शनिवार, 20 फ़रवरी 2016

जानिए पुनर्जन्म से जुड़े कुछ रहस्य व् रोचक जानकारी!!






क्या पुनर्जन्म होता है?  
पुनर्जन्म यह धारणा है कि व्यक्ति मृत्यु के पश्चात पुनः जन्म लेता है। हम ये कहें कि कर्म आदि के अनुसार कोई मनुष्य मरने के बाद कहीं अन्यत्र जन्म लेता है।
पाश्चात्य मत में सामान्यतः पुनर्जन्म स्वीकृत नहीं है क्योंकि वहाँ ईश्वरेच्छा और यदृच्छा को ही सब कुछ मानते हैं। कहा जाता है, यदि व्यक्ति का पुनर्जन्म होता है तो उसे अपने पहले जन्म की याद क्यों नहीं होती? भारतीय मत इसका उत्तर देता है कि अज्ञान से आवृत्त होने के कारण आत्मा अपना वर्तमान देखती है और भविष्य बनाने का प्रयत्न करती है, पर भूत को एकदम भूल जाती है। यदि अज्ञान का नाश हो जाए तो पूर्वजन्म का ज्ञान असंभव नहीं है। भारत की पौराणिक कथाओं में इस तरह के अनेक उदाहरण हैं और योगशास्त्र में पूर्वजन्म का ज्ञान प्राप्त करने के उपाय वर्णित हैं।
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पुनर्जन्म पर हमेशा से ही भ्रम रहा है। कई लोगों ने इसे माना है तो कई लोगो को आज भी इस पर संदेह है। विज्ञान की बात करें तो विज्ञानिकों में भी अभी तक इसपर भ्रम ही है। हिंदू धर्म के अनुसार मनुष्य का केवल शरीर मरता है उसकी आत्मा नहीं। आत्मा एक शरीर का त्याग कर दूसरे शरीर में प्रवेश करती है, इसे ही पुनर्जन्म कहते हैं। हालांकि नया जन्म लेने के बाद पिछले जन्म कि याद बहुत हि कम लोगो को रह पाती है। इसलिए ऐसी घटनाएं कभी कभार ही सामने आती है। पुनर्जन्म की घटनाएं भारत सहित दुनिया के कई हिस्सों मे सुनने को मिलती है।
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इतिहास एवं विकास
आत्मा के अमरत्व तथा शरीर और आत्मा के द्वैत की स्थापना से यह शंका होती है कि मरण के बाद आत्मा की गति क्या है। अमर होने से वह शरीर के साथ ही नष्ट हो तो नहीं सकती। तब निश्चय ही अशरीर होकर वह कहीं रहती होगी। पर आत्माएँ एक ही अवस्था में रहती होंगी, यह नहीं स्थापित किया जा सकता, क्योंकि सबके कर्म एक से नहीं होते। अतएव ऋग्वेदकालीन भारतीय चिंतन में आत्मा के अमरत्व, शरीरात्मक द्वैत तया कर्मसिद्धांत की उपर्युक्त प्रेरणा से यह निर्णय हुआ कि मनुष्य के मरण के बाद, कर्मों के शुभाशुभ के अनुसार, स्वर्ग या नरक प्राप्त होता है।
आईए जानते है पुनर्जन्म से जुड़ी कुछ और रोचक जानकारी:-
1). ऐसा नहीं हैं कि हर मौत के बाद को इंसान इंसान के रुप में ही जन्म ले. वो अगले जन्म में क्या बनेगा ये उसके कर्मों पर भी निर्भर करता है, कई बार मनुष्य को पशु योनि भी मिलती हैं।
2). अधिकतर बार मनुष्य, मनुष्य के रूप में जन्म लेता है. लेकिन कई बार वो पशु रूप में भी जन्म लेता है जो कि उसके कर्मों पर निर्भर करता है।
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3).  कई बार हम देखते हैं कि हम किसी का बुरा नहीं चाहते है, लेकिन फिर भी हमारे साथ बुरा होता है. इसकी वजह है पिछले जन्मों के कर्म जो कि मनुष्य को भोगना ही पड़ते हैं. ये बात अलग है कि अच्छे कर्मों की वजह से सुख भी मिलता हैं।
4). हिन्दू मानते हैं कि केवल यह शरीर ही नश्वर है जो कि मरने के बाद नष्ट हो जाता है. शायद इसीलिए मृत्यु क्रिया के समय सिर पर मारकर उसे तोड़ दिया जाता है जिससे कि व्यक्ति इस जन्म की सारी बातें भूल जाये और अगले जन्म में इस जन्म की बातें उसे याद ना रहे. उनका मानना है कि आत्मा बहुत ऊंचाई में आकाश में चली जाती है जो कि मनुष्य की पहुँच से बाहर है और यह नए शरीर में ही प्रवेश करती है।
5). कहा जाता है कि मुक्ति सिर्फ मानव जन्म में ही मिलती है. कहते है कि मानव जीवन अनमोल है, इसके लिए उसे 84 लाख योनियों से गुजरना पड़ता हैं, तब जाकर मनुष्य जीवन मिलता हैं।
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6). पुराणों में कई कथाएं भी ‌मि्लती हैं जो यह बताती हैं किर मृत्यु के समय व्यक्तिण की जैसी चाहत और भावना होती है उसी अनुरूप उसे नया जन्म मि लता है. एक कथा राजा भारत की है जो हि रण के बच्चे‌ के मोह में ऐसे फंसे किय अपने आखिरी वक्त में उसके ख्यालों में खोए रहे. इसका परिणाम ये हुआ किे पुण्यात्मा होते हुए भी वो अगले जन्म में पशु योनी में पहुंच गए और हिारण बने।
7). सबसे चौंकाने वाला तथ्य ये हैं कि इंसान सात बार पुरुष या स्त्री बनकर ये शरीर धारण करता है और उसे यह अवसर मिलता है कि वह अच्छे या बुरे कर्मों द्वारा अपना अगला भाग्य लिखे।
8). कुछ ऋषियों के अनुसार पूर्वजन्म के समय हमारे दिमाग में हर चीज रहती है लेकिन बहुत कम बार ही ऐसा होता है कि इंसान को उसके पिछले जन्म की बातें याद रहें इसका मतलब है कि हमारे पूर्व जन्मों की बातें हमारे दिमाग में रिकॉर्ड रहती हैं लेकिन हम इन्हें कभी याद नहीं कर पाते हैं।
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9).  पुनर्जन्म के लिए महाभारत में एक कथा का उल्लेख है कि भीष्म श्रीकृष्ण से पूछते हैं – आज मैं वाणों की शैय्या पर लेटा हुआ हूं, आखिर मैंने कौन सा ऐसा पाप किया था जिसकी ये सजा है. भगवान श्री कृष्ण कहते हैं – आपको अपने छः जन्मों की बातें याद हैं लेकिन सातवें जन्म की बात याद नहीं है जिसमें आपने एक नाग को नागफनी के कांटों पर फेंक दिया था. यानी भीष्म के रुप में जन्म लेने से पहले उनके कई और जन्म हो चुके थे।
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