी, प्रेसीडेन्सी मजिस्ट्र्ेट अथावा अनुमंडल दंडाधिकारी के द्वारा प्रमाणीकृत घोषणा पत्र की कानूनी बाध्यता है ।
।17।यह कि केन्द्र अथवा राज्य सरकार द्वारा घोषित विज्ञापन नीतियों के अन्तर्गत वैसे किसी भी समाचार पत्र अथवा पत्रिका को विज्ञापन नहीं दिया जा सकता है जो बिना सत्यापित घोषणा पत्र के अखबार का प्रकाशन कर रहे हैं ।
।18। यह कि इस प्रकार अभियुक्त संख्या-01 की कंपनी ने जालसाजी और फर्जी कागजातों के आधार पर केन्द्र एवं राज्य सरकार का करोड़ों-करोड़ का विज्ञापन प्राप्त कर सरकारी खजानों कोचूना लगा रहे हैं ।
।19।यह कि अभियुक्त संख्या-01 की कंपनी द्वारा फर्जीवाड़ा एवं गोरखधंधा संबंधित विभागों की मिलीभगत से कर रही है । यह एक गहन जांच का विषय है,लेकिन परिवादी वर्तमान में समाचार पत्र के सजग उपभोक्ता , समाज के प्रहरी एवं उत्तरदायित्व पूर्ण संगठन के पदाधिकारी की हैसियत से इस परिवाद पत्र के द्वारा निम्नलिखित राहत की प्रार्थना करते हैं कि –
।क। यदि घोषणा पत्र जिला दंडाधिकारी, मुंगेर द्वारा प्रमाणीकृत नहीं किया गया है, तो अभियुक्तों के विरूद्ध भारतीय दण्ड विधान की धारा 420।471। 476 एवं प्रेस एण्ड रजिस्ट्र्ेशन आफ बुक्स एक्ट 1867 की धारा 8।बी।, 14 एवं 15 के अन्तर्गत विभिन्न धाराओं का उल्लंघन करनेवालों के विरूद्ध कानूनी काररवाई किये जाने की आवश्यकता है।
।ख। यह कि अभियुक्तगण दैनिक हिन्दुस्तान, भागलपुर एवं मुंगेर संस्करणों से संबंधित धोखाधड़ी और फर्जीवाड़ा पर परदा डालने के लिए समय-समय पर तथ्यों में किये गये फेरबदल से संबंधित साक्ष्य निम्न प्रकार हैं:-
।1।भागलपुर से मुद्रित एवं प्रकाशित हिन्दुस्तान समाचार पत्र में दिनांक 01 जुलाई 2011 से निबंधन संख्या के स्थान पर ‘‘आवेदित‘‘ छपना प्रमाणित करता है कि 30 जुलाई 2011 तक जिस निबंधन संख्या का प्रयोग किया जा रहा था, वह फर्जी था जिसकी छायाप्रति संलग्न है ।
।2। निबंधन से संबंधित जिला पदाधिकारी, भागलपुर के कार्यालय के पत्रांक -145, दिनांक 03 अप्रैल 2010 की जांच रिपोर्ट से स्पष्ट है कि हिन्दुस्तान का निबंधन से संबंधित कोई दस्तावेजी साक्ष्य कार्यालय में उपलब्ध नहीं है जिससे स्पष्ट है कि बिना निबंधन के वर्ष 2001 से भागलपुर से प्रकाशित एवं मुद्रित हिन्दुस्तान समाचार पत्र का फर्जी रूप से प्रकाशन हो रहा है जिसकी छायाप्रति संलग्न है ।
।3। प्रेस-रजिस्ट्र्ार । नई दिल्ली। के पत्र से स्पष्ट है कि वर्ष 2006 तक भागलपुर संस्करण निबंधन नहीं कराया गया की छायाप्रति संलग्न है ।
।4। बिहार सरकार का वित्त।अंकेक्षण। प्रतिवेदन 195। 2005 में हिन्दुस्तान के फर्जी प्रकाशन में छपे सरकारी विज्ञापनों के नाम पर करोड़ों की हेराफेरी का मामला उजागर किये जाने से संबंधित पत्र की छायाप्रति संलग्न है ।
।20।यह कि अभियुक्तगण का कार्य गैर-कानूनी है।
सूचनादाता का नाम -मन्टू शर्मा, , पुरानीगंज, थाना-कासिम बाजार, जिला-मुंगेर
18-11-2011
सुप्रीम कोर्ट में एस0एल0 पी0 क्रिमिनल- 1603। 2013 में रेसपोन्डेन्ट नं0.2 मन्टू शर्मा, जो मुंगेर कोतवाली कांड संख्या – 445। 2011 के सूचनादाता हैं, के अधिवक्ता श्रीकृष्ण प्रसाद सुप्रीम कोर्ट में13 जनवरी 2013 को अपना पक्ष रख चुके हैं । सुप्रीम कोर्ट में मन्टू शर्मा की ओर से मुंगेर।बिहार।, के अधिवक्ता श्रीकृष्ण प्रसाद अपनी बहश पूरी कर चुके हैं । श्री प्रसाद ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अपना पक्ष
रखते हुए कहा है कि मुंगेर के पुलिस उपाधीक्षक और पुलिस अधीक्षक ने कोतवाली कांड संख्या-445। 2011 में पर्यवेक्षण रिपोर्ट.01 और 02 में शोभना भरतिया और अन्य नामजद अभियुक्तों के विरूद्ध भारतीय दंड संहिता की धारा 420।471।476 और प्रेस एण्ड रजिस्ट्र्ेशन आफ बुक्स् एक्ट, 1867 की धारा 8।बी।, 14 और 15 के अन्तर्गत गहरे अनुसंधान में प्रथम दृष्टया आरोप सत्य पाया है ।
अधिवक्ता श्रीकृष्ण प्रसाद ने सुप्रीम कोर्ट में मन्टू शर्मा की ओर से अपना पक्ष रखते हुए सूचित किया है कि -‘‘पटना उच्च न्यायालय ने भी शोभना भरतिया केक्रिमिनल मिसेलेनियस नं0- 2951। 2012 में मुंगेर पुलिस को आदेश की तिथि से तीन माह के अन्दर पुलिस अनुसंधान पूरा करने का आदेश 17 दिसंबर 12 को जारी किया है ।
श्री प्रसाद ने सुप्रीम कोर्ट से पीटिशनर शोभना भरतिया के स्पेशल लीव पीटिशन ।क्रिमिनल।- 1603। 2013 को रद्द करने की प्रार्थना की है
अधिवक्ता श्रीकृष्ण प्रसाद की रिपोर्ट
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें