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दिल्ली भले ही देश का दिल हो, मगर इसके दिल का किसी ने हाल नहीं लिया। पुलिस मुख्यालय, सचिवालय, टाउनहाल और संसद देखने वाले पत्रकारों की भीड़ प्रेस क्लब, नेताओं और नौकरशाहों के आगे पीछे होते हैं। पत्रकारिता से अलग दिल्ली का हाल या असली सूरत देखकर कोई भी कह सकता है कि आज भी दिल्ली उपेक्षित और बदहाल है। बदसूरत और खस्ताहाल दिल्ली कीं पोल खुलती रहती है, फिर भी हमारे नेताओं और नौकरशाहों को शर्म नहीं आती कि देश का दिल दिल्ली है।

सोमवार, 29 फ़रवरी 2016

भारत का केंद्रीय बजट



प्रस्तुति-  कृति  शरण 

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 112 में भारत के केन्द्रीय बजट को वार्षिक वित्तीय विवरण के रूप में निर्दिष्ट किया गया है[1], जो कि भारतीय गणराज्य का वार्षिक बजट होता है, जिसे प्रत्येक वर्ष फरवरी के अंतिम कार्य-दिवस में भारत के वित्त मंत्री द्वारा संसद में पेश किया जाता है। भारत के वित्तीय वर्ष की शुरूआत, अर्थात 1 अप्रैल से इसे लागू करने से पहले बजट को सदन द्वारा इसे पारित करना आवश्यक होता है। पूर्व वित्त मंत्री मोरारजी देसाई ने अभी तक सबसे ज्यादा आठ बार बजट प्रस्तुत किया है।[2]

अनुक्रम

  • 1 कालक्रम
    • 1.1 उदारीकरण-पूर्व
    • 1.2 उदारीकरण-पश्चात
  • 2 बजट घोषणा का समय
  • 3 इन्हें भी देंखे
  • 4 संदर्भ
  • 5 बाह्य लिंक

कालक्रम

उदारीकरण-पूर्व

भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री, डॉ॰ मनमोहन सिंह ने भारतीय अर्थव्यवस्था को उदार बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
स्वतंत्र भारत का प्रथम केन्द्रीय बजट 26 नवम्बर 1947 को आर.के. शनमुखम चेट्टी द्वारा प्रस्तुत किया गया था।[2]
1962-63 के अंतरिम बजट के साथ 1959-60 से 1963-64 के वित्तीय वर्ष के लिए केंद्रीय बजट को मोरारजी देसाई द्वारा प्रस्तुत किया गया।[2] 1964 और 1968 में फरवरी 29 को वे अपने जन्मदिन पर केंद्रीय बजट पेश करने वाले एकमात्र वित्त मंत्री बने.[3] देसाई द्वारा प्रस्तुत बजट में पांच वार्षिक बजट शामिल हैं, अपने पहले कार्यकाल के दौरान एक अंतरिम बजट और दूसरे कार्यकाल के दौरान एक अंतरिम बजट और तीन अंतिम बजट प्रस्तुत किया, इस समय वे वित्त मंत्री और भारत के उप-प्रधानमंत्री दोनों थे।[2]
देसाई के इस्तीफा देने के बाद, उस समय की भारत की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने वित्त मंत्रालय के पदभार को संभाल लिया और साथ ही वित्त मंत्री के पद को हासिल करने वाली एकमात्र महिला भी बन गई।[2]
वित्त पोर्टफोलियो को हासिल करने वाले राज्य सभा के पहले सदस्य प्रणव मुखर्जी ने 1982-83, 1983-84 और 1984-85 के वार्षिक बजट को प्रस्तुत किया।[2]
वी.पी. सिंह के सरकार छोड़ने के बाद 1987-89 के बजट को राजीव गांधी ने प्रस्तुत किया और मां और दादा के बाद बजट प्रस्तुत करने वाले वे एकमात्र तीसरे प्रधानमंत्री बने.[2]
एन.डी. तिवारी ने वर्ष 1988-89 के लिए बजट प्रस्तुत किया, 1989-90 के लिए एस.बी. चव्हाण, जबकि मधु दंडवते ने 1990-91 के लिए केंद्रीय बजट प्रस्तुत किया।[2]
डॉ॰ मनमोहन सिंह भारत के वित्त मंत्री बने लेकिन चुनाव की विवशता वश उन्होंने 1991-92 के लिए अंतरिम बजट ही प्रस्तुत किया।[2]
राजनीतिक घटनाक्रम के कारण, प्रारम्भिक चुनाव को मई 1991 में आयोजित किया गया, जिसमें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने राजनीतिक सत्ता को पुनः प्राप्त किया और वित्त मंत्री मनमोहन सिंह ने 1991-92 के लिए बजट प्रस्तुत किया।[2]

उदारीकरण-पश्चात

मनमोहन सिंह ने अपने अगले बजट 1992-93 में अर्थव्यवस्था को मुक्त कर दिया[4], विदेशी निवेश को प्रोत्साहित किया और आयात कर को कम करते हुए 300 से अधिक प्रतिशत से 50 प्रतिशत तक किया।[2]
1996 में चुनाव के बाद, एक गैर-कांग्रेसी मंत्रालय ने पद ग्रहण किया। इसलिए 1996-97 के अंतिम बजट को पी. चिदम्बरम द्वारा प्रस्तुत किया गया जो उस समय तमिल मानिला कांग्रेस से संबंधित थे।[2]
एक संवैधानिक संकट के बाद जब आई. के. गुजराल का मंत्रालय समाप्त हो रहा था तब चिदंबरम के 1997-98 बजट को पारित करने के लिए संसद की एक विशेष सत्र बुलाई गई थी। इस बजट को बिना बहस के ही पारित किया गया था।[2]
मार्च 1998 के सामान्य चुनाव के बाद जिसमें भारतीय जनता पार्टी केंद्रीय सरकार का गठन करने वाली थी, तब इस सरकार के वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने 1998-99 के अंतरिम और अंतिम बजट को प्रस्तुत किया।[2]
1999 के सामान्य चुनाव के बाद, सिन्हा एक बार फिर वित्त मंत्री बने और वर्ष 1999-2000 से 2002-2003 तक चार वार्षिक बजट प्रस्तुत किया।[2] मई 2004 में चुनाव होने के कारण अंतरिम बजट को जसवंत सिंह द्वारा प्रस्तुत किया गया।[2]

बजट घोषणा का समय

वर्ष 2000 तक, केंद्रीय बजट को फरवरी महीने के अंतिम कार्य-दिवस को शाम 5 बजे घोषित किया जाता था। यह अभ्यास औपनिवेशिक काल से विरासत में मिला था जब ब्रिटिश संसद दोपहर में बजट पारित करती थी जिसके बाद भारत ने इसे शाम को करना आरम्भ किया।
अटल बिहारी बाजपेयी की एनडीए सरकार (बीजेपी द्वारा नेतृत्व) के तत्कालीन वित्त मंत्री श्री यशवंत सिन्हा थे, जिन्होंने परम्परा को तोड़ते हुए 2001 के केंद्रीय बजट के समय को बदलते हुए 11 बजे घोषित किया।[5]. इससे यह भी पता चलता है, कैसे पिछली सरकार ने बिना किसी महत्वपूर्ण उद्देश्य के स्वतंत्रतापूर्व अवधि से इस प्रक्रिया को जारी रखा था।

इन्हें भी देंखे

  • आम बजट (2013-14)

संदर्भ



  • http://indiacode.nic.in/coiweb/welcome.html

  • "Chidambaram to present his 7th Budget on Feb. 29". The Hindu. 2008-02-22. अभिगमन तिथि: 2008-02-22.

  • "The Central Budgets in retrospect". Press Information Bureau, Government of India. 2003-02-24. अभिगमन तिथि: 2008-02-22.

  • "Meet Manmohan Singh, the economist". [http://www.rediff.com Rediff.com. 2004-05-20. अभिगमन तिथि: 2008-02-22.

    1. "Budget with a difference". 2001-03-17. अभिगमन तिथि: 2009-03-08.

    बाह्य लिंक

    • भारत सरकार: केंद्रीय बजट और आर्थिक सर्वेक्षण, आधिकारिक वेबसाइट
    वार्षिक बजट
    • विस्तृत केंद्रीय बजट 2008-09
    • विस्तृत केंद्रीय बजट 2007-08
    • विस्तृत केंद्रीय बजट 2006-07
    अन्य संसाधन
    • 2009 का बजट
    • केन्द्रीय बजट 2009 फाइनेंसिएल एक्सप्रेस
    • 1 दिसम्बर 2007 तक भारत का संविधान
    • विश्लेषण और केंद्रीय बजट 2005-2006 की प्रमुख विशेषताएं
    • बजट मूल बातें
    • http://www.financialexpress.com/budget/
    साँचा:Union budget of India
    श्रेणियाँ:
    • भारत का केंद्रीय बजट
    • भारत की अर्थव्यवस्था

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