नई दिल्ली। 23 फरवरी को जब संसद का बजट सत्र शुरू हुआ तब एक बात एकदम साफ थी कि विपक्ष सरकार को एक बार फिर जोरदार घेराबंदी कर पीछे धकेलने के मूड में हैं। रोहित वेमुला की आत्महत्या और जेएनयू में नारेबाजी पर जोरदार बहस होने की संभावना थी। दूसरी ओर पीएम ने सांसदों कह दिया जेएनयू मुद्दे पर हम आक्रामक रहेंगे। बहस हुई, हंगामा भी हुआ लेकिन शुरुआत में बैकफुट पर आती सरकार को स्मृति के आक्रामक अंदाज ने संजीवनी सी दे दी। 24 फरवरी की दोपहर होते-होते संसद में विपक्ष पर सत्ता पक्ष हावी हो गया। मुद्दे रोहित वेमुला और जेएनयू ही थे लेकिन बैकफुट पर विपक्ष जाता नजर आया।
विपक्ष की ओर से राज्यसभा में मायावती ने कमान संभाली सरकार को निशाना बनाते हुए रोहित वेमुला की आत्महत्या मामले की जांच के लिए बनी कमिटी में दलित को शामिल करने की मांग की। इस पर तकरीबन सारे विपक्ष ने साथ देना शुरू किया। स्मृति भी राज्यसभा में बैठी नजर आईं। हंगामे के बीच स्मृति उठीं और उन्होंने भारी हंगामे के बीचे जोरदार तरीके से बोलना शुरू कर दिया। उनकी आक्रामक शैली को लेकर एक वक्त के लिए न सिर्फ मायावती बल्कि पूरे विपक्ष को हतप्रभ कर दिया। खूब हंगामा हुआ लेकिन इस बीच स्मृति ने सरकार को कुछ वक्त के लिए इन मुद्दों पर किरकिरी होने से बचा लिया।
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